Mafia Little Innocent Bride

Mafia Little Innocent Bride

Mafia ki innocent bride chapter 1

रात का आसमान जैसे किसी दर्द को अपने अंदर छिपाए बैठा था।

बारिश की बूँदें धीरे-धीरे ज़मीन पर गिर रही थीं — जैसे किसी अधूरी कहानी की हर पंक्ति पर स्याही टपक रही हो।

शहर के बाहरी इलाके में, पुराने गोदाम के भीतर गोलियों की गूंज अब भी थमी नहीं थी।

धुएँ, चीख़ और बारूद के बीच — दो लोग अपनी आख़िरी साँसें ले रहे थे।

“भाई… मत बोलो कुछ, मैं तुम्हें यहाँ से निकाल लूंगा…”

वह काँपती आवाज़ उस जवान लड़के की थी जो अपने घायल दोस्त को गोद में लिए बैठा था।

उसके चेहरे पर खून, आँखों में डर और होंठों पर सिर्फ एक नाम था —

“आर्या…”

“वादा करो…” घायल आदमी ने काँपते हुए कहा, “मेरी… बहन… आर्या का… ख़याल रखना… वह बहुत मासूम है… उसे… इस अंधेरी दुनिया से दूर रखना…”

“तू बस साँस ले, मैं सब संभाल लूँगा…”

लेकिन अगले ही पल उस दोस्त की पलकों पर जो ठहराव आया, वह वक़्त के लिए भी एक सन्नाटा बन गया।

गोदाम की दीवार से टिके उस आदमी की आँखें बंद हो चुकी थीं —

और उसके साथ ही, रुद्र रावत के भीतर कुछ टूट गया था।

वह अब वही आदमी नहीं रहा जो कुछ देर पहले था।

वह अब माफ़िया रुद्र बन चुका था —

वह शख्स जो हर वादा निभाने के लिए खून तक बहा सकता था।

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दो दिन बाद,

एक छोटे से मंदिर में, सफेद चुन्नी ओढ़े एक लड़की काँपती हुई बैठी थी।

उसकी आँखों में आँसू थे, हाथों में पिता की पुरानी तस्वीर, और सामने पुलिसवाले जो उसे बार-बार वही सवाल पूछ रहे थे।

“आपके भाई की मौत एक माफ़िया गैंग फाइट में हुई है,”

इंस्पेक्टर ने ठंडी आवाज़ में कहा।

“अब आपकी सुरक्षा हमारे हाथ में है।”

लड़की ने धीमे से सिर हिलाया, लेकिन उसके चेहरे पर सिर्फ डर नहीं था —

वह किसी ऐसे इंसान की तरह दिख रही थी जिसने ज़िंदगी का पूरा सहारा एक पल में खो दिया हो।

उसका नाम था आर्या शेखावत —

एक मासूम, सीधी-सादी लड़की जो अपने भाई के अलावा दुनिया में किसी और पर भरोसा नहीं करती थी।

उसी शाम,

जब वह अकेली घर लौटी, तो दरवाजे के बाहर एक लंबी काली गाड़ी खड़ी थी।

उसके साथ खड़े दो आदमी ब्लैक सूट में थे।

“मैडम, हमारे बॉस आपसे मिलना चाहते हैं।”

आर्या ने डर से पीछे हटते हुए कहा,

“कौन बॉस? मुझे किसी से नहीं मिलना।”

तभी पीछे से एक भारी, गहरी आवाज़ आई —

“वो बॉस… जिसका तुझसे एक वादा बाकी है।”

आर्या मुड़ी —

और सामने वही शख्स खड़ा था जिसकी आँखों में तूफ़ान था।

काले कोट, ठंडी नज़र, और हल्के खून के निशान उसके कॉलर पर अब भी थे।

“मैं रुद्र रावत हूँ… तेरे भाई आर्यन का दोस्त।”

वह धीमे से बोला, “मरते वक्त उसने तुझे मेरे हवाले किया था।”

आर्या के होंठ काँप गए, “भाई…”

उसके गले से बस इतना ही निकला।

रुद्र ने एक गहरी साँस ली, फिर बोला —

“अब तू अकेली नहीं है। अब तू मेरी ज़िम्मेदारी है।”

आर्या की आँखों में डर और अविश्वास था,

“लेकिन… आप माफ़िया हैं… मैं…”

वह बीच में ही रुक गई।

रुद्र ने उसकी ओर बढ़ते हुए ठंडी आवाज़ में कहा —

“हाँ, मैं माफ़िया हूँ… पर तेरे भाई के लिए, मैं अपनी जान भी दे दूँगा।

और अगर इस दुनिया में तुझे बचाने का एक ही तरीका है…

तो वो है — तुझे अपनी बीवी बना लेना।”

आर्या चौंक गई।

उसके भीतर जैसे सब कुछ थम गया।

“क्या? शादी… आपसे?”

रुद्र की निगाहें अब नरम हो गईं,

“तेरे भाई की मौत से ज़्यादा मुझे किसी का डर नहीं।

पर तेरे ऊपर अब हर दुश्मन की नज़र है, आर्या।

और सिर्फ मेरे नाम की ढाल ही तुझे बचा सकती है।”

मंदिर की घंटी फिर से बजी —

और उसी आवाज़ में जैसे किस्मत ने एक नया अध्याय खोल दिया।

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वह रात दोनों के लिए आख़िरी सुकून भरी रात थी —

क्योंकि अगली सुबह, माफ़िया रुद्र रावत ने एक मासूम लड़की आर्या शेखावत से शादी की —

वो भी बिना इज़हार, बिना इजाज़त, सिर्फ़ एक वादा निभाने के लिए।

लेकिन किस्मत जानती थी —

यह शादी सिर्फ़ सुरक्षा नहीं, एक ऐसी कहानी की शुरुआत है

जहाँ प्यार और खतरा दोनों एक ही सांस में पनपेंगे।

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