तेरी याद है आती हमें,
ऐ भारत की बेटी ।
तू बन गई दूसरी निर्भया,
अब कोई दूजी मौमिता नहीं बनेगी ।
देख कर तेरे पिता के आंसू,
हम भी हैं रो पड़े ।
तेरे खातिर ऐ भारत की बेटी,
हम सब हैं एक साथ खड़े ।
देश हो गया आजाद ये मेरा,
अठहत्तर साल हैं बीत गए ।
लेकिन कैसी है ये आजादी जो हम,
नारी रक्षा करने से चूक गए ।
थी वो भी बेटी किसी की,
उसने भी जाने कितने ख्वाब थे देखे ।
पढ़ लिख कर मेहनत से आगे बढ़ी वो,
डॉक्टर बनी, लोगों को बचाने ।
वो भी रही होगी,
मस्त चुलबुली सी एक लड़की ।
शरारतें करने की होगी आदत,
खुल कर होगी खुशियां बाँटती ।
मुस्कान उसकी थी इतनी प्यारी,
रोते हुए को भी हंसाने वाली ।
लेकिन आखिरी वक्त पर उसकी,
वो मुस्कान थी जाने वाली ।
ऊंची उड़ान भरनी थी उसको,
पंख अपने खोल कर ।
लेकिन जमीन भी उसकी छीन ली गई,
जीवन उसका लेकर ।
थी वो एक डॉक्टर जो,
औरों की जान बचाते हैं ।
पर कुछ लोग ऐसे भी हैं जो,
इंसानियत भूल जाते हैं ।
उस दिन वो थी ड्यूटी पर,
लोगों की सेवा के लिए ।
लेकिन उसे क्या पता था कि,
ये ही घातक है उसके जीवन के लिए ।
जाने कितना रोई होगी,
और कितनी होगी तड़पी वो ।
लेकिन उनका दिल न पिघला,
नोच रहे थे उसको जो ।
उसकी चीखों सुन कर,
वो दीवारें भी सहमी होंगी ।
आसमान भी रोए होंगे,
धरती भी तब कांपी होगी ।
ड्रग्स दे करके उस पर,
काबू उन सबने किया था ।
हवस अपनी मिटाने की खातिर,
उसकी इज्जत को तार तार किया था ।
इतने से भी था मन नहीं भरा उनका,
जो सांसें भी उसकी छीन लीं ।
आत्महत्या की है उसने, हॉस्पिटल ने भी
ये झूठी खबर फैला दी ।
जहां एक तरफ ये देश था डूबा,
तैयारी में आजादी के जश्न के ।
दूसरी ओर इस देश की ही बेटी को,
लपेटा जा रहा था कफ़न में ।
अब तो सिर्फ तेरी,
यादें रह गईं संसार में ।
और सारी जनता जल रही,
अग्नि में प्रतिकार के ।
कोई कर रहा है धरने अब,
तो कोई कर रहा फरियाद है ।
उनका हश्र और भी बुरा हो,
जिन्होंने उसका ये हाल किया है ।
~ देव श्रीवास्तव ✍️