I am so sorry bivi,

    अब आगे .....,

     रक्तांश मुक्ता को ले कर जैसे ही हॉस्पिटल से बाहर आया तो उसका औरा एक दम से काला पड़ गया |

   क्यों की उसकी नजर सामने पार्किंग एरिया में युग के साथ बात करते खड़े देवांश पर गया था |

     देवांश खुराना ,जो रक्तांश का सगा भाई था | लेकिन फरक इतना था की रक्तांश और देवांश भले ही एक ही मां के कोक में जन्मे थे, लेकिन दोनो के बाप अलग था ,उन दोनो का खून अलग था | 

      

      रक्तांश देवांश को बेहद सर्द नजरो से घूरते हुए मुक्ता के साथ उन लोगो के ओर बढ़ने लगा | वह जैसे जैसे आगे बढ़ रहा था वैसे वैसे रक्तांश को अपने पिछले जन्म में देवांश ने जो कुछ भी उसके साथ धोखे का खेल खेला था वह याद आ रहा था | इसी आदमी ने तो उसके आंखो के सामने ही उसकी मुक्ता को मार कर जहर का इंजेक्शन इंजेक्ट किया था | वह लड़की उसकी मौत का बदला लेना चाह रही थी ,लेकिन उसे देवांश के हाथो में बुरी मौत नसीब हुई थी | 

    " अअह्ह्ह्ह रक्तांश....! "

     रक्तांश गुस्से से अपने अतीत के सारे पल याद करते आगे बढ़ ही रहा था की तभी उसके कान में मुक्ता का दर्द से करहाने की आवाज सुनाई दिया तो वह जल्दी से अपना सर घुमा कर मुक्ता के ओर देखा | 

    मुक्ता का चेहरा दर्द से भींच गया था | और वह दर्द से करहाते हुए रक्तांश के मजबूत हाथ में फसे हुए अपने हाथ को छुड़वाने की कोशिश कर रही थी | 

    वही देव को अपने सामने देख रक्तांश के अंदर गुस्से का ऐसा सैलाब सा उठ गया था | की उसे बिलकुल ध्यान ही नही रहा था, की उसका पकड़ मुक्ता के मुलायम सी हाथ पर कसता जा रहा है | वह जल्दी से मुक्ता का हाथ छोड़ते हुए कहा ,""_ I am so sorry bivi, क्या मैने तुम्हे ज्यादा दर्द दे दिया ? 

   बोलते हुए रक्तांश ने फिर से मुक्ता का हाथ पकड़ कर उसे सहलाने लगा | और ऐसा करते हुए उसके आंखो में गिल्ट साफ साफ दिखाई दे रहा था | वह अब मुक्ता को जरा भी हर्ट नही करना चाहता था, लेकिन अंजाने में ही उसने उसे हर्ट कर दिया था | 

    वही मुक्ता हैरानी से रक्तांश को ही देख रही थी | क्यों की रक्तांश को कभी भी उसके दर्द से फरक नही पड़ता था लेकिन आज पहली बार उसके दर्द को देख रक्तांश के आंखो में भी अजीब सी दर्द नजर आ रही थी ,जो उसके समझ ही नही आ रहे थे | 

    वही कार के पास युग के साथ खड़े देव का पूरा ध्यान रक्तांश और मुक्ता पर ही था | रक्तांश मुक्ता से क्या कह रहा है ? यह उसे सुनाई तो नही दे रहा था लेकिन हा रक्तांश के चेहरे के हाव भाव और मुक्ता का हाथ जिस तरह उसने पकड़ा था, वह सब देख वह ज्यादा ही हैरान लग रहा था | 

   रक्तांश और मुक्ता के शादी हुए एक हफ्ता हुआ था और इस एक हफ्ते में रक्तांश कभी भी मुक्ता को अपने करीब आने नही दिया था और नाही उसने उससे प्यार से बात करते हुए उसका कभी केयर किया था, लेकिन आज वह दोनो एक दूसरे के ज्यादा ही करीब आ खड़े थे | 

     वही युग भी यह सब नोटिस कर रहा था लेकिन वह खुश था, क्यों की उसे मान्या कभी रक्तांश के लिए सही नहीं लगती थी | 

     रक्तांश अभी भी मुक्ता का हाथ पकड़े उसे बार बार यही पूछ रहा था की उसने उसे ज्यादा हर्ट तो नही कर दिया ? तो वही मुक्ता उसका यह बदला हुआ रूप देखते ही खड़ी थी | 

    

      वह धीमी स्वर में बोली,""_ अब ठीक है | "

     रक्तांश धीरे से मुक्ता के गाल पर हाथ रख कर एक बार फिर से माफी मांगते हुए कहा ,""_ Sorry...| "

    बोलते हुए रक्तांश उसे बेहद प्यार से भी देख रहा था,मुक्ता को उसका यह केयरिंग नेचर समझ नही आ रहा था तो उसने उससे कुछ कहा नहीं | वही रक्तांश मुक्ता को ले कर युग के पास चला गया | 

   देवांश भी युग के पास ही खड़ा था | वह फिर अपने चेहरे पर झूठी कंसर्न लिए रक्तांश के करीब जा कर कहा ,""_ अब तुम्हारा तबियत कैसा है Rakta? "

      रक्तांश को देवांश का शकल देखने भी घिन्न आ रही थी | वह बेमन से अपना सर हिलाया फिर बैक सीट का डोर ओपन कर मुक्ता के ओर देख अंदर बैठने का इशारा किया | 

   मुक्ता को उससे इसका भी उम्मीद नही था | वह थोड़ी देर हैरानी से रक्तांश के और देखी,फिर चुपचाप अंदर बैठ गई | 

   

     वही युग और देवांश को भी मुक्ता जितना ही हैरान लग रहा था | उन लोगो ने अभी अभी क्या देखा ? रक्तांश ने खुद मुक्ता के लिए कार का डोर ओपन किया ? रक्तांश का एटिट्यूड,गुस्सा ,घमंड सब कहा गायब है आज ?

     युग जल्दी से जा कर पैसेंजर सीट का डोर ओपन करा ताकि रक्तांश अंदर बैठ सके लेकिन रक्तांश ने बैक सीट का डोर ओपन कर मुक्ता के बगल में ही जा कर बैठ गया | 

   युग,देव और मुक्ता तीनो ही अपने चेहरे पर हैरान भरा भाव लिए फिर से रक्तांश को देखने लगे थे ,क्यों की पिछले एक हफ्ते से रक्तांश को अगर मुक्ता के साथ ट्रैवल करना भी पड़ता  तो मुक्ता उसके कार के बैक सीट पर बैठ जाती या फिर अलग से कार में आ जाती,कभी भी रक्तांश उसे अपने बगल में बैठने नही देता था, लेकिन आज वह खुद उसके बगल में जा बैठा था | यह उन्हे ज्यादा ही अजीब लग रहा था | 

    युग को यह देख अच्छा लग रहा था तो वह हल्के से मुस्कुराते हुए जा कर ड्राइविंग सीट पर बैठ गया ,तो वही देव को यह सब बहुत ही गुस्सा दिलाने वाला था ,लेकिन उसने ज्यादा रिएक्ट नहीं किया और जा कर अपने कार में बैठ गया | 

      वही मुक्ता अभी भी रक्तांश को देख रही थी ,जो अपना सर उसके कंधे पर टिका कर उसके हाथो के उंगलियों से खेल रहा था | मुक्ता को इससे ज्यादा ही अनकंपर्टेबल फील हो रहा था लेकिन वह कुछ कह नहीं पा रही थी | या यू कहे की रक्तांश का यह बदला रूप उसे ज्यादा ही चौंका कर रख दिया था | 

    वही युग अब कार स्टार्ट कर चुका था | वह लोग हॉस्पिटल के मैन गेट अभी क्रॉस किया ही था की तभी कार में युग का फोन रिंग होने लगा | युग एक हाथ से ड्राइव करते हुए अपना फोन चेक करा,कॉल इस वक्त रक्तांश के दादाजी ऋषभ खुराना का था | 

    यह देख युग ने जल्दी से कॉल पिक कर कहा ,""_ हा दादू, हम लोगो अभी हॉस्पिटल से बाहर आए है,बस थोड़ी देर में पहुंच जाएंगे | "

    यह सुन उधर से ऋषभ ने कहा ,""_रक्तांश को फोन दो युग ....!! "

 "  जी ...!!  बोलते हुए युग ने रक्तांश के तरफ फोन बढ़ाया | 

       वही रक्तांश का औरा फिर से काला पड़ गया था | वह बेमन से युग के हाथ से फोन लिया,फिर सीधे कॉल कट कर युग से सख्ती से कहा ,""_  सीधे चंद्रा मेंशन चलो युग | " 

     " लेकिन रक्तांश..? दादू कब से तुम्हारे लिए परेशान है और तुम..? " 

फ्रंट मिरर में रक्तांश को देखते हुए युग बोलते बोलते रुक गया क्यों की रक्तांश के चेहरे के हाव भाव ज्यादा ही भिगड़े हुए लग रहे थे | 

    रक्तांश अपना सर सीट को टिका कर अपने आंखे बंद करते हुए थोड़ा सख्त टोन में युग से कहा ,""_ जितना कहा है उतना करो युग | "

     युग ने आगे बात नही बढ़ाई और कार को यू टर्न लेते हुए चंद्रा मेंशन जो रक्तांश के डैड का था ,उस ओर चल पड़ा | 

   वही उनके पीछे ही देवांश का कार था और वह युग का कार फॉलो करते हुए मेंशन के ओर ही चल रहा था | लेकिन युग को, कार को इस तरह यू टर्न लेता देख वह ना समझी में बड़बड़ाते हुए कहा ,""_ युग रक्तांश को इधर कहा ले जाना चाहता है ? "

   देवांश कार रोक कर युग को कॉल करने लगा | लेकिन युग का फोन इस वक्त रक्तांश के हाथ में था , रक्तांश ने उसके कॉल को इग्नोर करा फिर अपने बगल में बैठी मुक्ता को देखने लगा | 

   मुक्ता रक्तांश के बारे में ही सोचते हुए बाहर के ओर देख रही थी | उसे आज रक्तांश का बरताव चौका दे रहा था | उसके लिए मान्या से लड़ना,सीधे होंठो पर किस करना,प्यार से पेश आना सब कुछ उसे सोचने पर मजबूर कर रहा था |

   दूसरी तरफ.....

    खुराना मेंशन....

   मेंशन का माहौल इस वक्त ज्यादा ही परिशान भरा था | क्यों की मेंशन में सिर्फ मान्या का रोने का आवाज ही गूंज रहा था | 

  रक्तांश ने जिस तरह से उसके साथ हॉस्पिटल में बरताव किया था, उससे वह बहुत ही हर्ट हुई थी | और उतना ही उसे मुक्ता पर गुस्सा आ रहा था ,क्यों की मुक्ता के वजह से ही तो रक्तांश ने उस पर चिल्लाते हुए उसे नीचे जमीन पर गिराया था ,जैसे वह मुक्ता के सामने उसका औकात दिखा रहा हो ?

    वही ऋषभ इधर से उधर टहलते हुए बार बार युग को कॉल कर रहा था ,ताकि वह रक्तांश से मान्या के बारे में बात करे |  मान्या ने आते ही उन्हे सब कुछ बताया था की रक्तांश ने उसके साथ कैसे बरताव किया है ? कैसे वह मुक्ता का केयर कर रहा था | लेकिन ऋषिभ को उसकी बातो पर बिलकुल यकीन नही हो रहा था | 

   " शादी के बाद रक्तांश इस तरह बदल जाएंगे,मैने कभी यह सोचा नहीं था दादी,वह मेरे साथ आज ऐसे बर्ताव कर गए जैसे वह मुक्ता के साथ करते थे |" रोते हुए मान्या बार बार ऋषभ की बीवी वेदिका से कह रही थी | वेदिका को उसके लिए बहुत बुरा लग रहा था | 

   वह उसे अपने गले से लगाते हुए  बोली,""_ मान्या बच्चे,तुम्हे इतना रोने की जरूरत नही है , रक्तांश को घर आने दो हम उससे बात कर लेंगे | "

     वेदिका की बात मान्या पर कोई असर नहीं करा | वह बस रोए ही जा रही थी | वही ऋषभ युग को कॉल किए ही जा रहा था लेकिन बहुत देर बाद भी युग ने कॉल पिक नही किया तो उसने थक हार कर देवांश को कॉल करा | 

      देवांश ने दो तीन रिंग बाद कॉल पिक करा तो ऋषभ ने कहा ,""_ हेलो देव...? देव रक्तांश कहा है ? और यह युग मेरा कॉल क्यों पिक नही कर रहा है सब ठीक तो है ना ? "

     उधर से देव ने कहा ,""_ सब ठीक नज़र तो आ रहा है दादू,लेकिन कुछ ठीक नही है | "

        देव की बात सुन ऋषभ की आईब्रोज आपस में ही जुड़ गए | वह देव से पूछा ,""_ क्या मतलब है तुम्हारा ? "

   उधर से देव ने कहा ,""_ दादू, अभी हम सब चंद्रा मेंशन के आस पास है, मैं आपसे बाद में बात करता हु | "

   इतना बोल कर देव ने कॉल काटा तो वही ऋषभ के माथे पर शिकन आ गए थे | और उसके होंठो पर एक ही नाम गूंज उठा,वह था ," चंद्रा मेंशन "

    चंद्रा मेंशन.....,

        युग का कार आ कर चंद्रा मेंशन के सामने रुक गया | वही बैक सीट पर बैठे रक्तांश के चेहरे के हाव भाव ज्यादा ही नरम पड़ गए थे | और वह अपनी नजरे चारो ओर घुमाते हुए बस पूरे मेंशन को देखने लगा था | इसी मेंशन में ही तो उसका बचपन बीता था | लेकिन सालों से वह ऋषभ और वेदिका के साथ खुराना मेंशन में रह रहा था ,जिस कारण उसे ना इस मेंशन याद थी और नाही उसके मां बाप | 

     कार से बाहर आए युग ने बैक सीट का डोर ओपन करा तो रक्तांश मुक्ता के साथ बाहर आया | अब तक वहा देवांश भी पहुंच चुका था और वह थोड़ा शॉक में था की रक्तांश, खुराना मेंशन ना जा कर सीधे यहा क्यों आया है ?

    रक्तांश ने अपने तिरछी नजरों से देव को एक नजर देखा फिर मुक्ता के साथ अंदर जाने को हुआ की तभी देव आगे आ कर उसे रोकते हुए कहा ,""_ रक्तांश,तुम आज यहां क्यों आए ? तुम्हे अच्छे से पता है दादू तुम्हारा आने का कितना बेसब्री से इंतजार कर रहे है और तुम ? "

      देव को बस सामने देख कर ही रक्तांश का औरा सख्त हो गया था और ऊपर से ऋषभ का जिक्र सुन उसका खून जल रहा था | लेकिन वह अभी जल्दीबाज में कुछ नही करने वाला था | वह हर किसी से इसाब लेने वाला था बस उसे थोडा इंतजार करना था | 

  "  भाई.......? भाई आप सच में यहां आए हो  ? Omg भाई ...? "  एक लड़की ज्यादा ही एक्साइट होते हुए भाग कर रक्तांश के पास आ कर उससे लिपट गई | 

    वही उसकी यह हरकत देख मुक्ता,युग और रक्तांश के होंठो पर हल्की सी स्माइल आ गई थी | वह लड़की रक्तांश की छोटी बहन कनक थी |

  

      रक्तांश उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा ,""_ कैसी हो बच्चा ? "

    कनक रक्तांश से अलग हो कर उसे कोई जवाब देने को हुई की तभी उसकी नजर रक्तांश के सर पर किए बैंडेज पर गई | वह घबराहट भरी आवाज में पूछी ,""_ भाई ,भाई आपको यह चोट कैसे लगी ? आप आपको...?  "

    कनक परिशान हो कर रक्तांश को ध्यान से देखने लगी ,यह जानने के लिए की कही रक्तांश को और कही चोट तो नहीं लगी ? 

    तभी रक्तांश ने कहा ,""_ मैं ठीक हु कनक, बस आज सुबह छोटी सी एक्सीडेंट हुआ था और कुछ नही | "

    " लेकिन भाई...? " 

   रक्तांश के बताने पर भी कनक और पैनिक करते हुए आगे बोलने लगी,लेकिन रक्तांश उसे शांत करते हुए अंदर ले गया | उनके पीछे मुक्ता और युग भी अंदर चले गए | 

    अब वहा देवांश ही अकेला खड़ा था | उसके चेहरे के हाव भाव ज्यादा ही बिगड़े हुए थे और गुस्से से उसके हाथो की आपस में मुट्ठी तक भींच गए थे | 

     रक्तांश का यहां आना उसे बिलकुल बर्दाश्त नही हुआ था और ऊपर से कनक ने उससे बात तक नही की ,वह उसकी भी बहन थी | लेकिन कनक सिर्फ रक्तांश को ही अपना भाई मानती थी ,क्यों की रक्तांश और उसका खून एक ही था और वह दोनो एक ही बाप के बच्चे थे | 

    रक्तांश की मां शार्वी की शादी अजय खुराना से हुई थी | लेकिन देव के जन्म दिन ही अजय का मौत एक कार एक्सीडेंट में हुआ था | उसके बाद खुद ऋषभ खुराना ने शार्वि की शादी प्रणव चंद्रा से कराया | और रक्तांश और कनक प्रणव चंद्रा के बायोलॉजिकल बच्चे थे, लेकिन रक्तांश को पूरी दुनिया सिर्फ रक्तांश खुराना नाम से जाना जाते थे | 

      देव गुस्से से रक्तांश के साथ अंदर जा रही कनक को ही देख रहा था | वह फिर बड़बड़ाते हुए बोला ,""_ इस लड़की को रक्तांश के अलावा मैं कही नजर ही नहीं आता,आता भी कैसे दोनो का खून जो एक ही है,गंदा खून हूह | "

    देव हमेशा से नही चाहता था की उसकी मां दूसरी शादी करे ,जिस कारण वह चंद्रा मेंशन आता ही नहीं था  | वह ऋषभ के साथ खुराना मेंशन में रहता था और वही उसे अपना घर लगता था | देव को आज भी चंद्रा मेंशन के अंदर जाने का मन नही था तो वह वही से वापस चला गया | 

    मेंशन के अंदर ...., रक्तांश और मुक्ता को देख कर माहौल काफी खुशनुमा हो गया था | 

     रक्तांश को अपने साथ नई नवेली बीवी को घर लाया देख शार्वी की खुशी का कोई टिकाना नही था | और वैसे  रक्तांश सालो बाद उनके घर आया था और उनके बीच हमेशा से अजीब तरह का मनमुटाव भी था | 

    रक्तांश चुपचाप शार्वी को देख रहा था | वह उसकी मां थी, उससे कितना प्यार करती थी, लेकिन रक्तांश ने अपने पिछले जन्म में उन्हे हमेशा खुद से दूर रखा था | क्यों की ऋषभ ने उसके मन में शार्वीं के लिए जहर भर दिया करता था | वह ऋषभ के प्यार के जाल में ऐसे फस गया था, की उसे अपने मरते दम तक यह पहचानने में गलती हो गई थी किसका प्यार सच्चा है और किसका झूठा | 

     

     " रक्तांश....?  तुम्हे पता भी है तुम यहां कितने वक्त बाद आए हो ? " शार्वी रक्तांश के गाल पर हाथ रख अपने आंखो में आंसू लिए बोली | 

    तभी रक्तांश उनके माथे पर किस करते हुए कहा ,""_ I am sorry mom, लेकिन आप चिंता मत करिए अब मैं  यही रहने वाला हु ,और वैसे भी यह घर मेरा ही तो है | " 

     शार्वि ने जैसे ही यह सुना उसकी आंखों में अजीब सा डर नजर आने लगा | उसे यकीन नही हुआ था की रक्तांश ने उसे अभी अभी क्या कहा ? वह अब यही रहने वाला है ? 

       रक्तांश अपनी मां को ही ध्यान से देख रहा था | वह फिर जल्दी से उनके गले लगते हुए कहा,""_अरे मेरा मतलब है, मैं अब यहां रोज आता जाता रहूंगा | " 

    शार्वी थोड़ा राहत का सांस लेते हुए चुप हुई लेकिन उसका दिल अंदर ही अंदर रो उठा , क्यों की यह चंद्रा मेंशन रक्तांश का ही तो था | वह चंद्रा परिवार का असली वारिस था ,लेकिन हालत बहुत बिगड़े हुए थे | 

     थोड़ी देर शार्वी से बात करने के बाद रक्तांश की नजर किसी को ढूंढने लगे | तभी कनक ने कहा ,""_ भाई ,क्या आप डैड को ढूंढ रहे है ? "

       रक्तांश ने सर हिलाया तो शार्वी बोली,""_ प्रणव किसी क्लाइंट से मिलने दिल्ली चले गए है रक्तांश,कल तक आ जाएंगे | "

    रक्तांश ने बस सर हिला दिया ,फिर उसकी नजर मुक्ता पर गई | मुक्ता चुपचाप उसके बगल में खड़ी थी | उसकी मासूम चेहरे पर ज्यादा खुशी के भाव नही थे | लेकिन वह खामोशी से पूरे मेंशन को देख रही थी | 

    रक्तांश ने धीरे से उसे कमर से पकड़ कर अपने करीब खींचते हुए बेहद धीमी मगर भारी आवाज में कहा,""_मुक्ता..? "

     रक्तांश का इस तरह करीब खींचने से मुक्ता हैरानी से उसे देखते हुए बस इतना गुनगुनाई,""_ mmm ? "

   रक्तांश का सख्त हाथ मुक्ता के  कमर को हल्के हल्के से प्रेस कर रहा था, जिससे मुक्ता का पूरा बदन रिएक्ट करने लगा | वह अपना थूक निगलते हुए उससे अलग होने की कोशिश करने लगी ,लेकिन रक्तांश का पकड़ मजबूत था | 

   वही रक्तांश उसके आंखो में ही देख रहा था | वह बोला ,""_ तुम्हे नही लगता तुम्हे इस वक्त अपने पति के बेहद करीब रह कर ,उसका अच्छे से ख्याल रखना चाहिए ? Hm ? "

    

       मुक्ता बार बार अपने लिप को गिला करते हुए अपना थूक नींगल रही थी क्यों की रक्तांश के उंगलियां उसके कमर में ज्यादा ही हरकत कर रहे थे | और इससे उसका गला सूख रहा था | वह आस पास शार्वी ,युग और कनक को भी देख रही थी | वह तीनो आपस में कुछ बात कर रहे थे ,लेकिन मुक्ता को समझ नही आ रहा था की रक्तांश उनके सामने ही उसे इतना करीब कर  ऐसे क्यों बोल रहा है ?  वैसे रक्तांश ने बहुत ही नॉर्मल टोन में कहा था,लेकिन उसकी बात बहका देने वाला था | 

      मुक्ता धीरे से रक्तांश का हाथ अपने कमर से हटाते हुए बोली,""_ आ ,आ रक्तांश,मुझे....मुझे प्यास लगी है ,छोड़िए ना ? "

   बोलते हुए मुक्ता अपने नजरे इधर उधर दौड़ाते हुए उसका हाथ हटा रही थी,की तभी रक्तांश ने झुक कर उसके कान में धीमी आवाज में कहा ,""_ मेरे छोड़ने से तुम्हारा प्यार कैसे बुझ सकता है मुक्ता ? प्यास तभी बुझेगा जब मैं तुम्हारे बेहद करीब आऊंगा | "

    बोलते हुए रक्तांश के होंठ मुक्ता के कान को चूम रहे थे | और ऊपर से उसकी यह बेशर्म भरी बाते ? उफ्फ !मुक्ता के कान और गाल दोनो ही जलने लगे थे | और वह अपना मुंह खोले रक्तांश को ही हैरानी से देख रही थी ,यह जानने के लिए की कही उसके पति के सर पर ज्यादा गहरी चोट तो नहीं लगी है ? कही ऐसा तो नहीं की दवाई का असर सीधे उसके सर पर चढ़ रहा है ? 

     तभी उन दोनो को किसी की खांसने की आवाज सुनाई दी,तो रक्तांश और मुक्ता अलग हो कर सामने देखने लगे | सामने युग ज्यादा ही जोर से खांस रहा था | जैसे वह उन दोनो का अटेंशन पाना चाहता हो ? 

    आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए 

     " Rebirth Of My Possessive Billionaire husband "

   

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Comments

_senpai_kim

_senpai_kim

I can't stop thinking about this story. It's like the characters have become a part of me.

2024-11-27

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