D & V : Princes Beyond Royalty
Disclaimer - इस कहानी के सभी पात्र पूर्णतः काल्पनिक एवं मौलिक हैं । इसका किसी भी जीवित अथवा मृत व्यक्ति से मेल केवल एक संयोग मात्र होगा ।
इस कहानी का उद्देश्य किसी के भी विचारों धार्मिक भावनाओं को आहत करना नहीं है । ये कहानी केवल मनोरंजन के लिए लिखी गई है तो कृपया मनोरंजन की दृष्टि से ही पढ़ें ।
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रात का समय,
आसमान में काले घने बादल छाए हुए थे और रह रह कर बिजली चमक रही थी । साथ में घनघोर बारिश भी हो रही थी । इसी बारिश में वो कोई पुराने फैक्ट्री जैसी जगह थी जहां से किसी के चीखने की आवाजें आ रही थीं ।
वो चीखें बहुत ही हृदय विदारक थीं । धीरे - धीरे उन चीखों में मिला हुआ दर्द बढ़ता जा रहा था और ऐसा लग रहा था कि उस शख्स के साथ आसमान भी रो रहा है ।
उस फैक्ट्री के अंदर एक महिला और एक पुरुष आराम से सोफे पर बैठे हुए थें । महिला की उम्र 45 - 46 साल रही होगी तो वहीं पुरुष की उम्र 50 - 51 साल ।
वो दोनों आराम से बैठ कर सामने हो रहे तमाशे के मजे ले रहे थें या यूं कहें कि तमाशा किया ही इन दोनों ने था । उनके सामने एक 15 - 16 साल का लड़का एक बंधा हुआ था ।
उसके हाथ और पैर रस्सियों के जरिए दीवारों से बंधे हुए थे । अंधेरा होने की वजह से उसका चेहरा नजर नहीं आ रहा था लेकिन उसकी चीखों में उसका दर्द साफ महसूस हो रहा था ।
उसके पीछे कुछ हट्टे कट्टे आदमी खड़े थे जो उस पर कोड़े बरसाए जा रहे थे । उस लड़के के शरीर पर बहुत सारे घाव बन चुके थे और जगह जगह से खून रिस रहा था लेकिन उस महिला और उस पुरुष को इस सबसे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था ।
ऐसा लग रहा था मानो उस लड़के की चीखों से इन दोनों को सुकून मिल रहा हो ।
कुछ समय बाद वो लड़का बेहोश हो गया तो उस महिला ने खड़े होते हुए कहा, " इसकी खातिरदारी रुकनी नहीं चाहिए । "
उनके आदमियों ने हां में सिर हिला दिया तो वो आदमी भी उठ खड़ा हुआ और वो दोनों वहां से चले गए । उनके जाने के बाद उन आदमियों ने अपनी गर्दन उस लड़के की ओर घुमा ली जो बेहोश होकर झूला हुआ था ।
2 साल बाद,
सुबह का समय था जब एक लड़का आराम से सड़क पर चलता जा रहा था । उसकी उम्र कोई 17 - 18 साल के आस - पास रही होगी । उसके चेहरे पर एक अलग ही नूर था ।
उसने अपने कानों में मैग्नेटिक इयररिंग्स पहने हुए थे । उसके मुंह पर एक मास्क था । उसने सफेद रंग की शर्ट के साथ काले रंग की पैंट पहन रखी थी और साथ में एक काले रंग का ब्लेजर पहन रखा था ।
ब्लेजर की बाजुओं को उसने कोहनी तक मोड़ रखा था । उसके पैरों में सफेद रंग के स्नीकर्स थे । उसकी पीठ पर एक स्कूल बैग टंगा हुआ था ।
उसके बाएं हाथ में एक काले रंग की स्पोर्ट्स वॉच थी और दाएं हाथ में कलावा बंधा हुआ था । उसके गले में सोने के चैन जैसा कुछ दिख रहा था लेकिन बता पाना मुश्किल था कि वो चैन ही था या कुछ और ।
उस लड़के के बाल सलीके से सेट थे और उसने अपने कानों में हेडफोन पहन रखा था । उसे आस पास के लोगों से कोई मतलब नहीं था ।
वो तो बस म्यूजिक सुनते हुए, सामने की ओर देखते हुए , अपने हाथ अपने पैंट्स की पॉकेट में डाले हुए आगे बढ़ रहा था लेकिन तभी कोई उसका पैंट पकड़ कर उसे खींचने लगा ।
उस लड़के ने अपनी सर्द नजरें उस ओर घुमाईं तो वहां पर एक छोटी सी बच्ची खड़ी थी जिसकी उम्र कोई 5 - 6 साल के आस पास रही होगी ।
उसकी आंखों में आंसू भरे हुए थे । उसने मैले से कपड़े पहने हुए थे और उसके बाल भी पूरी तरह से बिखरे हुए थे । उसे देख कर उस लड़के की आंखें नॉर्मल हो गईं । उसने अपने हेडफोन उतार कर गले में लटका लिये और उस बच्ची के पास बैठ गया ।
उसने उस बच्ची के सिर पर हाथ फिराते हुए कहा, " क्या हो गया बच्चा ? आप ऐसे रो क्यों रहे हो ? "
उस बच्ची ने रोते हुए ही कहा, " भैया, बहुत जोर की भूख लगी है । कुछ खाने को दे दो । "
उस बच्ची के शब्द सुन कर उसे लड़के की आंखों में आंसू आ गए लेकिन उसने उन्हें साफ करके कहा, " ओह ! तो आपको भूख लगी है । अच्छा तो बताओ क्या खाओगी आप ? "
उस बच्ची ने मासूमियत कहा, " जो भी आप खिला दो, भैया । "
उस लड़के ने उस बच्ची के आंसू पोंछते हुए कहा, " ओ के, तो चलो, आज हम छोले भटूरे खाएंगे । क्या कहती हो ? "
छोले भटूरे का नाम सुनते ही उस बच्ची के आँखों में चमक आ गई । उसने बड़ी सी मुस्कान के साथ अपनी गर्दन हां में हिला दी तो उस लड़के ने उस बच्ची का हाथ पकड़ा और दूसरी ओर बढ़ गया ।
वो लड़का उस बच्ची को लेकर एक रेस्टोरेंट में चला गया । वो दोनों एक टेबल पर पहुंचे तो लड़के ने एक कुर्सी खींच कर उस बच्ची से कहा, " बैठो ! "
उस बच्ची ने खुद को प्वाइंट करके कहा, " मैं ! "
तो उस लड़के ने कहा, " तुम्हारे अलावा मैं किसी और को यहां लेकर आया हूं क्या ! "
उस बच्ची ने कहा, " नहीं । " तो लड़के ने कहा, " तो तुम्हें ही कहूंगा न ! "
उस बच्ची ने अपनी नजरें झुका लीं तो उस लड़के ने कहा, " अब बैठ जाओ । "
वो बच्ची उस कुर्सी पर बैठ गई और आस पास की चीज़ें देखने लगी । वो हर चीज को बड़े ही कौतूहल से देखे जा रही थी और वो लड़का उसकी हरकतों को देख कर हंस रहा था ।
तभी ना जाने उसके दिमाग में क्या आया कि उसने अपना फोन निकाला और चुपके से उस बच्ची की एक फोटो खींच कर किसी को कुछ मैसेज कर दिया ।
फिर उसने अपना फोन पॉकेट में रखा और वापस से उस लड़की को देख कर मुस्कुराने लगा । इतने में वेटर वहां आ गया ।
उस वेटर ने उस लड़के को देख कर हल्के से अपना सिर झुका दिया तो उस लड़के ने भी अपना सिर हां में हिला दिया ।
वेटर ने मेन्यू उस लड़के की ओर बढ़ाते हुए बहुत ही आदर के साथ कहा, " आप क्या लेना पसंद करेंगे सर ? "
उस लड़के ने मेन्यू लिया और कुछ चीज़ों का ऑर्डर दे दिया । ऑर्डर लेकर वेटर वहां से चला गया । उसके जाने के बाद वो लड़का फिर से उस बच्ची को देखने लगा ।
उसने उस बच्ची को देखते हुए नम आंखों के साथ अपने मन में खुद से ही कहा, " कितनी अच्छी होती है न कॉमन लोगों की लाइफ ! भले ही गरीबी हो, दुख हो, लेकिन छोटी छोटी बातों से खुशी भी तो मिल जाती है । हमें तो वो भी नसीब नहीं होती । "
थोड़ी देर बाद जब उस बच्ची ने इधर उधर देखने के बाद उस लड़के की ओर देखा तो उस लड़के ने मुस्कराते हुए कहा, " क्या हुआ, क्या देख रह थी इतनी देर से ? "
उस लड़की ने कहा, " वो, मैं कभी यहां आई नहीं हूं । "
उस लड़के ने कहा, " अब तो आ गई न ! "
उस बच्ची ने कहा, " हां ! "
उस लड़के ने कहा, " तो अब इधर उधर देखना बंद करो और खाना खाओ । "
उस बच्ची ने इधर उधर देखते हुए कहा, " पर खाना है कहां ? "
उस लड़के ने पीछे की ओर इशारा करके कहा, " वो आ रहा है । "
उस बच्ची ने अपने पीछे देखा तो वहां 4 वेटर अपने दोनों हाथों में बहुत सी डिशेज लेकर उसी ओर लेकर आ रहे थे ।
उन वेटर्स ने वो सारी प्लेटें वहां लाकर रख दीं और अपना सिर झुका कर वापस चले गए । उन प्लेटों में अलग - अलग तरह की डिशेज थीं जो शायद उस बच्ची ने कभी देखे भी न हों ।
उस बच्ची ने सारे खाने को देखते हुए एक्साइटमेंट के साथ कहा, " इतना सब कुछ, मेरे लिए ! "
उस लड़के ने उस बच्ची के गाल खींचते हुए कहा, " हां, इतना सब कुछ सिर्फ आपके लिए । "
वो बच्ची इतना सारा खाना देख कर खुश हो गई । वो जल्दी से स्प्रिंग रोल्स उठा कर खाने लगी लेकिन उसने अपने हाथ अपने मुंह के पास ही रोक लिये ।
ये देख कर उस लड़के ने कहा, " क्या हुआ ? " तो उस बच्ची ने कहा, " आप मुझसे इसके पैसे तो नहीं लोगे न ! "
उस लड़के ने हंस कर कहा, " नहीं, मैं इसके पैसे आपसे नहीं लूंगा । "
उस बच्ची ने मजे से कहा, " फिर ठीक है । "
उस लड़के ने उसके सिर पर हाथ फेर कर कहा, " तो अब खाना खाएं । "
उस बच्ची ने कहा, " हम्म ! "
और खाना खाने लगी । वो एक साथ सब कुछ खा रही थी जिससे उसका ध्यान आस पास गया ही नहीं ।
तभी उसकी नजर अपने सामने बैठे लड़के पर पड़ी तो उसने कहा, " आप क्यों नहीं खा रहे हो, भैया ? "
वो लड़का जो किसी सोच में डूबा हुआ था उस बच्ची की आवाज सुन कर होश में आया ।
उसने उस बच्ची से कहा, " मैंने खा लिया है, आप खाओ । "
इतने में उस लड़के के फोन पर कोई मैसेज आया । उस लड़के ने अपना फोन चेक किया और फिर उस बच्ची की ओर देख कर कहा, " अच्छा, आपका नाम क्या है ? "
उस बच्ची ने अपना पूरा ध्यान खाने पर रखते हुए ही कहा, " मेरा नाम खुशी है । "
उस लड़के ने अपनी भौंहें सिकोड़ कर कहा, " सिर्फ खुशी । "
खुशी ने नॉर्मली कहा, " हां, सिर्फ खुशी । "
उस लड़के ने फिर से सवाल करते हुए कहा, " और आपके मम्मी पापा ! "
उस लड़के का सवाल सुन कर खुशी के हाथ पास्ता खाते खाते रुक गए । उसने मायूसी से कहा, " मेरा कोई नहीं है । "
उस लड़के ने फिर से कहा, " तो आप रहती कहां हो ? "
खुशी ने अपने कंधे उचका कर कहा, " कहीं भी रह लेती हूं । "
उस लड़के ने टेबल की ओर थोड़ा सा झुक कर कहा, " देखो खुशी, आप किसी से भी, कोई भी झूठ बोल लो लेकिन अपने मम्मी पापा के होते हुए ये नहीं बोलना चाहिए कि वो जिंदा नहीं हैं । "
खुशी ने हिचकिचाते हुए कहा, " मैं सच बोल रही हूं, भैया । "
उस लड़के ने पीछे होकर अपनी कुर्सी पर पसरते हुए अपने हाथ बांध कर कहा, " रश्मि और विनय, यही नाम है न आपके मम्मी और पापा का । "
उस लड़के के मुंह से अपने माता पिता का नाम सुन कर खुशी को झटका सा लगा । उसके हाथ जहां के तहां रुक गए ।
उसने उस लड़के की ओर देख कर सवाल करते हुए कहा, " आपको कैसे पता, भैया ?
उस लड़के ने अपनी भौंहें उठा कर कहा, " मतलब आपने झूठ बोला था । "
खुशी ने अपनी नजरें झुका कर कहा, " सॉरी, भैया । "
उसने अपने हाथ भी पीछे खींच लिये थे इसलिए उस लड़के ने कहा, " खाना खाओ । "
खुशी ने ना में सिर हिलाते हुए कहा, " नहीं । "
उस लड़के ने थोड़ी कड़क आवाज में कहा, " मैंने कहा न, खाओ ! "
उसकी आवाज सुन कर खुशी चुपचाप अपनी नजरें झुकाए खाना खाने लगी । ये देख कर उस लड़के ने आराम से कहा, " और अब ये बताओ कि झूठ क्यों बोला । "
खुशी ने अपनी नजरें उठा कर उसकी ओर देखा तो लड़के ने आगे कहा, " और हां, इस बार सच बोलना । ठीक है ! "
खुशी ने धीरे से कहा, " हम्म ! "
उस लड़के ने सीधा होते हुए कहा, " तो चलो बताओ, झूठ क्यों बोला ! "
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कौन था वो लड़का जिसे इतनी कम उम्र में ही इतना सब कुछ झेलना पड़ रहा था ?
कौन था ये लड़का जो खुशी को खाना खिला रहा था ?
उसने उस बच्ची की फोटो क्यों खींची और किसे भेजी ?
उसे खुशी के मां बाप के बारे में कैसे पता चला ?
किसके लिए काम करते थें वो दोनों ?
इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़ते रहिए,
डी एंड वी : प्रिंसेज बियोंड रॉयल्टी
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^^^ लेखक : देव श्रीवास्तव^^^
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