राज जब रत्ना का हाथ पकड़ कर वहां से भागने लगता है तो माया चुड़ैल प्यार से राज को रुकने के लिए कहती है जब राज इस प्यार में भी माया चुड़ैल की कुछ चलाकी समझ कर रुकता नहीं है, तो पीछे से जोर-जोर से चीख चिल्लाकर कहती है “मेरे पास अभी भी इतनी शक्ति है कि मैं रत्ना को मूर्ति से इंसान बन सकती हूं, क्योंकि मुझे समझ आ गया है कि रत्ना से तुम सच्चा प्रेम करते हो।”
उसकी यह बात सुनकर राज रत्ना को साथ लेकर रुक जाता है, तब माया चुड़ैल राज से कहती है “अभी इसी समय रत्ना के घर चलो मैं रत्ना के माता-पिता के घर में ही रत्ना को मूर्ति से इंसान बन सकती हूं, यहां श्मशान घाट में नहीं।”
“ठीक है लेकिन अचानक इस बदलाव का क्या कारण है।” राज पूछता है? “क्योंकि मैंने अपने जीवन में जो नहीं देखा वह मृत्यु के बाद देखा कि कोई पुरुष किसी महिला के लिए इतना सच्चा वफादार भी हो सकता है, जो एक महिला कि चिकनी मिट्टी कि मूर्ति से भी सच्चा प्यार कर सकता है, मैंने तो जवानी की दहलीज पर कदम रखने के बाद यही देखा था कि पुरुष स्त्री का शोषण ही करता है, लेकिन राज तुम्हें देखकर ऐसा लगा कि पुरुष स्त्री का सम्मान भी कर सकता है और स्त्री से सच्चा प्रेम भी कर सकता है अब मुझे तुझे देखकर समझ आ गया है कि सारे पुरुष एक जैसे नहीं होते हैं, मैं मूर्ख दुनिया से पुरुषों का तो नामों निशान मिटाने की गलती करने जा रही थी।” माया चुड़ैल कहती है
राज माया चुड़ैल की दर्द भरी आवाज को सुनकर समझ जाता है कि माया चुड़ैल सच कह रही है, इसलिए वह माया चुड़ैल के दिल में दबे बरसों से दुख के ज्वालामुखी के लावा को बाहर निकालने के लिए माया चुड़ैल से कहता है “विस्तार से बताओ तुम्हें मर्दों से इतनी नफरत क्यों है।”
“ना जाने राज तुम में क्या बात है तुम्हें अपने जीवन की एक-एक बात बताने को क्यों मेरी बहुत इच्छा हो रही है, इसलिए मैं घर के रास्ते में चलते हुए तुम्हें सब कुछ बताती हूं।” माया चुड़ैल के कहने से रत्ना राज भी माया चुड़ैल के साथ घर के लिए चलने लगते हैं, और माया चुड़ैल पक्के रास्ते की जगह दोनों को कच्चे ऊबड़-खाबड़ रास्ते से साथ घर लेकर जाती है और मटके में बंद जींद को सीने से लगाकर कहती है “मटके में जो यह जींद कैद है यह मेरा सच्चा आशिक है, इसने मुझे प्रेम करना सिखाया था, वरना मर्दों को तो देखकर मुझे प्रेम शब्द से नफरत होती थी 12 वर्ष की छोटी आयु में मां-बाप की मृत्यु के बाद में इस दुनिया में अकेली रह गई थी और 12 बरस की आयु से 18 वर्ष की आयु तक दो वक्त की रोटी खिलाकर कम से कम 40 लोगों ने मेरे साथ बलात्कार किया थ और मुझे तब अपने जीवन में सुधार होने की उम्मीद महसूस हुई, जब रत्ना के पिता रंजीत ने खूबसूरत पत्नी होने के बावजूद और मेरी असलियत पता होने के बावजूद भी मुझे बेसहारा समझ कर मेरे साथ शादी करने के लिए तैयार हो गए थे, उन दिनों में माता काली की भक्ति में लीन रहती थी, इसलिए श्मशान घाट के साथ चिपके काली माता के मंदिर मेरा रोज का आना जाना था, रत्ना के पिता रंजीत की वहीं अंतिम संस्कार का सामान बेचने की दुकान थी, उन्हीं दिनों रंजीत और मैं एक दूसरे की तरफ आकर्षित हो गए थे, लेकिन मुझे नहीं पता था कि रंजीत उन चालीस लोगों से भी ज्यादा नीच और कमीना निकलेगा।”
“माया मां के मुंह से यह बात सुनकर रत्ना चौक का माया की तरफ देखती है रत्ना के चेहरे के हाव-भाव देखकर राज का दिल खुशी से फूला नहीं समाता है ह कि चलो रत्ना का सिर्फ शरीर ही चिकनी मिट्टी का है, दुख सुख अपमान क्रोध आदि भावनाएं तो रत्न के अंदर है।
रत्ना के पिता कि बात कहकर माया चुड़ैल चुप हो जाती है, इसलिए राज कहता है “अपनी बात पूरी करो माया क्योंकि तुम्हारे जीवन में मेरा भी कहीं ना कहीं महत्वपूर्ण किरदार रहा है।”
“तो सुनो मैं रंजीत की बेटी के सामने बताती हूं जिन 40 लोगों ने मेरा शारीरिक शोषण किया था, तो उन्होंने यह काम वैहशी दरिंदे दुष्ट नीछ चेहरे पर शराफत का चेहरा लगाकर नहीं किया था, लेकिन रंजीत ने मुझे अपनी प्रेम दीवानी बनकर पैसों के लालच में वेश्या बना दिया था, मैं रंजीत से कभी भी प्रेम नहीं करती, क्योंकि मुझे मर्दों से नफरत थी, लेकिन एक दिन में अपने जीवन से दुखी होकर गहरे सूखे कुएं में पहाड़ी पत्थरों पर सर के बल नीचे गिरकर अपनी जान देने की सोच रही थी, तभी तुम चरवाहे राज मेरे पास से अपनी भेड़ बकरियां गाय आदि पालतू जानवरों को लेकर गुजरे तुमने मुझे दुखी उदास देखकर ना जाने तुम्हें किस जंगल से मिला कस्तूरी इत्र मुझे दे दिया थ कस्तूरी इत्र की सुगंध से आकर्षित होकर मैंने वह सुगंधित कस्तूरी इत्र अपने पूरे शरीर पर छिड़क लिया था और कस्तूरी इत्र की खुशबू चारों तरफ फैलते ही मटके में कैद जींद जोर-जोर से चिल्लाने लगा, मेरी महबूबा मैं तेरा महबूब हूं मुझे जल्दी मटके से बाहर निकल मैं तेरे जीवन की सारी समस्याएं हल कर दूंगा, तेरे दुश्मन मेरे होते हुए तेरा बाल भी बांका नहीं कर सकते हैं, मैंने उस दिन जींद को तो मटके से बाहर नहीं निकला लेकिन मैं रोज उससे मिलने सूखें कुएं पर जाने लगी थी, सुखे कुएं के जींद से प्रेम भरी बातें सुनकर मुझे धीरे-धीरे उससे प्रेम रोने लगा था और जब रंजीत ने मुझे धोखा दिया तो मैंने हमेशा के लिए जींद के साथ जाने का फैसला ले लिया था, इसलिए मैंने मटका फोड़ कर जींद को मटके से बाहर निकाल दिया था, लेकिन जींद कि अद्भुत शक्तियां देखकर मुझे एहसास हुआ कि अगर मुझे जींद कि थोड़ी बहुत भी शक्तियां मिल जाए तो मैं मर्द जाति से बदला ले सकती हूं, और उन्ही दिनों मेरे मन में दुनिया की सबसे बड़ी जादूगरनी बनने का विचार आया था, जादूगरनी बनने के बाद मुझे एक चिकनी मिट्टी के पुतले की जरूरत थी, जैसे तुम जीवित पुतले बनाते थे और माता काली ने मेरी मुलाकात तुमसे करवा दी थी, मुझे मर्दों से नफरत थी, इसलिए मैंने तुमसे अपना काम निकलवाने के बाद तुम्हारी हत्या कर दी थी, लेकिन तुमने अपनी चालाकी दिखाते हुए मेरे सारे अरमानों पर पानी फेर दिया था, इसलिए मुझे तुम्हारे पुनर्जन्म में भी तुम्हारा पीछा करना पड़ा बस यही थी मेरी पूरी जीवनी।”, माया चुड़ैल हारी थकी आवाज में कहती है
“नहीं यह तुम्हारी पूरी जीवनी नहीं अधूरी जीवनी है, तुमने यह नहीं बताया कि मासूम रत्ना की तुमने हत्या क्यों की थी।” राज पूछता है?
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