यह कहानी उसी रेल की पटरी के किनारे से शुरू होती है इस कहानी के अंदर कमल का मुख्य किरदार है कमल वही बच्चा है जिसे प्रीता ने रेल की पटरी के किनारे छोड़ दिया था।
कहानी शुरू होती है इस कहानी में एक बूढ़ी औरत रहती है जिसका नाम कमला है वह 70 साल की थी उसके पति का देहांत पहले ही हो चुका था वह झुग्गी झोपड़ी में एक टूटे हुए मकान में रहती थी जिसकी आधी छत भी ढह चुकी थी जिसे उसने घास फूस और तृपाल से ढका हुआ था बारिश के मौसम में वहां से पानी टपकता था । वह ट्रेन में मूंगफली बेच कर अपना गुजारा करती थी मूंगफली बेच कर उसे बहुत थोड़ी कमाई होती लेकिन वह जितना कमाती थी वह उसके लिए पर्याप्त था ।
एक दिन वह जब ट्रेन में मूंगफली बेच रही थी (तब रेलगाड़ी बहुत धीरे थी ) तो उसने एक बच्चे की रोने की आवाज सुनी उसने देखा कि एक बच्चा रेलवे पटरी के किनारे पड़ा हुआ रो रहा था जब उसने यह देखा तो उसने रेलगाड़ी की चैन तुरंत खींच दी जिसके कारण रेलगाड़ी रुक गई वह फौरन नीचे उतरती है और बच्चे के पास जाती है थोड़ी देर बाद ट्रेन आगे बढ़ जाती है।
वह वहां खड़ी होकर बच्चे को प्यार से थोड़ी देर देखती रहती है फिर वह इधर-उधर देखती है कि यह बच्चा किसका है लेकिन उसे कोई नजर नहीं आता वह उसे अपनी गोद में उठाती है और चुप कराती है । थोड़ी देर बाद वह आसपास गुजरते लोगों से उस बच्चे के बारे में पूछती हैं लेकिन किसी को कुछ पता नहीं था । अब वह सोचने लगती है कि इस बच्चे का क्या करें वह उसे अनाथालय में देने का निर्णय करती है लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाती क्योंकि उसे अनाथ होने का दुख पता था उसे यह इसलिए पता था क्योंकि वह भी खुद एक अनाथ ही थी उसने अपने माता-पिता को बचपन में ही खोया था और वह अपने चाचा चाची के साथ रहती थी जो उसे बहुत परेशान करते थे।
तब वह इस बच्चे को अपने पास रखने का निर्णय लेती है और उसे लेकर अपने टूटे हुए मकान में आ जाती है । बच्चा बार-बार रोए जा रहा था वह चुप ही नहीं हो रहा था कमला समझ जाती है कि उसे बहुत भूख लगी होगी । तो कमला तुरंत से दौड़कर दूध लेने दुकान में जाती है जब वह दुकान गई थी तो उसने बच्चे को मकान में ही छोड़ दिया था । बच्चे की रोने की आवाज सुनकर उसी बीच चंपा वहां आ जाती है चंपा कमला की सहेली थी वह कमला के मकान के बगल वाली मकान में ही रहती थी चंपा कमला के आने तक उसे शांत कराने की कोशिश करती है ।
जब कमला दूध लेकर दुकान से वापस आती है तो वह चंपा को घर में देखती है जो बच्चे का ध्यान रख रही थी कमला चंपा को बच्चे का ध्यान रखने के लिए धन्यवाद करती है। चंपा को बच्चे को शांत कराती देखकर वह तुरंत दूध को कटोरी में डालने चली जाती है और उसे कटोरी में डालकर चम्मच के साथ दुध लेकर आती है वह बच्चे को अपनी गोदी में लेती है और उसे चम्मच से दूध पिलाने की कोशिश करती है बच्चा अभी बहुत छोटा था वह चम्मच में दूध नहीं पी पा रहा था लेकिन वह जैसे तैसे करके उसे थोड़ा दूध पिलाती है बच्चा शांत होता है और सोने लगता है ।
जैसे ही बच्चा सो जाता है चंपा कमला से धीरे से पूछती है कि तुम इस बच्चे को कहां से लायी , कमला उसे बच्चे के बारे में विस्तार में बताती है । चंपा कमला को पूछती है कि अब तुम इस बच्चे का क्या नाम रखोगी कमला थोड़ा सोचती है फिर कहती है कमला का कमल । तभी चंपा के लिए उसके मकान से आवाज आती है चंपा उठती है और अपने मकान चली जाती है । उस दिन कमला काम पर नहीं जाती वह अपने बच्चे का पूरा ध्यान रखती है । उसी तरह वह दिन बीत जाता है।
अगले दिन फिर काम पर जाने की बारी आती है लेकिन वह सोचती है कि अब वह कमल का क्या करें फिर वह चंपा के मकान की तरफ जाती है। अभी चंपा काम पर नहीं जाती थी क्योंकि उसका काम बंद था वह कमल को लेकर चंपा के मकान पहुंच जाती है और वहां चंपा से पूछती हैं कि तुम कमल को अपने साथ रख लोगी । चंपा हां कहती है और उसे खाट पर सुलाने को कहती है । वह उसे खाट में सुलाती है और घर जाकर अपने साथ दूध और दूध की बोतल ला देती है जो उसने कल ही खरीदी थी। कमला कमल को एक नजर मुड़कर देखती है और उसे चंपा के घर में छोड़कर चली जाती है । वह अपने घर से मूंगफली की थैली उठती है और उसे बेचने ट्रेन में चली जाती है लेकिन उसका पुरा ध्यान कमल की तरह ही होता है वह पूरा दिन काम नहीं करती बल्कि दोपहर तक वापस लौट आती है । 1 सप्ताह ,पहले दिन की तरह ही बीत जाता है।
लेकिन अब चंपा का काम भी अगले दिन से शुरू होने वाला था । तो अगले दिन से कमला, कमल को भी अपने साथ लेकर मूंगफली बेचने ट्रेन में जाती है । वह उसे अपनी छाती से लगाकर एक कपड़े से उसे बांध देती है और अपना काम करती है वह अब हमेशा ऐसे ही करने लगी जिस दिन चंपा की छुट्टी होती वह उसे वहां छोड़ देती थी।
एक दिन रात को कमला बैठकर महीने का हिसाब कर रही थी तो उसने पाया जबसे कमल उसकी जिंदगी में आया है तबसे उसे ज्यादा कमाई होने लगी है वह उसके लिए शुभ साबित हुआ है ।
एक दिन कमला अपने साथ टिकट लाना भूल जाती है और उस दिन उसे टिकट चेक करने के दौरान पकड़ लिया जाता है और उसे अपनी पूरी कमाई टिकट चेक करने वाले को देनी पड़ती है । जिस कारण उस दिन उसके पास कुछ पैसे भी नहीं होते । वह घर आती है और चंपा से कुछ पैसे उधारी लेती है और कमल के लिए दूध लाती है । वह उस दिन भूखी ही सो जाती हैं।
इसी तरह 3 साल बीत जाते हैं कभी उसके पास खाना होता तो कभी नहीं लेकिन कमला कुछ ना कुछ करके अपने कमल के लिए खाना जुगाड़ ही लेती थी क्योंकि वह अपने बच्चे से बहुत प्यार करती थी और उसे भूखा नहीं देख सकती थी कमला अपने बच्चे से इतना प्यार करती थी कि वह उसके लिए कुछ भी कर सकती थी ।
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