clash of thought's

पापा ने कहा तुम जब से बाहर निकले हो तब से मेरे लिए मुसीबत बन चुके हो। लोग क्या कहते हैं तुम्हारे बारे मे कभी सोचा है, मुझे क्या क्या सुनना पड़ता है, लोग कहते हैं तु लफुआ (lofar) के तरह निठला घूमता रहता है, मैं वहाँ तक सहन कर सकता हूँ पर अब ये पुलिस स्टेशन हमारे सहन से बहुत जयादा है बेटा..... ।

बेटा जब तुम्हे पुलिस से बुलाबा आये तो घर की इजत मिट्टी मे मिल जाती है। मैंने कहा तो मैं क्या करूँ मेरे तो इससे कोई लेना देना नहीँ है और मुझे पता है मेरे दोस्त का भी कोई रिश्ता नही होगा। पापा ने कहा देखते हैं, मैंने कहा देख लिजिये गा...।

मैं खुद हैरान हूँ आज तक कभी भी मैंने इतना लड़कपन नहीं दिखाया था। जब मैं असुरआदित्य के रूप में था तब भी नहीं।

कल मैं घर से कॉलेज के लिए निकला तो पापा ने मुझे संभल कर जाने को कहा। मैं उसके बाद घर से निकलर हॉस्टल चला आया अगले दिन, यहाँ तक तो सब कुछ ठीक था।

ऐसे ही तीन महीने और बीत गए उसके बाद पुलिस चाचा का फोन आया मैंने फोन उठाया तो बताया केस हल हो गया है और आपराधि मिल गया है। मैंने पूछा कौन है आपराधि तो कहा ये जानने के लिए हमे पुलिस स्टेशन आना होगा और हाँ अपने निठले दोस्त को भी लेके आना मैंने कहा क्या बोले पुलिस चाचा मतलब, तुम्हारे एक दोस्त को छोड़कर बाकी १४ लोग खुद ही आ जाना।

तुम्हारा एक दोस्त हमारी कस्टडी मे है। और हाँ अपने माँ और पापा को भी ले आना सबको बोल देना, उनको भी अपने माँ और पापा को ले आने को। मैंने कहा ठीक पुलिस चाचा मैं बोल दूंगा। फोन कट होगया।

मैंने अपने बाकी साथी को फोन किया तो पता चला जिसे हम समझ रहे थे वो पुलिस कस्टडी मे नहीं है, मुझे पुरा यकिन था आर्यन ही होगा पर ये तो केशव निकला। मैं बिलकुल अशमनजस मे था।

मैंने सोचा मैं ५००० बर्ष तक असुरआदित्य का शीर्षक(title) लिए हुआ था, उसका अनुभव(experience) काम नही आ रहा था। ये दुनिया हर बक्त मेरा परीक्षा ले रही थी, एक रूप मे ना होकर अलग अलग रूप में। खैर मैं क्या ही करता ,दे रहा था परीक्षा।

पांच दिन बाद मैं और मेरे बाकी साथी अपने पैरेंट्स के साथ पुलिस स्टेशन पहुंचे। पुलिस ने हम सभी के लिए चाय और समोसा का इंतजाम कर के रखा था मेरे और मेरे दोस्त के माँ ,बाप के चेहरे पर संतोष का रूप था। वहीं केशव के माँ और बाप के मुख पर दुबिधा और निराशा का रूप था।

पुलिस इंस्पेक्टर कुछ बोल पाते इसे पहले केशव के माँ और बाप ने पुलिस इंस्पेक्टर के पर पकड़ कर रोने लगे और दया की बात की कहने लगे कृपया दया कर दीजिये हमारे लड़के को हमारा एक ही लड़का है। वो आगे कुछ नहीं करेगा। कृपया कुछ करेंकरें, पुलिस ने कहा बच्चा अभी बालिक है हम कुछ नहीं कर सकते जो कर सकते हैं वो कोर्ट है। पुलिस उसके बाद उन्हें बैठाकर सारी कहानी शुरू की बताना.......

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