एक समय की बात है, एक घना जंगल था जिसमें बहुत सारे जानवर थे। जहां 2 लोग भाग रहे थे जिनका नाम रामलाल और दूसरे का नाम रमेश कुमार है । रामलाल 80 साल का आदमी था और रमेश 20 साल का आदमी था। अचानक लाल गाउन पहने और गुस्से से भरी हरी आंखों वाली एक महिला द्वारा छोड़ी गई नीले रंग की जादुई किरणों से वे नीचे गिर जाते हैं।
डायन कहती है : अब मुझे कौन रोकेगा 80 साल का बुड्ढा या तुम एक 20 साल का लड़का जो कि कल ही अंडे से निकला है ।
राम लाल : न मैं, न रमेश तुझे रोकगी वो लड़की जिसके ऊपर कोडिनेट और भगवान दोनों का हाथ होगा।
(इतना कहने के बाद चेरा ने रामलाल पर हमला कर उसे घायल कर दिया। लेकिन रमेश को बचाने के लिए रामलाल ने एक बड़े द्वीप पर ट्रांसवर के लिए अपनी सभी शेष शक्तियों का उपयोग किया 🏝️। द्वीप पर पहुंचने के बाद)
रामलाल ने कहा: रमेश एक कोऑर्डिनेट ही इस दुनिया को बचा सकता है । यह दुनिया का कोडिनेट है लेन।
रमेश: लेकिन गुरूजी कोऑर्डिनेट क्या होता है और मुझे लेन नाम का लड़का कहां मिलेगा?
रामलाल : चिंता मत करो रमेश कोऑर्डिनेट को बुलाना मुश्किल काम नहीं है लेकिन उसे बुलाने के लिए तुम्हें अपना दिल। शुद्ध कर उसे बुलाना होगा। एक बार तुम्हारा दिल साफ हो गया तो लेन खुद ही तुम्हारी मदद करने आ जाएगा।
(इतना कहते ही रामलाल मर गए या रमेश रोने लगा उस समय एक बेन नाम का लड़का वहां से गुजर रहा था उस ने रामलाल को जमीन पर पड़ा देखकर और रमेश को रोता देख वो उनके पास गया ।)
बेन : भाईसाहब को क्या हुआ, क्या आपको नहीं लगता कि उन्हें हॉस्पिटल ले जाना चाहिए।
रमेश : वह अब नहीं है। मैं उन्हे। बचाने में असफल रहा। में असफल रहा .......
बेन : लेकिन कम से कम तुमने कोशिश तोह की । जाने वालों को कोई रोक सकता है किया?
रमेश : कौन हो तुम?
बेन : मैं बेन हूं । आपसे मिलकर अच्छा लगा।
रमेश : मैं रमेश । मुझे तुम्हारी मदद चाहिए क्या तुम करोगे।
बेन: हाँ, मैं मदद के लिए हमेशा तैयार हूँ। लेकिन किस तरह की मदद?
रमेश: मुझे एक शांत झरना ढूँढना है।
बेन: झरना यहां पर एक छिपा हुआ झरना है तो सही लेकिन वहां पर सिर्फ मैं जाता हूं।
रमेश: प्लीज तुम मुझे वहां ले जाओ।
बेन: लेकिन क्यों?
रमेश: मुझे किसी को ढूंढने के लिए अपना दिल शांत करना है।
बेन: हम्म मैं ले तो जाउंगा लेकिन तुम किस से मिलना चाहते हो जो अकेले रहोगे।
रमेश: दुनिया के रक्षक से लेन से ।
बेन: रक्षक मतलब सेवर कैसे मिलेगा सेवर?
रमेश: शांत रह कर तुम प्लीज़ मुझे ले चलो !
बेन: ठीक है,
(फिर रमेश ने रामलाल के सामने हाथ जोड़कर उसे अंतिम विदाई दी और रामलाल को धुएं में बदल गया)
बेन: वाह सुपर! मैजिक क्या तुम भी मैजिक कर सकते हो
रमेश: हां भी और ना भी।
बेन: मतलब
रमेश: तुम से कोई मतलब नहीं तुम सिर्फ मुझे झरने के पास ले चलो
बेन: बहुत बदतमीज लेकिन मैं तो अपने मन की ही करता हूँ तो आई एम सॉरी मैं तो नहीं ले जाऊँगा बाय..
रमेश: रुको ! रुको! ओके हाँ मैं जादू कर सकता हूँ
बेन: कूल तो छिप क्यों रहे हो?
रमेश: क्योंकि मेरे कई दुश्मन हैं मेरा यहां रुकना तुम्हारी जान भी ख़तरे में डाल सकता है ।
बेन : ऐसे तो मुझ से ज़्यादा ख़तरा तुम पर है ।
रमेश : तुमने क्या कहा?
बेन : कुछ नहीं ! आ गया झरना
रमेश: शुक्रिया!
बेन: तो अब मैं चलता हूँ लेकिन मुझे भूलना मत
रमेश: मैं तो दुश्मनों को भी नहीं भूलता और तुमने तो मेरी मदद की है ।
(इतना कह कर बेन चला गया और रमेश अपना दिल शुद्ध करने के लिए झरने के नीचे बैठ गया तीन दिन बाद जब रमेश ने अपनी आंखें खोली तब उसका मन शांत हो चुका था । रमेश लेन को बुलाने के लिए एक ऊंचे पहाड़ पर चढ़ा और उसके शिखर पर पहुंचने के बाद लेन को आवाज लगने लगा।
रमेश : लेन लेन जल्दी आओ हमें तुम्हारी जरूरत है चेरा सबको परेशान कर रही है लेन लेन प्लीज जल्दी आओ!
( काफी देर तक आवाज लगाने के बाद भी जब लेन नहीं आया तो रमेश निराश होकर नीचे उतरने लगा रमेश के पीछे मुड़ते ही रमेश को वहां पर बेन खड़ा मिला। बेन को वहा देख कर रमेश ने कहा )
रमेश : तुम ! तुम यहां तुम मेरा पीछा कर रहे हो !
बेन : ( मन में ) अभी तक तो मुझे ही याद कर रहे थे आप जब सामने आया हूं तो पहचान ही नहीं पा रहे ।
(तभी बेन ने बोला )
बेन : नहीं नहीं मैं तुम्हारा पीछा नहीं कर रहा था मैं तो बस यहां पर लंच करने आया था ।
रमेश :अच्छा तो कहां है तुम्हारा लंच ?
( बेन ने अपनी जादुई शक्तियों से एक चटाई और कुछ खाना थोड़ी दूरी पर पहाड़ पर रख दिया । फिर बेन ने कहा। )
बेन : वो देखो वो रहा मेरा खाना ।
(खान और चटाई को वहां देखकर रमेश को अजीब सी खुशी हो रही थी कि बेन की जिंदगी खतरे में नहीं है क्योंकि वह रमेश का पीछा नहीं कर रहा था । )
बेन : चलो अब तुम यहां पर हो ही तो मेरे साथ खाना खा लो ना प्लीज !
(बेन ने मासूमियत से कहा बेन की यह मासूमियत देखकर रमेश मान गया और वह तभी चटाई पर जाकर बैठ गए तभी एकदम से एक बड़ा पत्थर बेन को आकर लगा जिससे बेन नीचे गिरने लगा बैंक को निशा नीचे गिरते देखा रमेश परेशान हो गया उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि उसे क्या करना चाहिए तभी हुआ है हवा की तेजी से बहन को बचाने के लिए उसकी तरफ उड़ने लगा और उसे गिरने से बचा लिया नीचे उतरने के बाद रमेश ने कहा । )
रमेश : इतनी ऊंचा पहाड़ पर चढ़ने की क्या ही जरूरत थी। अगर आज मैं ना होता तो तुम्हारा क्या होता ?
बेन : (मुस्कुरा कर बोला ) कुछ कुछ नहीं मुझे कुछ नहीं होता।
रमेश : (गुस्से में ) बेन तुम्हें यह सब मजाक लग रहा है। तुम इतने ऊंचे पहाड़ से नीचे गिरने वाले थे। और तुम इतना सा भी नहीं है। यहां पर हो क्या रहा है? और तुम हंस क्यों रहे हो मुझे सब कुछ सच-सच बताओ अभी के अभी बेन बेन तुम मेरी आवाज सुन भी रहे हो ?
बेन : ऑफ़ कोर्स मैं तुम्हारी बात सुन रहा हूं और बेन नहीं लेन मैं ही लेन हूं।
( बेन की यह बात सुनकर रमेश हैरान हो गया और कहा । )
रमेश : तुम्हें पता भी है,लेन है कौन? और इतना बड़ा मजाक करते हुए तुम्हें शर्म नहीं आती। मैं पिछले तीन दिनों से उसे ढूंढ रहा हूं ताकि मैं उसे चेरा के बारे में बता सकूं। तुम्हें तो यह भी नहीं पता होगा चेरा है कौन ?
बेन : ओह तो क्या सबूत दूं, मैं तुम्हें कि मैं ही लेन हूं। और वैसे भी मुझे सबूत देने की क्या जरूरत है, जरूरत तो तुम्हें है मेरी मुझे तुम्हारी नहीं खैर तुम्हें मुझ पर भरोसा करना है तो करो नहीं तो मैं चला।
रमेश : नहीं नहीं रुको क्या पता सही में तुम ही लेन हो? देखो मैंने! लेन को कभी नहीं देखा। मैं तो यह भी नहीं जानता कि आखिर को-ऑर्डिनेट होता क्या है। अगर तुम ही हो लेन तो प्लीज मुझे बताओ कि क्या होता है यह को-ऑर्डिनेट मेरे गुरु जी के हिसाब से सिर्फ तुम ही हो जो कि चेरा से इस दुनिया को बचा सकते हो?
लेन : हूं तो मैं वही लेकिन क्या तुम्हें मुझ पर भरोसा हो गया है और अगर हां तो मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूं लेकिन अगर नहीं तो मैं किसी भी हालत में तुम्हारी मदद नहीं करने वाला।
रमेश : (घबराकर बोला। )हाँ हाँ , मुझे तुम पर भरोसा हो गया है। लेकिन तुम यह तो बताओ कि को-ऑर्डिनेट होता क्या है ?
लेन : हाँ बेशक मैं तुम्हें को-ऑर्डिनेट और चेरा सब के बारे में सब कुछ बताऊंगा लेकिन सबसे पहले तुम मुझे यह बताओ। कि तुम चेरा को कैसे जानते हो और रामलाल वहां क्या कर रहा था उस वक्त ? और रामलाल को इतना घायल किसने किया कि उसकी मौत हो गई ?
( रमेश यह जानकर हैरान हो गया कि लेन को उसके गुरु रामलाल के बारे में पता है।)
रमेश : गुरु जी को चेरा ने मारा है।
( लेन यह सब सुन कर हैरान और दुखी दोनों हो गया लेन को खामोश देखकर रमेश ने लेन से पूछा,)
रमेश : क्या हुआ लेन तुम खामोश क्यों हो गए? और तुम मेरे गुरु को कैसे जानते हो?
( रमेश के बढ़ते हुए सवालों को देख कर लेन ने फैसला लिया कि वह सब कुछ सच-सच रमेश को बता देगा और फिर लेन भारी आवाज में बोला! )
लेन : रमेश अब जो कुछ भी मैं तुम्हें बताने वाला हूं। यह बहुत ज्यादा कॉम्प्लिकेटेड है तो प्लीज अपने आप को संभाल लेना एक्चुअली यह दुनिया मैंने बनाई है और यहां पर जो कुछ भी होता है, मेरे को पता होता है और जो रामलाल के साथ हुआ यह सब सही मुझे नहीं पता था। वरना मैं रामलाल को बचा लेता।
रमेश : ( हैरानी से ) यह दुनिया तुम्हारी है इस दुनिया के रचयिता तुम हो ऐसा कैसे हो सकता है लेन पूरी दुनिया को पता है कि इस दुनिया को बनाने वाला भगवान है तो क्या तुम भी भगवान हो ?
लेन : नहीं रमेश मैं भगवान नहीं हूं और ऐसा नहीं है कि जो पूरी दुनिया को पता है वही सच नहीं होता। मैं यह नहीं कहता कि भगवान नहीं होते लेकिन यह दुनिया मेरी है और भगवान है लेकिन यहां नहीं।
(यह सब सुनकर रमेश हक्का-बक्का रह गया।और हैरानी से लेन से पूछा)
रमेश : वह लोग जिन्हें हम भगवान मानते हैं, वह सही में भगवान है ही नहीं?
लेन : ऐसा कुछ नहीं है लेकिन जो तुम कथाएं सुनते हो वह यहां की नहीं कहीं और की है। किसी और लोक की ऐसा कुछ भी हमारे लोक में नहीं हुआ था। ऐसे लगा लो मैं एक डुप्लीकेट कॉपी बनाई है जिससे मैं सब कुछ से है लेकिन उसकी आगे की कहानी से नहीं है।
(यह सब सुनकर रमेश का धमाग तो पकोड़ा बन चुका था। रमेश ने अपना सर पकड़ लिया और कहा)
रमेश : उफ़ उफ़ उफ़ कनफ्यूज मेरे समझ में तो कुछ नहीं आ रहा यह हुआ या नहीं हुआ?
( रमेश के दिमाग पकोड़ा बनते हुए देख लेन को अच्छा नहीं लगा तो उसने कहा )
लेन : रमेश तुम्हें सब कुछ समझने की जरूरत नहीं है। तुम बस इतना समझ लो कि यह दुनिया मैंने बनाई है। एक मल्टीवर्स के जैसा।
(यह सब सुनकर रमेश ने लंबी सांस ली और कहा । )
रमेश : थैंक गॉड कुछ तो आसान भाषा में समझाया ।
( यह सुनकर दोनों हंसने लग गए। इस हसी के बीच कुछ सेकंड के बाद लेन किसी असमंजस में पड़ गया और कुछ सोचने लगा। लेन को यू असमंजस में देखकर रमेश बोला )
रमेश : क्या हुआ लेन ? तुम कुछ परेशान लग रहे हो?
लेन : हां रमेश मैं थोड़ा परेशान हूं क्योंकि मुझे इतना तो पता है कि 5 साल पहले चेरा की मौत जिसके हाथों होनी है, वह जन्म ले चुका या चुकी है लेकिन यह नहीं पता कि वह कौन है और उसका नाम क्या है?
(लेन की यह बात सुनकर रमेश परेशानी में आकर बोला )
रमेश : तो क्या तुम्हें मिलने के बाद भी मैं चेरा की मौत नहीं होगी।
लेन : नहीं नहीं रमेश मैं ऐसा होने नहीं दूंगा हम दोनों मिलकर किसी न किसी तरह हो उस बच्चे को ढूंढ लेंगे।
रमेश : इतनी बड़ी दुनिया में हम एक छोटी सी 5 साल के बच्चे को कैसे ढूंढेंगे?
लेन : वह सब तो मुझे नहीं पता लेकिन हमें किसी भी तरह उस बच्चे को ढूंढना ही होगा।
रमेश : तो क्या तुम्हारे पास कोई आईडिया है या ऐसे ही बोल रहे हैं?
लेन : आईडिया तो है लेकिन पता नहीं वह काम करेगा या नहीं 50-50 % चांस है।
रमेश : क्या आईडिया है एक बार ट्राई करके तो देख ही सकते हैं ना?
लेन : हां बिल्कुल लेकिन उसके लिए मुझे एक पार्टिकुलर स्पॉट पर जाना होगा जहां से लगभग पूरी दुनिया दिख सके।
रमेश : लेकिन इस दुनिया में ऐसी कौन सी जगह है जिससे पूरी दुनिया देख सके?
लेन : एक आम आदमी तो वहां तक नहीं पहुंच सकता, लेकिन हमारे पास जादू है चलो अंतरिक्ष में।
रमेश : ( डर कर बोला)आ आ अंतरिक्ष में।
लेन : (हंस कर बोला) रमेश अंतरिक्ष के नाम से तुम इतना डर क्यों गए?
रमेश : लेन अंतरिक्ष में हवा नहीं होती। मैं वहां पर सांस कैसे लूंगा?
( रमेश की यह बात सुनकर लेन हंसने लगा और कहा। )
लेन : रमेश शायद तुम भूल गया तुम्हारे साथ यहां का कोऑर्डिनेटर है।
रमेश : ( डर कर बोला) को-ऑर्डिनेट तुम हो मैं नहीं। मैं भला अंतरिक्ष में सांस कैसे ले सकता हूं? और मुझे इतनी जल्दी मरने का शौक नहीं है।
रमेश की बातों को इग्नोर करते हुए लेन ने अपने जादू से एक स्पेस तक का पोर्टल बनाया और रमेश का हाथ पकड़ कर उसे अंदर खींचकर ले गया।
रमेश : ( डर कर बोला,) तुम पागल हो गए हो, क्या मुझे मारना चाहते हो?
लेन रमेश को खींचकर अंतरिक्ष में ले गया अंतरिक्ष का दृश्य देखकर रमेश की सिटी बिट्टी गुल हो गई
रमेश : ओ माय गॉड ओ माय गॉड! अंतरिक्ष मुझे सांस नहीं आ रही है। मैं क्या करूं, मैं सांस नहीं ले पा रहा हूं।
लेन: रमेश ! रमेश ! शांत हो जाओ, देखो, तुम सांस ले रहे हो।
रमेश : (हैरान होकर बोला ) हां, मैं सांस ले पा रहा हूं लेकिन कैसे?
लेन: वह ऐसे कि मैंने तुम्हारे आस-पास एक कवच बना दिया है जिससे तुम जब तक मेरे पास हो, तुम कहीं पर भी सांस ले पाओगे चाहे वह अंतरिक्ष के अंदर हो , पानी के अंदर हो या फिर आग के अंदर हो l
रमेश : बहुत खूब यह कितनी कूल सुपरपावर है l
लेन: चलो तो उस बच्चे को ढूंढने की प्रक्रिया शुरू करें।
रमेश : हाँ श्योर ! कृपया शुरू करें।
लेन: थैंक यू फॉर योर परमीशन चलो शुरू करें।
रमेश : रुको! रुको!रुको!
लेन: अब क्या हुआ ?
रमेश : तुम्हें जो प्रक्रिया शुरू कर लेना लेकिन पहले मेरे सवालों के जवाब दे दो प्लीज!
लेन: जी सर पूछिए!
रमेश : हम अंतरिक्ष में हैं तो हम कौन से प्लेनेट पर हैं? बताओ बताओ प्लीज!
लेन: वैसे तो तुम्हें यह पता होना जरूरी नहीं है, लेकिन हम मून पर है और किसी प्लेनेट पर नहीं।
रमेश : मुझे बताने के लिए थैंक्यू अब तुम अपनी प्रक्रिया शुरू करो इतने में मैं थोड़ा सा मून को देखकर आ सकता हूं क्या?
लेन: हां जाओ थोड़ी देर घूमो मुझे भी शांति मिलेगी।
रमेश : क्या कहा तुमने?
लेन: कुछ नहीं कुछ नहीं, तुम जा सकते हो जाओ। थोड़ी देर चांद की सैर कर आओ। इतनी देर में मैं बच्ची को ढूंढ लूंगा।
रमेश : थैंक यू लेन
और इतना कहते ही रमेश वहां से चांद की यात्रा करने के लिए चला गया और लेन ने अपनी जादुई शक्तियों से एक चमकती हुई गेंद जैसी चीज बनाई और उसे गेंद की मदद से पूरी धरती के आस-पास एक कवच बना दिया और उस बच्चे को ढूंढने लग गया। थोड़ी देर इंतजार करने के बाद लेन को पता चला कि वह बच्चा पैरादेशीय नाम की एक जगह पर रहती है l इतनी देर में रमेश भी चंद की सैर करके लौट आया। और लेन से पूछा।
रमेश : लेन कुछ पता चला कहां मिलेगा। वह जादुई बच्चा।
लेन: वह जादुई बच्चा पैरादेशीय में मिलेगी।
रमेश : पैरादेशीय लेकिन पैरादेशीय तो बहुत बड़ा है। हम उस बच्चे को कहां ढूंढेंगे? क्या कोई निशानी है जिससे हम उसे बच्चों को आसानी से ढूंढ पाए?लेन जवाब दो।
रमेश का यह सवाल सुन कर लेन एक गहरी सोच में डूब गया और कहा।
लेन: एक जादू निशान उस बच्ची के हाथ में एक जादू निशान होगा जो कि कुछ इस तरह दिखता होगा। यह देखो 🌀 कुछ इस तरह का निशान ही उस बच्चे के हाथ के पीछे होगा। और मेरे उसके पास जाते ही यह निशान चमकने लगेगा।
रमेश : तो चलो उसे ढूंढने चलते हैं।
लेन: लेकिन उसे ढूंढना इतना आसान नहीं होगा और मुझे पूरा यकीन है कि चेरा को भी इसके बारे में पता चल गया होगा कि जो बच्चा उसका अंत करने वाला है, वह जन्म ले चुकी है और अब वह कहां पर है क्योंकि मेरा जादू के बारे में उसको भी पता चल गया होगा।
रमेश : इसका मतलब उस बच्चे! की जान खतरे में है।
लेन : हाँ
रमेश : तो हम यहां पर क्या कर रहे हैं, चलो उसे ढूंढने चलते हैं
लेन : हाँ चलो हमें किसी भी तरीके से उसे ढूंढ कर एक सुरक्षित जगह पर ले जाना होगा।
लेन ने रमेश का हाथ पकड़ कर मून से पैरादेशीय ट्रांसफर हो गया और छोटी बच्चे की तलाश शुरू कर दी
रमेश : हम दोनो को अलग - अलग जाकर ढूंढना चाहिए l
लेन : नही ! मुझे नहीं लगता कि हमें अलग हो कर धुंडाना चाहिए। चेरा भी उस छोटी बच्ची को ढूंढ रही होगी मुझे तो कुछ नहीं होगा लेकिन तुम्हारी जान खतरे में पढ़ सकती है।
रमेश : तुम मेरी चिंता मत करो, मेरे पास छोटा-मोटा ही सही लेकिन जादू है। मैं अपनी सुरक्षा कर सकता हूं, लेकिन हमें जल्द से जल्द उस छोटे बच्चे को ढूंढना होगा ताकि हम उसकी सुरक्षा करें।
लेन : ठीक है लेकिन तुम अपना ख्याल रखना। और हां हम दोनों मानसिक शक्ति के साथ एक दूसरे से बातें कर सकते हैं तो कोई परेशानी आने पर तुम मुझसे संपर्क कर पाओगे। कोई भी परेशानी आने पर सबसे पहले मुझे बताना रमेश
रमेश :अच्छा ठीक है चलो अब हम उसे ढूंढने चलें।
इतना कहते ही रमेश और
लेन अलग अलग होकर उस जादुई निशान वाले बच्चे को ढूंढने लगे। तभी रमेश को तीन चार छोटे बच्चे स्कूल से घर जाते हुए दिखे। रमेश ने अंदाजा लगाया कि शायद इनमें से कोई भी वह बच्चा हो सकता है जो की चेरा का अंत करेगा या करेगी l रमेश यह जांच करने के लिए उनके पास भी गया। लेकिन रमेश के पास जाते ही रमेश का साधु जैसा होलिया देखकर बच्चे डर गए और भाग गए। यह सब देखकर रमेश ने अपना सिर पकड़ लिया और कहा
रमेश : ओ हो. आजकल के माता-पिता ने हर साधु को बच्चा चोरी करने वाला ही बना दिया है।
इतना कहकर रमेश ने सोचा कि वह इस तरह छोटे बच्चों के सामने नहीं जा सकता।तब रमेश ने अपना होलिया बदलने का डिसाइड किया।और नई जनरेशन वाला एक 20 साल का नौजवान लड़का बन गया। और अपनी तलाश जारी राखी l दूसरी तरफ लेन जब बच्चे को ढूंढ रहा था तब एक छोटी बच्ची ने लेन के ऊपर कीचड़ से भरी हुई बाल्टी फेंकी। और कहा
बच्ची : ओह हेलो मिस्टर आप शेरा के एरिया में उससे बिना पूछे नहीं आ सकते और शेरा से बिना पूछे आने का अंजाम यही होता है l
शेरा की यह बदतमीजी देखकर लेन को गुस्सा आ गया।लेकिन उस बच्चे की सुरक्षा के लिए अपना गुस्सा पी लिया। । और आगे बढ़ने लगा। लेन को आगे पढ़ने देख शेरा ने उसका रास्ता रोकते हुए कहा।
शेरा : तुम्हें एक बारी में समझ नहीं आता, क्या यह मेरा इलाका है।
लेन :(लेन ने अपना गुस्सा शांत करते हुए कहा) मिस शेरा तो क्या मैं आपके एरिया में जा सकती हूँ ।
शेरा : तुम नहीं जा सकते ।
शेरा की इस बातमीजी के बाद लेन के सबर का पुल टूट गया और गुस्से में बोला
लेन : बस बहुत हो गया ! पहले तो तुमने मेरे ऊपर किचड़ से भरी बाल्टी फैकी और फिर बातमीजी कर रही हो इतनी छोटी सी बच्ची और इतनी शरारती
शेरा : शरारती तो मैं हूं! और रही बात बदतमीजी की तो वह तो अभी तक मैं की ही नहीं। कहो तो करके दिखाऊ
लेन : ( हाथ जोड़कर कहा, ) बस करो जा रहा हूं ,मैं नहीं जाना तुम्हारे इलाके में।
शेरा : जाओ!जाओ! मेरे इलाके में कोई आ भी नहीं सकता।
लेन : हे भगवान! बस वह जादुई लड़का या लड़की जिसको मैंने ट्रन करना है वह ऐसा ना हो!
जब लेन ये सब सोच रहा था तभी वहाँ पर एक लाल रंग की साड़ी पहन कर एक महिला आयी और उस ने शेरा से कहा की उसका 5 साल का बच्चा है l वो शायद इस मोहले में मिलि जाए तो क्या वो उसके एरिया में जा सकती है ? महिला की इस तरह की बात सुनकर लेन पीछे मुड़ कर उस औरत का चेहरा देखने की कोशिश की और जैसे ही लेन ने उस औरत का चेहरा दिखा लेन हैरान हो गया। क्योंकि वह औरत और कोई नहीं चेरा ही थी। चेरा को वहां पर देखकर यह तो साबित हो गया था कि वह पूरे पैरादेशीय में छानबीन कर चुकी है अब सिर्फ यह मोहल्ला ही रह गया।अब लेन के लिए उस बच्चे को जल्द से जल्द ढूंढना और भी ज्यादा जरूरी हो गया था क्योंकि अब चेरा को पता चल गया था कि एक वही जगह है जहां पर वह अनोखा बच्चा मिलेगा जो की चेरा को मार सकता है। लेकिन इस वक्त लेन के सामने सबसे बड़ी मुसीबत शेरा थी जो की लेन को अंदर नहीं जाने दे रही थी l लेकिन लेन ने हार नहीं मानी और रमेश को उस मोहल्ले के पास बुला लिया और रमेश को सारी बातें बता दी। एक तराफ रमेश और लेन परेशान थे और दूसारी तराफ चेरा ने अपना पुरा ज़ोर उसके कातिल को धुन्डने में लगाया हुआ था l अब रात हो चुकी थी तो दोनों में से कोई भी उस बच्चों को ढूंढने के लिए नहीं निकल सकता था और ना ही चेरा और ना ही रमेश और लेन । लेन और रमेश के पास कोई भी सबूत नहीं था कि वह दोनों बच्चे को बचा भी पायेंगे या फिर नहीं लेकिन लेन ने फैसला कर लिया था कि अब चाहे कुछ भी हो जाए वह बच्चे को बचा कर रहेगा। रात होने के कारण अब लेन और रमेश कुछ भी नहीं कर पा रहा था तो उन्होंने रात को आराम कर्ने का फैसला किया। अगले दिन चेरा ने अपनी तलाश के चक्कर में उस मुहल्ले के सारे बच्चों का अपहरण कर लिया और एक आँधेरे कमरे मे छुपा दीया। चेरा की एस हरकत की वजाह से सारे मुहल्ले में आफरा - तफरी मच गई। मुहल्ले की आफरा - तफरी देख लेन और रमेश लोगों को शांत करने के लिए मुहल्ले में पहुंचे और लोगों को शांत करना शुरू किया लेकिन लोग शांत होने का नाम ही नहीं ले रहे थे। लोगों को शांत करने के लिए लेन ने लोगों से वादा किया कि वह किसी भी हालत में उनके बच्चे उन्हें वापस ला कर देगा। लेकिन लोगों का कहना था कि अब यह नया लड़का बच्चों को लेकर आएगा लोगों को लेन के ऊपर जरा सा भी भरोसा नहीं था। ऐसा माहौल देखकर लेन ने कहा,
लेन : आप सब चिंता मत कीजिए अगर मुझे आपके बच्चों को बचाने के लिए आप अपनी जान भी देनी पड़ेगी तो अभी किसी भी हालत में मैं आपके बच्चे लेकर ही आऊंगा डॉनट वरी ।
लेन की ऐसी बातें सुनकर लोगों ने कहा कि हमारे बच्चों को कोई तुम्हारी वजह से क्यों किडनैप करेगा हम तो तुम्हें जानते भी नहीं है। लेन टाइम वेस्ट नहीं करना चाहता था तो रमेश को लेकर वहां से निकल गया और बच्चों की तलाश शुरू कर दी। चेरा ने बच्चों को किडनैप कर लिया था और अब उसे सिर्फ और सिर्फ उस जादुई निशान वाले बच्चों को ढूंढना था। उस जादुई निशान वाले बच्चे को ढूंढने के लिए चेरा ने हर बच्चे के हाथ की तलाशी लेनी शुरू करी। लेकिन तलाशी में चेरा को कहां ही कुछ मिला था क्योंकि शेरा जिसके हाथ पर वह जादुई निशान था वह तो उस कमरे से पहले ही निकल चुकी थी लेकिन चेरा को इस बात के कुछ खबर नहीं थी। शेरा वहां से निकल तो चुकी थी लेकिन वह नशे की हालत में थी क्योंकि चेरा ने सबको अपने जादू से बेहोश कर दिया था। शेरा पर भी उसे जादू का असर तो हुआ था लेकिन शेरा के जादू चिन्ह ने उस पर यह जादू का असर ज्यादा देर तक नहीं रहने दिया। और अब शेरा गलियों में इधर-उधर घूम रही थी ताकि वह अपना घर ढूंढ सके। और दूसरी तरफ रमेश और लेन इधर-उधर होकर हर बच्चे को ढूंढने की कोशिश कर रहे थे। बच्चों को लापता हुए लगभग 3 घंटे बीत चुके थे l पूरे मोहल्ले में मातम का माहौल छाया हुआ था। लेन और रमेश बच्चों को ढूंढ ही रहे थे। तभी लेन को एक छोटा बच्चा इधर-उधर घूमते हुए दिखा।एक छोटे बच्चों को यूं इधर-उधर घूमता हुआ देख लेन और रमेश उस बच्चे के पास गए।और उसके कंधे पर हाथ रखा लेन के शेरा के कंधे पर हाथ रखते ही।
शेरा :(डर गई) छोड़ दो मुझे मेरे घर जाना है मुझे नहीं जाना तुम्हारे साथ जाने दो मुझे प्लीज प्लीज जाने दो मुझे कोई है बचाओ बचाओ!
लेन: शेरा शेरा शांत हो जाओगे मैं हूं। वही जिसके ऊपर तुमने कल कीचड़ फेंका था।
शेरा : ओह तो तुम मुझ से कल की बात का बदला ले रहे हो। कृपया मुझे जाने दो । आगर तुम चाहो तो मैं तुमसे माफ़ी मंगती हु कल के लिए । आई एम सॉरी! प्लीज! मुझे छोड़ दो।
इतना कहते ही शेरा बेहोश हो गई और जमीन पर गिरने लगी लेकिन शेरा के जमीन पर गिरने से पहले लेन ने शेरा को पकड़ लिया। और नीचे गिरने से बचा लिया। शेरा की यह हालत देखकर रमेश परेशान होकर कहने लगा।
रमेश: अरे यह क्या होगा शेरा को यह बेहोश क्यों हो गई? कहीं यह चेरा की तो हरकत नहीं।
लेन: यह सब चेरा ने ही किया है।
रमेश: तो फिर शेरा कैसे बच गई?
लेन:बच तो गई लेकिन चेरा के काले जादू का बहुत गहरा असर हुआ है शेरा पर।
रमेश: तो अब हम क्या करेंगे?कैसे बचाएंगे सारे बच्चों को?
लेन: सबसे पहले मैं अपने जादू से शेरा को ठीक करता हूं। और यह पता करने की कोशिश करता हूं कि वह अभी तक कहां थी और वह कहां से आ रही है?
रमेश: ठीक है तो जल्दी करो
रमेश के यह सब कहने के बाद लेन ने हाँ मे सिर हिलाया और अपने दाहिने हाथ को शेरा के सर पर सहलाने लगा। लेन के शेरा के सर पर हाथ सहलाते ही। शेरा को होश आ गया। शेरा के होश में आते ही। शेरा डर कर लेन से दूर हो गई।
शेरा : मैं यहां क्या कर रही हूं ? मेरी मम्मी को मेरी फिक्र हो रही होगी मुझे जल्द से जल्द घर पहुंचाना। होगा।
शेरा अपनी बात खत्म करने के बाद अपने घर की तरफ बढ़ने लगी। शेरा अपने घर की तरफ जा ही रही थी तभी लेन ने शेरा का हाथ पकड़कर उसे रोक लिया। शेरा ने जब पीछे मुड़कर देखा तो शेरा हैरान हो गई क्योंकि शेरा ने लेन को पहचान लिया था। लेन को देखकर शेरा बोली।
शेरा: तुम! तुम फिर से? तुम्हें मैंने कहा था ना मेरे इलाके में मेरी परमिशन के बगैर कोई नहीं आ सकता लेकिन फिर भी तुम आ गए।
( शेरा की यह सब बातें सुनकर रमेश को गुस्सा आ गया और उसने कहा। )
रमेश : भलाई का तो कोई जमाना ही नहीं रहा। एक तो हमने तुम्हारी जान बचाई और तुम हमसे बदतमीजी कर रही हो।
शेरा : ओह ! तो तुमने मेरी जान बचाई झूठे मुझे अच्छे से याद है कि मैं वहां से बच कर भाग गई थी।
रमेश : हाँ , तुम बच कर तो आ गई थी लेकिन फिर यहां बेहोश हो गई थी?
शेरा : बच तो गई थी ना मैं?
रमेश और शेरा की यह बहस सुनकर लेन ने अपनी आवाज ऊंची करते हुए कहा
लेन : चुप! चुप हो जाओ दोनों, यह वक्त बहस करने का नहीं है।
शेरा : तो फिर हाथ छोड़ो और जाने दो मुझे मैं अपने घर जाऊंगी और पुलिस को कॉल कर दूंगी जिससे पुलिस जल्द ही उन किडनैपर को पकड़ लेंगे। अब मेरा चेहरा क्या देख रहे हो जल्दी छोड़ो मेरा हाथ।
लेन :( शांतिपूर्वक कहा) शेरा तुम्हारे पुलिस के पहुंचने तक क्या पता वह किडनैपर उन बच्चों को कुछ कर ना दे और अगर उन बच्चों को कुछ हो गया तो क्या तुम खुद को कभी माफ कर पाओगी? वो सब तुम्हारे दोस्त है ना उन दोस्तों के खातिर हमारी मदद कर दो प्लीज!
शेरा : वो किडनैपर मेरे होते हुए मेरे दोस्तों को कुछ भी नहीं कर सकते। मैं अभी के अभी सब लोगों को लेकर आती हूं। सब एक साथ उनके अड्डे पर चलेंगे।
लेन :नहीं !नहीं! रुको तुम किसी को भी नहीं बुलाओगी वहां पर सिर्फ हम दोनों चलेंगे तुम्हारे साथ l
शेरा : क्यों तुम दोनों कोई सुपर हीरो हो क्या?
लेन : नहीं शेरा हम कोई सुपर हीरो नहीं है।
शेरा : तो फिर किसी को बताने क्यों नहीं दे रहे ?
रमेश: क्योंकि उन्हें सब बताने से बहुत ज्यादा समय बरबाद हो जाएगा।
लेन : और हमारे पास समय नहीं है।
शेरा : ठीक है, मैं तुम्हें वहां तक ले जाती हूं लेकिन मुझे सब कुछ धुंधला, धुंधला याद है कुछ सही से याद नहीं है।
लेन : ठीक है तुम्हें जहां तक रास्ता याद है, वहां तक ले चलो।
शेरा : ठीक है ! चलो l
लेन : रमेश तुम मोहल्ले में जाकर लोगों को यह बता दो कि मैं जल्दी ही सारे बच्चों को जल्दी ही वापस ले आऊंगा।
रमेश : नहीं! मैं तुम्हें अकेले नहीं छोड़ूंगा
लेन : तुम्हें जाना होगा वहां पर सब परेशान हो रहे होंगे। मुझ पर भरोसा रखो . मैं सब को बचा लूंगा.
रमेश : ठीक है !
शेरा : वाह! तुम बहुत बहादुर लग रहे हो पहले मुझे सब को बताने से मना किया और फिर रमेश जी को भी वापस मोहल्ले मै भेज दिया
लेन : ( मन में सोचने लगा) रमेश को वहां भेजना जरूरी था। अगर चेरा से मेरे सारे बच्चों को बचाने के बाद अगर चेरा ने मोहाले माई हमला किया तो वहां पर कोई तो उन्हें बचाने वाला होगा।
शेरा : ओह हैलो मिस्टर! कहां खो गए ?जवाब दो .
लेन : कहीं नहीं मेरे पास तुम्हारे इस सवाल का कोई जवाब नहीं
शेरा : मिस्टर आपके पास कौन से सवाल का जवाब होता है मुझे वही बता दो मैं वही सवाल पूछ लूंगी।
लेन : स्मार्ट! लेकिन मैं तुम्हारे किसी भी सवाल का जवाब नहीं दे सकता।
शेरा : ठीक है मम्मी कहती है कि कभी भी किसी से वह सवाल नहीं पूछना चाहती जिस का सामने वाला जवाब ना दे सके।
लेन : तुम्हारी मम्मी के खयाल बहोत अच्छे हैं। आगर भगवन ने चाह तो मैं उनसे मिलना चाहुंगा। वैसे क्या नाम है तुम्हारी मम्मी का?
शेरा : दरिया ! मेरी मम्मी का नाम दरिया है।
लेन और शेरा यह बातें करते-करते उस जगह तक पहुंच गए जहां पर चेरा ने सारे बच्चों को बंदी बनाकर रखा हुआ है। वहां पर पूछते ही लेन ने शेरा से कहा।
लेन: मुझे यहां तक पहुंचाने के लिए थैंक यू लेकिन अब तुम अपने घर जाओ।
शेरा: क्या मैं तुम्हे यहां अकेला छोड़कर घर नहीं जाने वाली? यहां पर मेरे सारे दोस्त मुसीबत में है। मैं उन्हें बचाने में तुम्हारी मदद करूंगी।
लेन: शेरा बच्चा तुम मेरी कोई मदद नहीं कर सकती। इनफैक्ट अगर तुम्हारे अंदर जाओगी तो तुम्हारी जान भी खतरे में हो सकती है।तुम घर जाओ जल्दी!
शेरा : शायद तुम्हें अभी भी मेरे रूल नहीं जानते मैं सिर्फ तीन लोगों की बात सुनती हूं मेरी ,मेरी मम्मी की और खुद की।
लेन शेरा की सारी बातें सुनकर यह तो समझ ही गया था कि वह नहीं मानने वाली और वह घर नहीं जाएगी। वह टाइम बर्बाद नहीं करना चाहता था इसलिए लेन ने शेरा से एक वादा लेने का सोचा।
लेन: ठीक है तुम मेरे साथ चलोगी, लेकिन वादा करो कि जैसे ही सारे बच्चे मिल जाएंगे। तुम यहां बाहर आ जाओगी सारे बच्चों को लेकर। मेरी फिक्र नहीं करोगी। मैं अपने आप बाहर आ जाऊंगा। तुम बस बच्चों को लेकर बाहर आ जाओगी वादा करो!
शेरा : मैं ऐसा कोई भी वादा नहीं करने वाली हूं लेन l
लेन : तो फिर ठीक है तुम मेरे साथ नहीं चलोगी।
शेरा : शायद तुमने मेरी बात ध्यान से सुनी नहीं। मैं तुम्हारी कोई बात नहीं मानने वाली मैं तुम्हारे साथ चलने वाली हूं।
लेन : (सोचते हुए)यह लड़की कितनी जिद्दी है, मुझे ना चाहते हुए वह करना पड़ेगा जो मैं नहीं करना चाहता था।
शेरा : फिर से कौन से खयालात में खो गए ? चलो !
लेन शेरा को अंदर तो नहीं ले जा सकता था तो उसने एक रस्सी को अपने जादू से उससे थोड़ी दूरी पर लाया। और फिर उसे रस्सी को उठाने के लिए उसकी तरफ बड़ा। शेरा को यह सब देखकर कुछ समझ नहीं आ रहा था।
शेरा: आप कहां जा रहे हो? जल्दी अंदर चलो!
इतने में शेरा है यह सब कुछ बोलती है उसने ही समय मे लेन रस्सी को उठा लेता है और शेरा की तरफ बढ़ने लगता है।
शेरा : ( डरते हुए ) रुको !रुको !यह तुम क्या करना चाह रहे हो?
लेन : वही जो मुझे नहीं करना चाहिए ।
शेरा :अगर तुम्हें कोई काम नहीं करना चाहिए तो क्यों कर रहे हो?दूर ! दूर रहो मुझसे।
लेन : मुझे माफ करना शेरा , लेकिन तुम्हारी सुरक्षा के लिए मुझे यह करना ही होगा।
शेरा: देखो मैं अपनी सुरक्षा कर सकती हूं। मुझे बांधने की जरूरत नहीं है।
लेन : मुझे पता है तुम अपनी सुरक्षा कर सकती हो लेकिन मैं तुम्हारे साथ कोई भी रिस्क नहीं ले सकता।
लेन के मुंह से यह सब सुनते ही शेरा उस से दूर भागने लगी।
लेन : मुझसे दूर भगाने से कुछ नहीं हुआ। मैं तुम्हें पकड़ लूंगा।
लेन शेरा के पीछे-पीछे भागने लगा। थोड़ी दूरी पहचानते ही लेन ने शेरा का हाथ पकड़ कर उसे रोक लिया।
लेन: मैंने कहा था ना तुम मुझे बैक क्यों नहीं भाग सकती?
शेरा: तुम मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते। तुम मुझे नहीं बांध सकते यह गलत है।
लेन: हम्म ! गलत तो है लेकिन तुम्हारी सुरक्षा के लिए तुम्हें बांधना जरूरी है। मैंने सबसे वादा किया है कि मैं हर बच्चे को सही सलामत वापस लेकर आऊंगा।
इतना कहते ही लेन ने शेरा के हाथ और पर को बंद दिया। और एक जगह पर बैठा दिया।
लेन: उम्मीद है तुम सुरक्षित रहोगी l
शेरा: हाँ , जिस तरह से तुमने मेरे हाथ और पैरों को बांधा है उस हिसाब से तो मुश्किल आने पर मैं अपनी सुरक्षा भी नहीं कर पाऊंगी।
लेन : तुम चिंता मत करो, यहां पर तुम्हें कोई नहीं देख पाएगा। मैं जल्दी आऊंगा तुम्हें छुड़ाने।
इतना कहते ही लेन , वहां से चला गया और शेरा चिल्लाती रही।
शेरा : मुझे खोलो!
लेकिन लेन पीछे मुड़कर कहां ही देखने वाला था l लेन के दिमाग में सिर्फ एक ही चीज चल रही थी कि वह जल्द से जल्द सब बच्चों को बचा ले। लेन उस काले कमरे में घुस गया। और छिपकर चेरा को देखने लगा। चेरा एक-एक बच्चे का हाथ देख रही थी, लेकिन उसे एक भी बच्चे के हाथ में वह जादू निशान नहीं मिला।चेरा गुस्से में चिल्ला रही थी।
चेरा: कैसे ! कैसे मैं एक छोटे से बच्चे को ढूंढ नहीं पा रही हूं। एक छोटे से बच्चे को ढूंढने के लिए इतनी मेहनत।
लेन को चेरा की यह बात सुनकर एक राहत तो मिली मिली चेरा को अभी तक वह बच्चा नहीं मिला लेकिन अब लेन को सब बच्चों को बचाना था चेरा अभी तक वहीं खड़ी थी और हर बच्चे पर नजर रख रखी थी। तभी लेन को एक आइडिया आया। लेन ने आपने जादू से अपना एक डुप्लिकेट बनाया और चेरा को उस कमरे से दूर ले जाने के लिए डुप्लीकेट ने आज्ञाकारी बच्चे की तरह निर्देशों का पालन कर चेरा को कमरे से दूर ले गया। चेरा और लेन बहुत समय से दुश्मन थे इसलिए चेरा लेन को पकड़ने के लिए उसके पीछे भागने लगी लेकिन उसे कहां ही पता था कि वह लेन नहीं था, एक डुप्लीकेट था।
चेरा: रुक जा लेन तू कब से कारों की तरह भागने लगा।
लेन : कभी-कभी भागने में ही समझदारी होती है चेरा l पर यह तू नहीं समझेगी, तुझ में दिमाग जो नहीं है।
लेन की यह बात सुनकर चेरा गुस्से में पागल हो गई और अपने जादू से उड़ कर लेन के सामने आ गई।
चेरा: भागते तो डरपोक है, जितना मैं तुझे जानती हूं, तू डरपोक तो नहीं है?
लेन: बिल्कुल सही कहा, मै डरपोक नहीं हूं, समझदार हूं।
चेरा: क्या कहना चाहता है तू?
लेन: वो कहते हैं ना समझदार को इशारा काफी है। ओके बाय मैं चलता हूं।लकीरों में लिखा हुआ तो जरूर मिलेंगे।
चेरा: तेरी लकीरों का तो पता नहीं लेन, लेकिन मेरी लकीरों में तो तेरी मौत ही लिखी है।
लेन : मौत! मेरी मौत वो भी तेरी लकीरों में रहो चेरा रहो गलतफहमी में मैं चला। अलविदा ना कहना।
इतना कहते ही लेन चेरा के आगे से गायब हो गया और चेरा गुस्से में चिल्लाने लगी।
चेरा: लेन ! मैं तुझे छोडूंगी नहीं कब तक और कहां तक भागेगा l इस दुनिया के हर कोने में तुझे ढूंढूंगी। मैं भी देखती हूं, तू कहां तक भागता है? भाग लेन भाग।
वो कहते हैं ना दुश्मनी और गुस्से में लोग पागल हो जाते हैं और चेरा के सामने तो दोनों एक साथ थे। उसका दुश्मन भी और उसका गुस्सा भी। इस गुस्से में चेरा उन बच्चों के बारे में तो भूल ही गई थी जो उस कमरे में बंद थे और यही मौका था लेन के लिए सब बच्चों को बचाने का। लेन जानता था कि चेरा लेन को अपने सामने देखकर गुस्से से भर जाएगी। और ऐसा ही हुआ। चेरा लेन को देखते ही सारे बच्चों के बारे में भूल गई और जितनी देर चेरा उस डुप्लीकेट लेन का पीछा कर रही थी। इतनी देर में लेन ने सब बच्चों को बचा लिया। और शेरा के पास पहुंचने से पहले सब बच्चों को अपनी जादुई शक्ति से वापस होश में ले आया। और फिर शेरा को भी आजाद कर दिया। शेरा लेन और मोहल्ले के सारे बच्चे मोहल्ले की तरफ रवाना हो गए। और दूसरे मोहल्ले वाले मोहल्ले के मंदिर में अपने बच्चों की सुरक्षा की दुआ मांग रहे थे। मोहल्ले वाले पूजा कर ही रहे थे कि तभी लेन शेरा और मोहल्ले के सारे बच्चे वहां पर आ पहुंचे। सभी बच्चे अपनी माँ को गले लगे। तभी वहां पर मौजूद एक औरत विमला ने कहा,
विमला : सारे बच्चे वापस तो आ गए लेकिन इन्हें वापस लाया कौन?और इस लड़के रमेश की बात सच कैसे हो गई?
( तभी शेरा की माँ दरिया बोली )
दरिया : और वो किडनैपर कहां है जिन्होंने हमारे बच्चों को किडनैप किया?
तभी शेरा बीच में बोली
शेरा : मम्मी इन सब को मैं और लेन भैया ने मिलकर बचाया।
दरिया : तूने! क्या जरूरत इतना बड़ा खतरा मोल लेने की? अगर तुझे कुछ हो जाता, कहीं चोट लग जाती तो मेरा क्या होता कभी अपनी माँ के बारे में सोचती ही नहीं ।
लेन :नहीं! नहीं दरिया जी मैं आपकी परेशानी समझ सकता हूं इसलिए मैं शेरा को अंदर लेकर ही नहीं गया था। शेरा ने सिर्फ रास्ता बताया। मैं आपकी परेशानी समझ सकता हूं, शेरा आपकी बच्ची है।जैसा कि मैंने आप सबसे वादा किया था। मैं किसी बच्चे को कोई भी चोट नहीं आने दे सकता था। लेकिन हाँ शेरा की मदद के बगैर मैं न हीं उन किडनैपर को ढूंढ पता और नहीं सब बच्चों को बचा पाता।
दरिया : सही में लेन आज तुमने हमारे बच्चों को बचा कर ऊपर एक बहुत बड़ा एहसान किया है।
लेन : एहसान कैसा एहसान दरिया जी मैंने तो सिर्फ एक माँ को उनके बच्चों से मिलवाया है और मां और बच्चे दोनों एक दूसरे से ज्यादा देर तक क्यों नहीं रह सकते l
दरिया : तुम्हारी सोच बहुत अच्छी है बेटा तुम्हारी माँ को तुम्हारे ऊपर गर्व होगा।
लेन : (सोचते हुए) माँ !
दरिया : क्या हुआ बेटा कहां खो गए?
शेरा : मम्मी इन भैया को तो कहीं ना कहीं होने की आदत है। इनसे कोई भी सवाल पूछ लो वह बस सवाल में खो ही जाते हैं।
दरिया :शेरा क्या पता कोई मजबूरी हो? ऐसे नहीं बोलते।
शेरा : सॉरी मम्मी! सॉरी लेन भैया
लेन : सॉरी बोलने की जरूरत नहीं, अब तक तुम्हारे किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया। आई एम सॉरी मैं दे भी नहीं सकता।
दरिया :बेटा हर एक की अपनी एक मजबूरी होती है और हर कोई अपनी मजबूरी हर एक के साथ नहीं बता सकता।
लेन : सही कहा था आपकी बेटी ने आप और आपके विचार दोनों ही बहुत अच्छे हैं।
दूसरी महिला शीला : लेकिन अब वह किडनैपर वापस तो नहीं आएंगे? हमारे बच्चों को किडनैप करने। क्योंकि तुम सिर्फ हमारे बच्चों को वापस लाए हो, उन्हें पुलिस के हवाले तो नहीं किया है ना?
दरिया : अरे शीला बहन शुभ शुभ बोलो आप हमारे बच्चों के साथ कुछ भी बुरा नहीं होगा।
लेन : बिल्कुल सही कह रही है दरिया जी आप सब निश्चित होकर अपने-अपने घरों में आराम कीजिए। और रही बात उनके किडनैपर की तो वह वापस आने के बारे में सोचेंगे भी नहीं। जब यहां के बच्चे ही इतने स्ट्रांग होंगे तो हर किडनैपर डर ही जाएगा क्यों शेरा?
शेरा : हाँ बिल्कुल!
इतनी बातें होते ही सब अपने-अपने घर लौट गए l शाम भी होने लगी थी। रमेश को फिर से टेंशन होने लगी की वह कहां रहेंगे, कहां जाएंगे? आज एक और दिन निकल गया था। जब वह दोनों उस छोटे बच्चे को नहीं ढूंढ पाए जो कि चेरा का अंत करेगा या गी ? रमेश तो यह सब सोच रहा था लेकिन लेन अपनी माँ के बारे में सोच रहा था। वह दोनों यह सब कुछ सोच ही रहे थे कि तभी दरिया वहां आ पहुंची।
दरिया : दोनों अब तक गए नहीं। तुम्हारी माँ तुम्हारा इंतजार कर रही होगी। समय देखो कितनी रात हो गई है।
लेन तो अपनी माँ के बारे में सोने में मसरूफ था। तो रमेश को ही दरिया को जवाब देना पड़ा।
रमेश: दरिया जी हमारा कोई इंतजार नहीं कर रहा होगा। हम लोग कल ही गाँव से आए हैं और हमारी माँ गाँव में है।
दरिया : और आज का पूरा दिन तुमने हमारे बच्चों को ढूंढने में लगा दिया। तो अब तुम कहां जाओगे? कहां रहोगे?
रमेश: जी वो तो लेन ही डिसाइड करेगा।
दरिया: कैसे डिसाइड करेगा यह तो अपने ख्यालों की दुनिया में बिजी है?
रमेश: लेन!
लेन : हाँ चलो चलते हैं l
दरिया: कहां?
लेन : उसकी टेंशन तुम मत लो रमेश हम एडजस्ट कर लेंगे और फिर कल एक घर ढूंढ लेंगे।
दरिया: कहा खोए हुए हो?
लेन : माँ में
( लेन ने एकदम से अपनी गर्दन ऊपर करी और कहा )
लेन : कहि नहीं ! दरिया जी आप यहाँ?
( रमेश ने अपना हाथ सर पर पटका )
रमेश : जवाब देने से पहले देख तो लेते कौन था?
दरिया: क्यों यह मुझे कुछ भी नहीं बता सकता क्या?
लेन : नहीं दरिया जी ऐसी कोई बात नहीं है लेकिन मेरे बारे में कोई जितना कम पता हो उतना ज्यादा अच्छा l
दरिया: क्यों तुमको गुंडे हो क्या ?
रमेश : नहीं नहीं!
दरिया: मजाक कर रही हूं पता है जो लोग हमारे बच्चों को बचाने के लिए अपनी जान खतरे में डाल सकते हैं, वह गुंडे कैसे हो सकते हैं?
लेन : थैंक यू दरिया जी हमारे ऊपर इतना भरोसा करने के लिए।
दरिया: जिन्होंने हमारे बच्चों को बचाया उनके ऊपर तो भरोसा करना ही पड़ेगा ना l
लेन : दरिया जी याद एहसानो को रखा जाता है और हमने आपके ऊपर कोई एहसान नहीं किया। तो आप इस बात को भूल जाइए।
दरिया: ठीक है, मैं यह बात भूल जाती हूं। लेकिन सबसे पहले तुम मुझे यह बताओ कि अब तुम कहां जा रहे हो। तुम्हारा घर कहां है?
लेन : यहां पर थोड़ी सी दूरी पर एक सुनसान रोड पर हमारा घर है।
दरिया: कितने दिन से रह रहे हैं वहां पर तुम?
लेन : यही कुछ 1 महीने से।
दरिया: आज सुबह ही तुम अपने गांव से यहां आए हो तो 1 महीने से तुम एक घर में कैसे रह सकते हो?
लेन :आपको यह किसने कहा?
रमेश ने फिर से अपना सिर पकड़ लिया।
रमेश: अपने ख्यालों में इतना भी गायब मत हुआ करो ।
लेन : रमेश !
दरिया: क्या रमेश? तुम आज ही अपने गांव से यहां आए हो? और आज का पूरा दिन तुमने हमारे बच्चों को ढूंढने में लगा दिया। अब क्या इरादे हैं, कहां जाओगे, कहां रहोगे?
लेन : दरिया जी हम लोग एडजस्ट कर लेंगे। आप हमारी चिंता मत कीजिए।
दरिया : एडजस्ट कर लोगे तो बताओ कैसे करोगे?
लेन : जी वो वो हम हाँ किसी होटल में रह लेंगे l एक रात ही तो बितानी है।
दरिया : तुम आज कल के बच्चे भी ना परेशानी सह लोग लेकिन मदद नहीं लोग। मेरे पीछे में कुछ कर रहे हैं मैं तुम्हें उनमें से एक दिलवा देता हूं।
लेन : दरिया जी आपको हमारे लिए इतनी परेशानी उठाने की जरूरत नहीं है।
दरिया : तुम भी किसी के बच्चे हो? और एक माँ को कभी अच्छा नहीं लगेगा कि उसका बच्चा रात को घर में ना रह कर कहीं किसी होटल में रुके जीसकी गारंटी भी नहीं है कि रुम मिलेगा या नहीं?
रमेश : पर दरिया जी
दरिया : पर वर कुछ नहीं। मेरे पीछे आओ l
लेन : ठीक है
रमेश : थैंक यू!
दरिया : तुमने हमें थैंक यू बोलने का मौका दिया था जो अब तुम बोल रहे हो?
लेन : क्या दरिया जी आप भी ना l
दरिया : यह देखो यह पहला घर है। रुको मैं यहां के मकान मालिक को बुला देती हूं। कली जी-कली जी
कली : कहिए दरिया बहन l
दरिया : यह साथ वाले घर की चाबी देना यह लोग घर को किराए के लिए देखने आए हैं।
कली : ये लोग ये लोग तो वही है ना जिन्होंने हमारे बच्चों को बचाया।
दरिया : हाँ सही पहचाना।
लेन : आप लोग भूल भी जाइए अब
कली : माँ हरे एक को भूल सकती है। बस अपने बच्चों को बचाने वाले को नहीं भूल सकती। आओ घर देख लो l
लेन :जी.
रमेश : जी
लेन : कली जी हमें आपका घर बहुत पसंद आया तो क्या हम अभी से यहां पर रह सकते हैं?
कली : हाँ, आप लोग यहाँ अभी से रहना शुरू कर सकते हैं लेकिन यहाँ पर इस वक्त कोई समान नहीं है।
लेन : आप उसकी चिंता मत कीजिए आप बस हमें अपने घर का किराया बता दीजिए। हम यहाँ पर अभी से रहना शुरू करना चाहेंगे।
कली : ठीक है यहां का किराया ₹5000 है।
लेन ने जादू से अपने पॉकेट में ₹5000 मंगवा लिए और फिर उन पैसों को काली के हाथ में रख दिए।
लेन : यह आपका किराया?
कली : ठीक है, मैं चलती हूं।
दरिया : अरे तुम लोग कुछ नखरे नहीं है लोग ना जाने क्या-क्या देखकर घर लेने का फैसला लेते हैं और तुम तो सिर्फ दो कमरे देखकर फैसला ले लिया।
रमेश : हर कोई घर बढ़िया ही होता है। बस लोगो के हिसाब से कमरे होने चाहिए।
दरिया :सही में तुम लोगों की सोच बहुत अच्छी है। मैं चलती हूं अपना ख्याल रखना।
लेन: जी थैंक यू!
रमेश : जी थैंक यू!
दरिया : क्या कहा?
लेन: कुछ नहीं!
रमेश : कुछ नहीं!
इतना कहते ही तीनों हंसने लगे और दरिया उनके घर से चली गई।
रमेश : आज एक और दिन निकल गया और हम उसे बच्चे के बारे में कुछ भी जान नहीं पाए।
लेन: कोई बात नहीं आज नहीं तो कल सही।
रमेश : और कैसे तुम इतने पॉजिटिव कैसे हो सकते हो? तुम्हें जरा सी भी निराशा नहीं हो रही।
लेन: रमेश निराश होने से क्या होगा? हमें इस वक्त सिर्फ एक ही काम करना है। उस बच्चे को ढूंढने का हो उसके ऊपर एक ऐसा सुरक्षा कवच डालने का जो कि चेरा की ताकत से न टूटे। एक बार उसके ऊपर यह सुरक्षा कर डल गया तो इतनी तो शांति हो गई की उस बच्चे की जान को कोई खतरा नहीं है l
रमेश : तुम ठीक कह रहे हो हमारे निराश होने से कोई फायदा नहीं होगा। लेकिन एक चीज के लिए तो निराश होना पड़ेगा।
लेन: किस चीज के लिए?
रमेश : यही कि मुझे भूख लगी है। मैंने कल सुबह से कुछ नहीं खाया।
रमेश की ऐसी बातें सुन कर लेन हसने लगा l
लेन : इसमें निराश होने की क्या बात है? सारे घर का सामान भी मंगवा लेता हूं और खाना भी।
रमेश : वो तो क्या तुम ऐसा कर सकते हो?
लेन : हाँ, लेकिन यह कोई बड़ी बात तो नहीं है? तुम भी एक जादूगर हो, यह छोटे-मोटे जादू तो तुम भी कर सकते हो?
रमेश : हाँ, मैं भी एक जादूगर हूं, लेकिन मुझे इतने बड़े-बड़े जादू नहीं आते।मैं जादू से सिर्फ अपने सुरक्षा कर सकता हूं।
लेन : यह कोई बड़ा जादू नहीं है। पर कोई बात नहीं।अगर राम ने तुम्हें यह ज्यादा नहीं सिखाया तो कुछ सोच समझ कर ही नहीं सीखा होगा।
लेन ने अपना जादू करना शुरू कर।और धीरे-धीरे घर का हर जरूरी सामान उस घर में आने लगा। सारा सामान आने के बाद लेन ने खाना भी मंगवा लिया।
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