शेरा : तो फिर हाथ छोड़ो और जाने दो मुझे मैं अपने घर जाऊंगी और पुलिस को कॉल कर दूंगी जिससे पुलिस जल्द ही उन किडनैपर को पकड़ लेंगे। अब मेरा चेहरा क्या देख रहे हो जल्दी छोड़ो मेरा हाथ।
लेन :( शांतिपूर्वक कहा) शेरा तुम्हारे पुलिस के पहुंचने तक क्या पता वह किडनैपर उन बच्चों को कुछ कर ना दे और अगर उन बच्चों को कुछ हो गया तो क्या तुम खुद को कभी माफ कर पाओगी? वो सब तुम्हारे दोस्त है ना उन दोस्तों के खातिर हमारी मदद कर दो प्लीज!
शेरा : वो किडनैपर मेरे होते हुए मेरे दोस्तों को कुछ भी नहीं कर सकते। मैं अभी के अभी सब लोगों को लेकर आती हूं। सब एक साथ उनके अड्डे पर चलेंगे।
लेन :नहीं !नहीं! रुको तुम किसी को भी नहीं बुलाओगी वहां पर सिर्फ हम दोनों चलेंगे तुम्हारे साथ l
शेरा : क्यों तुम दोनों कोई सुपर हीरो हो क्या?
लेन : नहीं शेरा हम कोई सुपर हीरो नहीं है।
शेरा : तो फिर किसी को बताने क्यों नहीं दे रहे ?
रमेश: क्योंकि उन्हें सब बताने से बहुत ज्यादा समय बरबाद हो जाएगा।
लेन : और हमारे पास समय नहीं है।
शेरा : ठीक है, मैं तुम्हें वहां तक ले जाती हूं लेकिन मुझे सब कुछ धुंधला, धुंधला याद है कुछ सही से याद नहीं है।
लेन : ठीक है तुम्हें जहां तक रास्ता याद है, वहां तक ले चलो।
शेरा : ठीक है ! चलो l
लेन : रमेश तुम मोहल्ले में जाकर लोगों को यह बता दो कि मैं जल्दी ही सारे बच्चों को जल्दी ही वापस ले आऊंगा।
रमेश : नहीं! मैं तुम्हें अकेले नहीं छोड़ूंगा
लेन : तुम्हें जाना होगा वहां पर सब परेशान हो रहे होंगे। मुझ पर भरोसा रखो . मैं सब को बचा लूंगा.
रमेश : ठीक है !
शेरा : वाह! तुम बहुत बहादुर लग रहे हो पहले मुझे सब को बताने से मना किया और फिर रमेश जी को भी वापस मोहल्ले मै भेज दिया
लेन : ( मन में सोचने लगा) रमेश को वहां भेजना जरूरी था। अगर चेरा से मेरे सारे बच्चों को बचाने के बाद अगर चेरा ने मोहाले माई हमला किया तो वहां पर कोई तो उन्हें बचाने वाला होगा।
शेरा : ओह हैलो मिस्टर! कहां खो गए ?जवाब दो .
लेन : कहीं नहीं मेरे पास तुम्हारे इस सवाल का कोई जवाब नहीं
शेरा : मिस्टर आपके पास कौन से सवाल का जवाब होता है मुझे वही बता दो मैं वही सवाल पूछ लूंगी।
लेन : स्मार्ट! लेकिन मैं तुम्हारे किसी भी सवाल का जवाब नहीं दे सकता।
शेरा : ठीक है मम्मी कहती है कि कभी भी किसी से वह सवाल नहीं पूछना चाहती जिस का सामने वाला जवाब ना दे सके।
लेन : तुम्हारी मम्मी के खयाल बहोत अच्छे हैं। आगर भगवन ने चाह तो मैं उनसे मिलना चाहुंगा। वैसे क्या नाम है तुम्हारी मम्मी का?
शेरा : दरिया ! मेरी मम्मी का नाम दरिया है।
लेन और शेरा यह बातें करते-करते उस जगह तक पहुंच गए जहां पर चेरा ने सारे बच्चों को बंदी बनाकर रखा हुआ है। वहां पर पूछते ही लेन ने शेरा से कहा।
लेन: मुझे यहां तक पहुंचाने के लिए थैंक यू लेकिन अब तुम अपने घर जाओ।
शेरा: क्या मैं तुम्हे यहां अकेला छोड़कर घर नहीं जाने वाली? यहां पर मेरे सारे दोस्त मुसीबत में है। मैं उन्हें बचाने में तुम्हारी मदद करूंगी।
लेन: शेरा बच्चा तुम मेरी कोई मदद नहीं कर सकती। इनफैक्ट अगर तुम्हारे अंदर जाओगी तो तुम्हारी जान भी खतरे में हो सकती है।तुम घर जाओ जल्दी!
शेरा : शायद तुम्हें अभी भी मेरे रूल नहीं जानते मैं सिर्फ तीन लोगों की बात सुनती हूं मेरी ,मेरी मम्मी की और खुद की।
लेन शेरा की सारी बातें सुनकर यह तो समझ ही गया था कि वह नहीं मानने वाली और वह घर नहीं जाएगी। वह टाइम बर्बाद नहीं करना चाहता था इसलिए लेन ने शेरा से एक वादा लेने का सोचा।
लेन: ठीक है तुम मेरे साथ चलोगी, लेकिन वादा करो कि जैसे ही सारे बच्चे मिल जाएंगे। तुम यहां बाहर आ जाओगी सारे बच्चों को लेकर। मेरी फिक्र नहीं करोगी। मैं अपने आप बाहर आ जाऊंगा। तुम बस बच्चों को लेकर बाहर आ जाओगी वादा करो!
शेरा : मैं ऐसा कोई भी वादा नहीं करने वाली हूं लेन l
लेन : तो फिर ठीक है तुम मेरे साथ नहीं चलोगी।
शेरा : शायद तुमने मेरी बात ध्यान से सुनी नहीं। मैं तुम्हारी कोई बात नहीं मानने वाली मैं तुम्हारे साथ चलने वाली हूं।
लेन : (सोचते हुए)यह लड़की कितनी जिद्दी है, मुझे ना चाहते हुए वह करना पड़ेगा जो मैं नहीं करना चाहता था।
शेरा : फिर से कौन से खयालात में खो गए ? चलो !
लेन शेरा को अंदर तो नहीं ले जा सकता था तो उसने एक रस्सी को अपने जादू से उससे थोड़ी दूरी पर लाया। और फिर उसे रस्सी को उठाने के लिए उसकी तरफ बड़ा। शेरा को यह सब देखकर कुछ समझ नहीं आ रहा था।
शेरा: आप कहां जा रहे हो? जल्दी अंदर चलो!
इतने में शेरा है यह सब कुछ बोलती है उसने ही समय मे लेन रस्सी को उठा लेता है और शेरा की तरफ बढ़ने लगता है।
शेरा : ( डरते हुए ) रुको !रुको !यह तुम क्या करना चाह रहे हो?
लेन : वही जो मुझे नहीं करना चाहिए ।
शेरा :अगर तुम्हें कोई काम नहीं करना चाहिए तो क्यों कर रहे हो?दूर ! दूर रहो मुझसे।
लेन : मुझे माफ करना शेरा , लेकिन तुम्हारी सुरक्षा के लिए मुझे यह करना ही होगा।
शेरा: देखो मैं अपनी सुरक्षा कर सकती हूं। मुझे बांधने की जरूरत नहीं है।
लेन : मुझे पता है तुम अपनी सुरक्षा कर सकती हो लेकिन मैं तुम्हारे साथ कोई भी रिस्क नहीं ले सकता।
लेन के मुंह से यह सब सुनते ही शेरा उस से दूर भागने लगी।
लेन : मुझसे दूर भगाने से कुछ नहीं हुआ। मैं तुम्हें पकड़ लूंगा।
लेन शेरा के पीछे-पीछे भागने लगा। थोड़ी दूरी पहचानते ही लेन ने शेरा का हाथ पकड़ कर उसे रोक लिया।
लेन: मैंने कहा था ना तुम मुझे बैक क्यों नहीं भाग सकती?
शेरा: तुम मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते। तुम मुझे नहीं बांध सकते यह गलत है।
लेन: हम्म ! गलत तो है लेकिन तुम्हारी सुरक्षा के लिए तुम्हें बांधना जरूरी है। मैंने सबसे वादा किया है कि मैं हर बच्चे को सही सलामत वापस लेकर आऊंगा।
इतना कहते ही लेन ने शेरा के हाथ और पर को बंद दिया। और एक जगह पर बैठा दिया।
लेन: उम्मीद है तुम सुरक्षित रहोगी l
शेरा: हाँ , जिस तरह से तुमने मेरे हाथ और पैरों को बांधा है उस हिसाब से तो मुश्किल आने पर मैं अपनी सुरक्षा भी नहीं कर पाऊंगी।
लेन : तुम चिंता मत करो, यहां पर तुम्हें कोई नहीं देख पाएगा। मैं जल्दी आऊंगा तुम्हें छुड़ाने।
इतना कहते ही लेन , वहां से चला गया और शेरा चिल्लाती रही।
शेरा : मुझे खोलो!
लेकिन लेन पीछे मुड़कर कहां ही देखने वाला था l लेन के दिमाग में सिर्फ एक ही चीज चल रही थी कि वह जल्द से जल्द सब बच्चों को बचा ले। लेन उस काले कमरे में घुस गया। और छिपकर चेरा को देखने लगा। चेरा एक-एक बच्चे का हाथ देख रही थी, लेकिन उसे एक भी बच्चे के हाथ में वह जादू निशान नहीं मिला।चेरा गुस्से में चिल्ला रही थी।
चेरा: कैसे ! कैसे मैं एक छोटे से बच्चे को ढूंढ नहीं पा रही हूं। एक छोटे से बच्चे को ढूंढने के लिए इतनी मेहनत।
लेन को चेरा की यह बात सुनकर एक राहत तो मिली मिली चेरा को अभी तक वह बच्चा नहीं मिला लेकिन अब लेन को सब बच्चों को बचाना था चेरा अभी तक वहीं खड़ी थी और हर बच्चे पर नजर रख रखी थी। तभी लेन को एक आइडिया आया। लेन ने आपने जादू से अपना एक डुप्लिकेट बनाया और चेरा को उस कमरे से दूर ले जाने के लिए डुप्लीकेट ने आज्ञाकारी बच्चे की तरह निर्देशों का पालन कर चेरा को कमरे से दूर ले गया। चेरा और लेन बहुत समय से दुश्मन थे इसलिए चेरा लेन को पकड़ने के लिए उसके पीछे भागने लगी लेकिन उसे कहां ही पता था कि वह लेन नहीं था, एक डुप्लीकेट था।
चेरा: रुक जा लेन तू कब से कारों की तरह भागने लगा।
लेन : कभी-कभी भागने में ही समझदारी होती है चेरा l पर यह तू नहीं समझेगी, तुझ में दिमाग जो नहीं है।
लेन की यह बात सुनकर चेरा गुस्से में पागल हो गई और अपने जादू से उड़ कर लेन के सामने आ गई।
चेरा: भागते तो डरपोक है, जितना मैं तुझे जानती हूं, तू डरपोक तो नहीं है?
लेन: बिल्कुल सही कहा, मै डरपोक नहीं हूं, समझदार हूं।
चेरा: क्या कहना चाहता है तू?
लेन: वो कहते हैं ना समझदार को इशारा काफी है। ओके बाय मैं चलता हूं।लकीरों में लिखा हुआ तो जरूर मिलेंगे।
चेरा: तेरी लकीरों का तो पता नहीं लेन, लेकिन मेरी लकीरों में तो तेरी मौत ही लिखी है।
लेन : मौत! मेरी मौत वो भी तेरी लकीरों में रहो चेरा रहो गलतफहमी में मैं चला। अलविदा ना कहना।
इतना कहते ही लेन चेरा के आगे से गायब हो गया और चेरा गुस्से में चिल्लाने लगी।
चेरा: लेन ! मैं तुझे छोडूंगी नहीं कब तक और कहां तक भागेगा l इस दुनिया के हर कोने में तुझे ढूंढूंगी। मैं भी देखती हूं, तू कहां तक भागता है? भाग लेन भाग।
वो कहते हैं ना दुश्मनी और गुस्से में लोग पागल हो जाते हैं और चेरा के सामने तो दोनों एक साथ थे। उसका दुश्मन भी और उसका गुस्सा भी। इस गुस्से में चेरा उन बच्चों के बारे में तो भूल ही गई थी जो उस कमरे में बंद थे और यही मौका था लेन के लिए सब बच्चों को बचाने का। लेन जानता था कि चेरा लेन को अपने सामने देखकर गुस्से से भर जाएगी। और ऐसा ही हुआ। चेरा लेन को देखते ही सारे बच्चों के बारे में भूल गई और जितनी देर चेरा उस डुप्लीकेट लेन का पीछा कर रही थी। इतनी देर में लेन ने सब बच्चों को बचा लिया। और शेरा के पास पहुंचने से पहले सब बच्चों को अपनी जादुई शक्ति से वापस होश में ले आया। और फिर शेरा को भी आजाद कर दिया। शेरा लेन और मोहल्ले के सारे बच्चे मोहल्ले की तरफ रवाना हो गए। और दूसरे मोहल्ले वाले मोहल्ले के मंदिर में अपने बच्चों की सुरक्षा की दुआ मांग रहे थे। मोहल्ले वाले पूजा कर ही रहे थे कि तभी लेन शेरा और मोहल्ले के सारे बच्चे वहां पर आ पहुंचे। सभी बच्चे अपनी माँ को गले लगे। तभी वहां पर मौजूद एक औरत विमला ने कहा,
विमला : सारे बच्चे वापस तो आ गए लेकिन इन्हें वापस लाया कौन?और इस लड़के रमेश की बात सच कैसे हो गई?
( तभी शेरा की माँ दरिया बोली )
दरिया : और वो किडनैपर कहां है जिन्होंने हमारे बच्चों को किडनैप किया?
तभी शेरा बीच में बोली
शेरा : मम्मी इन सब को मैं और लेन भैया ने मिलकर बचाया।
दरिया : तूने! क्या जरूरत इतना बड़ा खतरा मोल लेने की? अगर तुझे कुछ हो जाता, कहीं चोट लग जाती तो मेरा क्या होता कभी अपनी माँ के बारे में सोचती ही नहीं ।
लेन :नहीं! नहीं दरिया जी मैं आपकी परेशानी समझ सकता हूं इसलिए मैं शेरा को अंदर लेकर ही नहीं गया था। शेरा ने सिर्फ रास्ता बताया। मैं आपकी परेशानी समझ सकता हूं, शेरा आपकी बच्ची है।जैसा कि मैंने आप सबसे वादा किया था। मैं किसी बच्चे को कोई भी चोट नहीं आने दे सकता था। लेकिन हाँ शेरा की मदद के बगैर मैं न हीं उन किडनैपर को ढूंढ पता और नहीं सब बच्चों को बचा पाता।
दरिया : सही में लेन आज तुमने हमारे बच्चों को बचा कर ऊपर एक बहुत बड़ा एहसान किया है।
लेन : एहसान कैसा एहसान दरिया जी मैंने तो सिर्फ एक माँ को उनके बच्चों से मिलवाया है और मां और बच्चे दोनों एक दूसरे से ज्यादा देर तक क्यों नहीं रह सकते l
दरिया : तुम्हारी सोच बहुत अच्छी है बेटा तुम्हारी माँ को तुम्हारे ऊपर गर्व होगा।
लेन : (सोचते हुए) माँ !
दरिया : क्या हुआ बेटा कहां खो गए?
शेरा : मम्मी इन भैया को तो कहीं ना कहीं होने की आदत है। इनसे कोई भी सवाल पूछ लो वह बस सवाल में खो ही जाते हैं।
दरिया :शेरा क्या पता कोई मजबूरी हो? ऐसे नहीं बोलते।
शेरा : सॉरी मम्मी! सॉरी लेन भैया
लेन : सॉरी बोलने की जरूरत नहीं, अब तक तुम्हारे किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया। आई एम सॉरी मैं दे भी नहीं सकता।
दरिया :बेटा हर एक की अपनी एक मजबूरी होती है और हर कोई अपनी मजबूरी हर एक के साथ नहीं बता सकता।
लेन : सही कहा था आपकी बेटी ने आप और आपके विचार दोनों ही बहुत अच्छे हैं।
दूसरी महिला शीला : लेकिन अब वह किडनैपर वापस तो नहीं आएंगे? हमारे बच्चों को किडनैप करने। क्योंकि तुम सिर्फ हमारे बच्चों को वापस लाए हो, उन्हें पुलिस के हवाले तो नहीं किया है ना?
दरिया : अरे शीला बहन शुभ शुभ बोलो आप हमारे बच्चों के साथ कुछ भी बुरा नहीं होगा।
लेन : बिल्कुल सही कह रही है दरिया जी आप सब निश्चित होकर अपने-अपने घरों में आराम कीजिए। और रही बात उनके किडनैपर की तो वह वापस आने के बारे में सोचेंगे भी नहीं। जब यहां के बच्चे ही इतने स्ट्रांग होंगे तो हर किडनैपर डर ही जाएगा क्यों शेरा?
शेरा : हाँ बिल्कुल!
इतनी बातें होते ही सब अपने-अपने घर लौट गए l शाम भी होने लगी थी। रमेश को फिर से टेंशन होने लगी की वह कहां रहेंगे, कहां जाएंगे? आज एक और दिन निकल गया था। जब वह दोनों उस छोटे बच्चे को नहीं ढूंढ पाए जो कि चेरा का अंत करेगा या गी ? रमेश तो यह सब सोच रहा था लेकिन लेन अपनी माँ के बारे में सोच रहा था। वह दोनों यह सब कुछ सोच ही रहे थे कि तभी दरिया वहां आ पहुंची।
दरिया : दोनों अब तक गए नहीं। तुम्हारी माँ तुम्हारा इंतजार कर रही होगी। समय देखो कितनी रात हो गई है।
लेन तो अपनी माँ के बारे में सोने में मसरूफ था। तो रमेश को ही दरिया को जवाब देना पड़ा।
रमेश: दरिया जी हमारा कोई इंतजार नहीं कर रहा होगा। हम लोग कल ही गाँव से आए हैं और हमारी माँ गाँव में है।
दरिया : और आज का पूरा दिन तुमने हमारे बच्चों को ढूंढने में लगा दिया। तो अब तुम कहां जाओगे? कहां रहोगे?
रमेश: जी वो तो लेन ही डिसाइड करेगा।
दरिया: कैसे डिसाइड करेगा यह तो अपने ख्यालों की दुनिया में बिजी है?
रमेश: लेन!
लेन : हाँ चलो चलते हैं l
दरिया: कहां?
लेन : उसकी टेंशन तुम मत लो रमेश हम एडजस्ट कर लेंगे और फिर कल एक घर ढूंढ लेंगे।
दरिया: कहा खोए हुए हो?
लेन : माँ में
( लेन ने एकदम से अपनी गर्दन ऊपर करी और कहा )
लेन : कहि नहीं ! दरिया जी आप यहाँ?
( रमेश ने अपना हाथ सर पर पटका )
रमेश : जवाब देने से पहले देख तो लेते कौन था?
दरिया: क्यों यह मुझे कुछ भी नहीं बता सकता क्या?
लेन : नहीं दरिया जी ऐसी कोई बात नहीं है लेकिन मेरे बारे में कोई जितना कम पता हो उतना ज्यादा अच्छा l
दरिया: क्यों तुमको गुंडे हो क्या ?
रमेश : नहीं नहीं!
दरिया: मजाक कर रही हूं पता है जो लोग हमारे बच्चों को बचाने के लिए अपनी जान खतरे में डाल सकते हैं, वह गुंडे कैसे हो सकते हैं?
लेन : थैंक यू दरिया जी हमारे ऊपर इतना भरोसा करने के लिए।
दरिया: जिन्होंने हमारे बच्चों को बचाया उनके ऊपर तो भरोसा करना ही पड़ेगा ना l
लेन : दरिया जी याद एहसानो को रखा जाता है और हमने आपके ऊपर कोई एहसान नहीं किया। तो आप इस बात को भूल जाइए।
दरिया: ठीक है, मैं यह बात भूल जाती हूं। लेकिन सबसे पहले तुम मुझे यह बताओ कि अब तुम कहां जा रहे हो। तुम्हारा घर कहां है?
लेन : यहां पर थोड़ी सी दूरी पर एक सुनसान रोड पर हमारा घर है।
दरिया: कितने दिन से रह रहे हैं वहां पर तुम?
लेन : यही कुछ 1 महीने से।
दरिया: आज सुबह ही तुम अपने गांव से यहां आए हो तो 1 महीने से तुम एक घर में कैसे रह सकते हो?
लेन :आपको यह किसने कहा?
रमेश ने फिर से अपना सिर पकड़ लिया।
रमेश: अपने ख्यालों में इतना भी गायब मत हुआ करो ।
लेन : रमेश !
दरिया: क्या रमेश? तुम आज ही अपने गांव से यहां आए हो? और आज का पूरा दिन तुमने हमारे बच्चों को ढूंढने में लगा दिया। अब क्या इरादे हैं, कहां जाओगे, कहां रहोगे?
लेन : दरिया जी हम लोग एडजस्ट कर लेंगे। आप हमारी चिंता मत कीजिए।
दरिया : एडजस्ट कर लोगे तो बताओ कैसे करोगे?
लेन : जी वो वो हम हाँ किसी होटल में रह लेंगे l एक रात ही तो बितानी है।
दरिया : तुम आज कल के बच्चे भी ना परेशानी सह लोग लेकिन मदद नहीं लोग। मेरे पीछे में कुछ कर रहे हैं मैं तुम्हें उनमें से एक दिलवा देता हूं।
लेन : दरिया जी आपको हमारे लिए इतनी परेशानी उठाने की जरूरत नहीं है।
दरिया : तुम भी किसी के बच्चे हो? और एक माँ को कभी अच्छा नहीं लगेगा कि उसका बच्चा रात को घर में ना रह कर कहीं किसी होटल में रुके जीसकी गारंटी भी नहीं है कि रुम मिलेगा या नहीं?
रमेश : पर दरिया जी
दरिया : पर वर कुछ नहीं। मेरे पीछे आओ l
लेन : ठीक है
रमेश : थैंक यू!
दरिया : तुमने हमें थैंक यू बोलने का मौका दिया था जो अब तुम बोल रहे हो?
लेन : क्या दरिया जी आप भी ना l
दरिया : यह देखो यह पहला घर है। रुको मैं यहां के मकान मालिक को बुला देती हूं। कली जी-कली जी
कली : कहिए दरिया बहन l
दरिया : यह साथ वाले घर की चाबी देना यह लोग घर को किराए के लिए देखने आए हैं।
कली : ये लोग ये लोग तो वही है ना जिन्होंने हमारे बच्चों को बचाया।
दरिया : हाँ सही पहचाना।
लेन : आप लोग भूल भी जाइए अब
कली : माँ हरे एक को भूल सकती है। बस अपने बच्चों को बचाने वाले को नहीं भूल सकती। आओ घर देख लो l
लेन :जी.
रमेश : जी
लेन : कली जी हमें आपका घर बहुत पसंद आया तो क्या हम अभी से यहां पर रह सकते हैं?
कली : हाँ, आप लोग यहाँ अभी से रहना शुरू कर सकते हैं लेकिन यहाँ पर इस वक्त कोई समान नहीं है।
लेन : आप उसकी चिंता मत कीजिए आप बस हमें अपने घर का किराया बता दीजिए। हम यहाँ पर अभी से रहना शुरू करना चाहेंगे।
कली : ठीक है यहां का किराया ₹5000 है।
लेन ने जादू से अपने पॉकेट में ₹5000 मंगवा लिए और फिर उन पैसों को काली के हाथ में रख दिए।
लेन : यह आपका किराया?
कली : ठीक है, मैं चलती हूं।
दरिया : अरे तुम लोग कुछ नखरे नहीं है लोग ना जाने क्या-क्या देखकर घर लेने का फैसला लेते हैं और तुम तो सिर्फ दो कमरे देखकर फैसला ले लिया।
रमेश : हर कोई घर बढ़िया ही होता है। बस लोगो के हिसाब से कमरे होने चाहिए।
दरिया :सही में तुम लोगों की सोच बहुत अच्छी है। मैं चलती हूं अपना ख्याल रखना।
लेन: जी थैंक यू!
रमेश : जी थैंक यू!
दरिया : क्या कहा?
लेन: कुछ नहीं!
रमेश : कुछ नहीं!
इतना कहते ही तीनों हंसने लगे और दरिया उनके घर से चली गई।
रमेश : आज एक और दिन निकल गया और हम उसे बच्चे के बारे में कुछ भी जान नहीं पाए।
लेन: कोई बात नहीं आज नहीं तो कल सही।
रमेश : और कैसे तुम इतने पॉजिटिव कैसे हो सकते हो? तुम्हें जरा सी भी निराशा नहीं हो रही।
लेन: रमेश निराश होने से क्या होगा? हमें इस वक्त सिर्फ एक ही काम करना है। उस बच्चे को ढूंढने का हो उसके ऊपर एक ऐसा सुरक्षा कवच डालने का जो कि चेरा की ताकत से न टूटे। एक बार उसके ऊपर यह सुरक्षा कर डल गया तो इतनी तो शांति हो गई की उस बच्चे की जान को कोई खतरा नहीं है l
रमेश : तुम ठीक कह रहे हो हमारे निराश होने से कोई फायदा नहीं होगा। लेकिन एक चीज के लिए तो निराश होना पड़ेगा।
लेन: किस चीज के लिए?
रमेश : यही कि मुझे भूख लगी है। मैंने कल सुबह से कुछ नहीं खाया।
रमेश की ऐसी बातें सुन कर लेन हसने लगा l
लेन : इसमें निराश होने की क्या बात है? सारे घर का सामान भी मंगवा लेता हूं और खाना भी।
रमेश : वो तो क्या तुम ऐसा कर सकते हो?
लेन : हाँ, लेकिन यह कोई बड़ी बात तो नहीं है? तुम भी एक जादूगर हो, यह छोटे-मोटे जादू तो तुम भी कर सकते हो?
रमेश : हाँ, मैं भी एक जादूगर हूं, लेकिन मुझे इतने बड़े-बड़े जादू नहीं आते।मैं जादू से सिर्फ अपने सुरक्षा कर सकता हूं।
लेन : यह कोई बड़ा जादू नहीं है। पर कोई बात नहीं।अगर राम ने तुम्हें यह ज्यादा नहीं सिखाया तो कुछ सोच समझ कर ही नहीं सीखा होगा।
लेन ने अपना जादू करना शुरू कर।और धीरे-धीरे घर का हर जरूरी सामान उस घर में आने लगा। सारा सामान आने के बाद लेन ने खाना भी मंगवा लिया।
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Comments
Trunks
I'm addicted to your writing, keep it up!
2024-07-06
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