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मधु अपने कमरे में आ जाती है उसकी सांसे अभी भी बहुत ज्यादा तेज चल रही थी ऐसा लग रहा था जैसे उसके शरीर के हर रोम से काम रस बहने लगा हो .

मधु बेड पर जाकर लेट जाती है आज का दिन उसके जीवन में सबसे यादगार दिनों में से 1 दिन है आज तक उसके पति ने भी उसे ऐसा प्यार नहीं किया जिसकी वह तमन्ना करती थी लेकिन वीर ने पिछले कुछ दिनों में ही बिना कुछ करे ही उसके जीवन में तूफान मचा रखा था

उसके छूने भर से मधु के योनि का द्वार टपकने लगता

मधु ने अपने टीशर्ट नहीं पहनी उसे एक उम्मीद थी कि सुबह उमेश जब उसे बिना टीशर्ट के देखें तो शायद उसका मूड बन जाए

और उसने अपनी आंखें बंद कर ली और पूरे दिन का एक-एक पल याद करने लगी अचानक ही उसे महसूस हुआ कि उसका हाथ उसके चलती हुई योनि के ऊपर था

आज उसे इसको छूने में भी मजा आ रहा था. आज पहली बार मधु से अपना शरीर संभाला नहीं जा रहा था उसने अपनी एक उंगली योनि के अंदर हल्की सी प्रवेश करवाई और योनि की आग इतनी तेज थी की सिर्फ प्रवेश करते ही उसकी योनि ने चरम सुख के रूप में काफी सारा रस बाहर निकाल दिया जो कि उसकी योनि द्वार से रिश्ता हुआ उसके कसे हुए नितंबो तक जा रहा था.

उसी के साथ मुस्कुराते हुए वह कब सो गई उसको पता भी नहीं चला.

सुबह मधु की आंखें खुली तो देखा उमेश तो तैयार होकर अपना बैग पैक कर रहे हैं मधु अपने आप से बड़ बड़ाई हे भगवान आज मैं फिर लेट हो गई यह आदमी फिर से लेक्चर सुनाएगा

मधु मतवाली सी एक पल के लिए भूल गई कि उसके सीने पर आज कोई आवरण नहीं था उसके मतवाले उभार किसी का स्पर्ष पाने के लिए आतुर थे

उमेश ने अपने आंखें बड़ी करते हुए कहा क्या हो गया है मधु तुम्हें तुम्हें यह भी याद नहीं की कपड़े पहन कर सोते हैं तुम जैसा आलस्य से भरा इंसान मैंने आज तक नहीं देखा.

उमेश लगातार कुछ न कुछ कहे जा रहा था और बेचारी मधु मायूस होकर सुनती जा रही थी कहां उसने रात को सोचा था कि सुबह उमेश उसे इस हालत में पाएगा उसके साथ प्यार करेगा लेकिन हुआ तो इसके विपरीत

उमेश अपना बैग उठाकर कमरे से बाहर की तरफ जाने का रुख अख्तियार करता है तभी पीछे पलट कर मधु से कहता है मैं 3 दिन के लिए बेंगलुरु जा रहा हूं और अभी 1 घंटे बाद के फ्लाइट है 3 दिन बाद ही आऊंगा इतना कहते हि वह कमरे से बाहर चला गया और घर के बाहर खड़ी हुई कार में बैठकर चला गया !

मधु मायूस होकर बेड से उठती है और मेन गेट तक आती है और खड़ी होकर जाती हुई गाड़ी को देख रही होती है

लेकिन अगले ही पल उसकी मायूसी एक आनंद में मुस्कान में तब्दील हो जाती है क्योंकि उसके दिमाग में वीर का ख्याल आ जाता है

वह यह 3 दिन खोना नहीं चाहती और वह अपने सीमा को लांघना चाहती है बेड पर आकर टाइम देखती है अभी तो सुबह के पास ही बजे हैं

उसने सिर्फ एक लोवर ही पहना हुआ था और अपने सीने के ऊपर एक पतली कोटन की चुनरी को अपने कंधों के ऊपर से डालकर अपने सीने पर लपेट लिया.

और वह खड़ी होकर किचन में आ गई वह 1 मिनट भी टाइम वेस्ट नहीं करना चाहती थी मधु चाहती थी कि जल्दी जल्दी अपना काम निपटा लूं और उसके तुरंत बाद वीर से मिलने का कोई ना कोई रास्ता निकालती हूं

फिर उसने मन ही मन सोचा किस बहाने से ऊपर जाने का प्रयास करूं याद यहीं रहकर वीर का नीचे आने का इंतजार करूं !

तभी उसे याद आया चलो आज वीर को मॉर्निंग टी दे कर आती हूं उसी बहाने उसी से मुलाकात हो जाएगी इतना सोचते ही वह झटपट चाय बनाने में विलीन हो गई

जैसे-जैसे वह चाय बनाने के लिए इधर-उधर होती उसके बदन पर लिपटी हुई चुनरी उसके बदन के साथ घर्षण करती जाती

उसके उभारों के ऊपर चुनरी की रगड़त उससे और आनंदमय बना रही थी उसके खुले हुए बाल उसके कमर पर बेतरतीब ढंग से नाच रहे थे यह कहु तो गलत नहीं होगा कि उसके बाल उसकी कमर पर नाच रहे थे !

लेकिन अभी तो समय 5:30 ही हुआ है क्या अभी जाना सही होगा थोड़ा विचार करने के बाद मधु ने सोचा प्यार करने के लिए कोई समय सही और गलत नहीं होता और वह चाय का कप उठाकर मंद मंद कदम रखते हुए वीर के कमरे के पास पहुंच गई

उसने एक हाथ में चाय का कप पकड़कर दूसरे हाथ से दरवाजे को हल्का-हल्का अंदर की तरफ खोलने की कोशिश की ,मधु चाह रही थी किसी को पता ना चले कि वह ऊपर आई हुई है!

दरवाजे को खोलते वक्त दरवाजे से हल्की-हल्की चर चर की आवाज आने लगी. मधु ने एक पल के लिए अपने आप को वही की वही रोक लिया कि कहीं दरवाजे की आवाज सुनकर वीर की आंखें ना खुल जाए !

जब अंदर से किसी तरह की कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली तो मधु को यह आभास हो गया कि वीर अभी भी गहरी नींद में है और उसने झटके के साथ दरवाजे को खोल दिया और वह कमरे के अंदर आ गई

चाय का कप साइड की टेबल पर रख दिया और गहरी नींद में सोया हुआ वीर मधु के आकर्षण का केंद्र बना हुआ था

उसके बेतरतीब ढंग से बिखरे हुए बाल माथे पर आ रहे थे सीने पर किसी भी तरह का वस्त्रों का कोई आवरण नहीं था

मधु की नजरें उसके होठों पर पड़ी और मन ही मन मुस्कुराती हुई अपने होठों से दूर से ही एक चुंबन दे दिया आज मधु का मौका मिला था वीर को पूरी तरह से देखने का नहीं तो हर बार कुछ ना कुछ ऐसा होता कि उसकी नजर वीर को निहार हि नहीं पाती थी.

बीर की तनी हुई छाती पर उभरे हुए मनके मधु का आकर्षण का केंद्र बने हुए थे छाती की ऐसी कसावट उसने आज तक नहीं देखी थी मधु थोड़ा सा पास गई और बेड के पास खड़ी हो गई अब उसने फैसला किया अब वह थोड़ा सा झुक कर बिल्कुल पास से इस पल को और ज्यादा आनंदमई बनाएगी

अचानक से मधु की नजर बिर के सिक्स पैक्स पर पड़ती है जो देखने में इतना मादक लग रहे थे कि मधु अपने आप को रोक नहीं पाए और अपने होठों को बिल्कुल उसके सिक्स एप्स के पास ही ले आई वह अपने होठों से चंमने ही वाली थी की उसकी नजर वीर के अंडरवियर पर पड़ी

अंडरवियर का इलास्टिक जो वीर की कमर तक था वह थोड़ा सा उठा हुआ था और और वीर के लिंग का मुख प्लास्टिक के नीचे से थोड़ा सा बाहर की तरफ झांक रहा था उसका लिंग उसके अंडरवियर में ऐसा लग रहा था जैसे कोई मोटा सा नेवला अपनी खेलकूद में व्यस्त हो

मधु ने अपने पूरे जीवन काल में इस तरह का लिंग कभी नहीं देखा था ना कभी सोचा था उसने सोचा जो होगा देखा जाएगा उसने अपने एक हाथ की उंगलियों से अंडरवियर के इलास्टिक को थोड़ा सा ऊपर की तरफ खींचा तो उसकी आंखें फटी की फटी रह गई क्योंकि वीर कॉ लिंग तकरीबन 10 इंच लंबा और साडे 3 इंच मोटा आराम से होगा !

उसने अपनी मुट्ठी में लिंग को भर लिया लेकिन अभी लिंग 3_4 इंच लिंग उसकी मुट्ठी से बाहर था !

लिंग के ऊपर इतनी मोटी खाल उसे अपने हाथ में लेकर ही मधु मदहोश होने लगी उसकी योनि से रस बहने लगा

और उसने अपने होठों को थोड़ा सा आगे करते हुए लिंग के मुख मंडल पर एक जोर की फूक मारी और वीर का लिंग मधु किसानों का स्पर्श पाते ही एकदम से और तन आ गया एकदम से लिंग के अंदर हलचल सी हुई अचानक से लिंग के ऊपर कुछ नशे उभरकर मचलने लगी . उसकी काली नशे ऐसे मचल रही थी जैसे किसी चंदन के पेड़ के ऊपर कोई नाग लिपटा हुआ हो

लिंग की नसों की हलचल मधु अपने हथेली में महसूस कर रही थी उसने अपने अंगूठे और उंगलियों की मदद से लिंग की मोटी खाल को हल्का सा नीचे किया.

आगे का नजारा देखकर मधु की सांसे इतनी तेज हो गई जो उसके लिए के लिए बाबू करना लगभग नामुमकिन सा था लाल गाजर की तरह उसके लिंग की टोपी सलामी दे रही थी और लिंग की खाल नीचे खींचने की वजह से टोपी के ठीक नीचे एक रिंग सा खाल का बना हुआ था

लिंग से निकलने वाली मादक खुशबू मधु को और मादकता की तरफ धकेल रही थी उसकी योनि काम रस बढ़ाने लगी थी उसका सीना जोर जोर से सांस लेने के कारण अंदर बाहर हो रहा था मधु ने लिंग को चूमने का प्रयास करने ही वाली थी कि इतनी देर में वीर की आंख खुल गई

अगले भाग में हम जानेंगे कि क्या हुआ

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