(अगले दिन सुबह दोनों लेन और रमेश अपनी तलाश फिर से शुरू करते हैं। लेकिन एक नए आइडिया के साथ। रमेश ने अपनी विद्या का इस्तेमाल करके एक ऐसा रसायन बनाया जो की जादुई शक्तियों वाले लोग या फिर जादुई शक्तियों से कोई संबंध रखने वाले लोगों के पास आने पर अपना रंग हरे से नीला कर लेती है। लेकिन अब सबसे जरूरी काम करना था हर बच्चे के पास वह रसायन ले जाकर उसे देखने की रसायन ने अपना रंग बदला या नहीं?और यह सबसे मुश्किल काम था। क्योंकि किसी भी बच्चे या उसके मम्मी पापा को शक नहीं होना चाहिए था कि वह कोई उनके बच्चों के आस-पास रसायन लेकर जा रहे हैं या फिर उसका इस्तेमाल बच्चों के ऊपर कर रहे हैं। क्योंकि हर इंसान की सोच एक जैसी नहीं होती।कोई उसे पॉजिटिव ले लेगा तो कोई नेगेटिविटीव और किसी ने हंगामा मचा दिया तो दिक्कत आ जाएगी। यह सब बातें जब रमेश ने लेन को बताई। तब लेन ने कहा)
लेन : यहां पर बच्चे तीन जगह मिलेंगे स्कूल में घर में और खेलने की जगह पर। अब हम बच्चों के घर जाकर तो इस रसायन से बच्चों को चेक नहीं कर सकते। तो अब बची दो जगह है स्कूल और खेल का मैदान l
रमेश : जहां तक मुझे पता है।परदेशिया में लगभग हर बच्चा स्कूल तो जाता ही है लेकिन स्कूल के अंदर जाकर भी हम हर बच्चे की चेकिंग नहीं कर सकते क्योंकि पर भी कड़ा पेहरा होगा।
लेन : हम लोग तलाशी स्कूल या घर। में तो नहीं ले सकते अब रहा खेल का मैदान।
रमेश : लेकिन खेल के मैदान में हर वो बच्चा नहीं आता तो स्कूल जाता है।
लेन :लेकिन यह मत भूलो रमेश की हमें एक 5 साल के बच्चे के बारे में पता करना है।और हर वह छोटा बच्चा छोटा स्कूल जाता है। वह खेलने के लिए थोड़ी ना थोड़ी देर के लिए तो मैदान में आता ही होगा।
रमेश :लेकिन पेरादेशिया में कितने सारे खेलने की जगह है और हम सिर्फ और हम सिर्फ दो, हम दो एक वक्त पर इतनी सारी जगह कैसे हो सकते हैं?
लेन : क्या तुमने एक चीज पर गौर किया कि चेरा सिर्फ और सिर्फ इसी इलाके में आ रही है और उसने बच्चे भी इसी इलाके के अगवा किए इसका मतलब......
रमेश : मतलब वह बच्चा इसी इलाके में है मतलब इसी मोहल्ले में।
लेन : हाँ, लेकिन उस बच्चे को ढूंढना आसान नहीं होगा। जब उस बच्चे को चेरा नहीं ढूंढ पाए तो हमारा ढूंढना तो और भी मुश्किल है।
रमेश : तुम ऐसा क्यों कह रहे हो उस
बच्चे को ढूंढना, चेरा के लिए आसान और हमारे लिए मुश्किल?कैसे?
लेन: ऐसा इसलिए रमेश, क्योंकि हम किसी की नजरों में नहीं आ सकते। लेकिन अगर चेरा किसी की नजरों में आ गई तो वह उसे मार देगी।
रमेश :और अगर हम किसी की नजरों में आगे तो हम कुछ भी नहीं कर पाएंगे।
लेन: बिल्कुल ठीक लेकिन अगर चेरा की नजरों में वह बच्चा हमारे से पहले आ गया । तो चेरा उस बच्चों को खत्म करने की हर मुमकिन कोशिश करेगी।
रमेश : और अगर चेरा ने उस बच्चे को हमारे पहुंचने से पहले ही मार दिया तो चेरा का आतंक यह पूरी दुनिया देखेगी। और हम कुछ भी नहीं कर पाएंगे। क्योंकि जिसके हाथों से चेरा की मौत लिखी थी, वह खुद ही मर चुकी होगी या शायद चुका होगा?
लेन: हमें सबसे पहले यह पता करना होगा कि यहां इस मोहल्ले के बच्चे कौन-कौन से स्कूल जाते हैं l
रमेश : हाँ, अगर हमें पता चल जाए कि यहां के बच्चे कौन-कौन से स्कूलों में जाते हैं तो हमसे उन्हें स्कूलों के बाहर कुछ ना कुछ इंतजाम करेंगे उस बच्चे को पकड़ने का।
लेन: चलो फिर बाहर चलो देखते हैं किस हमें पता चलेगा कि यहां के बच्चे कौन-कौन से स्कूल जाते हैं?
रमेश :हाँ चलो!
लेन: सुनिए कली जी क्या आप हमें यह बता सकती हैं की इस मोहल्ले के बच्चे कौन-कौन से स्कूलों में जाते हैं?
कली: तुम क्यों जानना चाहते हो कि हमारे मोहल्ले के बच्चे इस किस स्कूल में जाते हैं। जितना मुझे पता है कि तुम दोनों तो भाई हो और तुम्हारे साथ कोई छोटा बच्चा नहीं है। और तुम दोनों की उम्र में स्कूल जाने के नहीं है।
लेन: अरे नहीं नहीं कली जी। ऐसी कोई बात नहीं है। हम लोग क्यों स्कूल जाएंगे। हम लोग तो स्कूल पार कर चुके हैं लेकिन हम लोग स्कूल के बारे में इसलिए जानना चाहते हैं ताकि हमें पता तो चले कि इस मोहल्ले में सबसे ज्यादा किस स्कूल को माना जाता है। क्योंकि अब हम भी इसी मोहल्ले का हिस्सा है।
कली: अच्छा यहां पर सब बच्चे एक ही स्कूल में जाते हैं सिटी ग्लोबल। वह सामने बिल्डिंग देख रहे हो, यह वही स्कूल है जिसमें इस मोहल्ले का हर एक बच्चा जाता है।
लेन: तो क्या इस मोहल्ले का हर एक बच्चा सिटी ग्लोबल स्कूल में ही जाता है?
कली: हाँ !
लेन: थैंक यू कली जी!
कली: अगर तुम्हें और कोई कभी भी प्रॉब्लम हो तो मेरे पास आना क्योंकि उसे मोहल्ले के बारे में हर एक चीज मैं जानती हूं।
लेन: जी जी बिल्कुल थैंक यू सो मच!
एक तरफ लेन को यह पता चल गया था कि सारे बच्चे एक ही स्कूल में जाते हैं जिसका नाम मैं सिटी ग्लोबल और वहीं दूसरी तरफ रमेश पूरे मोहल्ले की एक इकलौती दुकान पर चढ़ता है।और उनसे सवाल जवाब करने लगता है।
रमेश: जी नमस्ते!
रणवीर सिंह : नमस्ते जी नमस्ते आप कौन?
रमेश: जी हमने कल ही यहां पर एक किराए का घर लिया है।
रणवीर सिंह : वाह जी वह बधाई हो आपका हमारे मोहल्ले में स्वागत है।
रमेश: हमारा स्वागत करने के लिए धन्यवाद l क्या मैं आपका नाम जान सकता हूं?
रणवीर सिंह : हाँ जी हाँ बिल्कुल मेरा नाम रणवीर सिंह है जी।
रमेश: तो रणवीर सिंह जी, क्या आपकी दुकान पर हर एक चीज मिल जाएगी?
रणवीर सिंह : हाँ जी हाँ बिल्कुल फरमाइए जनाब आपको क्या चाहिए?
रमेश: 1 किलो चीनी और 1 किलो चावल दे दीजिए।
रणवीर सिंह : अभी लो!
रमेश: वैसे बहुत अच्छा मोहल्ला है जी आपका।
रणवीर सिंह : जी हाँ , यह एक हमारा ही मोहल्ला है जो हर एक चीज एक साथ करता है चाहे वह बच्चे को स्कूल भेजना हो या कुछ त्योहार मनाना।
रमेश: तो क्या इस मोहल्ले के सारे बच्चे एक ही स्कूल में रहते हैं?
रणवीर सिंह : हाँ जी हाँ बिल्कुल जो तुम सामने बिल्डिंग देख रहे हो वही बिल्डिंग हमारे बच्चों का स्कूल है।
रमेश: धन्यवाद यह लीजिए, आपके पैसे नमस्ते मैं चलता हूं।
रणवीर सिंह : नमस्ते जी नमस्ते बड़े ही चंगे लोग है जी उम्मीद है ऐसे लोगों से मुलाकात होती है।
रमेश: इस मोहाली के सारे बच्चे एक ही स्कूल में जाते हैं सिटी ग्लोबल!
लेन: हाँ मुझे भी यही बात पता चली।
रमेश: हमारा काम तो ऐसे आसान हो गया।अब हमें जगह-जगह नहीं जाना पड़ेगा। सिर्फ एक स्कूल और एक मोहल्ला!
लेन: आसान तो हुआ है लेकिन साथ-साथ बढ़ भी गया है। क्योंकि हर बच्चा हर बात किसी न किसी की नजर में रहेगा और जब तक बच्चा अकेला नहीं होगा तब तक हम यह चेक नहीं कर पाएंगे कि वह ही बच्चा है जिसे हम बोल रहे हैं या नहीं?
रमेश: तो अब हम क्या करेंगे?
लेन: तुम एक बार ध्यान से सुनो तुम हर बच्चे के पास जाकर उसे एक आइसक्रीम दो और इस रसायन को एक छोटी सी डाबी में ताबीज के रूप में अपने पास रखो और हर एक बच्चे को आइसक्रीम देते वक्त उसे आदमी को चेक करना कि रसायन का रंग बदला या नहीं।
रमेश: बहुत अच्छा सुझाव है, लेकिन तुम क्या करोगे?
लेन:मैं भी तुम्हारे जैसी ही ताबिश में रसायन को लेकर जाऊंगा और एक-एक बच्चे को कुछ ना कुछ अलग-अलग गिफ्ट दूंगा जिससे मैं उनके पास जा सकूं और मुझे पता चल सके कि वह बच्चा वही है जो कि चेरा को मारेगा या नहीं?
रमेश : वाह! लेन वाह! क्या आईडिया है शायद इसीलिए तुम एक को को-ऑर्डिनेट हो।
लेन: यह वक्त मेरी तारीफ करने का नहीं बल्कि उसे बच्चे को ढूंढने का है चलो!
रमेश और लेन स्कूल के पास पहुंच गए और स्कूल के बाहर स्कूल की छुट्टी होने का इंतजार करने लगे।कुछ ही देर में स्कूल की छुट्टी हो गई और सारे बच्चे बाहर आने लगे । स्कूल की छुट्टी होते ही लेन और रमेश अलग-अलग होकर उस खास बच्चे को ढूंढने लगे। तभी वहां से शेरा और उसके दोस्त एम्मा और सोफिया ने लेन को छोटे बच्चों को गिफ्ट बांटते हुआ देखा और लेन के पास गए।
शेरा : लेन भैया अब आप यह गिफ्ट सबको क्यों बांट रहे हैं?
लेन : क्योंकि बच्चों आज मेरी माँ का जन्मदिन है और माँ के जन्मदिन पर मैं हमेशा हर बच्चे को कुछ ना कुछ गिफ्ट जरूर देता हूं। लो बच्चों तुम भी गिफ्ट ले लो।
एम्मा : थैंक यू लेन भैया।
सोफिया : थैंक यू लेन भैया।
लेन: वेलकम बच्चों लो शेरा यह तुम्हारे लिए।
शेरा : आप अपनी माँ के लिए बात हो तभी ले रही हूं वरना बिल्कुल ना लेती।थैंक यू l
इन बातों के दौरान लेन का ध्यान उस ताबिश में पड़े हुए रसायन पर गया। और ताबिश को देखते ही जैसे लेन इतना खुश हो गया कि सब कुछ भूल ही गया। क्योंकि उसे ताबिश के रसायन का रंग नीला हो चुका था।इसका मतलब था शेरा एम्मा या फिर यह सोफिया इन तीनों में से एक ही है वह स्पेशल बच्चा है l लेन को इतना तो पता चल ही गया था कि अब उसे पूरे मोहल्ले में ढूंढने की जरूरत नहीं है। आब उसे सिर्फ इतना पता करना है कि उन तीन बच्चों में से कौन सा वे स्पेशल बच्चा है? लेन अपनी खुशी में इतना डूब चुका था कि वह यह समझ ही नहीं पाया कि एम्मा ,शेरा और सोफिया तीनों वहां से घर के लिए निकल चुके थे। लेकिन चेरा भी कहां चुप बैठने वाली थी, उसे कुछ ना कुछ तो करना ही था उस खास बच्चे को ढूंढने के लिए। तभी उसने घर जा रहे छोटे-छोटे बच्चों के पैरों को उनकी जगह पर जमा दिया। और जगह भी बहुत खास चुन्नी थी। वह ट्रेन की पटरी थी। चेरा इस बार खुश किस्मत थी क्योंकि शेरा इसमें भी अपने दोस्तों के एम्मा और सोफिया के साथ वहां पर जम गई थी। और दूसरी तरफ रमेश ने लेन के कंधे पर हाथ रखा और कहा।
रमेश : अब तुम कहां खो गई लेन? इस वक्त हमें हर एक बच्चे को चेक करना होगा। एक यही हमारा मौका है। लेन
तभी लेन खुशी से बाहर निकाला और रमेश को गले लगा लिया और कहा
लेन : बधाई हो भाई बधाई हो हमारी मेहनत रंग लाई हमें अब सिर्फ तीन बच्चों में से चुना है कि वह खास बच्चा कौन है?
रमेश : इसका मतलब तुम्हें यह पता चल गया कि वह जादुई बच्चा कौन है?
लेन :हाँ , लेकिन एक नहीं तीन!
रमेश : तीन! मतलब ?
लेन: मतलब कि आप हमें सारे मोहल्ले में नहीं बल्कि केवल तीन बच्चों में से उस जादुई बच्चे को ढूंढना होगा।बच्चे नहीं बच्ची l
रमेश :इसका मतलब वह खास जादुई बच्चा एक लड़की है।
लेन :हाँ
जैसा की जिंदगी का रूल है की खुशियां ज्यादा देर तक रूकती नहीं।लेन और रमेश अपनी ही है छोटी सी जीत सेलिब्रेट कर ही रहे थे की कुछ लोगों के चिल्लाने की आवाज आने लगी।" बचाओ! बचाओ! कोई हमारे बच्चों को बचाओ " लेन और रमेश लोगों की आवाज सुनकर आवाज का पीछा करते हुए रेल की पटरी तक पहुंचे।उन्होंने छोटे-छोटे बच्चों के पैर उस पटरी पर चिपके हुए पाए।सब पहले ही डरे हुए थे कि तभी ट्रेन के आने की आवाज सुनाई देने लगी। वहां पर मौजूद हर कोई चिल्लाने लगा और बच्चों के माता-पिता की हालत खराब थी। तभी एक काले रंग के कपड़े पहना हुआ एक नकाबपोश वहां पर पहुंचा। हैरानी की बात तो यह थी कि वह नकाबपोश रेल की पटरी के ऊपर बच्चों की तरफ मुंह करके उन चिपके हुए पैरों को देख रहा था। नकाबपोश को अन पैरों की तरफ देखते हुए देख वहां पर मौजूद भीड़ चलने लगी। भाई तुम पागल हो गए हो, क्या जल्द से जल्द वहां से निकले? वरना तुम भी मर जाओगे l
नकाबपोश ( मन में सोचते हुए।) : जिस चीज से इन बच्चों के पर चिपके हुए हैं वह कोई मामूली चीज तो नहीं लगती जरूर ये , कोई जादुई चीज है। और अगर यह जादुई चीज है तो मुझे इसे निकालने में समय लगेगा।
तभी नकाबपोश पीछे मुड़कर देखा है। तभी उसे पता चलता है की ट्रेन उसके बहुत करीब है।
नकाबपोश( मन में सोते हुए।): अगर मुझे इन बच्चों को बचाना है तो मुझे इस ट्रेन को रोकना होगा। लेकिन अगर मैं इसे सामने से रोका। तो मुझे इसे पीछे से रोकना होगा। इससे शायद किसी को चोट ना पहुंचे।
नकाबपोश अपने जादू से ट्रेन के पीछे पहुंच गया और अपने एक हाथ से ही ट्रेन को रोक दिया। लेकिन नकाबपोश की ट्रेन रोकने और बच्चों का ट्रेन के नीचे डब जाने में केवल कुछ सेकंड का ही फर्क था। जिससे बच्चे बहुत ज्यादा डर गए थे और बाहर खड़े लोगों का हाल भी बेहाल था। बच्चों की सांस जैसे अटक ही गई थी। तभी नकाबपोश बच्चों के पास पहुंचा। और उनसे पूछा।
नकाबपोश: क्या तुम सब ठीक हो? तुम में से किसी को कोई चोट तो नहीं लगी?
सारे बच्चे : नहीं हमें कोई चोट नहीं लगी हम सब ठीक है आपकी वजह से।
तभी ट्रेन का चालक नीचे उतारते हुए नकाबपोश से गुस्से में बोलने लगा।
चालक : यह क्या मत बदतमीजी है तुम्हें पता है ना चलती ट्रेन को रोकना एक जुर्म है।
नकाबपोश: देखिए-देखिए, आप गुस्सा मत होइये। इन बच्चों की जान खतरे में थी इसलिए मैंने आपकी ट्रेन को रोकना पड़ा यह है मेरी मजबूरी थी।
चालक : अब मजबूरी खत्म हो गई ना चलो हटो अब मुझे यह ट्रेन चलानी होगी।
नकाबपोश: अरे ऐसे कैसे आप ट्रेन चला देंगे अभी तक मुझे इन बच्चों को आजाद करने का कोई तरीका नहीं मिला है?
चालक : तरीका हो चाहे ना मिला हो, मुझे स्टेशन पर समय से पूछना होगा।
भीड़ के लोग : तो क्या तुम इनके ऊपर से ट्रेन को चढ़ा कर ले जाओगे।
चालक : अगर मुझे स्टेशन पर टाइम से पहुंचने के लिए यह भी करना पड़ा तो हाँ मैं करूंगा।
भीड़ के लोग : अरे ऐसे कैसे तुम हमारे बच्चों के ऊपर से ट्रेन चला कर ले जाओगे?मारो इसे मारो!
(भीड़ चालक की तरफ उसे करने के लिए बड़ी।)
नकाबपोश: रुकिए रुकिए! हाथापाई पर उतरने की कोई जरूरत नहीं है। मेरे पास इसका हल है।
(इतना सुनते ही भीड़ रुक गई।)
चालक : क्या हल है?
नकाबपोश: देखिए चालक साहब आपको जल्द से जल्द स्टेशन पहुंचना है। और भीड़ को अपने बच्चे बचाने हैं।क्यों ऐसा ही है ना?
चालक : हाँ
भीड़: हाँ
नकाबपोश: तो अगर मैं आपकी ट्रेन को इधर से उठाकर उधर बिना इन बच्चों को चोट पहुंचा रख दूं तो?
चालक : लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है?
नकाबपोश: उसकी चिंता आप ना करें चालक साहब यह मेरा काम है और यह मैं आराम से कर दूंगा। सो परमिशन है।
चालक :हाँ -हाँ
भीड़: हाँ -हाँ
सब की परमिशन मिलने के बाद नकाबपोश ने अपनी मानोगामी शक्ति का इस्तेमाल करके ट्रेन को ही हवा में उठा लिया और एक तरफ से दूसरी तरफ रख दिया। यह करिश्मा देखने के बाद वहां पर मौजूद हर शख्स तालियां बजाने लगा और चालक जाकर ट्रेन में बैठ गया।शख्स रमेश भी था। रमेश की आंखें नकाबपोश से हट ही नहीं रही थी। नकाबपोश उन बच्चों के पैरों की तरफ देख ही रहा था कि तभी उन बच्चों के माता-पिता उनके आस-पास आकर खड़े हो गए।और नकाबपोश से कहने लगे।
माता-पिता : प्लीज प्लीज हमारे बच्चों को बचा लो।
नकाबपोश : देखिए आप लोग फिकर ना करें, मैं आप लोगों के बच्चों को बचा लूंगा।
दरिया : यह भगवान हमारे बच्चों की कैसे परीक्षा ले रहा है? यह बच्चे कल ही तो किडनैपिंग से बाहर निकले और आज उनके साथ यह सब हो गया।
कली : पता नहीं हम इस मुसीबत से कैसे बाहर निकलेंगे?
नकाबपोश :मिल गया रास्ता ।
भीड़: मतलब?
नकाबपोश : देखो
नकाबपोश आगे बढ़कर एक बच्चे के पर को पकड़ा। और उसे एक सवाल पूछा।
नकाबपोश : बेटा क्या नाम है तुम्हारा?
बच्चे (डरते हुए जवाब ) वीर!
नकाबपोश : तो वीर बेटा तुम्हें यहां से बाहर निकलना है ना?
वीर: हाँ
नकाबपोश : तो फिर अपनी आंखें बंद करो। अरे करो तो सही भरोसा रखो।
वीर ने अपनी आंखें बंद कर ली और फिर नकाबपोश ने अपने हाथों से धीरे धीरे बच्चों की सॉक्स उतरने लगा। पूरी भीड़ यह देखकर हैरान थी लेकिन सब नकाबपोश को ध्यान से देख रहे थे।नकाबपोश ने थोड़ा जोर लगाते हुए बच्चे की सॉक्स को जूते के ऊपर चढ़ा दिया और फिर बड़े प्यार से नकाबपोश ने वीर का पैर को जूते और जमीन से अलग कर दिया। यह देखकर सब लोग बहुत खुश हुए और तालियां बजाने लगे। नकाबपोश नहीं इसी तरह वीर का दूसरा पैर भी जमीन और जूते से अलग कर दिया। और इसी तरह सारे बच्चों के माता-पिता ने नकाबपोश की चाल फॉलो करते हुए अपने बच्चों को आजाद करवा दिया। इससे पहले माता-पिता नकाबपोश को धन्यवाद कर बातें नकाबपोश गायब हो चुका था। थोड़ी ही देर में सारे बच्चे और उनके माता-पिता उस जगह से चले गए।
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