Queen Of Freedom

Queen Of Freedom

Mahal ki kadi

लंदन की सुबह हमेशा की तरह धुंध से घिरी थी।

राजमहल के ऊँचे बुर्जों पर धुंध ऐसे लिपटी थी जैसे बादल ज़मीन को छूने आए हों।

चारों ओर सन्नाटा था, बस दूर से घोड़े की टापें और रथ के पहियों की चरमराहट सुनाई देती थी।

और वही महल के भीतर हाॅल में सोने के झूमर जगमगा रहे थे, दीवारों पर बहुत से राजा और रानी कि चित्र लगे हुए थे, और चारों तरफ मखमली पर्दे, और बाएं ओर डाइनिंग टेबल पर सोने और चांदी में बर्तनों में अनेको प्रकार के व्यंजन थे।इसे देखकर लग रहा है कि यह कोई स्वर्गलोक है।

पर इन सबके बीच, महल के सबसे ऊँचे कमरे में

राजकुमारी एलेना एकदम शांत और उदास अकेली बैठी थी।

उसके कमरे में हर चीज़ शानदार थी

रेशमी परदे, सोने और हीरे-जवाहरातो से जड़े पलंग, संगमरमर की मेज़ और नीले फूलों से सजा गुलदस्ता।

पर एलेना की आँखें उन चीज़ों पर नहीं थीं।

वह खिड़की के बाहर देख रही थी

जहाँ धुंध के पार दूर, आम लोगों के घरों की छोटी-छोटी चिमनियों से धुआँ उठ रहा था।

उसे हमेशा लगता था, उस धुएँ में ज़िंदगी है।

क्योंकि वहाँ लोग अपने मन से हँसते, झगड़ते, और खुशी -खुशी जीते हैं।

और यहाँ महल की दीवारों में सा नियमों से जीते हैं।

यही सब सोचते हुए राजकुमारी के आंखों में आसूं आगए।

दरवाज़ा खुला।

मिस रेबेका अंदर आईं एलेना की गवर्नेस और अनुशासन की प्रतीक।

आपकी मुस्कान कहाँ है,

महारानी? उन्होंने झिड़कते हुए कहा,

एलेना ने उसका जवाब क्या ही देती कि यह महल में एक कैदी की तरह रहना उसको नहीं पसंद।

इसलिए एलेना ने कोई जवाब नहीं दिया।

आज अख़बारों में आपकी तस्वीर छपने वाली है। सगाई से पहले आपको और भी गरिमामयी दिखना होगा।

एलेना ने आईने में खुद को देखा।

माथे पर चमकदार ताज, कंधों पर नीला गाउन, और गर्दन में मोती की माला।

सब कुछ सुंदर था - पर उसका चेहरा नहीं।

वहाँ सिर्फ़ एक थकी हुई उदासी थी।

रेबेका, उसने धीमे स्वर में कहा,

क्या कभी तुम्हें नहीं लगता कि यह सारा वैभव… एक कैद जैसा है?”

रेबेका चौंकीं।

कैद? महारानी, आप वह हैं जिनके पास सब कुछ है। लोग आपके एक दर्शन के लिए तरसते हैं, रेबेका ने कहा।

एलेना ने ठंडी साँस ली,

हाँ, पर जो सबके सामने मुस्कुरा नहीं सकती, वह भी कैद में ही है।

रेबेका ने कोई जवाब नहीं दिया।

वह बाहर चली गईं, और दरवाज़ा बंद होते ही कमरा फिर शांत हो गया।

बस दीवार की घड़ी टिक-टिक कर रही थी

हर टिक जैसे कह रही हो, “समय बीत रहा है… और तुम अभी भी वही हो।

महल के नीचे वाले हाल में नौकरों की भीड़ लगी थी।

फूलों की माला, लाल कालीन, और चाँदी के प्यालों की सजावट हो रही थी।

पुरे महल को सजाया गया था क्योंकि

तीन दिन बाद एलेना की सगाई लॉर्ड विलियम से होनी थी ।

ब्रिटिश साम्राज्य का सबसे शक्तिशाली परिवार।

लॉर्ड विलियम की तस्वीर हर अख़बार में छप चुकी थी

ऊँचा कद, सख़्त चेहरे की रेखाएँ, और ठंडी नीली आँखें।

लोग कहते थे , वह जन्म से शासक है।

पर एलेना ने जब पहली बार उसे देखा था,

उसे उसमें शक्ति नहीं, अहंकार दिखा था।

उसे याद आया -

विलियम ने उसकी तरफ़ देखकर कहा था,

हम दोनों मिलकर ब्रिटेन को और महान बनाएँगे।

तुम मेरे साथ खड़ी रहो, और इतिहास में तुम्हारा नाम अमर होगा।

एलेना ने मुस्कुराया भी नहीं।

क्योंकि उसे लगा,

उसने साथ नहीं कहा - उसने कहा मेरे साथ रहो।

यह वाक्य नहीं, आदेश था।

शाम को ड्रेसींग रूम में राजकुमारी बैठी थी,

नौकरानी लूसी उसके बाल सजा रही थी।

मिस, आपने कभी सोचा है कि अगर आप रानी नहीं होतीं तो क्या करतीं? लूसी ने कहा।

एलेना ने हल्की हँसी के साथ कहा,

शायद मैं कोई चित्रकार बनती या समुद्र की यात्राओं में निकल जाती।

लूसी ने आँखें फैल गई, पर वो तो खतरनाक है।

एलेना ने खिड़की से बाहर देखते हुए कहा,

खतरा भी तो ज़िंदगी का हिस्सा है… जो सिर्फ़ महफ़ूज़ रहना चाहती है, वो जीना भूल जाती है।

लूसी कुछ समझ नहीं पाई, पर एलेना के चेहरे पर एक गहरी चाह झलक रही थी ,आज़ादी की।

रात को महल में शाही भोज था।

सुनहरे झूमर जल उठे, हॉल में संगीत गूंज रहा था।

राजा एडवर्ड (एलेना के पिता )ने एलेना का हाथ थामकर कहा,

मेरी बेटी अब ब्रिटिश साम्राज्य की धरोहर है। यह सगाई हमारी ताकत को दुगना करेगी।

एलेना ने भीड़ में देखा - हर चेहरा हँस रहा था,

पर उसे कोई आँख सच्ची नहीं लगी।

वह वहाँ खड़ी थी, पर उसका मन बहुत दूर था ।

कहीं समंदर की लहरों के पास, जहाँ हवा अपने मन की चलती है।

उसने सोचा -क्या वाक़ई रानी वही होती है जो ताज पहने,

या वो जो अपने मन की सुने?

उसे अब वहां दमघुट रहा था, इसलिए वह खुले आसमान में जाना चाहती थी ।

इसलिए समारोह के बीच वह धीरे-धीरे हॉल से बाहर निकल गई।

किसी ने ध्यान नहीं दिया - सब राजसी दिखावे में खोए थे।

वह गलियारों से होते हुए अपने कमरे में आई।

दीवार पर अपनी माँ की पुरानी तस्वीर टंगी थी।

उसे देख कर वह अपने आंसु रोक ना पाई और फुट - फुट कर रोने लगी। उसे आज अपनी मां की याद आ रही थी। और मां के संग बिताए पलों को याद करने लगती है।तब उसे अपनी मां की बातें याद आती है। कि माँ ने एक बार उससे कहा था

जब दिल कहे कि अब और नहीं, तब अपने रास्ते पर चल देना, चाहे वो ताज से दूर ही क्यों न ले जाए।

उसकी आँखें भर आईं।

और अपना हीरे-जवाहरात,गाॅऊन को निकाल दिया, और एक साधारण सा पोशाक पहन ली।

उसने ताज उतारा और मेज़ पर रख दिया।

ताज की चमक कमरे में बिखर गई,

पर अब वह बोझ नहीं था — मुक्ति का प्रतीक बन चुका था।

महल में एक गुप्त रास्ता था ,जिसे बहुत कम लोग जानते थे।

एलेना की माँ ने बचपन में एक बार दिखाया था।

वह रास्ता पीछे की बगिया से निकलकर पुराने अस्तबल तक जाता था।

वहाँ से शहर की सड़कों तक पहुँचा जा सकता था।

उसने जल्दी-जल्दी एक छोटी थैली में ज़रूरी चीज़ें रखीं।

थोड़े सिक्के, अपनी माँ की एक अंगूठी, और एक छोटा-सा नोटबुक।

वह चाहती थी, अगर कभी लौटे तो उस नोटबुक में अपने असली जीवन की कहानी लिखे।

वह उस गुप्त रास्ते से निकल कर बगिया में पहुंच जाती हैं।

थॉमस उसका पुराना मित्र और सेवक — पहले से तैयार था।

जब वह बगिया में पहुँची, थॉमस वहाँ खड़ा था, घोड़े की लगाम थामे।

महारानी, क्या आप सच में जा रही हैं?थाॅमस ने कहा।

हाँ थॉमस, एलेना ने शांत स्वर में कहा,

मैं अपने लिए नहीं, अपने दिल की सच्चाई के लिए जा रही हूँ।

थॉमस की आँखें नम थीं।

लोग कहेंगे आपने पागलपन किया है,थाॅमस ने कहा।

एलेना मुस्कुराई,

शायद सच्ची आज़ादी हर युग में पागलपन ही कहलाती है।

घोड़ा तैयार था।

महल की बत्तियाँ पीछे रह गईं,

और आगे धुंध में घुली सड़क — जैसे किसी अनजान सफ़र का बुलावा दे रही हो।

बारिश तेज़ हो चुकी थी।

घोड़े की टापें पत्थर की सड़कों पर गूंज रही थीं।

एलेना के चेहरे पर बारिश की बूँदें गिर रही थीं, पर उसे लगा जैसे हर बूँद उसे आज़ाद कर रही हो।

पहली बार, उसके बाल हवा में खुले थे।

पहली बार, उसके चेहरे पर मुस्कान थी — नकली नहीं, सच्ची।

भीग रहे हैं मेरे कपड़े, और धुल रहे हैं सारे दर्द पुराने,

शायद ये बारिश ही तो है, जो आज़ादी का पैगाम लिए आए।

बारिश का यह पल उसके लिए सिर्फ़ एक मौसम नहीं, बल्कि एक नए जीवन की शुरुआत का प्रतीक बन जाता है।

शहर के लोग अपने घरों में थे, किसी ने नहीं देखा कि ब्रिटेन की राजकुमारी भाग रही है।

वह पुल पार कर समुद्र के किनारे पहुँची।

जहां दूर जहाज़ों की रोशनी टिमटिमा रही थी।

समंदर की लहरें गर्जना कर रही थीं, जैसे उसका स्वागत कर रही हों।

वह घोड़े से उतरी, रेत पर घुटनों के बल बैठी,

और आँखें बंद कर लीं।

उसने फुसफुसाकर कहा

हे ईश्वर, अगर मैं सच में अपने रास्ते पर जा रही हूँ, तो मुझे साहस देना।

लहरें उसके पैरों को छूकर लौटीं - मानो उत्तर दे रही हो,

साहस तुझमें पहले से है।

जो काले बादल आसमान में छाए हुए थे वह हट चुके थे और आसमान में हल्की - हल्की लालीमा छाई हुई थी।

सूरज उगने लगा था।

क्षितिज पर नारंगी रोशनी फैल रही थी।

एलेना ने दूर एक व्यापारी जहाज़ देखा, जो पूर्व दिशा में जाने की तैयारी में था।

उसका नाम था — Eastern Star.

थॉमस ने शांत स्वर में कहा,

यह जहाज़ भारत जा रहा है… बहुत दूर।

एलेना ने गहरी साँस ली,

तो शायद वहीं मुझे खुद को ढूँढना है।

वह नाविकों के बीच से छिपकर जहाज़ पर चढ़ गई।

पीछे मुड़कर देखा ।

महल अब बस एक धुंधला धब्बा था,

जैसे कोई सपना जिसे उसने पीछे छोड़ दिया हो।

थॉमस ने दूर से हाथ हिलाया।

उसकी आँखों में विदाई थी, पर गर्व भी।

वह जानता था — आज एलेना ने इतिहास नहीं, अपना भाग्य लिखा है।

जहाज़ की घंटी बजी,पाल खुले, और समंदर ने उसे अपनी बाँहों में ले लिया।

लहरें गरज रही थीं,

पर एलेना के भीतर शांति थी।

क्योंकि पहली बार वह राजकुमारी नहीं सिर्फ़ एक इंसान थी — जो खुद की पहचान की तलाश में निकल चुकी थी।

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