NovelToon NovelToon

Sath Fera- Anchahi Shadi Ka

pyar ya dhokha..

मुंबई शहर,

एक आलीशान होटल जिसे दुल्हनों के तरह सजाया गया था सजाया भी क्यों नहीं जाता आज द नंबर वन बिजनेसमैन टायकून मित्तल इंडस्ट्री के सीईओ का शादी जो था जिसके कारण हर तरफ चहल-पहल था बाहर पूरा मीडिया वालों का जमावड़ा लगा हुआ था। सारे मीडिया वाले चाहते थे की अंदर जाकर द ग्रेट बिजनेस टायकून अविष मित्तल का बस एक फोटो ले सके पर वही मीडिया वाले के सामने कई सारे बॉडीगार्ड खड़े थे जो उन्हें अंदर जाने से रोकने के लिए काफी थे। अविष आज बहुत खुश था क्योंकि अविष जिस लड़की से प्यार करता था,आज उसी लड़की से शादी होने वाली थी। अविष एक आलीशान कमरा में बैठकर अपने लैपटॉप पर कुछ काम कर रहा था तभी उसे बाहर से दरवाजा खटखटाने का आवाज आता है।

 अविष अपना लैपटॉप बगल के सोफे पर रख देता है और अंदर आने को बोलता है दरवाजा जैसे ही खुलता है एक लड़की जो वन पीस कपड़े पहन कर खड़ी थी दिखने में बहुत ही खूबसूरत मगर चेहरे से एकदम घमंडी लग रही थी। अविष एकदम खड़े होकर उस लड़की को गले लगा लेता है और बहुत ही प्यार से पूछता है,"माया तुम अभी तक रेडी नहीं हुई शादी को सिर्फ 1 घंटे बचे हैं और अभी तक तुम कपड़े तक चेंज नहीं की हो, इसी ड्रेस में शादी करने का इरादा है क्या? या दुल्हन के जोड़ा तुम्हें पसंद नहीं आया अगर पसंद नहीं आया है तो तुम मुझे बता सकती हो मैं दूसरा लहंगा अरेंज करवा दूंगा।"

माया बहुत ही घमंड से अपने हाथ से अविष को अलग धकेल देती है। अब तक उस कमरे में आविष के दादा जी जिनका नाम अर्जुन मित्तल और अविष के पिता जी जिनका नाम अंगद मित्तल दोनों उस कमरे में मौजूद होते हैं। माया एक बार तीनों को एक साथ देखती है और बड़े ही घमंड से हंसती है और बोलती है ,"प्यार? प्यार में तुमसे करूंगी अविष तुमने सोचा भी कैसे की जिस इंसान के कारण मैंने अपने डैड को खोया है उस आदमी से शादी करूंगी,नो नेवर तुम्हें बहुत घमंड है ना अपने पैसे रुतबे से तो देखो कैसे आज मैं तुम्हें उस पर से और रुतबे के घमंड को तोड़ती हूं।"

उसने आगे कहा ,"अविष ऐसा नहीं है कि मैं तुमसे प्यार नहीं करती पर जो तुमने मेरे साथ किया मेरे फैमिली के साथ किया वह बात में कैसे भूल सकती हूं? मैंने तुम्हें कितने प्यार से मना किया था तुम मान जाओ मेरी फैमिली को बर्बाद मत करो, मत करो फिर भी तुमने नहीं मानना बस सिर्फ एक कारण से वह भी क्यों क्योंकि मेरा भाई गलत था। जिसके कारण तुमने मेरे भाई को जेल भिजवा दिया मेरे डैड यह बात सहन नहीं कर आये और उन्होंने खुदकुशी कर ली और तुम्हें लगता है कि मैं तुमसे शादी कर लूंगी, तो यह कभी नहीं होगा।"

अविष थोड़ी प्यार से समझाता है,"माया तुम गलत समझ रही हो ,तुम्हारा भाई गलत था इसलिए मुझे उसे जेल डलवाना पड़ा और मुझे नहीं पता था कि तुम्हारे डैड इस बात को सहन नहीं कर पाएंगे और खुदकुशी कर लेंगे उसमें मेरी क्या गलती है तुम मेरे प्यार को इस कदर ठोकर नहीं मार सकती हो।"

माया बहुत ही घमंड से बोलती है ,"ठोकर तो अब मैं मार चुकी हूं। देखो आज शादी है और कैसे तुम्हारे पूरा मित्तल खानदान की बदनामी होगी तुम्हें भी तो पता चलना चाहिए कि जब लोग बदनाम होते हैं तो कैसा फील होता है।"

 "जो तुम्हें ठीक लगता था वह काम तुमने किया ,अब जो मुझे ठीक लग रहा है वह काम मैं करूंगी, मैं यह शादी नहीं करूंगी। " माया बहुत ही घमंड से उस कमरे से निकल कर बाहर चली जाती हैं। अविष माया का बात सोच सोच कर वहीं सोफे पर बैठ जाता है।

अविष के डैड बोलते हैं ,"मैंने तो तुम्हें पहले ही मना किया था कि तुम उस लड़की से शादी मत करो पर तुम उसके प्यार में इतने अंधे हो गए थे कि तुम्हें तो मेरा बात समझ में ही नहीं आ रहा था। अब देख लिया ना उस लड़की ने क्या किया अपने भाई और बाप का बदला उसने आज के दिन लिया क्योंकि उसे पता है आज यह शादी नहीं हुआ तो हमारी परिवार की कितनी बदनामी होगी? बदनामी तो तुम रोक लोगे पर हमारे परिवार में जो दाग लगेगा उसे तुम कैसे मिटाओगे।"

अविष कुछ नहीं बोलता है बस अपने डैड की बातों को सुनते रहता है। अविष के दादाजी बोलते हैं ,"जो होना था वह हो गया अब यह सोचो कि आगे करना क्या है क्योंकि मैं अपने परिवार को बदनाम होते हुए नहीं देख सकता इतने सालों का मेहनत बर्बाद हो जाए वह मैं सहन नहीं कर पाऊंगा।"

अविष के डैड बोलते हैं, "ऐसा कुछ नहीं होगा हम अपने खानदान की बदनामी नहीं होने देंगे मुझे पता है कि मुझे अब क्या करना है।"

उसके बाद अविष के दादाजी और अविष के डैड उस कमरे से बाहर निकल जाते हैं उस कमरे में सिर्फ अविष सोफे पर बैठा रह जाता है। अविष कोई यकीन ही नहीं हो रहा था कि जिस लड़की से पागलों की तरह प्यार करता था वह लड़की एक पल में ही उसे यू अकेला शादी वाले दिन छोड़कर चली जाएगी। कमरे के बाहर, अविष के डेड और दादाजी दोनों बाहर खड़े होते हैं दादा जी बोलते हैं ,"अब क्या करना?"

 आविष के डैड बोलते हैं ,"मुझे पता है पापा मुझे क्या करना है?"

 बोलती आविष के डैड फोन बाहर निकालते और किसी को कॉल करते हैं कुछ ही रिंग में दूसरी तरफ से कॉल रिसीव होता है और बड़े प्यार से नमस्ते अंकल बोलती है अविष के डैड बड़े ही प्यार से बोलते हैं ,"खुश रहो बेटा कुछ देर यूं ही बात करते हैं और फोन डिस्कनेक्ट हो जाता है।"

अविष के दादा जी अपने बेटे से बोलते हैं ,"तुम्हें लगता है कि जो तुम कर रहे हो वह सही है।"

 अविष के डैड बोलते हैं ,"तो आप ही बताइए कोई दूसरा ऑप्शन है आपके पास नहीं है ना मुझे जो समझ में आ रहा है मैं वह कर रहा हूं।"

 दादा जी बोलते हैं,"पर बेटा यह तो गलत होगा ना उस बच्ची के साथ अभी उसकी उम्र ही क्या है जो तुम उसे शादी के लिए फोर्स कर रहे हो यह गलत होगा उस बच्ची के साथ पापा कुछ गलत नहीं होगा सब अच्छा सोचिए सब अच्छा ही होगा।" 

shadi ka hona....

अविष के दादाजी कुछ नहीं बोलते हैं वो भी अपने बेटे के साथ पीछे वाले दरवाजे के पास खड़े हो जाते हैं और वहां वेट करने लगते हैं लगभग 15 मिनट में एक सुंदर सी लड़की आती है जो देखने में काफी सुंदर थी अविष की डैड बोलते है आ गई बेटा आओ जल्दी उस लड़की को एक कमरे में भेज देते हैं जिस कमरे में ऑलरेडी बहुत सारे ब्यूटीशियन खड़ी थी अविष के डैड बोलते हैं जल्दी करो इस बच्ची को दुल्हन की तरह रेडी करो तुम लोगों के पास बहुत कम टाइम है सारी ब्यूटीशियंस हां में सर हिला देती है वो लड़की भी कुछ नहीं बोलती है और चुपचाप जाकर एक चेयर पर बैठ जाती है.. 

 

अविष के डेड मन में सोचते हैं आई नो बेटा मैं तुम्हें मजबूर करके शादी करवा रहा हूं पर क्या करूं मेरी भी मजबूरी है अगर तुम यह शादी के लिए नहीं मानती तो हमारे परिवार का नाम डूब जाता है जो मैं बिल्कुल बर्दाश्त नहीं कर पाऊंगा इसके लिए आई एम सॉरी बेटा उसके बाद दरवाजा बंद करके बाहर निकल जाते है,

दादा जी बोलते हैं अभी भी सोच लो बेटा अभी कुछ भी नहीं बिगड़ा है कम से कम उस बच्चेची के बारे में तो सोचो तुम्हें लगता है कि अविष उसे खुश रख पाएगा,

अविष के डेड बोलते हैं डोंट वरी पापा सब अच्छा होगा और ये बच्ची भी बहुत ही अच्छी है आपको तो पता ही है कितनी चुलबुली है अपने अच्छे स्वभाव से जरूर अविष के दिल में अपने लिए जगह बना ही लेंगी उसकी आप टेंशन मत लीजिए दादा जी बोलते हैं ठीक है जैसा तुम्हें ठीक लगे.

कुछ समय बाद पंडित जी के बोलने पर की शुभ मुहूर्त का समय हो गया दादाजी वहीं बैठे रह जाते हैं पर अविष के डेड अविष के कमरे में जाते हैं और दरवाजा बिना नोक किए ही अंदर चले जाते हैं

अविष के डेड बोलते हैं चलो बेटा मुहूर्त का समय हो गया है अविष भी कुछ नहीं बोलता है और चुपचाप खड़ा होकर आपने डेड के साथ चला आता है और मंडप में आकर बैठ जाता है,

थोड़ी देर में पंडित जी बोलते हैं वर आ गया है और कन्या को भी बुला लीजिए अविष के डेड अपनी वाइफ को इशारा करते हैं इशारा मिलते ही अविष कि मोम दुल्हन को लाने के लिए खड़ी हो जाती हैं उसके साथ अविष की चाची भी खड़ी होती है और दोनों मिलकर दुल्हन को लाने चली जाती हैं थोड़े देर में पायल की झंकार से पूरा हॉल गूंज उठता है.. 

 

 

 

अविष के मोम और चाची मिलकर दुल्हन को अविष के बगल में बैठा कर हट जाती हैं थोड़ी देर में सारी विधियां शुरू हो जाती है पंडित जी बोलते हैं कन्यादान के लिए दुल्हन के मां-बाप को भेजने के लिए जब दुल्हन सुनती है कि उसके मॉम डैड को बुलाया जा रहा था तो वह थोड़ा भावुक हो जाती है पर घुंघट होने के वजह से किसी को पता नहीं चलता कि दुल्हन रो रही है

अविष के मॉम डैड खड़े होकर आगे आते हैं और कन्यादान की विधि करते हैं विधि समाप्त होते ही दूसरा विधि स्टार्ट हो जाता है ऐसी करते-करते सारी विधियां समाप्त होती है

पंडित जी वर के हाथों में मंगलसूत्र देते हैं वर मंगलसूत्र लेकर दुल्हन के गले में पहना देता है

पंडित जी सिंदूर की डिब्बी आगे बढ़ा देते हैं वो उसमें से एक चुटकी सिंदूर निकालकर दुल्हन की मांग में भर देता है मांग जैसे भर कर वर अपना हाथ पीछे करता है उसे एहसास होता है कि उसके बगल में बैठी लड़की रो रही थी क्योंकि दुल्हन का आसु सीधा वर के हाथों में गिरता है जिस कारण से वर कों एहसास हो जाता है कि दुल्हन रो रही है पर वह भी कुछ नहीं बोलता हैं

पंडित जी बोलते हैं सारी विधियां समाप्त हुई आप अपने बड़े के पांव छूकर आशीर्वाद ले लीजिए वो दोनों खड़े होते हैं और सब का आशीर्वाद ले लेता है शादी समाप्त होते ही सब अपने-अपने कारों में बैठ जाते हैं वर वधू एक कार में बैठते हैं थोड़ी देर में सब की गाड़ियां मित्तल मेनशन की ओर चली जाती है

 

करीब 1 घंटे बाद अविष अपनी कार से उतरता है साथ में उसकी दुल्हन भी नीचे उतरती है और दोनों दरवाजे के पास आकर खड़े हो जाते हैं

अविश की मॉम आरती की थाली लेकर आती है दोनों की आरती उतार कर बड़े प्यार से दुल्हन को बोलती है बेटा अपने दाहिने पैर से इस कलश के नीचे गिराओ और अपने पैर इस आरती की थाली में रखो जैसे-जैसे और इसकी मौत बोल रही थी वैसे वैसे दुल्हन भी कर रही थी

घर में सारी विधि समाप्त होते ही अविष वहां से चला जाता है अविष को रोकने के लिए कोई कुछ नहीं बोलता है अविष के डेड अपनी वाइफ को इशारा करते हैं तो उसकी वाइफ इशारा पाते ही दुल्हन को अपने साथ ले जाती है और अविष के कमरे में बैठा देती है और वहां से निकल जाती है दुल्हन बहुत ही गौर से उस कमरे को देख रही होती हैं और जाकर सोफे पर बैठ जाती है..

 

अविष कि मॉम नीचे आती है और सब के साथ हॉल में बैठ जाती है अविष मॉम बोलती हैं आपको लगता है कि आपने जो किया वह सही है

अविष के डेड सब को देख कर बोलते है मेरे पास कोई और ऑप्शन नहीं था , 

अविष के चाचा जी बोलते हैं पर भैया आपको नहीं लगता कि वो बच्ची अविष के गुस्से को नहीं झेल पाएगी...

taani ki pahli rasoi....

अविष के डैड बोलते हैं कि बच्ची बहुत अच्छी तरीके से सब कुछ हैंडल कर लेगी

अविष के दादा जी बोलते हैं ठीक है बच्चों जाओ और सब आराम करो सब हा बोल कर अपने-अपने कमरों में चले जाते हैं

रात 11:00 बजे तानी बिस्तर पर सो रही होती है अचानक जोर से दरवाजा खोलता है जिसके कारण तानी की नींद खुल जाती है सामने देखती है तो सामने अविष खड़ा होता है जो देखने में ही लग रहा था कि ड्रिंक ज्यादा करके बैठा हुआ है

अविष लड़खड़ाते हुए तानी के पास खड़ा हो जाता है अविष को होश भी नहीं रहता है कि वो क्या कर रहा है और अचानक से तानी को बिस्तर पर पुश करता है और तानी के ऊपर आकर लेट जाता है

अविष जबरदस्ती तानी के ऊपर लेट कर तानी को फोर्सफुली किस करने लगता है तानी को एहसास होता है कि अविष उसके साथ जबरदस्ती कर रहा है तो तानी अपने हाथों से अविष को धक्का मार कर अपने ऊपर से हटाने की कोशिश करती हैं जिसके कारण अविष को और गुस्सा हो जाता है और जोर से तानी के होठों को वाइट करने लगता  है

अविष तानी के होठों को छोड़ कर तानी के गर्दन को और कॉलरबॉर्न ब्रेस्त पर किस करने लगता और जोर से बोलता हैं मैंने तुम्हें मना किया था ना कि शादी  मत करो मैंने तुम्हें मंडप में क्लियर कर दिया था कि तुम यहां से उठकर चली जाओ पर तुमने मेरी एक बात नहीं सुनी और तुमने मुझसे शादी कर ली तो अब सजा तो तुम्हें जरूर मिलेगी तानी रोते हुए बोलती है प्लीज छोड़िए हमें दर्द हो रहा है अविष गुस्से में बोलता है तुम्हें दर्द हो रहा है तुम इस दर्द को डीजव करती हो

अविष गुस्से में सब कुछ भूल चुका था कि तानी को दर्द हो रहा है और गुस्से में ही तानी को और ज्यादा तकलीफ पहुंचा रहा था

तानी का रो रो कर बुरा हाल हो चुका था तानी जोर से अब अविष को धक्का देती है तानी गुस्से से जोर से बोलती है बस कीजिए आपने क्या समझ रखा है शादी हुआ है तो क्या आप मेरे साथ जबरदस्ती फिजिकल हो सकते हैं तो यह गलत बात है दूर हट जाइए तानी जोर से अविष को धक्का देती हैं

अविष संभल नहीं पाता है और नीचे गिर जाता है, अविष गुस्से में खड़ा होता है और तानी के हाथ को जोर से पकड़ कर एकदम अपने आप में चिपका लेता है उन दोनों को देखने से लग रहा था कि 1 इंच भी हवा नहीं जा सकता था वैसे अविष तानी को चिपका हुआ था

 

अविश गुस्से में बोलता है मैंने तुम्हें बोला था कि  मंडप मुझे तुम शादी मत करो इस मंडप से उठकर चली जाओ

तानी भी जोर से हाथ झटक देती है और बोलती है तो सिर्फ़ आप मजबूर थे शादी के लिए हम भी इतना ही मजबूर थे इस शादी को निभाने के लिए आपको क्या लगता कि हम आपसे शादी करने के लिए मरे जा रहे थे  तो है नहीं अगर अंकल की, इतना ही बोल कर तानी चुप हो जाती है अविष बोलता है क्या आगे बोलो, 

 

तानी कुछ नहीं बोलती है और चुपचाप बालकनी की ओर चली जाती है बालकनी में लगे सोफे पर आकर तानी बैठ जाती है और अपने आप को खुद में समेटे रोने लगती है

अविष देखता है कि तानी अब बालकनी में तो अविष् भी चुपचाप बिस्तर पर लेट कर सो जाता हैं थोड़ी देर में अविश गहरी नींद में सो जाता है इधर बालकनी में तानी रोते रोते हैं सोफे पर सो जाती है

अगली सुबह तानी के नींद ठंडी हवाओं के कारण खुल जाता है तानी उठकर बालकनी से रूम में जाती है तो देखती है कि  अविष अभी सो रहा है

तानी अपने बैग्स में से एक रेड कलर की नेट की साड़ी निकलती है और फ्रेश होने के लिए वॉशरूम में चली जाती है थोड़े देर में तानी फ्रेश होकर आती है और आईने के सामने खड़ी हो जाती है

तानी जो अपने साडी़ को ठीक कर रही होती हैं तो देखती है कि उसके गर्दन पर लाल निशान पर चुके है तो तानी जैसी हि उसे टच करती है तो उसे दर्द का एहसास होता है जिसके कारण ना चाहते हुए भी तानी के आंखों  में आंसू आ जाता है पर अपने आपको संभाल कर जल्दी से रेडी होकर नीचे चली जाती है

अविष जो पहले ही उठ चुका था अविष तानी  की हर एक हरकत को देख रहा था पर कुछ नहीं बोलता  है वह भी उठ कर बैठ जाता है

अविष को रात की हर हरकत याद था जिसके करना  न चाहते हुए भी अविष के आंखों में गुस्सा नजर आ रहा था अविष भी  उठकर वॉशरूम चला जाता और थोड़ी देर में वह भी फ्रेश होकर नीचे चला जाता है

अविष जब नीचे आता है तो देखता है कि सभी डाइनिंग टेबल पर बैठे हुए होते हैं अविश भी आकर एक चेयर पर बैठ जाता है

थोड़ी देर में तानी सबको नाश्ता सर्व कर रही होती है आज तानी का पहला रसोई था जिसके कारण तानी ने मीठे में खीर बनाया होता है

तानी सबको नाश्ता सर्वे कर ही रही होती है तो अविष के  डैड बोलते हैं बेटा सर्व करने के लिए तो सर्वेंट है तुम भी बैठ जाओ

तानी कुछ नहीं बोलती है और चुपचाप अविष  के बगल वाली चेयर पर जाकर बैठ जाती है,

अविष के दादा जी जैसे खिर को खाते हैं तो बड़े प्यार से बोलते हैं वाह बेटा क्या खिर बनाया है तुमने बहुत ही स्वादिष्ट है

तानी उनके बात पर मुस्कुरा देती है और कुछ नहीं बोलती है सभी परिवार वाले खिर को खाते हैं तो वाकई में सब को खीर बहुत पसंद आता है जिसके कारण सब तानी की तारीफ कर रहे थे

अविष कुछ नहीं बोलता है और शांति से अपना नाश्ता कर रहा होता है अविष खीर को हाथ भी नहीं लगाता है और सिर्फ अपना वेजिटेबल सूप को फिनिश करके उठ जाता हैं और अपने ऑफिस के लिए निकल जाता है

 

Download MangaToon APP on App Store and Google Play

novel PDF download
NovelToon
Step Into A Different WORLD!
Download MangaToon APP on App Store and Google Play