अविष के दादाजी कुछ नहीं बोलते हैं वो भी अपने बेटे के साथ पीछे वाले दरवाजे के पास खड़े हो जाते हैं और वहां वेट करने लगते हैं लगभग 15 मिनट में एक सुंदर सी लड़की आती है जो देखने में काफी सुंदर थी अविष की डैड बोलते है आ गई बेटा आओ जल्दी उस लड़की को एक कमरे में भेज देते हैं जिस कमरे में ऑलरेडी बहुत सारे ब्यूटीशियन खड़ी थी अविष के डैड बोलते हैं जल्दी करो इस बच्ची को दुल्हन की तरह रेडी करो तुम लोगों के पास बहुत कम टाइम है सारी ब्यूटीशियंस हां में सर हिला देती है वो लड़की भी कुछ नहीं बोलती है और चुपचाप जाकर एक चेयर पर बैठ जाती है..
अविष के डेड मन में सोचते हैं आई नो बेटा मैं तुम्हें मजबूर करके शादी करवा रहा हूं पर क्या करूं मेरी भी मजबूरी है अगर तुम यह शादी के लिए नहीं मानती तो हमारे परिवार का नाम डूब जाता है जो मैं बिल्कुल बर्दाश्त नहीं कर पाऊंगा इसके लिए आई एम सॉरी बेटा उसके बाद दरवाजा बंद करके बाहर निकल जाते है,
दादा जी बोलते हैं अभी भी सोच लो बेटा अभी कुछ भी नहीं बिगड़ा है कम से कम उस बच्चेची के बारे में तो सोचो तुम्हें लगता है कि अविष उसे खुश रख पाएगा,
अविष के डेड बोलते हैं डोंट वरी पापा सब अच्छा होगा और ये बच्ची भी बहुत ही अच्छी है आपको तो पता ही है कितनी चुलबुली है अपने अच्छे स्वभाव से जरूर अविष के दिल में अपने लिए जगह बना ही लेंगी उसकी आप टेंशन मत लीजिए दादा जी बोलते हैं ठीक है जैसा तुम्हें ठीक लगे.
कुछ समय बाद पंडित जी के बोलने पर की शुभ मुहूर्त का समय हो गया दादाजी वहीं बैठे रह जाते हैं पर अविष के डेड अविष के कमरे में जाते हैं और दरवाजा बिना नोक किए ही अंदर चले जाते हैं
अविष के डेड बोलते हैं चलो बेटा मुहूर्त का समय हो गया है अविष भी कुछ नहीं बोलता है और चुपचाप खड़ा होकर आपने डेड के साथ चला आता है और मंडप में आकर बैठ जाता है,
थोड़ी देर में पंडित जी बोलते हैं वर आ गया है और कन्या को भी बुला लीजिए अविष के डेड अपनी वाइफ को इशारा करते हैं इशारा मिलते ही अविष कि मोम दुल्हन को लाने के लिए खड़ी हो जाती हैं उसके साथ अविष की चाची भी खड़ी होती है और दोनों मिलकर दुल्हन को लाने चली जाती हैं थोड़े देर में पायल की झंकार से पूरा हॉल गूंज उठता है..
अविष के मोम और चाची मिलकर दुल्हन को अविष के बगल में बैठा कर हट जाती हैं थोड़ी देर में सारी विधियां शुरू हो जाती है पंडित जी बोलते हैं कन्यादान के लिए दुल्हन के मां-बाप को भेजने के लिए जब दुल्हन सुनती है कि उसके मॉम डैड को बुलाया जा रहा था तो वह थोड़ा भावुक हो जाती है पर घुंघट होने के वजह से किसी को पता नहीं चलता कि दुल्हन रो रही है
अविष के मॉम डैड खड़े होकर आगे आते हैं और कन्यादान की विधि करते हैं विधि समाप्त होते ही दूसरा विधि स्टार्ट हो जाता है ऐसी करते-करते सारी विधियां समाप्त होती है
पंडित जी वर के हाथों में मंगलसूत्र देते हैं वर मंगलसूत्र लेकर दुल्हन के गले में पहना देता है
पंडित जी सिंदूर की डिब्बी आगे बढ़ा देते हैं वो उसमें से एक चुटकी सिंदूर निकालकर दुल्हन की मांग में भर देता है मांग जैसे भर कर वर अपना हाथ पीछे करता है उसे एहसास होता है कि उसके बगल में बैठी लड़की रो रही थी क्योंकि दुल्हन का आसु सीधा वर के हाथों में गिरता है जिस कारण से वर कों एहसास हो जाता है कि दुल्हन रो रही है पर वह भी कुछ नहीं बोलता हैं
पंडित जी बोलते हैं सारी विधियां समाप्त हुई आप अपने बड़े के पांव छूकर आशीर्वाद ले लीजिए वो दोनों खड़े होते हैं और सब का आशीर्वाद ले लेता है शादी समाप्त होते ही सब अपने-अपने कारों में बैठ जाते हैं वर वधू एक कार में बैठते हैं थोड़ी देर में सब की गाड़ियां मित्तल मेनशन की ओर चली जाती है
करीब 1 घंटे बाद अविष अपनी कार से उतरता है साथ में उसकी दुल्हन भी नीचे उतरती है और दोनों दरवाजे के पास आकर खड़े हो जाते हैं
अविश की मॉम आरती की थाली लेकर आती है दोनों की आरती उतार कर बड़े प्यार से दुल्हन को बोलती है बेटा अपने दाहिने पैर से इस कलश के नीचे गिराओ और अपने पैर इस आरती की थाली में रखो जैसे-जैसे और इसकी मौत बोल रही थी वैसे वैसे दुल्हन भी कर रही थी
घर में सारी विधि समाप्त होते ही अविष वहां से चला जाता है अविष को रोकने के लिए कोई कुछ नहीं बोलता है अविष के डेड अपनी वाइफ को इशारा करते हैं तो उसकी वाइफ इशारा पाते ही दुल्हन को अपने साथ ले जाती है और अविष के कमरे में बैठा देती है और वहां से निकल जाती है दुल्हन बहुत ही गौर से उस कमरे को देख रही होती हैं और जाकर सोफे पर बैठ जाती है..
अविष कि मॉम नीचे आती है और सब के साथ हॉल में बैठ जाती है अविष मॉम बोलती हैं आपको लगता है कि आपने जो किया वह सही है
अविष के डेड सब को देख कर बोलते है मेरे पास कोई और ऑप्शन नहीं था ,
अविष के चाचा जी बोलते हैं पर भैया आपको नहीं लगता कि वो बच्ची अविष के गुस्से को नहीं झेल पाएगी...
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Comments
ANIKET
wow 🎉 hai
2024-07-16
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