यह जीसस के जन्म से भी कई पहले की बात है
इतनी की शायद कोई कभी सही तारीख बता ही ना पाए.
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तिब्बत
भारत
सुपरनेचुरल पावर्स उस वक़्त बहुत ताकतवर थी, ये सुपरनेचुरल पावर्स उतने ही पुराने वक़्त से है जब से इन्सान है, इन पावर्स में मोंस्टर्स, राक्षश, प्रेत और वैम्पायर्स शामिल थे
इन्सानो की ज़िंदगी बहुत मुश्किल थी, किसी का एकछत्र राज नहीं था, वैम्पायर्स जो कि "प्रिंस ऑफ डार्कनेस" कहे जाते है वह सिर्फ़ अंधेरे में ही बाहर निकलते और शिकार करते, उनका शिकार भी इन्सान ही होते। बाकी सारे मोंस्टर उनकी पावर्स से ईर्ष्या रखते थे, एक दिन सारे मोंस्टर्स ने प्रेतों के साथ मिलकर वैम्पायर्स को इस दुनिया से मिटा देने का निश्चय किया और तिब्बत की घनी गहराई में बने वैम्पायर कासल पर हमला कर दिया, वैम्पायर कासल अकेली ऐसी जगह थी जहाँ कभी सूर्य नहीं निकलता।
वैम्पायर्स ने इसी का फायदा उठा के मोंस्टर्स के हमले को विफल कर दिया और सारे मोंस्टर और उनके प्रेत साथियो को मौत के घाट उतार दिया।
मोंस्टर किंग ने राक्षसों के महल में छिपकर अपनी जान बचाई और उनसे रक्षा की भीख माँगी, राक्षस राज ने वैम्पायर्स और मोंस्टर्स के बीच एक समझौते का प्रस्ताव रखा कि वैम्पायर्स भारत छोड़कर पश्चिमी क्षेत्र में चले जाए, जहाँ उनका अकेला राज होगा, मोंस्टर्स यही रहेंगे और कभी वैम्पायर्स के इलाके में नहीं जाएंगे ना ही वैम्पायर्स इनके इलाके में दखल देंगे।
दोनो ने यह प्रस्ताव मान लिया और वैम्पायर्स ने भारत छोड़ दिया, उनके जाने के बाद राक्षस राज ने मोंस्टर किंग समेत सारे मोंस्टर विलेज को आग में राख कर दिया और प्रेत नगर में खूनी होली खेल कर, प्रेतों का सर्वनाश कर दिया और पूरे भारत की अकेली शक्ति बन बैठे।
यही के रायसी व नराही वंश पश्चिमी में ऐडान व फिदोन के नाम से पहचाने गए.
चैप्टर एंड
अच्छा तो इसका मतलब ये हुआ कि रायसी व नराही उनके नहीं वह इनका हिस्सा है, इंट्रेस्टिंग...
चलो लास्ट चैप्टर 43 पढ़ते है
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