“तूने जो अधूरी मूर्ति बनाई थी उस मूर्ति का चेहरा मेरे जैसा नहीं बल्कि बच्ची नहीं जवान रत्ना जैसा था, इसलिए मैं उस चिकनी मिट्टी कि मूर्ति में चाह कर भी प्रवेश नहीं कर पाई थी और मैं उस अधूरी मूर्ति को किसी भी हालत में नष्ट नहीं करना चाहती थी, क्योंकि मैंने तेरी हत्या कर दी थी लेकिन मुझे यह भी यकीन था कि एक दिन मैं तुझे ढूंढ कर इस अधूरी मूर्ति को पूरा जरूर करवा लुंगी, इसलिए मैंने एक वर्ष की रत्ना की हत्या करके उसकी आत्मा को मूर्ति के अंदर प्रवेश करवा दिया था, मैं जीवित रह कर तुझे ढूंढ नहीं सकती थी, इसलिए मुझे आत्महत्या करनी पड़ी रत्ना के पिता की मैंने हत्या नहीं की थी, बल्कि मेरे आशिक जींद ने रत्ना के पिता की हत्या की थी। रत्ना की हत्या करके मैंने रत्ना की लाश रत्ना के घर में ही दफन कर दी थी, इस वजह से मैं रत्ना और तुझे रत्ना के घर लेकर जा रही हूं ताकि रत्ना के ढांचे को निकाल कर उसे जवान सुंदर युवती का रूप दे सकूं और यह काम मैं तेरे बिना नहीं कर सकती हूं।” माया चुड़ैल की यह बात सुनकर रत्ना चक्कर खाकर जमीन पर गिरकर बेहोश हो जाती है।
माया चुड़ैल और राज रत्ना को बड़ी मुश्किल से होश में लाते हैं, होश में आने के बाद रत्ना पैदल चलने की हालत में नहीं रहती है, इसलिए राज रत्ना को ऐसे अपनी पीठ पर उठाता है जैसे राजा विक्रम बेताल को पीठ पर उठाता था और माया चुड़ैल मटके में कैद ज़ीद के मटके को सर पर रख लेती है, उस उबड़-खाबड़ कच्चे रास्ते पर अचानक गड्ढे में राज का एक पैर चला जाने की वजह से राज माया चुड़ैल के ऊपर गिरने लगता है, राज की पीठ पर चढ़ी हुई रत्ना जमीन पर गिरने से संभालने के लिए जैसे ही माया चुड़ैल के कंधे का सहारा लेती है तो उसका हाथ माया चुड़ैल के सर पर रखे जींद के मटके का ढक्कन खोलकर अंदर चला जाता है, क्योंकि राज भी माया चुड़ैल से लंबाई में बहुत लंबा था, इसलिए रत्ना का हाथ सीधा माया चुड़ैल के सिर पर रखे मटके में घुस जाता है, मटके में रत्ना का कनी उंगली (छोटी उंगली) कटा दायां हाथ मटके में घुसते ही जींद माया चुड़ैल को छोड़कर रत्ना का दीवाना हो जाता है और रत्ना को छोटे से मटके के अंदर खींचकर मटके से लेकर गायब हो जाता है।
जींद के साथ रत्ना के गायब होने के बाद माया चुड़ैल और राज ठगे से देखते रह जाते हैं, राज साधारण इंसान था, इसलिए उसके चेहरे पर गहरी उदासी निराशा छा जाती है कि अब रत्ना से दोबारा मिलन असंभव है, लेकिन माया चुड़ैल के चेहरे पर उसे अभी भी उम्मीद की किरण दिखाई दे रही थी कि रत्ना हमें दोबारा वापस मिल सकती है, इसलिए राज माया चुड़ैल से कहता है “जो कुछ भी करोगी आप करोगी मैं तो साधारण मनुष्य हूं।”
“सूर्यउदय होने से पहले हमें रत्ना के घर से उसकी हड्डियों का ढांचा निकलना होगा मैं तभी कुछ कर पाऊंगी।”माय चुड़ैल बताती है और रत्ना के घर पहुंच कर राज माया चुड़ैल से पता करके कि उसने एक बरस की रत्ना की हत्या करके उसे कहां दफनाया था, खुदाई करना शुरू कर देता है, तब तक माया चुड़ैल माता काली की पूजा करने में व्यस्त रहती है।
जब तक राज खुदाई करके रत्ना का पिंजर हड्डियों का ढांचा निकलता नहीं है
रत्ना की हड्डियों का ढांचा दिखते हैं राज खुशी से माया चुड़ैल से कहता है “मुझे गहरा गड्ढा खोदते खोदते रत्ना की हड्डियों का ढांचा दिखाई दे गया है, अब जो करना है जल्दी करो माया चुड़ैल तब तक राज की बात का कोई जवाब नहीं देती है जब तक वह माता काली की पूरी पूजा नहीं कर लेती है।
और फिर रत्ना की हड्डियों का ढांचा देखकर कहती है “हां यही रत्ना की हड्डियां है अब सब ठीक हो जाएगा मुझे माता काली ने सब दिखा दिया है कि हम दोनों को क्या-क्या करना है।”
“मुझे भी जल्दी बताओ हमें क्या-क्या करना होगा।” राज पूछता है?
“हम दोनों को अपने पिछले जन्म में जाना होगा और तुमने जैसे पिछले जन्म में मुझे उदास देखकर मेरी उदासी खत्म करने के लिए मुझे सूखे कुएं के पास बैठा देखकर कस्तूरी इत्र दिया था, तुम्हें वैसे ही दोबारा मुझे कस्तूरी इत्र देना होगा ताकि जींद मेरे ऊपर दोबारा मोहित होकर मेरा दीवाना हो जाए वह मेरे प्रेम जाल में दोबारा फंसकर रत्ना को आजाद कर दे, लेकिन इस काम में सबसे बड़ा खतरा तुम्हें और रत्ना को है।” माया चुड़ैल बताती है
“मैं रत्ना को पाने के लिए कोई भी खतरा उठाने के लिए तैयार हूं।” राज कहता है “तुमने मेरी पूरी बात ध्यान से नहीं सुनी है मैंने कहा था कि तुम्हारे साथ रत्ना के जीवन को भी खतरा है।” माया चुड़ैल कहती है
“कैसा खतरा मुझे अच्छी तरह समझाओं।” राज पूछता है?
“तुम्हें पता है इस समय हम जिस घर में बैठे हुऐ हैं वह बरसों से खाली पड़ा हुआ वीरान खंडहर मकान है, यहां रात दिन जंगली जानवर और सांप बिच्छू बिश कवरे जहरीले कीड़े मकोड़े घूमते फिरते रहते हैं और तुम पिछले जन्म में पहुंचने के बाद मूर्छित हो जाओगे कोई सांप जहरीला कीड़ा जंगली जानवर तुम्हारी जान ले सकता है और कोई मांसाहारी जानवर रत्ना की सारी अस्थियां खा सकता है, मैं भी तुम दोनों की चौकीदारी नहीं कर पाऊंगी, क्योंकि मैं भी तुम्हारे साथ अपने और तुम्हारे पिछले जन्म में जाऊंगी।” माया चुड़ैल कहती है
“वैसे भी रत्ना के बिना मैं चलता फिरता बोलने वाला पुतला रह जाऊंगा, इसलिए मैं पूरी तरह यह खतरा उठाने के लिए तैयार हूं।” राज कहता है
और माया चुड़ैल सूर्योदय होने से पहले ही माता काली की कृपा से राज को अपने साथ उसके और अपने पिछले जन्म में लेकर पहुंच जाती है, पिछले जन्म में राज दीपू नाम का चरवाहा था और उसने अपने पालतू जानवर चराते हुए दोपहर के 12:00 बजे खूबसूरत युवती माया को सुखे कुएं के पास कस्तूरी इत्र दिया था, इसलिए दोनों एक पीपल के पेड़ के ऊपर बैठकर दोपहर के 12:00 बजाने का इंतजार करने लगते हैं।
उसी समय एक बुड्ढा चरवाहा राज को अपनी तरफ आता हुआ दिखाई देता है जैसे ही वह चरवाहा उस पीपल के पेड़ के करीब आता है जिस पर माया और राज बैठे हुए थे, तो राज की आंखों में आंसू आ जाते हैं, क्योंकि वह वृद्ध चरवाहा उसका पिता था, पीछे-पीछे दीपू यानी कि इस जन्म का राज अपनी भेड़ बकरियों को चराते हुए चर्च के पादरी के साथ आ रहा था।
पादरी साहब ने दीपू उर्फ राज के भेड़ के बच्चे को अपनी गोदी में उठा रखा था, वह भेड़ के बच्चे को इंसानों के बच्चे जैसे प्यार कर रहे थे, भेड़ का बच्चा भी उनको अपनी मां पिता जैसे प्यार कर रहा था, लेकिन राज को एक बात समझ में नहीं आ रही थी कि दीपू यानी कि मैं ऐसा व्यवहार (बर्ताव) क्यों कर रहा हूं कि जैसे मुझे पादरी साहब दिखाई नहीं दे रहे हैं।
फिर पादरी साहब पीपल के पेड़ पर बैठे हुए राज की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए दीपू को यानी कि राज के कुर्ती की जेब में कस्तूरी इत्र चुपचाप डालकर उसकी भेड़ बकरियों गाय से विपरीत दिशा में चले जाते हैं, वह छोटा सा भेड़ का बच्चा पादरी साहब के पीछे पीछे कुछ दूर तक दौड़कर वापस आ जाता है।
उन पादरी साहब को कस्तूरी इत्र दीपू उर्फ राज को देते हुए देखकर माया चुड़ैल और राज को साफ़ समझ आ जाता है की कस्तूरी इत्र दीपू उर्फ राज के पास कहां से आया था, यह सब देखकर राज कहता है “हालेलुया हालेलुया हालेलुया जय मसीह की जय मसीह की जय मसीह की और कुछ देर यीशु मसीह से प्रार्थना करके विनती करता है कि मेरे जीवन में सब कुछ अच्छा ही हो आपकी कृपा से।
राज की यीशु मसीह की प्रार्थना पूरी होने के बाद माया चुड़ैल राज से कहती है “तुम्हें प्रार्थना करते हुए देखकर मुझे ऐसा एहसास हो रहा था कि तुम्हारी वजह से मेरा भी उद्धार हो जाएगा वैसे तुमने किस भगवान से प्रार्थना की है।” “मैंने प्रभु यीशु मसीह से प्रार्थना की है मैं अपनी पेंटिंग बेंच कर जितना भी कमाता हूं, उस कमाई का दसवां हिस्सा चर्च में दान कर देता हूं, ताकि मेरी कमाई का पैसा गरीब बेसहारा मजबूर बीमार लोगों के काम आ सके, इसके अलावा में गुड़गांव के शीतला माता मसानी माता मंदिर में भी दान देता हूं और अनाथ बच्चों वृद्ध आश्रम गरीब लड़कियों की शादी गरीब लोगों का अंतिम संस्कार आदि करने से मेरे दिल को बहुत सुकून और शांति मिलती है।” राज के मुंह से यह बात सुनकर माया चुड़ैल कहती है
“वाह राज तुम्हें तो मुझे अपने साथ लेकर ही जाना पड़ेगा।” यह कहकर माय चुड़ैल राज का हाथ पकड़ कर अपने साथ हवा में उड़कर सूखे कुएं के पास ले जाती है और खुद सुखे कुएं के पास बैठकर कहती है “दीपू यानी कि तुम मेरी तरफ आ रहे हो अब तुम मुझे देखकर कस्तूरी इत्र देना होगा और जैसे ही 18 वर्ष की सुंदर युवती माया दीपू उर्फ राज से कस्तूरी इत्र लेकर अपने शरीर पर छिड़कती है जींद सुखे कुएं से बाहर आकर कहता है “मुझसे डरना नहीं मेरी महबूबा मैं तेरा आशिक जींद हूं।”
राज दूर से खड़ा होकर यह सब देख रहा था कि दीपू उर्फ राज कस्तूरी इत्र माया को देकर कैसे भेड़ बकरियों गाय आदि जानवरों के साथ कैसे मस्ती झूमता हुआ जा रहा है और जींद के साथ माया किस तरह से सुखे कुएं के अंदर चली गई, तभी अचानक राज के पैरों के नीचे से जमीन खिसक जाती है और आज गहरे गड्ढे के अंदर चला जाता है।
गहरे गड्ढे में गिरते समय राज सोचता है मैं भी कितना पढ़ा लिखा मुर्ख निकला एक चुड़ैल पर इतना विश्वास कर लिया कि जिसकी कीमत मुझे अपनी जान देकर चुकानी पड़ी और कुछ मिनट के बाद ही उसे ऐसा महसूस होता है कि तेज बारिश हो रही है और वह बारिश के पानी में पूरा भींग गया है, वह जैसे ही अपने चेहरे से बारिश का पानी पोछता है तो उसे ऐसा एहसास होता है कि वह गहरी नींद से सोकर जागा है, लेकिन यह देखकर उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता है कि उसके सामने रत्ना खड़ी हुई है, हाथ में पानी का लोटा लिए और उसे होश में लाने के लिए उसके चेहरे पर पानी के छीटे मार रही है, रत्ना को देखकर राज रत्ना को सीने से लाकर पूछता है? “आप कहां चली गई थी।”
“अब मैं आपको छोड़कर कहीं भी नहीं जाऊंगा।” रत्ना यह कहकर अपने अंगूठे में बांस की बहुत पतली नुकीली लकड़ी चुभा कर खून निकल कर राज को दिखाती हुए कहती है “अब मैं पुतला नहीं जीवित इंसान हूं, बाहर आपका वफादार नौकर आपके ड्राईवर के साथ गाड़ी लेकर आपको लेने आया है और यह लो अपना मोबाइल फोन आपके मोबाइल से
ही मैंने फोन करके उन्हें यहां बुलाया है।”
“जिस रात को मैं अपने जीवन की सबसे भयानक रात समझ रहा था, उस रात ने तो मेरा जीवन ही बदल दिया है लेकिन मैं यह बात समझ नहीं पाए कि मेरे वफादार नौकर की तो मृत्यु हो गई थी, फिर वह जीवित कैसे हुआ।” राज पूछता है?
“यह सब माता काली और माया मां की कृपा है।” रत्ना कहती है “लेकिन माया मां कहां है।” राज पूछता है?
“माया मां हमेशा के लिए हमें छोड़कर जींद के साथ चली गई है, अब हमें उन्हें जीवन भर पवित्र आत्मा या देवी की तरह पूजना होगा फिर।” रत्ना कहती है
सब कुछ अच्छा होने के बाद राज अपने घर पहुंच कर रत्ना से धूमधाम से शादी कर लेता है।
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