धोखा

अब तक

अथर्व गहरी साँस लेते हुए बोला—

“तुम जानती हो ना मेरे पापा को। अगर उनकी बात नहीं मानता तो शायद आज ज़िंदा भी न रहता। मेरी मजबूरी थी।”

कोमल ने उसकी आँखों में देखते हुए पूछा—

“ठीक है, लेकिन एक बात सच-सच बताओ… उस लड़की के साथ कोई रिश्ता तो नहीं बनाया ना

अब आगे

अथर्व आखो के बेसर्मी , गुस्सा भर कर बोलता है

"नहीं मेरी जान मैं ऐसा कभी नहीं कर सकता हु"

कोमल उसकी तरफ़ देखते हुए कहती है "मै जानती थी तुम कभी ऐसा नहीं करोगे" और उसी बाहों को अपनी बहाने भर लेटीनहाई ओर कहती है

"मैं जानती हूं तुम बहुत परेशान हो चलो कमरे में चलते है" तभी अथर्व कहता है।

"नहीं बेबी साम को।आऊंगा तो तुमको खूब प्यार करूंगा अभी मुझे जाना है" इतना कहते ही वो कोमल को खुद से दूर करता हैनर कोमल फिर से उसको जकड़ लेती है के कहती है

"नहीं मैं तुमको नहीं जाने दे सकती"

अथर्व मुस्कुरा के कहता है "अच्छा ठीक है मै जतिन से बात कर लेता हूं और उनको सब समझा देता हूं" वो जतिन को मैसेज कर के बोलत है

"भाई जरा ध्यान रखना मै अपनी जान के पास हूं" जतिन जैसे ही massage पड़ता है उसको सब समझ आ जाता हैं कि वो किसके पास है और क्यों है

अथर्व कोमल के होठों पर किस करता है और वो दोनों एक दूसरे में खो जाते है उसके बाद दोनों बिस्तर पर थक कर एक गहरी नींद लेने लगते है

उधर सपना अपना चादर बदल के एक सुकून की सास लेती है नाश्ते का समय हो गया था सब नीचे डाइनिंग टेबल पर बैठ चुके थे लेकिन अथर्व का अभी कोई आता पता नहीं था अथर्व के पिता के कहते है

"क्यों आपका लड़का कहा है आज भी वो गुलचरे उड़ाने चला गया"।

अपनी पत्नी की तरफ देखते हुए तभी कृष्ण यानि कंचन का बेटा बोलता है

"नहीं मामा जी ऐसा नहीं है वो दरअसल ...आज बनारस से कुछ सरिया आई थी जिसका हिसाब करने भाई गए है जतिन भाई ने मुझे सुबह कॉल किया था कि आज मै चला जाऊ पर..... तब तक भाई निकल गए थे"

"उसके सारे हिसाब मै अच्छे से जनता हूं गया होगा किसी आवारा दोस्त को पास ...."गुस्से ओर चिड़चिड़ा आवाज में कहते हुए

"अरे बहु खाना ल तो स्वादिष्ट बनाया है"

सपना हल्की सी मुस्कान के साथ "जी" तभी उनकी सास बोलती है सच में

"हाथ में तो बड़ा जायका है तुमरे किसाने सिखाया कहना बनाना ना ने या दादी ने"

सपना खुशी से कहती है "कुछ मां ने कुछ दादी ने"

उधर अथर्व अभी भी सो रहा था उसकी नीद अचानक खुलती है तो वो देखता है कि रात होने को आया है और वो उछलते कूदते कपड़े पहने है और चला जाता है वही कोमल सो ही रही होती है अथर्व अपनी बाइक चलते हुए सोचता है अगर दुकान में पापा आए होंगे तो बैंड बज जाएगी दुकान पहुंचते देखता है वहां जतिन और कुछ कस्टमर ही होते है उसकी जान में आते है और वह बैठ जाता है

"आ गए भैया रंगरेलिया मन के जतिन गुस्से से बोलता है"

"अरे भैया आपको पता है फिर भी तन मार रहे हो" अथर्व बोलता है

"पता ह शादी हो गई है तुमरी अब तो उसका पीछा चोर दो ओर अपनी जिंदगी पर ध्यान दो"

"अरे उसने ही मुझे बुलाया था तो क्या करता अगर न जाता तो वो यह आ जाती".... अथर्व चिड़चिड़ी आवाज में कहता है

जतिन कुछ नहीं बोलता और चला जाता है तभी अथर्व कुर्सी पर बैठे हुए सोचता है कि उसकी रात कितनी सुंदर थी सपना की वो बहे वो कमर वो होठ सबकुछ उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ जाती है

उधर डाइनिंग टेबल पर सब खाना खा रहे होते है तभी पांडे जी कहते है "बेटा बताओ तुमको आज शगुन में क्या चाहिए"..

सपना सर झुकते के संतुष्टि भरी आवाज में कहती है "कुछ नहीं पापा बस आपको।खाना पसंद आया वही काफी है"

तभी पांडे जी कहते है चलो कोई बात नहीं मैं अपनी ही तरफ से तुमको दे देत हु तभी वो एक प्रशंसा भर आवाज में कहते है

"तुम अपना कॉलेज शुरू कर लो" अचानक से तभी सपना की आंखें निकल गई ये बात सुन कर

वो खुशी से कहती है "कि सच में"

"हा सच में " पंडे जी प्यार भरी आवाज में कहते है कंचन और कृष्ण सपना को एक बड़ी सी मुस्कान देते है तभी सपना की सास कहती है

"लेकिन सुनिए जी आपको पता है न अथर्व को उसको ये बिल्कुल पसंद नहीं आएगा..... जब उसको कनक का कॉलेज जाना पसंद नहीं आता था तो भला अपनी बीवी का कैसे आएगा"

पांडे जी ऊंचे स्वर में कहते है "अपने लड़ साहेब की खुशी को सबसे आगे रखन बंद करो वो तो कभी गया नहीं मेरे कितने अरमान थे उसको।लेके लेकिन वो......."

"खैर बेटा तुम जबसे चाहो "जा सकती हो सपना की तरफ देखते हुए

सपना डरी हुए आवाज में कहती है जी पापा जी देखते ही देखते साम हो जाती है रात के खाने का समय हो जाता है पर अथर्व अभी तक घर भी आया था

सपना कही न कही अथर्व का इंतजार कर।रही थी क्योंकि अभी तो उसने अथर्व को अख भर कर देखा भी नहीं है तभी दरवाजा खुलता है ओर अथर्व आता है अथर्व की मां खुशी से कहती है "अरे तू आया कहा था सुबह से" अथर्व कहता है " बहुत थक।गया हूं" खाना लगा दो ओर डाइनिंग टेबल पर बैठ जाता है

सभी टेबल पर बैठ गए है तभी अथर्व के पिता जी कहते है कि....."कल तुम जाके सपना के लिए उसके कॉलेज की किताबें लिए आना ओर बकी जरूरत का सामान भी"

तभी अथर्व अचानक से अपनी आँखें बड़ी कर के पूछता है "किसके लिए"

"सपना के लिए ओर किसके लिए" पांडे जी कहते है

"लेकिन क्यों" तेज आवाज में अथर्व कहता है

"क्योंकि उसका कॉलेज है वो कॉलेज जाएगी"

" वो कही नहीं जाएगी जो पढ़ना है घर में रहके पढ़ें कही आने जाने की जरूरत नहीं है"

"मै तुमसे पूछ नहीं रहा हूं बता रहा हूं कि तुमको क्या करना है ओर तुमरी सलाह की जरूरत नहीं है जितना कहा जा रहा है उतना करो"। गुस्से से कहते हुए पांडे जी

"अब क्या मेरी बीवी की जिंदगी में भी आप दखल देंगे मैने बोला न कि वो नहीं पढ़ना चाहती वो घर पर ही रह कर पढ़ लेगी" गुस्से से टेबल से उठते हुए कहता है

"मैने सपना से बात कर ली है उसको कॉलेज जाना है मैने उसके पिता जी से वादा किया है ओर तुमरे यह बेवकूफी की वजह से मै किसी की आजादी नहीं चीनीउंगा" अथर्व को अख दिखते हुए बोलते है तभी अथर्व की मां बोलती है

अ"रे एक बार बात तो सुन अगर वह पढ़ने चली ही जाएगी तो क्या हो जाएगा"

"तुमने बोला है कॉलेज जाने के लिए तुम्हारा कॉलेज जाने का मन है एक बार भी तुमने मुझे नहीं पूछा".... अथर्व गुस्से में सबके सामने डाइनिंग टेबल के पास ही खड़ी सपना से यह सवाल चिल्ला के पूछता है

सपना सबके सामने है और डरती हुए बोलती है "मैने..... वो....."

"तुम साफ-साफ बोलो तुमको कॉलेज जाना है या नहीं अथर्व गुस्से से उसकी आंख में आंख डालकर चेहरे के पास जाकर बोलता है

सपना इतनी डर जाती है वह डर के काटने लगते हैं तो अपनी साड़ी के पल्लू को मुट्ठी में पड़ती है और कहती "नहीं........ नहीं मुझे नहीं जाना"

यह सुन के अथर्व अपने पापा से गहरा नजर मिलाते हैं और ऊपर सीडीओ की तरफ चला जाता है तभी उसके पापा उसके जाते हुए सीडीओ पर देखते हुए कहते हैं "न खुद पड़ा और ना ही उसे पढ़ने दे रहा है अपनी भी जिंदगी बर्बाद कर ली अपनी बीवी की भीं "

अथर्व गेस से कहता हुआ "मेरी जिंदगी पहले ही बर्बाद हो गई है अब ओर कितनी होगी"और चला जाता है

ये सब देख कर सपना हाथ से पैर तक थर थर काप रही थी उसको समझ ही नहीं आ रहा था कि ये सब हो क्या रहा है सिर्फ कॉलेज की वजह से?

उधर कमरे में अथर्व गुस्से से भरा पड़ा था तभी सपना कमरे में अति है अथर्व गुस्से से उसको देखता है और......

END

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ʀɪᴢᴀʟ Wibu

ʀɪᴢᴀʟ Wibu

Don't stop! You've got me hooked, author.

2025-08-24

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