जँगल बहुत ही गहरा था, उल्लुओं की आवाज इसे और डरावना बना रही थी, हम काफी वक्त से चले जा रहे थे, एक खण्डहर देख के हम रुके, धारा ने मुझे बाहर रुकने का इशारा किया और फिर अन्दर चली गयी,
उसके अन्दर जाने के कुछ देर बाद ही उसकी चीख सुनाई दी, मैं भागता हुआ अंदर गया, वहाँ एक गहरा खड्डा था, इतना कि नीचे सिर्फ़ अँधेरा दिख रहा था।
"मैं ठीक हु"-अंदर से आवाज आई.
मैं भी उस में कूद गया।
अन्दर काफी अँधेरा था, धारा ने अपने पास रखी एक मशाल को जलाया और हम उस मशाल के साथ आगे चलने लगे, ये बस एक खड्डा नहीं था, ये एक सुरँग थी और शायद ये ही हमे अवनि तक ले जाएगी।
सुरँग काफी पुरानी थी पर अभी भी अच्छी हालत में थी, धारा ने कहा कि हमे और जल्दी करनी चाहिए,
"तुम्हे मेरी तरह तेज़ी से दौड़ना होगा"
"पर तुम एक वैम्पायर हो धारा मैं तुम्हारी बराबरी नहीं कर सकता"
"तुम कर सकते हो बस इस पर ध्यान दो की अवनि को तुम्हारी ज़रूरत है"
"मेरी बात तो सुनो ..." मेने कहा पर वह वहाँ से चली गयी।
मैंने खुदको अकेला पाया, मैंने अवनि के बारे में सोचा और दौड़ने लगा और देखते ही देखते मेरी स्पीड पता नहीं कैसे काफी तेज हो गयी, मैं धारा के बराबर था।
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हम सुरंग से बाहर आ चुके थे फिर से जँगल में।
"धारा मैं ये कैसे कर पाया"-मेने पूछा।
"मैं बताता हूँ"-किसी ने कहा और वह सामने आया।
"विवान ..."-धारा ने आश्चर्य से कहा।
"तो मैं बताता हुँ, तुम यह इसलिये कर पाए क्योंकि तुम भी वैम्पायर हो"-विवान ने लगभग गुरते से कहा "क्योंकि मैंने ही तुम्हे वैम्पायर बनाया था, गुछुपानी...भूल गए"
"नही मैं नहीं हो सकता"-मुझे पता नहीं चल रहा था कि मेरे इमोशन्स कैसे होने चाहिए.
"इस से पहले की तुम पूछो मैं बताता हूँ, वैम्पायर बाइट को छुपाना बहुत ही आसान काम था, जो धारा ने बखूभी किया, तुम्हारे लिए खाना कौन लाता था?"-विवान ने धारा की और देखा–"धारा ही ना... उस खाने में जो हर्ब्स थी जिस से धारा ने तुम्हारी वैम्पायर प्यास को काबू किये रखा और वह तीरंदाजी की प्रैक्टिस वह बस तुम्हे ये सिखाने के लिए था कि जब तक तुम्हे अपनी वैम्पायर पावर्स का पता चले, तुम खुद को सुरक्षित रख पाओ, ...मैं सही कह रहा हु ना धारा"
"ये सच है, अभय" धारा ने मेरे पास आते हुए कहा "मेरे पास और कोई तरीका नहीं था, मेरे पहुँचने से पहले तुम इसके शिकार बन चुके थे, या तो तुम मर जाते या तुम्हे वैम्पायर बनाके ज़िन्दा रखा जा सकता था"
मै चुप रहा।
"शायद तुम्हे अब भी यकीन नही" कह कर विवान तेज़ी से वहाँ से निकला और एक हिरण को लेकर आया जिसको उसने चिर दिया था।
वहाँ खून को देख कर मैं खुद को संभाल नहीं पाया, और विवान को धक्का देते हुए मेने हिरण कि गर्दन में से पूरा खून पी लिया।
विवान काफी दूर एक पेड़ पर गिर गया।
"अभय खुद को काबू करो" धारा ने मेरा हाथ पकड़ते हुए कहा।
औऱ मैने उसका गला पकड़ लिया, मैं अपने काबू में नहीं था, मैं उसे बाइट करने वाला ही था।
विवान ने एक देवदार के पेड़ से मुझ पर हमला किया और मैं उछलता हुआ काफी दूर गिर पड़ा।
"नए शैतान जानना नहीं चाहोगे की अवनी के साथ क्या हुआ था"-विवान ने मुझे उठाते हुए कहा।
"वो तुम थे"-मैने उसे मुक्का मारते हुए कहा।
"नही नही, तुम अपने दोस्त से क्यों नहीं पूछते"-विवान ने कहा।
मैंने धारा की और देखा।
"विवान छोड़ दो उसे और हमे बताओ अवनि कहाँ है?" धारा ने कहा।
"हाँ ...अवनि... उसे तो किंग मारने वाले है"
"मैं ले चलता हुँ तुम्हे भी वहाँ"
"इतनी जल्दी क्या है"-ये ध्रुव था, उसने विवान को पूरा जकड़ लिया था "अवनि सलामत है अभय, तुम्हारा किंग वहाँ नहीं था विवान, वह तो बहुत बड़ा डरपोक निकला"
उसने विवान को जमीन पर पटका,
"ओह! ध्रुव, फिर से मिलकर खुशी हुई" विवान ने उठते हुए कहा।
"तुम्हारी दोस्त कहाँ है विवान? ... ये रही" ध्रुव ने एक पेड़, धारा को दे मारा।
उसने चाँदी का एक खंजर निकाला और धारा की और वार किया, उसी वक़्त विवान ध्रुव पर झपटा और ध्रुव ने गुमकर वह खंजर विवान की छाती में भोक दिया।
"विवान ...!"-धारा ने ध्रुव को पीछे उछालते हुए कहा।
"नही...विवान... प्लीज़, मुझे छोड़ के मत जाना"-धारा ने कराहते विवान को अपनी बाँहो में भर लिया।
मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था, मेने ध्रुव को फिर से धारा की और जाते देखा और मैने बिना सोचे उसको रोक लिया।
"अभय! छोड़ दो मुझे"-ध्रुव ने बचने की कोशिश की–"तुम नहीं जानते धारा को, ये भी विवान के साथ है, धारा के गले में एक लॉकेट है उसे देखो, वह वैसा ही है जैसा तुम्हे मिला था"
"धारा अपना लॉकेट निकालो"-मैंने ध्रुव को छोड़ते हुए कहा।
उसने विवान की और से नज़र हटाए बिना, वो लॉकेट मुझे बताया जो उसने पहन रखा था।
ध्रुव सही था।
मेरे कई सवाल थे पर धारा की हालत देख के मेने सोचा कि मुझे अवनि पर ध्यान देना चाहिए.
विवान अब भी साँसे ले रहा था।
"मेरी बुराई की सज़ा तो मिलनी ही है"-विवान ने धारा के आँशु पोंछते हुए कहा–"पर एक खंजर मुझे मारने के लिए काफी नहीं धारा"।
इस से पहले की ध्रुव कोई और कदम उठाता, किसी पावर ने हम सबको सिवाय विवान के, वही पर जकड़ लिया, हम हिल नहीं पा रहे थे।
वहाँ पर एक परछाई दिखाई दे रही थी जो नजदीक आने पर साफ हो रही थी।
मैं अवनि को देख पा रहा था, वो लगभग हवा में एक लम्बे और मांशल शरीर के व्यक्ति के हाथों में थी, शायद ये ही किंग था।
उसका मुँह खून से भरा था, मेरा मन एक आशंका से भर गया, मेने अवनि की और देखा, उसका गले से टपकता खून ओर साफ नजर आ रही वैम्पायर बाइट से मुझे समझते देर नहीं लगी। मैंने खुद को आजाद करने की काफी कोशिशें की, ध्रुव ने भी, मैं फिर से खुद को असहाय महसूस कर रहा था उस वक़्त जब अवनि को मेरी ज़रूरत थी, मैं चाह कर भी सिवाय गुस्से से चिल्लाने के कुछ नहीं कर पा रहा था।
"विवान इस लड़की को जला दो"-उस आदमी ने कहा और विवान ने अपने शरीर से खंजर निकाला, उसने धारा को चूमा और कहा–"मुझे माफ़ कर देना" ।
वो अवनि की तरफ बढ़ने लगा, पास पहुँचने पर उसने फिर से धारा को देखा और तेज़ी से उस खंजर को उस आदमी के सीने से आर पार कर दिया।
फिर विवान उसे गसिटते हुए सबकी नजरों से ओझल हो गया, मैंने दौड़ते हुए, गिरती अवनि को बाँहो में पकड़ लिया, वह जैसे मर चुकी थी।
"तुमने मुझे कैसे बचाया"-मैने धारा को पूछा।
"अपना खून तुम्हे देकर, वैम्पायर ब्लड, किसी भी इन्सान को मरने से तो बचा लेगा पर उसे वैम्पायर में तब्दील करके"।
मेने वही किया जो मुझे सही लगा, मेने अवनि को वैम्पायर बना दिया।
वो अब भी होश में नहीं आई थी।
"तुमने तो कहा था इस से उसकी जान बच जाएगी"-मेने धारा की ओर बढ़ते हुए कहा।
"हाँ ...ऐसा होना चा..."
"अभय तुम भी वैम्पायर हो"-ध्रुव ने धारा की बात को अनसुना किया।
"औऱ तुम ...तुम भी तो हो?"-मैंने गुस्से से, नजरे अवनि से हटा उसे देखा।
"बहुत से सवाल करने है मुझे तुमसे और धारा से, पर अभी मेरी प्राथमिकता अवनि है"
"अवनि...उठ ना यार... क्यूँ मज़ाक कर रही है" मैं अपने आँसूओ को रोक नहीं पा रहा था-"आई लव यू, मैंने बहुत देर कर दी अवनि यह कहने में"
"मैने भी ..." अवनि ने मेरा हाथ पकड़ते हुए कहा।
मैं खुशी से झूम उठा, पर आँशु अब पहले से ज़्यादा बहने लगे।
"मैं हर्ब लाती हु अभय"-कहते हुए धारा वहाँ से चली गयी।
"अवनि तुम ठीक हो"-ध्रुव ने आकर हमे गले लगा लिया।
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