The situation- 2

आर्यन के माँ और पिता जी उसके हरकत से काफी गुस्सा थे, और ये सब हो रहा था बोर्ड परीक्षा से पहले, शायद उसके माँ ने उसे घर से बाहर निकालने की धमकी दी थी। ये उसके सहन से बाहर था, उसने भी वैसे ही बदला लेने की सोची और ये हरकत कर डाली बिना हमलोग से पूछे, हमारे समूह मे पंद्रह लड़के थे अब सबका खून खौल रहा था।

सिबाये हमारे अलाबे, मैं ये सोच रहा था की ये लोग इतना सोच समझ कर काम कर रहे हैं। मैं ये मनाने वाला था की, पूर्ण शक्ति के सामने सब कुछ व्यर्थ है, हमारे समूह का मुखिया तौलिक ने कहा की आर्यन को बचाने का कोई उपाए बताओ, मैंने कहा की हमलोग जाते हैं उसक लड़के के घर उसे पिट ते हैं सारा मामला रफा दफा पर तौलिक ने कहा सारा पुलिस केस अपने सर लेते हैं। और चलते हैं हैं जेल अपने और माँ, बाप का इजत साथ लेकर , उसने मुझसे कहा। मैंने सोचा की आजतक किसी ने भी मझसे ऐसे बात करने की हिम्मत नही हुआ और ये ऐसा मेसेज किया मेरे को, पर मैंने अपना गुस्सा शांत रखा और कहा और मेसेज किया बताओ ना तो क्या करना है । उसने बोला अगर आर्यन को पिटना होता तो वो उसके घर जाकर पिट देता वो हमको बस डररा रहा है।

सब लोग अपने घर मे वापस चल जाओ, वो हमारी इज्जत लेना चाहता है, जान और अंजान लोगों के बीच तो वो बोर्ड परीक्षा के दिन कुछ करेगा , अभी कोई घर से बाहर मत निकलना चाहये कुछ भी हो जाए सब पढने पर ध्यान दो जो होगा देखा जायेगा और आर्यन को कहा गया की वो तुम्हारे घर रोज दिन नौटँकी करेगा घर के आस पास बस उकसना मत वस ऐसा ही हुआ परीक्षा से बाहर निकलते ही उसपर नजर पड़ गयी जैसा कहा गया था वैसा ही हुआ। बस हमलोग पुलिस वाले के करीब हो गए, जैसे ही हाथ उठाया पुलिस ने अरेस्ट कर लिया उन सबको हमलोग फ्री थे और वो लोग जेल मे हमलोग ने बहुत अच्छा परीक्षा दिया जो फेल होने वाला लड़का था हमारे समूह मे वो भी ८५% अंक पराप्त किया हमलोग खुश हुए ।

परीक्षा का परिणाम वैसे भी दो महीने के आस पास आया था। हमलोग खुश और ये सब लडाई झगड़ा भूल चुके थे । मैं अपने आप को इस तरह से ढाल लिया था यहाँ की मत पूछो अब मैं भी लड़कों की तरह शोजने और रहने लगा था। मुझे ये सब देख कर बहुत हैरान हुआ पर जल्द ही मुझे अपने बदले की बात याद आई और मेरा चेहरा बहुत जयादा लाल हो चुका था।

मैं अपने मार्शल आर्ट को लगभग अपनी मुख्य(prime) के आधे से भी जयादा करीब आ गया था। अब मुझे कम से कम दो साल और चाहिए थे अपने मार्शल आर्ट को अपने मुख्य (prime) तक लाने मे । वो भी बस उसके शरीरिक अवस्था मे लाने को, मुझे अपने बदले की भावना ने मुझे अधीर(impatient) कर रहा था।

खैर, मेरे को लोकल कॉलेज मे एडमिशन मिल गया।एक साल बीत गए थे, मैं खुश था.... तभी मेरे पास एक दिन पुलिस का बुलाबा आया किसी जरूरी पूछ ताछ के लिए.......

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Emmanuel

Emmanuel

Wow, what a powerful story! I was totally immersed in it from beginning to end.

2024-04-10

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