The New Order Vampire

The New Order Vampire

The Dream

जुलाई 2016

सुबह के 6 बजे

जोधपुर ।

ये 

है जोधपुर, सनसिटी भी बोलते है इसे-हाँ, सही सुना आपने, सूरज की नगरी। मौसम अभी थोड़ा ठंडा है सुबह के 6 जो बजे है, एक वीरान सड़क, अँधेरा है पर साफ़ दिख रहा है कि रौशनी जल्द ही उसे मिटा के छा जाएगी।

इस वीरान सड़क पर तभी किसी के पैरों की आवाज सुनाई देती है, यह एक 18 साल का लड़का है तक़रीबन 5.8 फुट लंबा,

थोड़ा सांवला, गोल, पर तराशा हुआ-सा चेहरा।

गले में एक रेड टाई और ब्लैक बैग पहने हुए,15 मिनट हो चुके है पर इस सड़क से इसके अलावा कोई जाता नहीं दिखा, शायद वह कुछ बड़बड़ा रहा है या यूँ कहु गुनगुना रहा है।

मुझे शब्दो के प्रयोग में सावधानी बरतने की ज़रूरत है, खेर किसी तेज़ रौशनी ने अँधेरे के उस सन्नाटे को चीर दिया।

ओह ये एक बस है, वो लड़का उस बस में बैठने के लिए काफी तेज़ी से बढ़ा, शायद वह इंतज़ार करते-करते उकता चूका था, खिड़की के पास वाली जगह... बढ़िया पसन्द। मैं भी वही बैठना पसंद करता अगर में बैठता पर आप जानते है... मैं उड़ सकता हूँ।

तो मुझे नहीं लगता मुझे बस की ज़रूरत होगी ।

ओह माफ़ कीजिएगा, मैने अपना परिचय तो करवाया ही नहीं,

मै हु ख्वाहिश, मैं किसी एक जगह रहना कभी पसंद नहीं करता।

वो लड़का अब खड़ा हो गया है और हा बस भी अब रुक गयी है, ये कोई चौराहा है, पास ही बहुत सारे कबूतर है, सूरज की लाली, ठंडी हवाएँ और इन पंछियो का एक साथ उड़ना, कितना अच्छा दृश्य है, जहा से मैं आया हु वहा ये संयोग बहुत कम देखने को मिलता है, हमे पैसा, प्यार, सब मिलता है पर प्रकृति नहीं।

पास की दूकान के बोर्ड पर देखे तो लिखा है-टी स्टाल, श्रीयश चौराहा।

वो लड़का अब भी धीरे कदमो से चलता जा रहा है, और सूरज की रौशनी भी, जैसे उन दोनों में कोई पुराना रिश्ता हो,

उसके कदम थम जाते है एक इमारत के आगे, जिस पर लिखा है आपका अपना विश्विद्यालय ।

पर उसके कदम चेहरे पर एक मायूसी लिए वापस मुड़ जाते है, गेट पर एक बड़ा-सा ताला लगा है और पास ही नोटिस बोर्ड पर लिखा है-आज अद्ययन कार्य नहीं होगा।

उसी रास्ते पर जिसपे वह कुछ लम्हे पहले ख़ुशी से कदम बढ़ा रहा था, अब मायूसी से पार कर रहा था और वह अपने घर आकर चुपचाप उसी बिस्तर पर जो उसे हटाना था पर सो जाता है।

यह जिससे आप अभी मिले है इसका नाम अभय है, हमेशा से इसका ये नाम नहीं था पर हमारे जनाब अभय रायचन्द के फैन है तो इन्होंने खुद को उसी नाम से पहचान दी।

बहुत साधारण-सी ज़िन्दगी है यहाँ इनकी, घर से कॉलेज, कॉलेज से घर, बिच में थोड़ी मस्ती और थोड़ी पढाई, आज इनका कॉलेज ऑफ था और इन्हें दोस्त ने नहीं बताया, चलिये हमारे अभय की नींद तो खुली, देखते है आगे।

"ध्रुव तूने मुझे बोला क्यू नहीं"

"क्या नहीं बोला"

"यही की आज कॉलेज बन्द था"

"अरे! बताया तो था यार"

"तू पिटेगा साले, मिल तू मुझे"

"अरे सॉरी यार मैं भूल गया था बताना"

"मुझे नहीं सुन नी तेरी बकवास,"

\~फोन कट\~

ये था ध्रुव, हमारे अभय का बेस्ट फ्रेंड।

अभय का गुस्सा, बाप रे बाप, सबसे ज़्यादा इसी पर निकलता है, अभय उस से कई बार परेशान हो जाता है लेकिन उसे प्यार बहुत करता है।

चलो अब मुझे जाना है वापस कही और, इसकी बोरियत भरी ज़िन्दगी में ऐसा कुछ नहीं जो आप सुन ना चाहेंगे, आप भी जाइये।

\~\~\~

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