चलो अब ऐसा करते है, सितारे बांट लेते है
जरूरत के मुताबिक हम सहारे बांट लेते है
मोहब्बत करने वालों की तिज़ारत भी अनोखी है
मुनाफ़ा छोड़ देते है, खसारे बांट लेते है
अगर मिलना नहीं मुमकिन तो
लहरों पे कदम रखकर अभी
दरिया ए-उल्फत के किनारे बांट लेते है
मेरी झोली में वफ़ा के फूल जितने भी है
उनको इकट्ठे बैठकर सारे के सारे बांट लेते है