शेरा एक जादुई लड़की
एक समय की बात है, एक घना जंगल था जिसमें बहुत सारे जानवर थे। जहां 2 लोग भाग रहे थे जिनका नाम रामलाल और दूसरे का नाम रमेश कुमार है । रामलाल 80 साल का आदमी था और रमेश 20 साल का आदमी था। अचानक लाल गाउन पहने और गुस्से से भरी हरी आंखों वाली एक महिला द्वारा छोड़ी गई नीले रंग की जादुई किरणों से वे नीचे गिर जाते हैं।
डायन कहती है : अब मुझे कौन रोकेगा 80 साल का बुड्ढा या तुम एक 20 साल का लड़का जो कि कल ही अंडे से निकला है ।
राम लाल : न मैं, न रमेश तुझे रोकगी वो लड़की जिसके ऊपर कोडिनेट और भगवान दोनों का हाथ होगा।
(इतना कहने के बाद चेरा ने रामलाल पर हमला कर उसे घायल कर दिया। लेकिन रमेश को बचाने के लिए रामलाल ने एक बड़े द्वीप पर ट्रांसवर के लिए अपनी सभी शेष शक्तियों का उपयोग किया 🏝️। द्वीप पर पहुंचने के बाद)
रामलाल ने कहा: रमेश एक कोऑर्डिनेट ही इस दुनिया को बचा सकता है । यह दुनिया का कोडिनेट है लेन।
रमेश: लेकिन गुरूजी कोऑर्डिनेट क्या होता है और मुझे लेन नाम का लड़का कहां मिलेगा?
रामलाल : चिंता मत करो रमेश कोऑर्डिनेट को बुलाना मुश्किल काम नहीं है लेकिन उसे बुलाने के लिए तुम्हें अपना दिल। शुद्ध कर उसे बुलाना होगा। एक बार तुम्हारा दिल साफ हो गया तो लेन खुद ही तुम्हारी मदद करने आ जाएगा।
(इतना कहते ही रामलाल मर गए या रमेश रोने लगा उस समय एक बेन नाम का लड़का वहां से गुजर रहा था उस ने रामलाल को जमीन पर पड़ा देखकर और रमेश को रोता देख वो उनके पास गया ।)
बेन : भाईसाहब को क्या हुआ, क्या आपको नहीं लगता कि उन्हें हॉस्पिटल ले जाना चाहिए।
रमेश : वह अब नहीं है। मैं उन्हे। बचाने में असफल रहा। में असफल रहा .......
बेन : लेकिन कम से कम तुमने कोशिश तोह की । जाने वालों को कोई रोक सकता है किया?
रमेश : कौन हो तुम?
बेन : मैं बेन हूं । आपसे मिलकर अच्छा लगा।
रमेश : मैं रमेश । मुझे तुम्हारी मदद चाहिए क्या तुम करोगे।
बेन: हाँ, मैं मदद के लिए हमेशा तैयार हूँ। लेकिन किस तरह की मदद?
रमेश: मुझे एक शांत झरना ढूँढना है।
बेन: झरना यहां पर एक छिपा हुआ झरना है तो सही लेकिन वहां पर सिर्फ मैं जाता हूं।
रमेश: प्लीज तुम मुझे वहां ले जाओ।
बेन: लेकिन क्यों?
रमेश: मुझे किसी को ढूंढने के लिए अपना दिल शांत करना है।
बेन: हम्म मैं ले तो जाउंगा लेकिन तुम किस से मिलना चाहते हो जो अकेले रहोगे।
रमेश: दुनिया के रक्षक से लेन से ।
बेन: रक्षक मतलब सेवर कैसे मिलेगा सेवर?
रमेश: शांत रह कर तुम प्लीज़ मुझे ले चलो !
बेन: ठीक है,
(फिर रमेश ने रामलाल के सामने हाथ जोड़कर उसे अंतिम विदाई दी और रामलाल को धुएं में बदल गया)
बेन: वाह सुपर! मैजिक क्या तुम भी मैजिक कर सकते हो
रमेश: हां भी और ना भी।
बेन: मतलब
रमेश: तुम से कोई मतलब नहीं तुम सिर्फ मुझे झरने के पास ले चलो
बेन: बहुत बदतमीज लेकिन मैं तो अपने मन की ही करता हूँ तो आई एम सॉरी मैं तो नहीं ले जाऊँगा बाय..
रमेश: रुको ! रुको! ओके हाँ मैं जादू कर सकता हूँ
बेन: कूल तो छिप क्यों रहे हो?
रमेश: क्योंकि मेरे कई दुश्मन हैं मेरा यहां रुकना तुम्हारी जान भी ख़तरे में डाल सकता है ।
बेन : ऐसे तो मुझ से ज़्यादा ख़तरा तुम पर है ।
रमेश : तुमने क्या कहा?
बेन : कुछ नहीं ! आ गया झरना
रमेश: शुक्रिया!
बेन: तो अब मैं चलता हूँ लेकिन मुझे भूलना मत
रमेश: मैं तो दुश्मनों को भी नहीं भूलता और तुमने तो मेरी मदद की है ।
(इतना कह कर बेन चला गया और रमेश अपना दिल शुद्ध करने के लिए झरने के नीचे बैठ गया तीन दिन बाद जब रमेश ने अपनी आंखें खोली तब उसका मन शांत हो चुका था । रमेश लेन को बुलाने के लिए एक ऊंचे पहाड़ पर चढ़ा और उसके शिखर पर पहुंचने के बाद लेन को आवाज लगने लगा।
रमेश : लेन लेन जल्दी आओ हमें तुम्हारी जरूरत है चेरा सबको परेशान कर रही है लेन लेन प्लीज जल्दी आओ!
( काफी देर तक आवाज लगाने के बाद भी जब लेन नहीं आया तो रमेश निराश होकर नीचे उतरने लगा रमेश के पीछे मुड़ते ही रमेश को वहां पर बेन खड़ा मिला। बेन को वहा देख कर रमेश ने कहा )
रमेश : तुम ! तुम यहां तुम मेरा पीछा कर रहे हो !
बेन : ( मन में ) अभी तक तो मुझे ही याद कर रहे थे आप जब सामने आया हूं तो पहचान ही नहीं पा रहे ।
(तभी बेन ने बोला )
बेन : नहीं नहीं मैं तुम्हारा पीछा नहीं कर रहा था मैं तो बस यहां पर लंच करने आया था ।
रमेश :अच्छा तो कहां है तुम्हारा लंच ?
( बेन ने अपनी जादुई शक्तियों से एक चटाई और कुछ खाना थोड़ी दूरी पर पहाड़ पर रख दिया । फिर बेन ने कहा। )
बेन : वो देखो वो रहा मेरा खाना ।
(खान और चटाई को वहां देखकर रमेश को अजीब सी खुशी हो रही थी कि बेन की जिंदगी खतरे में नहीं है क्योंकि वह रमेश का पीछा नहीं कर रहा था । )
बेन : चलो अब तुम यहां पर हो ही तो मेरे साथ खाना खा लो ना प्लीज !
(बेन ने मासूमियत से कहा बेन की यह मासूमियत देखकर रमेश मान गया और वह तभी चटाई पर जाकर बैठ गए तभी एकदम से एक बड़ा पत्थर बेन को आकर लगा जिससे बेन नीचे गिरने लगा बैंक को निशा नीचे गिरते देखा रमेश परेशान हो गया उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि उसे क्या करना चाहिए तभी हुआ है हवा की तेजी से बहन को बचाने के लिए उसकी तरफ उड़ने लगा और उसे गिरने से बचा लिया नीचे उतरने के बाद रमेश ने कहा । )
रमेश : इतनी ऊंचा पहाड़ पर चढ़ने की क्या ही जरूरत थी। अगर आज मैं ना होता तो तुम्हारा क्या होता ?
बेन : (मुस्कुरा कर बोला ) कुछ कुछ नहीं मुझे कुछ नहीं होता।
रमेश : (गुस्से में ) बेन तुम्हें यह सब मजाक लग रहा है। तुम इतने ऊंचे पहाड़ से नीचे गिरने वाले थे। और तुम इतना सा भी नहीं है। यहां पर हो क्या रहा है? और तुम हंस क्यों रहे हो मुझे सब कुछ सच-सच बताओ अभी के अभी बेन बेन तुम मेरी आवाज सुन भी रहे हो ?
बेन : ऑफ़ कोर्स मैं तुम्हारी बात सुन रहा हूं और बेन नहीं लेन मैं ही लेन हूं।
( बेन की यह बात सुनकर रमेश हैरान हो गया और कहा । )
रमेश : तुम्हें पता भी है,लेन है कौन? और इतना बड़ा मजाक करते हुए तुम्हें शर्म नहीं आती। मैं पिछले तीन दिनों से उसे ढूंढ रहा हूं ताकि मैं उसे चेरा के बारे में बता सकूं। तुम्हें तो यह भी नहीं पता होगा चेरा है कौन ?
बेन : ओह तो क्या सबूत दूं, मैं तुम्हें कि मैं ही लेन हूं। और वैसे भी मुझे सबूत देने की क्या जरूरत है, जरूरत तो तुम्हें है मेरी मुझे तुम्हारी नहीं खैर तुम्हें मुझ पर भरोसा करना है तो करो नहीं तो मैं चला।
रमेश : नहीं नहीं रुको क्या पता सही में तुम ही लेन हो? देखो मैंने! लेन को कभी नहीं देखा। मैं तो यह भी नहीं जानता कि आखिर को-ऑर्डिनेट होता क्या है। अगर तुम ही हो लेन तो प्लीज मुझे बताओ कि क्या होता है यह को-ऑर्डिनेट मेरे गुरु जी के हिसाब से सिर्फ तुम ही हो जो कि चेरा से इस दुनिया को बचा सकते हो?
लेन : हूं तो मैं वही लेकिन क्या तुम्हें मुझ पर भरोसा हो गया है और अगर हां तो मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूं लेकिन अगर नहीं तो मैं किसी भी हालत में तुम्हारी मदद नहीं करने वाला।
रमेश : (घबराकर बोला। )हाँ हाँ , मुझे तुम पर भरोसा हो गया है। लेकिन तुम यह तो बताओ कि को-ऑर्डिनेट होता क्या है ?
लेन : हाँ बेशक मैं तुम्हें को-ऑर्डिनेट और चेरा सब के बारे में सब कुछ बताऊंगा लेकिन सबसे पहले तुम मुझे यह बताओ। कि तुम चेरा को कैसे जानते हो और रामलाल वहां क्या कर रहा था उस वक्त ? और रामलाल को इतना घायल किसने किया कि उसकी मौत हो गई ?
( रमेश यह जानकर हैरान हो गया कि लेन को उसके गुरु रामलाल के बारे में पता है।)
रमेश : गुरु जी को चेरा ने मारा है।
( लेन यह सब सुन कर हैरान और दुखी दोनों हो गया लेन को खामोश देखकर रमेश ने लेन से पूछा,)
रमेश : क्या हुआ लेन तुम खामोश क्यों हो गए? और तुम मेरे गुरु को कैसे जानते हो?
( रमेश के बढ़ते हुए सवालों को देख कर लेन ने फैसला लिया कि वह सब कुछ सच-सच रमेश को बता देगा और फिर लेन भारी आवाज में बोला! )
लेन : रमेश अब जो कुछ भी मैं तुम्हें बताने वाला हूं। यह बहुत ज्यादा कॉम्प्लिकेटेड है तो प्लीज अपने आप को संभाल लेना एक्चुअली यह दुनिया मैंने बनाई है और यहां पर जो कुछ भी होता है, मेरे को पता होता है और जो रामलाल के साथ हुआ यह सब सही मुझे नहीं पता था। वरना मैं रामलाल को बचा लेता।
रमेश : ( हैरानी से ) यह दुनिया तुम्हारी है इस दुनिया के रचयिता तुम हो ऐसा कैसे हो सकता है लेन पूरी दुनिया को पता है कि इस दुनिया को बनाने वाला भगवान है तो क्या तुम भी भगवान हो ?
लेन : नहीं रमेश मैं भगवान नहीं हूं और ऐसा नहीं है कि जो पूरी दुनिया को पता है वही सच नहीं होता। मैं यह नहीं कहता कि भगवान नहीं होते लेकिन यह दुनिया मेरी है और भगवान है लेकिन यहां नहीं।
(यह सब सुनकर रमेश हक्का-बक्का रह गया।और हैरानी से लेन से पूछा)
रमेश : वह लोग जिन्हें हम भगवान मानते हैं, वह सही में भगवान है ही नहीं?
लेन : ऐसा कुछ नहीं है लेकिन जो तुम कथाएं सुनते हो वह यहां की नहीं कहीं और की है। किसी और लोक की ऐसा कुछ भी हमारे लोक में नहीं हुआ था। ऐसे लगा लो मैं एक डुप्लीकेट कॉपी बनाई है जिससे मैं सब कुछ से है लेकिन उसकी आगे की कहानी से नहीं है।
(यह सब सुनकर रमेश का धमाग तो पकोड़ा बन चुका था। रमेश ने अपना सर पकड़ लिया और कहा)
रमेश : उफ़ उफ़ उफ़ कनफ्यूज मेरे समझ में तो कुछ नहीं आ रहा यह हुआ या नहीं हुआ?
( रमेश के दिमाग पकोड़ा बनते हुए देख लेन को अच्छा नहीं लगा तो उसने कहा )
लेन : रमेश तुम्हें सब कुछ समझने की जरूरत नहीं है। तुम बस इतना समझ लो कि यह दुनिया मैंने बनाई है। एक मल्टीवर्स के जैसा।
(यह सब सुनकर रमेश ने लंबी सांस ली और कहा । )
रमेश : थैंक गॉड कुछ तो आसान भाषा में समझाया ।
( यह सुनकर दोनों हंसने लग गए। इस हसी के बीच कुछ सेकंड के बाद लेन किसी असमंजस में पड़ गया और कुछ सोचने लगा। लेन को यू असमंजस में देखकर रमेश बोला )
रमेश : क्या हुआ लेन ? तुम कुछ परेशान लग रहे हो?
लेन : हां रमेश मैं थोड़ा परेशान हूं क्योंकि मुझे इतना तो पता है कि 5 साल पहले चेरा की मौत जिसके हाथों होनी है, वह जन्म ले चुका या चुकी है लेकिन यह नहीं पता कि वह कौन है और उसका नाम क्या है?
(लेन की यह बात सुनकर रमेश परेशानी में आकर बोला )
रमेश : तो क्या तुम्हें मिलने के बाद भी मैं चेरा की मौत नहीं होगी।
लेन : नहीं नहीं रमेश मैं ऐसा होने नहीं दूंगा हम दोनों मिलकर किसी न किसी तरह हो उस बच्चे को ढूंढ लेंगे।
रमेश : इतनी बड़ी दुनिया में हम एक छोटी सी 5 साल के बच्चे को कैसे ढूंढेंगे?
लेन : वह सब तो मुझे नहीं पता लेकिन हमें किसी भी तरह उस बच्चे को ढूंढना ही होगा।
रमेश : तो क्या तुम्हारे पास कोई आईडिया है या ऐसे ही बोल रहे हैं?
लेन : आईडिया तो है लेकिन पता नहीं वह काम करेगा या नहीं 50-50 % चांस है।
रमेश : क्या आईडिया है एक बार ट्राई करके तो देख ही सकते हैं ना?
लेन : हां बिल्कुल लेकिन उसके लिए मुझे एक पार्टिकुलर स्पॉट पर जाना होगा जहां से लगभग पूरी दुनिया दिख सके।
रमेश : लेकिन इस दुनिया में ऐसी कौन सी जगह है जिससे पूरी दुनिया देख सके?
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