नई सड़क पार्ट-1

नई सड़क पार्ट-1

पाठ -1

This is a work of fiction. Names, characters, businesses, places, events, locales, and incidents are either the products of the author's imagination or used in a fictitious manner. Any resemblance to actual persons, living or dead, or actual events is purely coincidental.

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वो कहते है ना कि जिस चीज को हम हद से ज्यादा चाहते है ! उसे खोने का डर भी उतना ही होता है !

कुछ ऐसा ही अनु के साथ भी हुआ ! सुबह का वक्त था ! सूरज की किरणे अभी पूरी तरह से आसमान पर फैली नही थी ! चिड़ियों की चहचहाहट चारो तरफ थी ! अनु अभी बिस्तर पर ही थी ,बस पंछियों की चहचहाहट को गौर से सुन रही थी,और सोच रही थी कि ये क्या कह रहे होंगे आपस में झुंड बना कर ! इतने सारे पंछी एक साथ एक दुसरे से अपने दिल की बात कितनी आसानी से कह देते है ना !

बस यही सब सोचते हुए अनु बिस्तर से उठ गई ! वही रोज मर्रा का काम,ब्रश करना,नहाना,पूजा करना,नाश्ता बनाना, फिर तैयार होकर आफिस के लिए निकल जाना!

रोज ट्रेन लेकर एक घंटे के सफर के बाद आफिस पहुंचना ! वो अपने डेस्क पर बैठ गई थी ! आफिस में कुछ नजरें उसे घूर रही थी ,अनु ने चोर नज़रों से उनको देखा,और अनजान बन कर अपने काम में लग गई,

तभी अनीता उसके पास आकर बोली ! कैसी हो ? कैसा रहा कल का दिन ?

अनु : अच्छा रहा, बस घर पर बोर होती रही !

अनीता उसकी अच्छी दोस्त थी जिससे वो अपनी हर बात कर लेती थी !

अनीता : आज आफिस के बाद वही अपने मनपसंद रेस्ट्रोरेन्ट चलेगे कुछ खाने !

अनु : नही ! मुझे घर जाना है आज कुछ काम है !कल देखते है !

अनु को काम तो कुछ था नही लेकिन उसका कही जाने का भी मन नही था !

आफिस के बाद अनु ने रोज की तरह ट्रेन पकड ली, बहुत भीड थी ट्रेन में,वो एक साईड खडी हो गई और बस खिडकी से बाहर देखती रही !

घर पहुंच कर अनु सीधा बिस्तर पर लेट गई,उसके पैर जमीन की तरफ़ थे और बाहें खोल कर अपनी आंखें बंद कर के पता नही कब वो नींद की आगोश में चली गई !

उसके मोबाईल की रिंग इतनी तेज थी कि उसकी नींद को चीरती हुई उसके दिमाग में घुस गई !

एकदम से अनु ने आंखें खोली और फोन को उठा कर कान से लगा लिया !

दुसरी तरफ से अनीता बोली : अरे मैडम कितनी काॅल कर चुकी हू कहां थी ????

अनु : अरे यही थी बस आते ही थोडा लेट गई थी !

अनीता : लेट गई थी ????? अरे मैडम 10 बजने वाले है तो इसका मतलब तूने आफिस से आकर ना कुछ खाया और ना फ्रेश हुई !

अनु : अरे सच में क्या 10 बज गये ? ओह चल मैं तुझसे बाद में बात करती हू फ्रैश होकर कुछ बना लू !

यह कह कर अनु ने फोन रख दिया !

अनीता उसकी बहुत फ़िक्र करती थी उसकी बहन जैसी थी वो ! अनु की जिंदगी में अनीता ही थी जो अनु से भी ज्यादा उसकी हर बात की फ़िक्र करती थी ! अनु बहुत भरोसा भी करती थी अनीता पर !

खाना पीना करके फ्री होते होते कब 12 बज गए पता ही नही चला ! तभी अनीता का फोन फिर आ गया !

अनीता; खाना पीना हो गया ?

अनु : हां

अनीता ; कल चले गी ना आफिस के बाद रेस्टोरेंट ?

अनु ; हां चलू गी !

अनीता : मैंने सोचा अभी पूछ लू , फिर तेरा मूड़ भी बदल जाता है ना !

अनु ; नही यार मूड की बात नही, वो मेरा कही जाने का मन ही नही करता !

अनीता : यही मन तो बदलना चाहती हूं तेरा कि कुछ और सोचे , कुछ तो बदलाव हो तेरी जिंदगी में !

अनु : क्या बदलाव ? किसके लिए ? और क्यू बदलू मैं ? मै जैसी हू वैसी ही रहूगी !

अनीता ; अच्छा बाबा ! मत बदलना लेकिन कल चलना जरुर !

अनु ; ओके गुडनाईट !

ये कह के अनु ने फोन रख दिया ! और लेट गई ! बस आंखों में वही यादे और उनका गम,और आंखें नम !!!!!!!! और रात धीरे धीरे बीत रही थी............

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