लेकिन रमेश वही
थोड़ी दूरी पर एक पेड़ का सहारा लेकर खड़ा था। लेन ने रमेश की इस हालत को देखकर उसके कंधे पर हाथ रख कहा
लेन: खयालों में खो जाने की आदत तो मेरी है तुम किसके ख्यालों में खोए हुए हो?
रमेश: नकाबपोश के।
लेन:( हंसते हुए) क्या नकाबपोश?
लेन को नकाबपोश के नाम पर हंसता हुआ देख रमेश को गुस्सा आ गया।और रमेश अपनी आवाज ऊंची करते हुए लेन से बोला
रमेश : यह जो नकाबपोश के नाम पर तुम हंस रहे हो ना उसी ने आज इतने सारे बच्चों को बचाया । जिसमें वह तीन लड़कियां भी थी जिनका जादू से रिश्ता है। लेकिन 1 मिनट जब नकाबपोश यहां पर उन सब बच्चों को बचा रहा था उसे वक्त तुम कहां थे? तुम तो को-ऑर्डिनेट हो ना? तुम्हारी तो जिम्मेदारी बनती है उन सब को बचाना। तो कहां गए थे तुम जवाब दो।
लेन :रमेश मैं तो
रमेश : बस ! अब और कोई बहाना नहीं।
लेन : बहाना?
रमेश : हाँ बहाना! मुझे पता है अब तुम कोई ना कोई बहाना दोगे कि मैं यहां था या फिर वहां था।
लेन : रमेश मुझे बहाना देने की कोई जरूरत नहीं है और वैसे भी अगर मुझे बहाना देना ही होगा तो मैं तुम्हें क्यों दूंगा?मेरे पास और भी लोग बहाना देने के लिए।
रमेश : बस करो लेन मुझे कुछ नहीं सुनना। मुझे बस इतना पता है कि जब लोगों को तुम्हारी जरूरत थी तब तुम यहां पर नहीं थे।
इतने में वो दोनों मोहल्ले में पहुंच गए। मोहल्ले में नकाबपोश छाया हुआ था जैसे किसी ने नकाबपोश का जादू कर दिया हो पूरे मोहल्ले पर किसकी भी बात सुनो उसके जुबान पर सिर्फ एक ही इंसान था नकाबपोश
रमेश : देख अगर आज नकाबपोश की जगह तुम इन बच्चों को बचते तो आज हर एक इंसान के मुंह पर तुम्हारा नाम होता लेकिन तुम तो गायब थे।
लेन से अपनी इतनी बेजती बर्दाश्त नहीं हुई। वह रमेश से धीरे से आवाज पर बोला।
लेन: देखो रमेश हमारे पास इस वक्त टाइम नहीं है। हमें सब जादुई बच्ची को ढूंढना होगा।
रमेश : तुम्हें ढूंढना है तो ढूंढो मैं तो चला नकाबपोश के बारे में और जानने l
इतना सुनने के बाद लेन ने अपने सर पर हाथ रख लिया। और लेन अपने मन में बोला।
लेन : (मन में ) हे भगवान यह नकाबपोश का बुखार तो बढ़ता ही जा रहा है । अब रमेश को कोई फिक्र नहीं है, किसी भी चीज की बस नकाबपोश के नाम का जाप करे जा रहा है। शाम हो गई है मुझे लगता है आप मुझे ही उन तीनों पर नजर रखनी पड़ेगी।
लेन इतना सोच ही रहा था कि तभी सामने से। शेरा , एम्मा और सोफिया नई शरारत की तैयारी करते हुए दिखे। न जाने वह तीनों कौन सी शरारत करने वाले थे लेकिन लेन इतना तो समझ ही गया था कि इस शरारत से किसी को गहरी चोट भी आ सकती है और सीडीओ के बिल्कुल सामने एक बिजली का खंबा था। जिसकी आधी से ज्यादा तर खराब थी। मोहल्ले के लोग उसके आस-पास गुजरने से भी डरते थे। लेन यह सब चुपचाप देख रहा था लेकिन वह नहीं चाहता था कि उन तीनों को पता चले कि उन्हें यह शरारत करते हुए कोई देख रहा है। लेकिन लेन यह भी चाहता था कि किसी को चोट ना आए। अब लेन के पास एक ही रास्ता था। नकाबपोश! एक नकाबपोश ही था जो कि उन तीनों को समझ सकता था।क्योंकि वह तीन है तो इस पूरे मोहल्ले के राजा थे। अपने मन की करते थे और हर बार डांट खाते थे। लेकिन इस बार वाली शरारत तो किसी की जान भी ले सकती थी l तभी लेन ने सामने से आ रही कमल जी को दिखा जो कि अपनी ही धुन में मगन थे। कमल जी को देखकर वह तीनों लड़कियां तीन अलग-अलग जगह पर छप गई। जैसा की ता था कमल जी का पर तेल पैर फैसला लेकिन वह गिरे नहीं और ना ही खंबे से जाकर टकराए। क्योंकि वहां पर एंड मोमेंट पर नकाबपोश पहुंच गया था। कमल जी को नकाबपोश के द्वारा बचाए जाने पर शेरा , एम्मा और सोफिया बिल्कुल भी खुश नहीं थे। और एक दीवार के पीछे जाकर बातें करने लगे।
शेरा : यह नकाबपोश ने सारा खेल बिगाड़ दिया।
एम्मा : पता नहीं यह कल का आया बंदा कौन सी खिचड़ी पका रहा है?
सोफिया : कल नहीं 2 घंटे पहले ही आया है।
शेरा : चाहे कुछ भी हो इस नकाबपोश को सबक सिखाना पड़ेगा।
नकाबपोश : तो क्या सबक सिखाना चाहते हैं आप तीनों मुझे? जरा मुझे भी तो पता चले।
नकाबपोश के इतना कहते ही, तीनों डर गए और एक कदम पीछे हो गए।
तीनों एक साथ : तुम यहां पर क्या कर रहे हो वह भी इस वक्त?
शेरा : तुम नकाबपोश हमारी बातें सुन रहे थे।
सोफिया : यह सही बात नहीं है। किसी की बातें इसकी परमिशन के बगैर नहीं सुननी चाहिए।
एम्मा : तुम तो इंसाफ के रखवाले को ना तो फिर तुम गलत काम कैसे कर सकते हो?
नकाबपोश : अरे तुम लोग चुप क्यों हो गए, मैं वेट कर रहा हूं। बोलो!
नकाबपोश की ऐसी बातें सुनकर तीनों की सिट्टी बिट्टी गुल हो गई थी। तीनों हैरान और परेशान हो गए थे। उन दिनों के मन में सिर्फ एक ही सवाल चल रहा था।क्या नकाबपोश ने हमें सीडीओ पर तेल गिरते हुए देख लिया? क्या अब वो हमें सजा देने आया है? क्या आप वह हमारी शिकायत मम्मी से कर देगा?आख़िरकार हमने किसी की जान लेने की कोशिश की? तीनों एक दूसरे की शक्ल देख रहे थे। और न जाने कौन-कौन से सवाल उनके मन में चल रहे थे। लेकिन तीन में से एक के पास भी नकाबपोश से कोई भी सवाल पूछने की हिम्मत नहीं थी। इससे पहले की तीनों में से कोई भी कोई सवाल पूछ पाता शेरा की मम्मी उसे पूरे मोहल्ले में ढूंढ रही थी और उनकी आवाज उन तीनों और नकाबपोश के कानों में पड़ी। इससे पहले की दरिया उन चारों को देख पाती नकाबपोश ने अपने जादू से चारों को एक गुफा में ट्रांसपोर्ट कर दिया। नकाबपोश का यह रूप देखकर वह तीनों के मुंह से एक शब्द भी बाहर नहीं निकल रहा था। वह तीनों इतना घबरा चुके थे कि उन तीनों ने एक दूसरे का हाथ इतनी कस के पकड़ रखा था कि तीनों के हाथ लाल पड़ चुके थे। जब नकाबपोश ने तीनों बच्चों के लाल पड़े हुए हाथों को देखा तो बड़े ही प्यार से नकाबपोश उनके सामने घुटनों के बल बैठकर। उन तीनों के हाथ अलग कर कहा।
नकाबपोश : तुम तीनों को मुझे से डरने की जरूरत नहीं है। मैं तो अच्छाई का रखवाला हूं । मैं तो सिर्फ उन्हें ही पनिश करता हूं जिन्होंने कोई बुरा काम करा हो। तुम मुझसे डर रहे हो, इसका मतलब तुमने भी कुछ गलत काम किया है?
शेरा : ना ना ना ना ना नही हमने कोई गलत काम नहीं किया।
सोफिया : हमें जाने दो।
एम्मा : भागो!
एम्मा के भागों कहते ही तीनों अपनी जगह से उठ कर खड़े हो गए और बाहर की तरफ भागने लगे। अब पंगा नकाबपोश से लिया था उन तीनों ने। वह तीनों बाहर की तरफ भाग रहे थे तभी एक बड़ा सा पत्थर जाकर गुफा को ढक लिया।
नकाबपोश : अब बाहर जाने का तुम तीनों के पास सिर्फ एक ही रास्ता है। जो कि मैं हूं।
एम्मा : क क क्या चाहिए तुम्हें?
नकाबपोश : मुझे सिर्फ एक ही चीज चाहिए। तुमसे मुझे सब सच बता दो।
सोफिया :क क कौन सा सच?
नकाबपोश : वह तो तुम तीनों ही डिसाइड करोगे ना? लेकिन हाँ जब तक तुम आज के हादसे का सच अपनी जुबान से नहीं बताओ कि तब तक तुम यही कैद! रहोगे। हाँ मुझे सब कुछ पता है। मैं देख रहा था, तुम्हें सीढ़ी पर तेल डालते हुए। लेकिन यह सारा सच जब तक तुम अपनी जुबान से कबूल नहीं करोगे, मैं तुम्हें नहीं जाने दूंगा।
एम्मा : द द द द देखो ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था।
नकाबपोश : तो तुम मुझसे इतना डर क्यों रहे हो?
सोफिया :क क क्योंकि तुम डरावने दिखते हो?
नकाबपोश : देखो तुम अपना और मेरा दोनों का समय वेस्ट कर रहे हो?
तभी नकाबपोश के दिमाग में आया कि यही मौका है यह पता करने का कि वह जादुई बच्चा कौन है?नकाबपोश ने अपना वह हाथ आगे बढ़ाया जिसमें उसका खुद का निशान था। और एक तरह की जादुई तिरंगे गुफा की छत की और भेजी। वह शेरा के ऊपर जाकर गिरी। तीनों में से किसी को भी कुछ भी समझ नहीं आ रहा था ।लेकिन शेरा के ऊपर जादू करने की वजह से शेरा बहुत
डर चुकी थी तभी नकाबपोश ने कहा
नकाबपोश : तुम तीनों को मुझे डरने की जरूरत नहीं है। तुम बस मुझे सच बता दो और घर चलो। बता रहा है कोई? ठीक है मैं चलता हूं, मुझे और भी काम है।
नकाबपोश जादू करने ही वाला था की तभी सोफिया ने बोला।
सोफिया : रुको!
नकाबपोश : बता रही हो?
सोफिया : नही
नकाबपोश :फिर से सोच लो!
तीनों : सोच लिया।
नकाबपोश : ओके जब विचार बदल जाए तो एक बार मेरा नाम पुकार लेना मैं आ जाऊंगा।
एक तरफ नकाबपोश उधर से गायब हुआ और दूसरी तरफ उन तीनों की मां अपने बच्चों को ढूंढ रही थी। तभी नकाबपोश उन तीनों के पास पहुंचा।
नकाबपोश : सुनिए दरिया जी कली जी और विमला जी!
तीनों : नकाबपोश तुम यहां इस वक्त।
नकाबपोश : माफ कीजिए, आपकी ना अपने बच्चों को ढूंढ रही है ना?
तीनों : हाँ लेकिन तुम्हें कैसे पता?
नकाबपोश : क्योंकि आपके बच्चे मेरे पास है।
तीनों : क्या पर क्यों?
नकाबपोश : आज शाम का कमल जी के साथ होने वाला हादसा आपको याद है।
तीनों : हाँ इस हादसे से तो कमल जी की जान भी जा सकती थी । लेकिन इस हाथ से और हमारे बच्चों का क्या रिलेशन है?
नकाबपोश : उन सीडीओ पर तेल आपके बच्चों ने ही डाला था।
तीनों : हमारे बच्चे ऐसा नहीं कर सकते, वह बेशक शरारती है पर किसी की जान नहीं ले सकते।
नकाबपोश : मैं आपके मन का हाला समझ पा रहा हूं, लेकिन मैंने अपनी आंखों से सब कुछ देखा है।और आप चाहे तो आपको भी दिखा सकता हूं?
तीनों : हाँ हम देखना चाहते हैं।
नकाबपोश :ठीक है
नकाबपोश ने अपनी उंगलियों के जादू से हवा में एक स्क्रीन बना दी।और उनके बच्चों को सीढ़ी पर तेल डालते हुए और बाद में बातें करते हुए दिखाया।तीनों माय अपने बच्चों को इस तरह बुरी हरकतें करते देख हैरान रह गई।
तीनों : तो अब हमारे बच्चे कहां है नकाबपोश?
नकाबपोश : आपके बच्चों को मैं एक गुफा में ले गया हूं। मैंने उन्हें बहुत फोर्स करने की कोशिश की सच बता दे लेकिन बात ही नहीं रहे।
तीनों : हमारे बच्चे उन्होंने पहले इतना कुछ किया और फिर सच भी नहीं बता रहे।
नकाबपोश : देखिए अब मेरे पास एक ही तरीका है आपके बच्चों से सब निकलवाने का।
तीनों : और वह क्या है?
नकाबपोश : आप तीनों
तीनों : हम पर कैसे?
नकाबपोश : आपके बच्चे मुझे सच बताना बताएं लेकिन आपको जरूर बताएंगे।तो क्या आप मेरे साथ चलेंगे?
तीनों : हाँ
नकाबपोश तीनों माँ को लेकर गुफा में ट्रांसफर हो गया। तीनों बच्चे अपनी अपनी माँ को देखकर बहुत खुश हुए।और झट से उन्हें गले लगा लिया।
दरिया : शेरा क्या यह सच है? क्या तुमने सही में कमल जी को मारने की कोशिश करी! अपनी माँ के मुंह से यह सब सुनकर तेरा अपनी माँ से दूर हो गई।
शेरा : नहीं मम्मी हम सिर्फ प्रैंक करना चाहते थे।
कली: विश्वास नहीं हो रहा
विमला : विश्वास नहीं हो रहा।
सोफिया : सॉरी मम्मी हम किसी की जान नहीं लेना चाहते थे।
एम्मा : सॉरी मम्मी हम किसी की जान नहीं लेना चाहते थे।
दरिया : तुम ठीक थे नकाबपोश हमारे बच्चे बिल्कुल बदल चुके हैं।
शेरा :मम्मी!
कली: यह लोग सजा के ही लायक है।
सोफिया : नहीं मम्मी
विमला : क्या नहीं जब तुम यह सब कर रहे थे तब तुमने मम्मी के बारे में क्यों नहीं सोचा?
(एम्मा तो रोए जा रही थी।)
नकाबपोश : नहीं ! मैं बस आपके बच्चों को समझाना चाहता था कि हर प्रैंक मस्ती के लिए नहीं होता। आईए मैं आप सबको घर छोड़ देता हूं। मैं उसे वक्त समय पर पहुंच गया था। अगर ना तक पहुंचा होता तो शायद बखेड़ा खड़ा हो सकता था। लेकिन इस वक्त सब ठीक है कमल जी भी और आपके बच्चे भी। आईए
दरिया : ठीक है!
(नकाबपोश तीनों माँ और बच्चों को उनके मोहल्ले में वापस ले आता है।और उनसे विदाई लेता है। नकाबपोश तो वहां से चला गया था लेकिन तीनों माँ अभी भी अपने बच्चों से बात नहीं कर रही थी।
उधर जब नकाबपोश का रूप छोड़ कर लेन अपने घर पहुंचा वहां पर रमेश उसका इंतजार कर रहा था। तब रमेश ने लेन से कहा
रमेश : आ गए सर वेले होने के बाद भी आप रात को 10:00 बजे घर घुस रहे हैं।
लेन : अब तुम्हें उन बच्चों की फिक्र नहीं है तो क्या मुझे तो है ना?
रमेश : मतलब क्या तुम्हें वह बच्ची मिल गई?
लेन : हाँ
रमेश : क्या कौन है वह कैसी दिखती है?
लेन : कल उससे खुद ही मिल लेना।
रमेश : तो क्या कल तुम मुझसे मिलवाओगे?
लेन : नहीं, अगर नहीं मिलना चाहते तो कोई जबरदस्ती नहीं है। अगर तुम नकाबपोश के साथ जाना चाहते तो जा सकता है, कोई दिक्कत नहीं।
रमेश : नहीं-नहीं भाई, तू तो मिनट में नाराज हो जाता है। ऐसा कुछ भी नहीं है।
लेन : मैं मिनट में नाराज हो जाता हूं। आज सुबह से तुम मुझे ताने दे रहे हो?
रमेश : माफ कर देना भाई ,भाई नहीं है क्या प्लीज!
लेन :वह जो शेरा है ना वही है वह जादुई बच्ची!
रमेश : वही जिद्दी शेरा जिसने पहली मुलाकात में ही तुम्हारे ऊपर कीचड़ फेंक दिया था। वही शेरा जिसका उदाहरण दे कर तुम कहते थे कि जिस बच्चे को तुम्हें ट्रेन करना था, वह ऐसा ना हो। और देखो आज वही वह बच्ची है जिसे तुम्हें ट्रेन करना है। मजा आ गया।
( लेन रमेश को गुस्से से देखते हुए । )
लेन : अरे रुक क्यों गए थोड़े और ताने दे? मेरा अभी तक पेट नहीं भरा।आज रात को तो तुम्हारे ताने से ही पेट भरना पड़ेगा।
रमेश :नहीं- नहीं
अगले दिन जब सोफिया ,एम्मा और शेरा
नींद से जागे तब 11 बज चुकी थी। तीनों बच्चे हैरान थे कि उनकी मम्मी ने उन्हें स्कूल जाने के लिए उठाया ही नहीं। जब एम्मा और सोफिया बाहर आए तब उन्हें मेज़ पर एक कागज मिला। जिस पर लिखा था।उठ जाओ तो हाथ मुंह धो कर दरिया बहन के घर मिलो।एम्मा और सोफिया को तो यह लेटर मिल गया था लेकिन शेरा को उसकी मम्मी ने कमरे में ही बंद कर दिया था। शेरा को कुछ समझ नहीं आ रहा था। उसने दरवाजे को खटखटाया और अपनी मम्मी को आवाज़ लगाई।
शेरा : मम्मी मम्मी दरवाजा अपने बंद किया है। इसे खोलो!
दरिया : खोलूंगी शेरा लेकिन थोड़ी देर बाद।
शेरा : लेकिन मम्मी थोड़ी देर मैं क्या हो जाएगा?
दरिया : बहस मत कर शेरा और अपनी इमेज पर देख कपड़े पड़े होंगे, बदल के तैयार रह।
शेरा : ओके मम्मी!
थोड़ी ही देर में वहां पर एम्मा और सोफिया भी आ गए। एम्मा और सोफिया के वहां पहुंचते ही दरिया ने शेरा को भी आजाद कर दिया। ड्राइंग रूम की मेज पर तीनों बच्चों का सामान बंधा हुआ पड़ा था। और उनकी मम्मी सोफा पर बैठी थी।
एम्मा : मम्मी यह सब क्या है?
सोफिया: हम तीनों का सामान क्यों बांधा हुआ क्यों पड़ा है?
शेरा : और मुझे मेरे रूम में बंद क्यों किया था? और मुझे यह कपड़े क्यों पहनाए हैं? हम कहीं जा रहे हैं क्या?
दरिया : हम नहीं सिर्फ तुम तीनों
एम्मा :क्या मतलब?
विमला : मैंने कली बहन और दरिया बहन ने एक फैसला किया है।
सोफिया: फै फै फै फैसला ! कैसा फैसला?
कली : यही कि हम तुम तीनों को हॉस्टल भेजेंगे वह भी अलग-अलग!
एम्मा,सोफिया,शेरा : क्या......?
(तीनों बच्चे बहुत डर चुके थे।वह बोलना तो चाहते थे लेकिन कुछ बोल नहीं पा रहे थे। इतनी ही देर में। घर की डोर बेल बजी।दरवाजे पर ड्राइवर था जो तीनों बच्चों को उनके हॉस्टल छोड़ने वाला था।)
ड्राइवर : मैम मैं आ गया।
कली :आओ यह सब बच्चों का सामान!
दरिया : इस गाड़ी में रखो और फिर बच्चों को भी ले जाओ बच्चे भी तैयार है।
शेरा: ये आप क्या कह रही है? हम कहीं नहीं जा रहे हैं। आप मजाक कर रही है ना?
एम्मा : अगर हाँ तो प्लीज बंद कीजिए।माँ मैं तो कमरे में भी अकेले नहीं सो पाती।हॉस्टल में अकेले कैसे रहूंगी?
सोफिया : आप हमें अपने आप से अलग नहीं कर सकती। मम्मी क्या हो गया आपको?
घर में यह सब चल ही रहा था कि तभी लेन और रमेश वहां पर पहुंचे।
रमेश: यहां क्या हो रहा है ?
लेन : रुको सुनते हैं।
दरिया : इस बार हमारा फैसला पक्का है।इस बार हमारा फैसला नहीं पक्का है तुम तीनों हॉस्टल जाओगे।
रमेश,लेन : क्या?
लेन : नहीं, मैं ऐसा नहीं होने दे सकता। पता नहीं उन बच्चों के ऊपर क्या बीत रही होगी? उनका चेहरा देखो वह इतनी डर चुके हैं कि बोल भी नहीं पा रहे हैं।
रमेश : लेकिन हम कुछ नहीं कर सकते। यह उनकी मम्मी का फैसला है
लेन :एक ही जना है जो उन्हें रोक सकता है।
रमेश : कौन?
लेन : नकाबपोश
रमेश : लेकिन तुम नकाबपोश को बुलाओगे कैसे?
लेन : तुम बस देखते जाओ।
(इतना कह कर लें वहां से गायब हो गया।और नकाबपोश के रूप में सबके सामने आया। )
नकाबपोश : रुको यह आप लोग क्या कर रही है?
कली : नहीं नकाबपोश जो इन्होंने कल किया है, उसकी सजा इन्हें मिलनी चाहिए।
नकाबपोश :नहीं, आप ऐसा नहीं कर सकती।
दरिया :तुम हमारा फैसला नहीं बदल सकते नकाबपोश।
विमला :तुम्हारा हमें रोकने का कोई हक नहीं बनता।
नकाबपोश :यह सब करके आप बच्चों को नहीं अपने आप को. सजा दे रही है।जरा सोचिए जो माँ एक घंटा भी अगर अपने बच्चों की शक्ल ना दिखे तो उसका मन डेटॉलने लगता है।वह अपने बच्चों को अपने आप से दूर करके एक हॉस्टल में डाल देगी। तो उसका मान कितना डेटॉले गा?
कली : हमें उससे कोई फर्क नहीं पड़ता।हमें किसी भी हाल में अपने बच्चों को इस काम की सजा देनी ही होगी।
विमला : वरना यह सोचेंगे कि हर बार उनकी हर एक गलती माफ हो जाएगी।
दरिया : और ऐसा हम होने नहीं देंगे।
नकाबपोश : एक बार अपने बच्चों का चेहरा देखिए, वह इतना डर गए हैं कि कुछ बोल भी नहीं पा रहे हैं।
कली : और डरना भी चाहिए।
विमला : इनकी हर गलती हर प्रैंक हमने माफ किया है लेकिन यह प्रैंक कमल जी की जान ले सकता था।
नकाबपोश : आपको इन्हें कमल जी के साथ ऐसा प्रैंक करने की सजा देनी है ना?
दरिया : हाँ
नकाबपोश : तो फिर इन्हें हॉस्टल मत भेजिए क्योंकि यह सजा आप बच्चों को नहीं अपने आप को दे रही है।
कली : तो और क्या करें कैसे दे इन्हीं सजा?
एम्मा: मम्मी हमें कोई सजा मंसूर होगी पर यह सजा नहीं प्लीज!
( यह सब होता देख शेरा को चक्कर आने लगे। इससे पहले कि मैं कुछ बोल पाती है। किसी को कुछ बता पाती में बेहोश हो गई। शेरा को इस हालत में देखकर दरिया अपने आप को रोक नहीं पाई और उसको उठाने के लिए उसकी तरफ बड़ी। यह नकाबपोश के लिए एक अच्छा मौका था। उनकी माँ को यह बताने का की वह अपने बच्चों को थोड़ी सी भी तकलीफ में नहीं देख सकती।इसलिए नकाबपोश ने अपने दिल पर पत्थर रखकर दरिया का हाथ पकड़ा और उसे पीछे की तरफ खींचा। )
नकाबपोश : रुक जाइए दरिया जी!
दरिया : तुम मुझे मेरे बच्चे के पास जाने से क्यों रोक रहे हो?
नकाबपोश : आप खुद ही अपने बच्चों को अपने से दूर भेज रही हैं। आप इसे हॉस्टल भेज रही है ना तो कौन उठायेगा वहां पर इसे? इसे अपने हाल पर छोड़ दीजिए।और जाइए ड्राइवर की मदद कीजिए सामान को रखवाने में।
दरिया : नकाबपोश मेरा हाथ छोड़ो वह मेरी बच्ची है। मैं उसे इस हालात पर नहीं छोड़ सकती।
नकाबपोश : तो फिर तब कैसे देखेंगे जब यह हॉस्टल में बीमार पड़ी होगी?कई कई दिन कुछ खाने को नहीं मिलेगा जब सजा मिलेगी तब कैसे देखेंगे?
दरिया : लेकिन अभी मेरी बच्ची मेरे सामने है।
( दरिया ने अपना हाथ नकाबपोश से छुड़ाकर शेरा के सर को अपनी गोद में रख लिया। नकाबपोश शेरा के पास आया और अपना हाथ से शेरा के सर पर रखा। नकाबपोश के शेरा के सर पर हाथ रखने से जैसे कोई चमत्कार हो गया हो।शेरा को होश आ गया। दरिया ने शेरा को अपने गले से लगा लिया और नकाबपोश से कहा।)
दरिया: एक माँ चाहे अपनी बच्ची से जितना मर्जी दूर हो या फिर जितना मर्जी नाराज हो लेकिन उसकी तकलीफ में अगर वह उसका सहारा बन सकती है तो हिम्मत भी बन सकती है।इसलिए मेरा फैसला निश्चित रहेगा। मैं किसी भी हालत में शेरा को हॉस्टल भेज कर रहूंगी।
शेरा : नहीं मम्मी! ऐसा मत करो!
दरिया: यह तुम्हारी सजा और तुम्हारी भलाई दोनों के लिए है ।
कली : ड्राइवर सामान रख दिया।
ड्राइवर : जी मैमहम चलने के लिए तैयार हैं।
कली : एम्मा चल
एम्मा: नहीं
विमला : सोफिया चल
सोफिया:नहीं
दरिया: चल शेरा
शेरा :नहीं
नकाबपोश : रुको आपको अपने बच्चों को सजा देनी है ना तो अपने आप को मत दीजिए। आपके बच्चों को सजा देने का सबसे अच्छा तरीका मेरे पास हैं । इस रास्ते से बच्चे आपके पास भी रहेंगे और आपसे दूर भी जो चीज आप बच्चों को सीखना चाहती हैं, वह बच्चे सीख भी जाएंगे और आपकी आंखों के सामने भी रहेंगे।
कली : ऐसा कौन सा रास्ता है?
नकाबपोश : अगर आपको अपने बच्चे हॉस्टल में ही भेजने हैं तो हॉस्टल न बचकर मेरे पास भेजिए।
विमला : मतलब?
नकाबपोश : देखिए विमला जी अगर आपका बच्चा मेरे पास रहेगा तो आपकी आंखों के सामने होगा और आप अपने बच्चों से दूर भी नहीं होगी?और जो चीज आप अपने बच्चों को सीखना चाहती हैं, वह मैं सिखा दूंगा।
दरिया: सुझाव तो अच्छा है हम अपने बच्चों के पास भी रहेंगे और दूर भी।
विमला : मुझे भी तुम्हारा सुझाव अच्छा लगा।
कली : मुझे भी
दरिया: तो फैसला हो गया हम अपने बच्चों को हॉस्टल नहीं, नकाबपोश के साथ भेजेंगे।
नकाबपोश : आपने तो अपना फैसला ले लिया लेकिन इसमें मेरी भी कुछ शर्ते हैं।
कली : कैसी शर्त?
नकाबपोश : मेरी चार शर्ते हैं, सुनना चाहेंगे।
विमला : बोलो नकाबपोश हमें कोई भी शर्त मंजूर है।
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