अजी तन्हाई का यह कैसा सिला है!
जिससे हमें गम खूब मिला है?!
तन्हाइयों में बिखरी पड़ी ये उम्मीदे है,
जिसकी सफाई में सपनों की गिनती बड़ी हुई है।
इंसान या तो एकलौता हो जो तन्हाई से लड़े,
या फिर वह जो उसका गुलाम बन जाए।
अरे हमसे पूछे साहब, हम आपको बताएंगे
तनहाई में जीने के सारे राज़ आपके सामने खोलेंगे।
बेशुमार कहानियों की दौलत है हमारे पास।
अजी आप जरा वक्त निकालिए तो सही, हम आपके सामने भानुमती का पिटारा खोलेंगे।