धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश,
पहाड़ों के बीच बसा एक सुन्दर सा शहर। जिसमें पर्यटकों को का आना जाना लगा रहता है। हो भी क्यों ना इतना सुंदर जो है। कड़ाके की ठंड में पड़ती बर्फ़ इस शहर को और ज्यादा सुंदर बना देती है।
इसी शहर के पहाड़ी की दूसरी तरफ़ एक प्यारा सा घर। जिसके आस पास सिर्फ हरियाली ही हरियाली। वो घर दिखने में ना ज्यादा बड़ा ना ज्यादा छोटा था। उस घर में एक मेड जिसका नाम रोजी है। वो उस घर की देखभाल करती है।
घर के बाहर लोन में, जहां रंग बिरंगे फूल खिले हुए थे। उस लोन के सामने से बर्फ से ढका पहाड़ दिखाई दे रहा था।
उस लोन में एक लड़की जिसने ब्रश पकड़ी थी। वो कैनवास में पेंटिंग कर रही थी। हवा चलने की वजह से उसके बाल बार बार उसके चेहरे पर आ रहे थे। उसने मैसी बन बनाया। और फिर से पेंटिंग पर कलर करना शुरू कर दिया।
"ओफ्फो बेबी अब पेंटिंग बंद करो । पहले नाश्ता करलो। बाद में करना रंगना पौतना " कहते हुए रोजी हाथ में ट्रे लेते हुए वहां आई।
रोजी की बात सुन वो लड़की जोर जोर से हंसने लगी। उसने हंसते हुए कहा " आंटी इसे पेंटिंग करना कहते है । ना की रंगाई पुताई कहते हुए उसे और तेज हंसी आने लगी।
उस लड़की को हंसता देख रोजी उसे देख मुस्कराई। फिर उसके पास आकर उसके सिर पर रखकर बोली " god तुझे ऐसे ही खुश रखे। जैसे तू इस बेरंग तस्वीर में रंग भरती है। ऐसे ही कोई तेरी जिंदगी में आकर खुशियों वाले रंग भर दे।
" किया आंटी आप भी सुबह सुबह । मैं आपको ऐसे ही खुश नहीं लगती किया ? " कहते हुए उस लड़की ने ब्रश साइड में रखा। और उसके हाथ से कप ले कर चाय पीने लगी।
" वाह आंटी आपकी जितनी तारीफ करूं कम है। आप चाय मस्त बनाती हो " कहते हुए उस लड़की ने रोजी को आंख मारी।
" किया बेबी आप भी ना " शरमाते हुए बोली
" Ohhhhhh आंटी आप अब भी शर्माती हो"
फिर वह लड़की थोड़ा रुककर बोली " आपको पता है आंटी इस चाय में एक ही रंग है। पर फिर भी इसे पीते ही सुकून मिलता है।
आंटी ऐसे ही मैं अपनी जिंदगी चाहती हूं। सुकून वाली । रंग और खुशियां तो अपने आप ही आजाएंगी " कहते हुए वो लड़की खिलखिलाकर हंसने लगी।
तभी हॉर्न की आवाज आई । स्कूटी पर बैठी हुई एक लड़की थी।
" नैना चल, लेट हो जाएगा " कहते हुए श्रुति ने जोर से आवाज लगाई
" Oh shit , किया आंटी आपकी बातों की वजह मैं लेट हो गई" कहती हुई उस लड़की ने जल्दी से कप रोजी को थमाया । और पोस्टर को रोल करने लगी।
" बेबी भी ना हर वक्त जल्दी " कहती हुई रोजी ने कप लिया और अंदर चली गई।
इधर स्कूटी पर बैठी नैना ने कहा " तू पहले नही आ सकती थी । देख कितना लेट हो गया" नैना ने कलाई में बंधी घड़ी देखते हुए कहा
" अच्छा बच्चू गलती करे कोई , भरे कोई , तेरी वजह से सिर्फ तेरी वजह से मुझे जल्दी उठना पड़ा" कहते हुए श्रुति ने स्कूटी की स्पीड बड़ा दी।
" माता मुझे जिंदा पहुंचना है एक्सिबिशन में" चिल्लाते हुए नैना बोली ।
पर श्रुति ने एक ना सुनी । उसकी स्कूटी हवा से बातें करने लगी।
जिसे अभी आपने चिल्लाते हुए सुना नैना, नैना राठौर उम्र 19 साल , रंग गोरा , हाइट 5.4 इंच , उसकी सबसे ज्यादा खूबसूरत थी उसकी आंखे । उसकी आंखें sea blue eyes थी ।जो उसे यूनिक बनाती थी। तीखे नैन शक्श। किसी को भी अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए काफी है।
नैना मशहूर बिजनेस मैन अखिलेश राठौर की इकलौती बेटी। नैना की मां उसके पैदा होते ही चल बसी। जिस वजह अखिलेश जी बिजनेस में घुसते हुए चले गए। और नैना के ऊपर ध्यान कम देने लगे।
इसे देख नैना की नानी उसे अपने साथ धर्मशाला ले आई। नैना ने अपना बचपन धर्मशाला में ही बिताया । नैना का स्वभाव बचपन से ही चुलबुली , मस्तीखोर , खुशमिजाज का है। उसे दूसरों की जिंदगी में खुशियां भिखेरना अच्छा लगता है।
सब अच्छा चल रहा था की अचानक नैना की नानी का देहांत हो गया। आखिर उनकी उम्र भी हो गई थी। जिससे नैना टूट गई । उसे अपने पापा की बहुत याद आती थी। पर कोई फायदा नहीं अखिलेस को तो बस अपना काम दिखता था।
नानी के जाने के बाद रोजी ने नैना को किसी की कमी खलने नहीं थी। रोजी उसे बहुत प्यार करती । नैना रोजी के साथ मस्ती मजाक करती। जिससे नैना सब दुख भूल जाती। नैना की जिंदगी मे दो लोग बहुत अहम थे। एक तो नानी।
दूसरी उसकी बचपन की दोस्त श्रुति । जिस पर वो जान निछावर करती। दोनो ने एक साथ स्कूली कंप्लीट किया । अब दोनो साथ में कॉलेज भी जाती। नैना का ये लास्ट ईयर है।
आज नैन को आर्ट एग्जीबिशन में जाना है अपनी पेंटिंग को दिखाने के लिए । जिसके लिए थोड़ी देर पहले वो श्रुति के साथ घर से निकली।
The art gallery,
थोड़ी देर में एग्जीबिशन स्टार्ट होने वाला था। नैना ने अपनी पेंटिंग भी वही रख दी थी।
"टेंशन न ले तेरी पेंटिंग सबको अच्छी लगेगी" श्रुति ने नैना के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा। श्रुति नैना को हमेशा से ही मोटिवेट करती थी।
" क्रॉस फिंगर यार I hope इस बार सेलेक्ट हो जाए " कहते हुए नैना ने अपनी फिंगर क्रॉस कर ली ।
सुबह 11 बजे ,
आर्ट एग्जीबिशन स्टार्ट हो गया था। उस स्टूडियो के दीवार का कलर व्हाइट था। जिसमे रंग बिरंगी , खूबसूरत पेंटिंग फब रही थी। वहा मॉर्डन आर्ट पोंटिंग , हैंड मेड पेंटिंग , abstract painting वगेरह कैनवास लगे हुए थे। ज
पेंटिंग एक से बड़कर एक थी। लोग खींचे चले आ रहे थे उस आर्ट गैलरी में। वहां टूरिस्ट भी आए थे पेंटिंग देखने। ओवरऑल अच्छी खासी भीड़ हो गई थी।
नैना और श्रुति एक साइड में खड़े सारा नजारा देख रहे थे। की तभी नैना के पीछे से आवाज आई " congratulation नैना यू did इट तेरी पेंटिंग सेलेक्ट भी हो गई और किसी ने खरीद भी ली " the art and gallery ke owner रंजीत ने एक्साइटेड होते हुए नैना से कहा
पहले तो नैन को विश्वास नही हुआ। पर जब श्रुति ने उसकी कमर में चिंगोटी कटी तब उसे यकीन हुआ। उसने उछलते हुए श्रुति को गले लगा लिया ।
" ये श्रुति मेने कर दिखाया" नैना कूदते हुए बोली इस वक्त नैना और श्रुति बिलकुल छोटी बच्ची लग रही थी।
जिससे सबकी नजर उन दोनो पर चली गई । और हंसने भी लगे।
नैना ने जब सबकी आवाज सुनी तो उसने खुद को कंट्रोल किया और श्रुति को भी कंट्रोल करने को कहा।
" पर वो शक्श है कोन जिसने मेरी पेंटिंग खरीदी " नैना ने रंजीत को सवाल करते हुए पूछा
"वो देख वो है जिसने तेरी पेंटिंग खरीदी " रंजीत ने फिंगर पॉइंट करते हुए इशारा किया। जहां वो शक्श नैना की पेंटिंग को पैक करने का इंस्ट्रक्शन दे रहा था।
नैना ने उस शक्श की ओर देखते हुए उसके पास जाने लगी। उसकी पीठ इस वक्त नैना की तरफ थी।
" Excuse me, hi my name is नैना" कहते हुए नैना उस शक्श के पास जाकर खड़ी हुई।
उस शक्श ने मुड़कर नैना को देखा। जिससे उन दोनो का आई कॉन्टैक्ट हुआ।
"Hi मिस ब्यूटीफुल, I am Advik , advik khurana" कहते हुए उसने अपना एक हाथ आगे बड़ाया।
जिसे देख नैना ने भी अपना हाथ आगे बड़ा दिया।
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Milte hai next part mein,
नैना अपने सामने खड़े शक्श को देख उसमे खो गई । उसकी नज़र ही नही हट रही थी aadvik से।
Advik खुराना , उम्र 27 साल । हाइट 6 फीट , रंग गेहुंआ, दिखने में बहुत हैंडसम डैशिंग लग रहा था। उसने ब्लैक कलर की शर्ट पैंट पहनी थी। साथ में कैमल कलर का ओवरकोट। हाथ में एंटीक वॉच। वो दिखने में क्लासी लग रहा था।
नैना का कुछ रिएक्ट ना पाकर advik ने नैना के सामने चुटकी बजाई।
" कहा खो गई ब्यूटीफुल" कहते हुए advik ने नैना से handshake किया। जिसे नैना होश में आई । Advik के टच से नैना सिहर उठी।
नैना को अपनी लाइफ में पहली बार कुछ अलग फील हुआ। जिससे उसके चेहरे पर स्माइल आ गई । स्माइल करते वक्त उसके पिंक लिप्स बहुत ही खूबसूरत लग रहे थे।
वैसे कहर तो नैना भी ढा रही थी। उसने व्हाइट शर्ट , ब्लू जींस, ऊपर से ब्लैक ओवरकोट पहना था। बालों का मैसी बन बनाया था । जिससे उसके चेहरे पर लटाए आ रही थी।
"कहीं नहीं , अ आप इस शहर में अजनबी है किया? आपको आज तक इस शहर में नही देखा" नैना ने बात को पलटते हुए कहा।
"हां,मुझे घूमने का शौक है, और इस जगह के बारे में सुना था । तो बस चला आया यहां की खूसूरती देखने"
Advik ने कहा
" पर यहां आकर देखा तो यहां के लोग , इस शहर से ज्यादा खूबसूरत है" कहता हुआ advik नैना के करीब आया और चेहरे पर आ रहे बालों को कान के पीछे किया।
Advik को इतने करीब आते देख नैना के दिल की धड़कन बढ़ गई।
नैना ने जैसे तैसे खुद को सम्हाला। और advik को thanks बोला की उसकी पेंटिंग उसे पसंद आई।
Advik कुछ कहता उससे पहले उसका फोन बजने लगा। उसने कॉल पिक किया। फिर बात कर उसने कॉल कट कर दिया।
" सॉरी मिस नैना, I have to go, but I hope we meet soon" कहते हुए advik ने आंखो पर ब्लैक गोगल्स पहने और गाड़ी की तरफ जाने लगा।
नैना ने कुछ बोला नहीं । उसने सिर्फ मुश्कुराकर अपना सिर हिला दिया। उसकी नज़र अभी भी advik को देख रही थी।
ड्राइवर ने जल्दी से आकर पेंटिंग को गाड़ी की डिक्की में रखा। और advik के लिए गेट खोला। फिर ड्राइवर ने गाड़ी स्टार्ट कर दी। और इसी के गाड़ी वहा से चली गई।
नैना की नजर अभी भी वही थी जहां से थोड़ी देर पहले advik की गाड़ी निकली थी।
कुछ 5 मीन बाद
नैना मुड़कर दुबारा स्टूडियो जाने लगी । तो उसने देखा सामने श्रुति अपने दोनो हाथ बांधे खड़ी थी। जिसे देख नैना ने अपना सिर हिला दिया और उसके पास गई।
" किया हुआ ऐसे क्यों घूर रही है" नैना ने श्रुति से पूछा
" वो छोड़ ये बता किया खिचड़ी पक रही थी । हम्मम" श्रुति ने आंखे छोटी करते हुए नैना से पूछा
"अरे कुछ खास नहीं"
खास नहीं , बेटा तेरी शक्ल बता रही । तेरी उससे नजर नहीं हट रही थी। और पागलों की तरह मुश्कुराये जा रही थी"
"किया, सच में, मैं पागलों की तरह स्माइल कर रही थी। वो किया सोच रहा होगा"
" Ohh madam को कब से फिक्र होने लगी। कहते हुए श्रुति नैना को छेड़ने लगी।
कुछ देर बाद आर्ट एग्जीबिशन खत्म हो गया। श्रुति और नैना भी वहां से चली गई।
रात का वक्त,
नैना का घर,
जब से आर्ट एग्जीबिशन में नैना और advik को बात करते हुए श्रुति ने देखा था। तब से वो नैना को परेशान करे जा रही थी।
"चल ये तो बता दे नाम है किया उसका " श्रुति ने फिर से नैना को परेशान करना शुरू कर दिया । और उससे अधिक के बारे में पूछने लगी।
" Advik खुराना , अब मेरा दिमाग मत खा तू " कहते हुए नैना ने उसके मुंह पर कुशन फेका। और मुंह फुलाकर सोफे पर बैठ गई ।
जिससे श्रुति बच गई । और उसके पास आ कर बैठते हुए बोली" तुझे केसा लगा , मुझे तो बेकार लगा? कहते हुए श्रुति नैना को देखने लगी।
"श्रुति यार , रोजी आंटी देखो ना ये मुझे कब से छेड़ रही है।" नैना ने रोनी शक्ल बनाते हुए रोजी से बोला । जो उन दोनो की बातो को सुन रही थी।
"ओह बस करो श्रुति बेबी । चलो डिनर कर लो" कहते हुए रोजी ने उन्हें डाइनिंग टेबल की तरफ इशारा किया।
ऐसे ही हंसी मजाक करते सब ने डिनर किया। श्रुति अपने घर चली गई। उसका घर थोड़ी ही दूर था।
ना जाने क्यों जब से आज नैना advik से मिली थी। उसकी आंखों से नींद कोसों दूर चली गई। नैना इस वक्त बाहर झूले में बैठी थी। ठंडी हवाएं चल रही थी। पर नैना को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। उसकी नजरों के सामने आज बार बार advik का चेहरा आ रहा था।
Advik के बारे में सोचते सोचते कब नैना की आंख लग गई उसे पता ही नही चला।
अगली सुबह,
सूरज की पहली किरण नैना के सुंदर से चेहरे पर पड़ी। जिससे वो कसमसाते हुए उठी।
" मैं आज बाहर ही सो गई " कहते हुए नैना ने अंगड़ाई ली।
फिर "आ छू आ छू "करके नैना झींकने लगी।
"नैना बेबी आपको कितनी बार बोला है की बाहर मत सोया करो देखो ना लग गया जुकाम " कहते हुए रोजी आई
उसके पास बैठते हुए , उसने नैना के हाथ में एक कप रख दिया ।
जिसे नैना ने कन्फ्यूजन से देखा। फिर जैसे ही उसने कप से सिप लिया । ।
ईईईऊऊऊ "। कहते हुए नैना का मुंह बन गया।
"किया रोजी आंटी आपने मुझे फिर से ये चूहे मारने वाली दवाई पी ला दी"
"बेबी ये काढ़ा है , चूहे मारने वाली दवाई नहीं ।
" Whatever" कहते हुए नैना ने काढ़ा पिया और फ्रेश होने वाशरूम चली गई।
कुछ देर बाद त्यार होकर वो अपने कमरे से बाहर आई ।फिर उसने रोजी एंटी को बाय बोला । और श्रुति के साथ कॉलेज के लिए चली गई।
कालेज में,
क्लास अटेंड करने का बाद श्रुति और नैना कैंटीन में बैठे बातें कर रहे थे।
की तभी श्रुति को उसके पापा का फोन आया।
" Ok dad में आजाऊंगी" कहते हुए श्रुति ने अपना फोन साइड में रख दिया।
"नैना तू आज खुद घर चली जाना। मुझे डैड के ऑफिस जाना पड़ेगा । उन्होंने मुझे बुलाया है।" श्रुति ने नैना से कहा
"Ok , no problem " नैना ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया । फिर दोनो वापिस अपनी क्लासेज लेने चली गई।
शाम का वक्त,
श्रुति अपने डैड के ऑफिस चली गई। और नैना स्कूटी लेकर अपने घर के लिए चली गई।
जिसे ही नैना मेन रोड क्रॉस रही थी की तभी उसकी चीख निकल गई । और धड़ाम की तेज आवाज आई।
अब किया होगा आगे
जानने के लिए पढ़ते रहिए pain in love
रात के 8 बज रहे थे,
नैना धीरे धीरे अपनी आंखे खोलती है। उसे अपने शरीर में दर्द महसूस होता है। वो उठ कर बैठने की कोशिश करती है ।तभी उसके मुंह से दर्द वाली चीख निकल गई
" आह्ह्ह्ह मेरा पैर" नैना का हाथ अपने पैर पर चला गया जहां बैंडेज बंधा था।
तभी वो नज़र उठाकर देखती है कि वो एक कमरे में है। जो ना ज्यादा बड़ा है ना छोटा । उस कमरे का कलर ग्रे था। साइड में खिड़की थी। जिसे बाहर देख कर अंदाजा लगाया जा सकता है की अब अंधेरा हो चुका है।
नैना कन्फ्यूज होते हुए धीरे से बोली " मैं हूं कहा ? और ये कोन सी जगह है ? मेरा तो एक्सीडेंट हुआ था। फिर आह्ह्ह्ह्ह " कहते हुए नैना को फिर से अपने पैर में दर्द महसूस हुआ।
तभी उस कमरे का दरवाजा खुलता है।
" तुम उठ गई ब्यूटीफुल " कहते हुए advik नैना के पास आकर बैठ गया।
नैना ने जैसे ही उस आवाज की तरफ़ देखा । उसकी आंखें बड़ी हो गई।
रोड क्रॉस करते वक्त नैना का एक्सीडेंट advik की गाड़ी से हो गया थे जिसकी वजह से उसके पैर में ज्यादा चोट नहीं आई थी । बस मौच आई थी। घबराहट के मारे नैना बेहोश हो गई और advik उसे फॉर्महाउस ले आया । जहां वो अभी रह रहा है
उसके मुंह से तेज़ आवाज़ से निकला " आप यहां" कहते हुए वो advik को देखने लगी। जो उसका पैर देख रहा था । जिस पर सूजन आ गई थी।
" हां मैं , तुम तो ऐसे चिल्ला रही हो , जैसे भूत देख लिया हो " बोलते हुए advik ने नैना को देखा
Advik की बात सुन नैना झट से बोली "नहीं नहीं भूत नहीं, आपको अचानक से देखा तो " नैना ने अपनी आंख बन्द करली। क्योंकि advik ने नैना के पैर को हल्का सा छुआ था।
"दर्द हो रहा है " advik फिक्र करते हुए बोला ।
"हां बहुत" बोलते हुए नैना छोटे बच्चे के तरह रोनी सी शक्ल बनाने लगी।
जिससे advik के चेहरे पर स्माइल आ गई ।
"हम्मम, मैं दुबारा स्प्रे कर देता हूं, इसके बाद तुम पैन किलर खा लेना " कहता हुआ advik ने साइड टेबल पर रखी मेडिकल किट को उठाया । और वापिस नैना के पास आकर बैठ गया।
"आप स्प्रे करोगे " नैना ने धीरे से बोला
हां, ब्यूटीफुल मेरे अलावा और कोई दिख रहा है तुम्हे , तो ऑफकोर्स में ही करूंगा "advik ने उसकी आंखों में देखते हुए बोला
Advik को अपनी तरफ देखने से नैना की दिल की धड़कन तेज हो गई। उस ने जल्दी से अपनी नज़र नीचे कर ली। ताकि advik उसे देख ना पाए।
पर ना जाने क्यों नैना advik को मना नहीं कर पाई।
ये दूसरी बार था जब नैना advik से मिल रही थी। वो advik जानती ही कितना थी ।उसके लिए तो advik अजनबी था । पर फिर भी उसे advik का यूं करीब आना । उसकी आंखों में देखना , । नैना को अच्छा लगता था।
नैना advik के खयालों में गुम थी। की तभी उसके कानों में advik की आवाज आई ।
"ब्यूटीफुल दर्द हो तो बताना " कहते हुए advik बैंडेज को खोलने लगा।
Advik धीरे से बैंडेज को नैना के पैर से अलग कर रहा था। उसका पूरा ध्यान नैना के पैर पर था कि उसे दर्द बिल्कुल भी ना । तो वहीं नैना की नजर सिर्फ advik पर ।
"ब्यूटीफुल मुझे फुरसत से बाद में देख लेना अभी अपनी आंखे बाद करो । मैं स्प्रे कर रहा हूं " कहता हुआ advik ने स्प्रे अपने हाथ में ले लिया।
Advik की बात सुन नैना को शर्म आ गई। उसके गाल लाल हो गए। उसने झट से अपनी आंख बंद कर ली।
थोड़ी देर में advik ने बैंडेज कर दिया। फिर वो उठकर वाशरूम चला गया।
Advik के वाशरूम जाते ही नैना ने राहत की सांस ली ।
"नैना तू भी ना पागल है । ऐसे कोन ताड़ता है। किया सोचा रहा होगा । नहीं सोच रहे होंगे ।मेरे बारे में " कहते हुए नैना खुद से बडबडा रही थी। साथ में उसे चेहरे पर स्माइल थी।
थोड़ी देर में,
Advik वाशरूम से बाहर आकर देखता है की। नैना बेड का सहारा लेकर बैठना चाहती है। पर दर्द की वजह से वो खिसक नही पा रही थी।
"ब्यूटीफुल तुम्हारे पैर में मोच आई है राइट । उस पर ज्यादा प्रेशर मत दो । मुझे बोल देते मैं हेल्प कर देता " कहता हुआ advik नैना के पास आ गया।
नैना झट से " आप वाशरूम गए थे । तो मैने सोचा की मैं खुद" बोलते हुए नैना का दिल धक धक करने लगा । क्योंकि advik नैना के करीब आ गया था।
Advik को अपने यूं करीब देख नैना ने थूक गटक लिया। उसे advik की गर्म सांसे अपने कान पर साफ साफ महसूस हो रही थी। Advik का हाथ नैना की पीठ के पीछे था। वो पिलो को सही करने लगा।
Advik के बदन से आ रही deo की खुशबू नैना को पागल कर रही थी। उसका दिल भटक रहा था।
पता नही नैना को की सूछा वो अपने होठ advik के गाल को छूने वाली थी की
"अब ठीक है , तुम आराम से बैठो" बोलकर आरव उठा ही था। की उसकी शर्ट का बटन नैना के गले में लटके लॉकेट में अटक गया।
जिससे वो नैना के ऊपर झुक गया। दोनों की nose आपस में टच हो रही थी। Advik के ठंडे हाथ नैना के गर्म हाथों के ऊपर थे। उन दोनो के होंठ टच हो रहे थे। नैना और advik दोनों एक दूसरे की गर्म सांसे को महसूस कर पा रहे थे।
पूरे कमरे में शांति थी। की तभी उस शान्ति को चीरते हुए advik का फोन bj उठा।
जिससे वो दोनों होश में आए। नैना का तो पूरा शरीर गर्म हो गया था। उसने झट से अपना लॉकेट निकाला। और नजर दूसरी तरफ कर ली। उसकी दिल की धड़कन अभी भी तेज थी।
Advik ने बिना किसी भाव के फोन उठाया । और कमरे से बाहर चला गया।
उसके कमरे के बाहर जाते ही नैना ने अपने सीने में हाथ रख लिया "shit किया हो रहा है मुझे । अगर फोन नही बजता तो अभी हमारी किस " कहते हुए नैना गहरी सांसे लेने लगी।
फिर उसने अपना सिर headrest पर टिकाया और अपनी आंखें बंद कर ली।
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Milte hai next part mein bye
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