Secret Agent Love Story
फैस्ट डे ऑफ नवजीवन
"नवजीवन अनाथ आश्रम में जब से जॉब लगी है तुम तो हवा में उड़ रही हो, ऐसा भी क्या मिल गया " खुशी के मारे झूमकर जोइनिंग लैटर दिखाती। ऋतु को श्रेया ने कहा
ऋतु रॉय, सुधीर रॉय एक बड़े और नामी बिजनेस मैन की इकलौती बेटी हैं । सुधीर रॉय के पास अपनी बेटी के लिए सब कुछ था पर नही था तो टाइम ,वो टाइम जो सिर्फ अपने बिजनेस को बुलंदियो पर पहुंचाने के लिए था पर एक बिन मां की बेटी के लिए नही । सुधीर रॉय और ऋतु रॉय सिर्फ नाम के ही बाप बेटी लगते थे बाकी वो दोनों एक दूसरे से दूर ही रहते थे और इसलिए ही ऋतु कॉलेज के बाद आलीशान घर में अकेले बोर होने की जगह बच्चो के साथ रहकर ,उनको ट्यूशन पढ़ाकर खुश रहना चाहती थी।
"श्रेया मेरी जान तुम तो जानती ही हो ना मैंने अपना बचपन बिना मां के गुजारा है" ,थोड़ा दुखी और रूआंसी होकर खिड़की से बाहर झांकते हुए ,"मैं समझ सकती हूं उन बच्चो की तकलीफ़ जिनके पास न मां है ना पापा ना ही कोई अपना कहने को और न ही कोई घर ,मेरे पास तो सब कुछ था,है सिवाय मां के। थोड़ा रुककर पानी पीते हुए"श्रेया मुझे अच्छा लगता हैं उन बच्चो के साथ, मैं उनके बीच में होती हूं तो लगता हैं मां की कमी पूरी हो गई ।
श्रेया ने हाथ पकड़कर ऋतु को सोफे से उठाते हुए कहा ।
श्रेया , ऋतु की बचपन की बेस्ट फ्रेंड "अच्छा ठीक है ठीक है अब उठो और चलो शॉपिंग चलते हैं कल पहला दिन है नवजीवन आश्रम में तुम्हारा तो सब बच्चो के लिए कुछ गिफ्ट ले लिए जाएं " प्यारी सी स्माइल करते करते हुए ऋतु खड़ी होकर अपना पर्स उठाकर श्रेया के साथ शॉपिंग के लिए निकल गई।
नवजीवन अनाथ आश्रम
शहर से थोड़ा दूर बाहरी इलाके में बसा एक प्यारा सा घर जिसमे बाहर लोहे का गेट जो ज्यादातर खुला ही रहता है जिसपर एक बोर्ड पर welcome to नवजीवन, हमारा घर or नमस्ते का साइन लगा है अन्दर जाते ही हरा भरा ग्राउंड, फूल और फलों के पेड़ पौधे, पेड़ो पर पड़े झूले , ठंडी हवाएं और सुकून भरी शांति। सीधे हाथ तरफ बना एक हॉल और हॉलके अन्दर से होते हुए 8,10 कमरे बैक साइड खुला किचन ।
ऋतु गिफ्ट से भरे बैग्स को दोनो हाथों से उठाकर गिरते पड़ते जैसे ही नवजीवन में एंट्री करती है सामने से आते हुए कर्ण से टकराकर जैसे ही गिरने वाली होती है कर्ण , ऋतु को कमर से पकड़ कर अपनी तरफ खींचता है और गिफ्ट पर पैर लगने से लड़खड़ाते हुए ऋतु के साथ ही गिर पड़ता है , कर्ण के ऊपर गिरी ऋतु बिना पलक झपकाए एकटक कर्ण को देखने लगी है और कर्ण की भी नजरे एक पल के लिए ऋतु से मिलती है और कर्ण बस देखता ही रह जाता है।
बच्चो के जोर जोर से हंसने की आवाज सुनाई देती है ऋतु चोककर जल्दी से उठने की कोशिश करती है और वापिस कर्ण के उपर गिर जाती है कर्ण ,ऋतु को पकड़कर सहारा देकर उठने में मदद करता है और फिर खुद उठकर बच्चो को चुप रहने को कहकर माया दीदी को आवाज लगाकर ऋतु की गिफ्ट उठाने मे मदद करने को बोलकर जल्दी मे निकल जाता है और ऋतु खड़ी होकर अपने कपड़े झाड़ते हुए कर्ण को एक टक देखती रहती रह जाती हैं।
नवजीवन मे ही पली बढ़ी,बच्चो की और नवजीवन आश्रम की प्यार से देखभाल करने वाली माया दीदी ।माया दीदी ने गिफ्ट्स उठाते हुए ऋतु को पूछा "आप ऋतु हो बच्चो की न्यू ट्यूशन टीचर?
ह हा हां..ऋतु ने हकलाते हुए कहा और गिफ्ट्स उठाने लगी
"हेलो फ्रेंड्स मेरा नाम ऋतु है और मै आपकी न्यू ट्यूशन टीचर कम न्यू फ्रेंड हूं, सो जल्दी से सब अपना अपना इंट्रोडेक्शन दो और ये गिफ्ट लो "
ऋतु जितनी सुंदर है उतना ही प्यारा दिल है एक ही मुलाकात में अपनी स्माइल और प्यारी बातों से किसी को भी अपना बना लेती है ।
ऋतु ने जब से कर्ण को देखा था वो बस उसी के बारे मे सोचे जा रही थी कर्ण का टकराना , उसका बाहों में संभालने की कोशिश और फिर दोनो का एक साथ गिर जाना कर्ण से आंखे मिलना और एक दूसरे को बस देखते ही रहना ।
आज कॉलेज में भी ऋतु का दिल नही लग रहा वो बस नवजीवन में जाने के लिए बैचन हो रही है या यूं कहें कर्ण को फिर से देखने उससे मिलने उसके बारे मे जानने के लिए बेचैन है, "श्रेया मुझे लग रहा है आज टाइम कुछ स्लो चल रहा है "क्लॉस रूम से बाहर निकलते हुए ऋतु ने कहा तो श्रेया ने पीछे मुड़कर ऋतु को आश्चर्य से देखते हुए पूछा " तुम्हारी तबियत तो ठीक है ना अभी आधे घण्टे पहले ही तो आए हैं ना ,क्या बात है? कुछ हुआ है क्या ?
"नही कुछ नहीं ,होगा क्या वो तो आश्रम में बच्चो को पढ़ाने जाना है ना वही सोच रही थी , छोड़ो कैंटीन चलते हैं मुझे भूख लगी है सुबह नाश्ता नही किया ,चाय समोसे खाते है "
कर्ण नवजीवन में बच्चो को फिटनेस एक्सरसाइज करवाते हुए बार बार गेट की तरफ ही देख रहा है ऐसा लगता है किसी का इंतजार है। वैसे तो कर्ण अपना काफी समय बच्चो के साथ गुजारता है पर 12 pm से 3pm बच्चो को फिटनेस और कराटे सिखाता है। 3 pm ऋतु के आने का समय होता है और वही टाइम कर्ण के जाने का ।
"क्या बात है आज कोई खास आने वाला है क्या जो इतना इंतजार हो रहा है गेट से ध्यान हट ही भी रहा ""राधिका ने कहा तो कर्ण ने राधिका को लगभग घूरते हुए कहा "ऐसा कुछ नहीं है तुम कुछ ज्यादा नही सोचने लगी हो ?
राधिका 25,26 साल की मस्तमौला और बिंदास पुलिस ऑफिसर,कर्ण की दोस्त और नवजीवन की मेम्बर। राधिका वैसे तो सरकारी क्वार्टर में रहती है पर जॉब के बाद बचा सारा टाइम वो नवजीवन में ही रहना पसंद करती हैं।
नवजीवन के बहुत से मेंबर आज अच्छी जॉब करते हैं और अपने अलग घर,परिवार में रहते हैं पर आज भी दिल से नवजीवन को प्यार, पैसा और समय देते हैं ।
ऋतु जैसे ही गेट मे एंटर होती है कर्ण को देखकर खुशी से स्माइल करते हुए आगे बढ़ती है वैसे ही कर्ण ऋतु को इग्नोर करते हुए बाहर निकल जाता है
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