अठ्ठरंगी ‌यारी

अठ्ठरंगी ‌यारी

अध्याय १

...यह कहानी २०१९ में शुरु होती हैं, जब हम कक्षा ९वी में थे। यह कहानी मेरी और मेरे सात यारो की हैं। जो यार कम ओर सगे ज्यादा लगते हैं। ऐसे बोला जाए तो हम लोग एक जी दूसरे के लिए जान भी दे सकते हैं और पड़े तो किसी की जान भी ले सकते हैं।...

...• ~ कहानी गर्मियों के छुट्टियों में ~ •...

...लगभग अब गर्मियों के छुट्टियों का एक महीने का वक्त (अवधी ) खत्म होने आता हैं और हम लोग के अब श्रेणियों के पत्रक भी आने का वक्त भी नज़दीक आ जाता हैं। यहां मैं अपने श्रेणियों को लेकर बोहोत चिंतित होता हूं और वहा मेरे वो दोस्त (यार) लोग भी बोहोत चिंतित होते हैं। क्योंकि इस साल से हमे किसी को भी ९वी कक्षा में आसानी से जाने को नहीं मिलेगा। बोला जाए तो यूंही ८वी तक पास करने का सरकार के तरफ़ से इकरारनामा था। पर हमें यह पता नहीं था कि आगे हमें कैसे उलझनें आएगी। ...

...श्रेणी पत्रक हाथ में आने के लिए दो दिन बाकी थे और हमारी रातों की चली गईं थीं। बोला जाए तो हम खाना, पीना और रात की नींद भी भूल गए थे। यूंही बोला जाए तो हम सब कुछ भूल गए थे, जैसे की खेलना, कूदना और हंसना भी भूल गए थे।...

...मैं रात १२ बजे सोता था और सुबह सुबह ४ बजे उठ जाता था। देखते – देखते ही वो दिन भी आ गया जब हमारे पाठशाला से श्रेणी पत्रक हमारे हाथ में आने वाले थे।...

...मैंने सुबह मेरे मोबाइल चलाते हुए यूंही युट्यूब में चला गया और मैने एक शॉर्ट्स देखा, जिसमें एक भंते जी ने बताया था कि हम लोग साल भर मौज मस्ती करते हैं और बाद में हमारे पाठ्यक्रम और अध्ययन के बारे में चिंतित होते हैं। तब मैंने यूट्यूब बंद कर, एक बार उस दिन ध्यान लगाने को लगा और लगभग ३० मिनिट (आधे घण्टे) के बाद मैंने मेरी आंखे खोली।...

...मैंने देखा कि मैंने साल भर में मैंने कई बार मौज मस्ती की और वैसे ही मैने अपने पाठ्यक्रम का अध्यन भी किया। जब मैंने मेरे अंतरंग जाते देखा तो मुझे पता चला कि मैंने जितना अध्ययन किया उतना ही मैने मेरे परीक्षा के जा कर लिख आया हूं। तब मैंने मेरे दोस्तों को कॉल किया उसमे दो दोस्त ऐसे थे कि जो अलग मान्यता मानते हैं।...

...जैसे की एक यार (दोस्त) अपने जीवन में सिर्फ मौज मस्ती और आनंद से जीवन बिताता है और दूसरा यार (दोस्त) नियतिवाद को मानते हुए उसके सारे बाते नियतिवाद पर सौप दिए हैं। तो मैने मेरे अन्य दोस्तों को कॉल किया और चिंतित होने के वजह से चिंतामुक्त करने के लिए मैंने कॉल लगाया।...

...मैंने पहले मेरे एक ऐसे यार (दोस्त) को कॉल किया जो जैन मतवालों से था। उसे भी चिंता थीं और मेरे बताने के पहले से ही वो ध्यान लगाने की कोशिश करता और जैन प्रवचन सुनता था। मैने मेरे ओर एक यार (दोस्त) को कॉल लगाया, वह अपनी मान्यताओं की तरह अनुलोम और विलोम करते हुए और भगवत गीता और गुरु ग्रंथ साहिब को पढ़ते हुए अपना चिंता निसरण करते हुए दिखा। तोह मैने मेरे अन्य तीन यारो को कॉल करते हुए, वो भी कॉल कॉन्फ्रेंस में लेते हुए कॉल किए। तीनों की मान्यताएं भी अलग - अलग थीं, जैसे की कोई जीजस तोह अल्लाह को तोह कोई पारसी और यहूदी धर्म की मानने वाला था। तीनों ने भी अपने धर्मो के अनुसार आचरण करते हुए, अपने चिंता से मुक्त होने की कोशिश करने का प्रयास करते हुए दिखे।...

...और ...

...ऐसे ही हम लोगो ने हमारी संस्कृति, सभ्यता और मान्यताओं को मानते हुए चिंता से चिंतामुक्त हुए पर हमें अभी भी मन से थोड़ा - थोड़ासा डर था।...

Episodes
Episodes

Updated 1 Episodes

Download

Like this story? Download the app to keep your reading history.
Download

Bonus

New users downloading the APP can read 10 episodes for free

Receive
NovelToon
Step Into A Different WORLD!
Download NovelToon APP on App Store and Google Play