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वीर का चेहरा मधु की टीशर्ट के अंदर था ! और मधु के दोनों हाथों की उंगलियां वीर के सर के बालों में जकड़े हुए थी ! वीर कि सांसे लगातार मधु के पेट पर ऐसे मादक प्रहार कर रही थी जैसे किसी सूखे पड़े हुए मरुस्थल पर रुक रुक कर बारिश की फुआर  पड़ रही हो !!!

मधु की उंगलियों के पकड़ बता रही थी कि मधु के अंदर का तूफान किस कदर हावी हो रखा है ! मधु की तेज चलती हुई सांसों के बीच उसकी धीमे-धीमे सिसकारियां वीर को और उत्तेजित कर रही थी !

वीर ने अपना चेहरा टी-शर्ट के अंदर ही थोड़ा सा और ऊपर की तरफ एक झटके के साथ बढ़ा दिया ! और इस एक झटके ने जैसे मधु के अंदर तूफान सा ला दिया !!!

मधु  ने प्रत्युत्तर में अचानक से वीर के बालों को जोर लगाकर खींचा  ! और  प्यार की मधुर सिसकारी भरी आवाज में मधु के होठों से " वीर प्लीज रुक जाओ ना " 

जैसे ही वीर ने नाभि से थोड़ा सा ऊपर उसकी नरम गद्देदार त्वचा को अपने दांतों में लिया और दांतों के बीच में आई हुई खाल पर अपनी जीभ का घर्षण करने

और मधु के मुख से " सी  .... आह  वीर र र र  आह वीर र र रवीर र र र आह आह  वीर र र र वीर र र वीर र र र    वीर र र र"

मधु की तपती हुई जिस्म के ऊपर वीर के गीले होंठ कयामत ढा रहे थे ऐसा लग रहा था कि तपते हुए मरुस्थल में आज पहली बार बारिश के छींटे पड़े हो !

मधु के नाभि से उड़ती हुई मादक सुगंधित खुशबू वीर को अत्यधिक उत्तेजित कर रही थी ! जैसे बारिश के बाद किसी सुगंधित फूल से आते हुए खुशबू का वर्णन शब्दों में किया जाना बेहद मुश्किल है ! 

वीर की हल्के हल्के दाढ़ी मधु के पेट पर रेंगने लगी ! वीर की दाढ़ी का एक एक बाल मधु के पेट पर छोटे से छोटे रोए को तूने लगा था और खेल रहा था !

मधु ने अपनी गर्दन कामवासना से वशीभूत होकर थोड़ा सा पीछे की तरफ झुका ली और उसके खुले हुए बाल उसके नितंबों को छू रहे थे वीर ने बिना किसी देर किए हुए उसके बालों को अपनी हथेलियों से उसकी कमर पर दवा लिए !

अब मधु को अपनी गर्दन को सीधा कर पाना मुश्किल सा था की गर्दन पर खिंचाव बढ़ता ही जा रहा था

सी  .... आह  वीर र र र  आह वीर र र रवीर र र र आह आह  वीर र र र वीर र र वीर र र र    वीर र र र"सी  .... आह  वीर र र र  आह वीर र र रवीर र र र आह आह  वीर र र र वीर र र वीर र र र    सी... सी .. आह वीर र र र"

मधु को इस दर्द में भी मजा आ रहा था उसके पूरे शरीर का रोम रोम के अंदर थीरकन पैदा हो गई थी ! ऐसी ऊर्जा का समावेश आज तक मधु के जीवन काल में कभी नहीं हुई थी

वीर ने इस बार उसके पेट की नाजुक मुलायम रूई जैसी खाल को अपनी उंगलियों से इकट्ठा किया और उस को चूमने का प्रयास करने लगा और इसी प्रयास के अंतर्गत उसके मुंह से लार की एक बूंद उसकी नाभि से 2 इंच ऊपर लगभग  गिरी

सी  .... आह  वीर र र र  आह वीर र र रवीर र र र आह आह  वीर र र र वीर र र वीर र र र    वीर र र र"सी  .... आह  वीर र र र  आह वीर र र रवीर र र र आह आह  वीर र र र वीर र र वीर र र र    सी... सी .. आह वीर र र र"

मधु ने अपनी दोनों टांगे एक दूसरे से सटाकर अपने पेट के ऊपर बढ़ती हुई लहरों को वीर कि छाती पर रगड़ने का प्रयास किया जिसमें वह पूर्ण रूप से सफल हुई ! 

अब हर एक सांस के साथ मधु अपने नितंबों को थोड़ा सा हिलाती और उसके पेट के ऊपर से उमड़ती हुई लहरें वीर की छाती पर घर्षण पैदा करती !

.... आह  वीर र र र  आह वीर र र रवीर र र र आह आह  वीर र र र वीर र र वीर र र र    वीर र र र"सी  .... आह  वीर र र र  आह वीर र र रवीर र र र आह आह  वीर र र र वीर र र वीर र र र    सी... सी .. आह वीर र र र"

वीर के सर के बाल मधु के उभारों के निचले हिस्से को निरंतर स्पर्श कर रहे थे ! जैसे किसी मखमल के रेशे से उसके उभार पर घर्षण हो रहा होने लगा हो !

वीर र र र वीर र र आह  वीर र र र  आह वीर र र र

वीर अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा प्लीज छोड़ दो मुझे !

अब वीर का निशाना मधु के उभारों पर उभरे हुए मनको के ऊपर था !

वीर ने तुरंत अपना चेहरा थोड़ा सा और ऊपर कर लिया और मधु के टीशर्ट लगभग इतनी टाइट हो गई जैसे वह अब वह फटने वाली हो !

वीर की ठोड़ी से मधु का एक मनका बुरी तरीके से दब गया उस मनके के चारों ओर और मधु के मुख से एक हल्की सी सिसकारी फिर से निकल गई

वीर र र र वीर र र आह  वीर र र र  आह वीर र र र

वीर टी-शर्ट के टाइट होने के कारण अपना चेहरा तो हिला नहीं सकता था वह एक मनके को अपने मुंह के अंदर लेना चाहता था और वह दूसरा मनका बिल्कुल 1 इंच की दूरी पर था लेकिन वीर का चेहरा वहां तक पहुंच नहीं पा रहा था वीर ने अपने मुंह को खोलते हुए अपनी जीभ को बाहर निकाला लेकिन जीभ का भी सिर्फ आगे का हिस्सा मनके को छु पाने में कामयाब रहा और जैसे ही वीर की जीव  मनके को छुआ मधु के पूरे शरीर में तूफान सा आ गया .

वीर  की जीभ जैसे ही मधु के मनके पर पड़ती है उसके जीभ का अगला हिस्सा उस पर ऐसी रगड़ मारता है ! मधु के सीने की जितनी भी नशे उस् मनके के साथ जुड़ी हुई होती हैं सारी की सारी एकदम से उभर जाती हैं जैसे किसी पेड़ को चारों तरफ हिलाने से उसकी जड़ें धरती से ऊपर आ जाती है !

वीर की जीभ के ऊपर बने हुए छोटे छोटे दाने भी मधु को अपने मन के पर महसूस हो रहे थे उसके  जीभ का गिला प्रहार बढ़ता ही जा रहा था !

वीर ने अपनी जीभ को सपाट करके उस् मनके को सीने के अंदर दबाने  का पूरा प्रयास करने लगा !

मधु की सांसे इस कदर बढ़ गई उसका सीना इतना जल्दी ऊपर नीचे होने लगा जैसे उसके सीने में आंधियों का दौर चल रहा हो ! उसके सीने पर उभरी हुई हर नसे वीर की जीभ का  स्पर्श पाने के लिए आतुर थी !

लेकिन मधु के टीशर्ट इतनी टाइट हो चुकी थी तकरीर का चेहरा मधु के टी-शर्ट के अंदर था जैसा कि आपने पिछले भाग में पड़ा था !

लेकिन वीर ने अपने दोनों हाथ मधु के नितंबों पर लगाए हुए थे वह लगातार उनको सहलाए जा रहा था अचानक से वीर् ने मधु के लोवर का इलास्टिक पीछे की तरफ खींच दिया और झटके से छोड़ दिया और इसी के साथ अपने एक हाथ की उंगलियां नितंबों के अंदर रखने में कामयाब रहा

मधु के कमर पर अचानक से इलास्टिक लगने से थोड़े से दर्द की अनुभूति सी हुई जैसे किसी लहरों के बीच में नौका हिलने लगी हो ! उसके नितंबों पर वीर की उंगलियों पर जो छोटी-छोटी लाइने बनी हुई थी उनका घर्षण भी महसूस हो रहा था 

वीर की मध्य उंगली का नाखून मधु को महसूस हो रहा था अचानक से वीर ने अपने नाखून को दोनों नितंबों के बीच की दरार में घर्षण करते हुए अपनी उंगली को थोड़ा थोड़ा नीचे की तरफ बढ़ाता जा रहा था

और मधु ने आवेश में आकर कभी अपने सीने को वीर के चेहरे पर जोर से रगड़ने की कोशिश करती तो अचानक वीर उसके सीने पर काट लेता

.... आह  वीर र र र  आह वीर र र रवीर र र र आह आह  वीर र र र वीर र र वीर र र र    वीर र र र"सी  .... आह  वीर र र र  आह वीर र र रवीर र र र आह आह  वीर र र र वीर र र वीर र र र    सी... सी .. आह वीर र र र"

वीर ने अचानक से दोनों नितंबों के बीच में उबले हुए गुफा के बाहर वाली त्वचा को कुरेदना शुरू कर दिया

वीर र र र नहीं...... वीर र र र रुक जाओ

वीर र र र.. आह  वीर र र र  आह वीर र र रवीर र र र आह आह  वीर र र र वीर र र वीर र र र    वीर र र र"सी  .... आह  वीर र र र  आह वीर र र रवीर र र र आह आह  वीर र र र वीर र र वीर र र र    सी... सी .. आह वीर र र र"

और अचानक से वीर की उंगली का नाखून उस गुफा के बाहर वाली त्वचा को अपने नाखून से दबाकर अपने उंगली को गोल गोल घुमाने लगा

वीर र र र नहीं...... वीर र र र रुक जाओ

वीर र र र.. आह  वीर र र र  आह वीर र र रवीर र र र आह आह  वीर र र र वीर र र वीर र र र    वीर र र र"सी  .... आह  वीर र र र  आह वीर र र रवीर र र र आह आह  वीर र र र वीर र र वीर र र र    सी... सी .. आह वीर र र र"

एक पल के लिए ऐसा लगा जैसे वह गुफा भी सांस ले रही हो मधु ने अपनी नितंबों के बीच में आनंदमई गुफा को  जोर से भिच दिया और उसके गुफा के बाहर की त्वचा पर छोटी-छोटी जो लाइने  बनी हुई थी उन पर वीर की उंगलियों की लाइनें बार-बार घर्षण कर रही थी

और इस घर्षण से एक अलग ही विद्युत उत्पाद  हो रहा था ऐसा करते करते वीर की एक उंगली मधु के नितंबों से थोड़ा नीचे उसकी जांघों के पास स्पर्श हो रही थीवीर र र र नहीं...... वीर र र र रुक जाओ

वीर र र र.. आह  वीर र र र  आह वीर र र रवीर र र र आह आह  वीर र र र वीर र र वीर र र र    वीर र र र"सी  .... आह  वीर र र र  आह वीर र र रवीर र र र आह आह  वीर र र र वीर र र वीर र र र    सी... सी .. आह वीर र र र"

इस बार दोनों के शरीरों में एक अलग ही  तूफान जन्म ले चुका था दोनों एक दूसरे के अंदर समा जाना चाहते थे अचानक से वीर ने मनके को अपने होठों में दबाकर अपनी गर्दन को पीछे की ओर खींचा और मन के पर अपने दांतों से काट दिया

और इस बार मधु चटपटा कर कर पीछे की तरफ हुई और मधु के टीशर्ट फट गई और टीशर्ट फटने के साथ ही मधु को होश आया कि वह कहां खड़ी है और क्या कर रही है और वह अचानक से अंदर कमरे की तरफ भाग गई और वीर वहां सीढ़ियों में बैठा रह गया कुछ देर इंतजार करने के बाद वीर अपने कमरे में ऊपर आ गया उसके दिलो-दिमाग पर मधु के सुगंध अभी भी छाई हुई थी एक पल के लिए उसे ऐसा लगा जैसे उसकी सांसो से भी मधु के जैसी ही खुशबू आ रही है और इतना सोच कर अपनी सोच पर मुस्कुराने लगता है

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