वृंदावन की गलियों में, कन्हैया की छाया छाई
गोपियों के दिलों में प्रेम फूल खिलाई
ऊँचा उठा तब गिरिवर-गोविंद का ध्यान
हर मन को मोह ले गये मोहिनी मुरली के स्वर संगीत से
हे श्री कृष्णा, प्रेम के देवता
आपकी दिव्य ध्यान की महिमा अमिट है
आपका प्रेम सर्वव्यापी, आपकी कृपा अविनाशी
प्रेम की गहराई, मधुरता से भरी है
कस्तूरी की महक, बांसुरी का गीत
दिल को छू लेते आपकी लीला अद्वितीय
प्रेम भरे नूपुर, जो ताल में बजते हैं
मन को ले जाते आपकी महारास रंगीनता में
हे श्री कृष्णा, प्रेम के देवता
आपकी दिव्य ध्यान की महिमा अमिट है
आपका प्रेम सर्वव्यापी, आपकी कृपा अविनाशी
प्रेम की गहराई, मधुरता से भरी है
आपकी और ज्योति, हर पल चमकती रहे
पूरी दुनिया को ज्ञान, प्रेम से भरती रहें
हर आत्मा को दिखाएं, प्रेम का मार्ग
श्री कृष्णा, तुम हो प्रकाश की महिमा का प्रतिमंडल
हे श्री कृष्णा, प्रेम के देवता
आपकी दिव्य ध्यान की महिमा अमिट है
आपका प्रेम सर्वव्यापी, आपकी कृपा अविनाशी
प्रेम की गहराई, मधुरता से भरी है
कुरुक्षेत्र में, लड़ाई जीती आपने
प्रेम की युद्ध लड़ी, हर आत्मा को उद्धार किया
आपकी दिव्य नैनों ने प्रकट किया असली स्वरुप
हमेशा आपके प्रेम में अर्पित रहेंगे हम स्वर्गोपरांत
हे श्री कृष्णा, प्रेम के देवता
आपकी दिव्य ध्यान की महिमा अमिट है
आपका प्रेम सर्वव्यापी, आपकी कृपा अविनाशी
प्रेम की गहराई, मधुरता से भरी है
कृष्णा के प्रेम से, हमेशा भरे हृदय को
एक प्रेम ऐसा जो ना भूलेगा कोई
सागर, जिसकी गहराई अविरलता से भरी है
हे श्री कृष्णा, हमेशा बारिश करो अमृत की सीमा में।