सुबह का समय था। आंगन में तुलसी के पास दीया जल रहा था। पर अनाया का मन बिल्कुल शांत नहीं था। पिछली रात किरण आंटी की बातों ने उसके दिल में शक के बीज बो दिए थे। उसने आदित्य की तरफ़ देखा, जो आराम से अख़बार पढ़ते हुए चाय पी रहा था।
अनाया ने सोचा – कैसे कोई इतना बेफिक्र हो सकता है? क्या सच में आदित्य के मन में कुछ छिपा है?
वो धीरे-धीरे किचन में चली गई और माँजी की मदद करने लगी। लेकिन चेहरा उतरा हुआ था। माँजी ने तुरंत पकड़ लिया।
“क्या हुआ बहू? सुबह-सुबह क्यों उदास लग रही हो?”
अनाया ने मुस्कुराने की कोशिश की –
“कुछ नहीं मम्मीजी, बस थोड़ा सिर भारी है।”
माँजी ने सिर पर हाथ फेरते हुए कहा –
“बहू, ध्यान रखना। घर-परिवार में छोटी-छोटी बातें दिल पर नहीं लेनी चाहिए। वरना रिश्ते बिगड़ जाते हैं।”
अनाया को लगा जैसे माँजी उसकी ही उलझन समझ गई हों, पर उसने कुछ नहीं कहा।
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इसी बीच, रिया आ गई। हाथ में कॉफ़ी मग और चेहरे पर वही मस्तीभरी मुस्कान।
“गुड मॉर्निंग भाभी! अरे वाह, आप तो आज बहुत सुंदर लग रही हैं।”
अनाया ने हल्की मुस्कान दी, पर मन में खटास बनी रही। रिया फिर आदित्य के पास जाकर हँसते-बोलते लगी। दोनों के बीच मज़ाक और बातें चलती रहीं।
अनाया का दिल बैठने लगा।
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दोपहर में घर में रिश्तेदार आए। चाचाजी और चाचीजी मिलने आए थे। सभी ने मिलकर खाया-पीया, खूब बातें कीं। पर माहौल में एक पल ऐसा आया जिसने आग में घी डाल दिया।
रिया ने मज़ाक करते हुए कहा –
“जीजाजी, आप तो इतने स्मार्ट हैं कि बॉलीवुड में हीरो बन सकते हैं। भाभी को तो टेंशन हो रही होगी कि कहीं कोई और न ले जाए।”
सभी हँस पड़े। लेकिन चाचीजी ने सीरियस अंदाज़ में कहा –
“रिया बेटा, मज़ाक की भी हद होती है। बहनोई के साथ इतना चिपकना अच्छा नहीं लगता।”
घर का माहौल अचानक चुप हो गया। आदित्य और अनाया दोनों असहज हो उठे।
रिया को बुरा लग गया और वो कमरे से निकल गई। आदित्य ने माहौल संभालते हुए कहा –
“चाचीजी, रिया तो बस मज़ाक करती है। इसमें कुछ ग़लत नहीं है।”
पर अनाया के दिल को ये बात और चुभ गई।
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रात को जब सब सोने चले गए, अनाया और आदित्य के बीच बातचीत हुई।
अनाया ने सीधे-सीधे कहा –
“आदित्य, मुझे ये सब अच्छा नहीं लगता। सबके सामने तुम्हें लेकर ऐसे मज़ाक करना, तुम्हारे साथ चिपके रहना… मुझे बुरा लगता है।”
आदित्य ने गहरी साँस ली –
“अनाया, तुम बेवजह सोच रही हो। रिया तुम्हारी बहन है। वो मुझे भी भाई की तरह मानती है। तुम क्यों इतना सोचती हो?”
अनाया ने पलटकर कहा –
“भाई की तरह? पर सबको तो ये भाई-बहन का रिश्ता नहीं लग रहा। सबके मन में सवाल उठ रहे हैं। और अब मेरे मन में भी।”
आदित्य थोड़ा झल्ला गया –
“तुम्हें भरोसा ही नहीं है मुझ पर? ये रिश्ता सिर्फ़ शक पर खड़ा रहेगा तो कैसे चलेगा?”
अनाया की आँखों में आँसू आ गए। वो चुपचाप कमरे से बाहर निकल गई और छत पर चली गई।
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छत पर खड़े होकर उसने ठंडी हवा में लंबी साँस ली। क्या सच में मैं ही ग़लत हूँ? या फिर सच में कुछ तो है?
तभी रिया वहाँ आ गई। उसने देखा कि अनाया उदास खड़ी है।
“भाभी, आप मुझसे नाराज़ हैं न?”
अनाया ने चुप रहकर आसमान की तरफ़ देखा।
रिया पास आकर बोली –
“मुझे पता है मेरी मज़ाक-मस्ती आप दोनों के बीच दिक़्क़त पैदा कर रही है। लेकिन सच मानिए, जीजाजी मेरे लिए सिर्फ़ और सिर्फ़ जीजाजी हैं। मैं कभी आपकी जगह लेने की सोच भी नहीं सकती।”
अनाया ने उसकी तरफ़ देखा। उसकी आँखों में सच्चाई और मासूमियत थी।
“तो फिर सबके सामने इतना ड्रामा क्यों करती हो?” – अनाया ने धीमे स्वर में कहा।
रिया ने हल्के से हँसकर जवाब दिया –
“क्योंकि मैं जानती हूँ कि आप दोनों की जोड़ी दुनिया की सबसे प्यारी है। मैं सिर्फ़ मज़ाक से माहौल हल्का करना चाहती हूँ, लेकिन अब ध्यान रखूँगी।”
अनाया की आँखों से आँसू बह निकले। उसने रिया को गले लगा लिया।
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नीचे कमरे में आदित्य बेचैन बैठा था। तभी अनाया और रिया दोनों हँसते हुए लौटे। आदित्य हैरान रह गया।
अनाया ने मुस्कुराकर कहा –
“चलो, अब गलतफहमियाँ खत्म। और हाँ, अब से तुम्हें सिर्फ़ मेरी जलन झेलनी होगी, किसी और की नहीं।”
आदित्य ने चैन की साँस ली और उसे प्यार से गले लगा लिया।
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