जब राज अपने नौकर से फोन पर बात कर रहा था तब रत्ना उसकी मां खड़े होकर भूखी आदमखोर शेरनी की तरह उसकी तरफ देख रही थी, इसलिए उनसे नज़रें मिलते ही राज को अजीब सी घबराहट होने लगती है जैसे वह साधारण स्त्रियों के सामने नहीं बल्कि दो भयानक डरावने चेहरे वाली चुड़ैलों के सामने बैठा हुआ है, जो अपने मन में उसकी हत्या का विचार लाकर उसकी तरफ घूर रही है।
उनकी डरावनी नजरों से बचने के लिए बहाने से वहां से खड़ा होकर खिड़की खोलकर देखाता है कि बारिश बंद हुई है या नहीं लेकिन मकान कि पीछे की खिड़की खोलकर देखकर राज का डर घबराहट और बढ़ जाती है, क्योंकि वह जिस हवेली जैसे टूटे-फूटे मकान में रत्ना और उसकी मां के साथ था, वह मकान गांव से दूर खेत में बना हुआ था उसके पास से गांव की जोहड़ (तालाब) गुजर रही थी और दूर दिल्ली पंजाब हाईवे दिखाई दे रहा था, यह गांव दिल्ली के सिंधु बॉर्डर के पास का टीकरी गांव था।
राज रत्ना माया की मां से बिना पूछे बिना उनको किसी सवाल का जवाब दिए दरवाजा खोलकर देखाता है तो सच में उनका घर गांव से दूर था घर के आगे से पक्का रोड जा रहा था, रोड की दूसरी तरफ छोटी सी चाय की दुकान थी, रोड पर बिजली की लाइट के दो खम्बे लगे हुए थे, जिनकी रोशनी भी ज्यादा दूर तक नहीं फैल रही थी, लेकिन बारिश पूरी तरह रुक गई थी।
राज जैसे ही दरवाजा बंद करके रत्ना माया कि विधवा मां से यह कहने आता है कि बारिश पूरी तरह बंद हो गई है मैं अपने घर जा रहा हूं, तो अचानक बिजली चली जाती है और राज के मोबाइल की घंटी तेज तेज सन्नाटे में गूंजने लगती है।
राज जल्दी से अपना फोन उठाता है, तो दूसरी तरफ से पुलिस इंस्पेक्टर मिलन कहता है “आप राज पेंटर बात कर रहे हैं।”
“जी मैं राज पेंटर बोल रहा हूं, मेरे नौकर के नंबर से आप कौन बात कर रहे हैं, राज पूछता है?
“मैं आपके इलाके का पुलिस इंस्पेक्टर मिलन बात कर रहा हूं, श्मशान घाट के पास आपके नौकर की किसी ने हत्या कर दी है, उसकी लाश को देखकर ऐसा लग रहा है, जैसे किसी खूंखार जंगली जानवर ने उसकी हत्या की हो।” इतना फोन पर सुनते ही राज के मोबाइल का नेटवर्क अचानक गायब हो जाता है और राज को गुप अंधेरे में ऐसा महसूस होता है कि रत्ना उसकी मां के अलावा मकान में कोई तीसरा भी है, तीसरे का पता लगाने की जगह राज को अपने घर जल्दी पहुंचने का काम ज्यादा जरूरी लगता है, क्योंकि श्मशान घाट के पास उसके वफादार नौकर की किसी ने हत्या कर दी थी।
राज रत्ना माया की मां से घर जाने की कहकर जैसे ही अपनी बाइक स्टार्ट करता है तो उसकी बाइक के एक नहीं दोनों टायर पंचर थे, प्राइवेट टैक्सी बुलाने के लिए मोबाइल में नेटवर्क देखता है तो उसके मोबाइल का नेटवर्क गायब था, इसलिए राज को दोबारा रत्ना के घर में जाना पड़ता है कि अगर आपके पास मोबाइल है तो क्या उसमें नेटवर्क आ रहा है अगर आ रहा है तो आप मुझे अपना मोबाइल फोन करने के लिए दे दे मैं प्राइवेट टैक्सी बुलाऊंगा।
रात जैसे ही रत्ना के फोन से टैक्सी बुलाने के लिए फोन नंबर लगता है तो रत्ना का फोन आ जाता है राज रत्ना को यह कहकर फोन देता है आपका फोन आ रहा है, फोन उठा लो।
यह आपका फोन है “रत्ना कहती है।” “ “आपके मोबाइल पर मेरा फोन यह कैसे हो सकता है।” राज कहता है
“एक बार फोन उठाओ मैं सच कह रही हूं, आपका ही फोन है।” रत्ना कहती है
राज रत्ना के कहने से फोन उठाता है तो उस तरफ से माया राज से नाराज होकर कहती है “जो चीज मैंने श्मशान घाट की पानी की टंकी के ऊपर आपके लिए रखी थी, उसको लेने के लिए अपने अपने नौकर को भेजा, आपके नौकर की इतनी गुस्ताखी कि मेरे सामान को हाथ लगाए इस गुस्ताखी के लिए मैंने उसकी जान ले ली है।”
“कौन बोल रही हो तुम।” राज पूछता है? “मैं माया बोल रही हूं।” माया बताती है
और उसी समय फोन खुद व खुद स्विच ऑफ हो जाता है, माया का फोन सुन कर राज अपनी सुध-बुध खो देता है तभी तुरंत रत्ना राज का हाथ पकड़ कर घर से बाहर लाकर कहती है “अगर अपनी जान बचाना चाहते हो तो तुरंत यहां से भाग जाओ, मेरी सौतेली विधवा मां ही माया है, वह मेरी सौतेली मां है और बीस वर्ष पहले वह मर चुकी है बीस वर्षों से आपको खोज रही है, क्योंकि आप अपने पिछले जन्म में उसके प्रेमी थे, मेरे पिता रंजीत ने आपकी हत्या करवा कर दीं थीं और माया से शादीशुदा होने के बावजूद दूसरी शादी कर ली थी। माया मां को जब यह बात पता चली तो उसने तड़प तड़प कर आपकी याद में अपनी जान दे दी थी वह वषो से इंतजार कर रही है कि कब आप उससे मिलोगे और वह आपकी जान लेकर आपको हमेशा के लिए अपने साथ ले जाऐगी उस समय मैं एक वर्ष की थीं, जब माया ने आत्महत्या की थी
“आपकी बात में सच्चाई तो नजर आ रही है, लेकिन फिर भी मुझे एक बात का सच-सच जवाब देना कि अगर आपकी सौतेली मां माया बीस वर्ष पहले मर चुकी है तो उसने आपको अब तक कैसे जीवित छोड़ रखा है और तुम्हें अपनी मृत सौतेली मां की आत्मा के साथ रहने में भय नहीं लगता है।” राज पूछता है?
“मरने से पहले और मरने के बाद भी मुझे अपनी बेटी जैसे वह प्यार करती है और माया कोई साधारण चुड़ैल नहीं है, वह जब जीवित थी तो काली मां की बहुत बड़ी भगतनी थी काली मां की कृपा से लोगों की जटिल से जटिल समस्या चुटकियों में हल कर दिया करती थी आज भी वह मरने के बाद इतनी शक्तिशाली है कि मेरे शरीर में प्रवेश करके दिन-रात कहीं भी घूम फिर सकती है, और मेरे शरीर में प्रवेश करके मेरे पिता की अंतिम संस्कार की दुकान पर वह खुद बैठकर अंतिम संस्कार का सामान बेचा करती है, अगर वह मेरे शरीर का अंत कर देगी तो वह अपनी समास्याएं कैसे हल करेगी, माया ने मेरे शरीर में प्रवेश करके ही आपको ढूंढा है और मेरी तस्वीर आपसे बनवाई, लेकिन अब मैं जल्दी से जल्दी माया की असंतुष्ट आत्मा से छुटकारा पाकर साधारण युवती की तरह अपना घर परिवार बसाना चाहती हूं और मेरी सौतेली मां माया को आपको अपने साथ ले जाकर ही शांति मिलेगी इससे पहले नहीं और मैं कभी नहीं चाहूंगी कि भरी जवानी में आपकी मौत हो जाए, बस मुझे इतना ही कहना था आपसे।”
“जब आप मेरे जीवन की रक्षा के लिए एक शक्तिशाली चुड़ैल के साथ रहने के लिए तैयार है तो मैं आपको इस मुसीबत से बाहर निकले बिना कैसे यहां से भाग सकता हूं और रत्ना जी आपकी तस्वीर बनाते हुए मुझे आपसे प्रेम हो गया था, मुझे इस बात कि खुशी है मैंने जिस लड़की से प्रेम किया है, वह अपनी शारीरिक सुंदरता के साथ-साथ अपनी आत्मा से भी खूबसूरत है, अगर मुझे आपका साथ मिल जाए तो मैं दुनिया की सारी समस्याएं हल कर सकता हूं और मुझे दुनिया की सारी खुशियां भी मिल जाएगी जल्दी बोलो मेरा साथ दोगी क्योंकि हम दोनों के पास माया चुड़ैल से बचने का समय कम है।” राज पूछता है? “मुझे अपनी किस्मत पर यकीन नहीं हो रहा है कि मेरी किस्मत में आप जैसा लड़का है, मैं जीवन भर आपकी दासी बनने के लिए तैयार हूं।” रत्ना मुस्कुरा कर बोली
और तभी माया हवा में उड़ती हुई राज रत्ना के पास आती है, राज माया को अपनी तरफ आता हुआ देखकर रत्ना का हाथ पकड़ कर रत्ना को अपने साथ लेकर रत्ना के घर के अंदर घुस जाता है।
माया चुड़ैल के घर से बाहर जाते ही रत्ना के घर में बिजली आ जाती है। राज घर का दरवाजा बंद करके अपने गले का केदारनाथ से खरीदा हुआ महादेव पार्वती का लॉकेट दरवाजे की कुंडी में फंसा कर चुड़ैल माया को घर में घुसने से रोक देता है।
माया चुड़ैल दरवाजे को जोर-जोर से पीट कर चीख चीख कर कहती है “रत्ना मैंने तुझे अपनी बेटी की तरह पाल पोसकर बड़ा किया है और तुझे बेटी जैसा सच्चा प्यार दिया है, तू अपनी मां समान औरत को इतना बड़ा धोखा देगी, उसके वर्षो के अरमानों पर पानी फेरेगी।”
तभी दरवाजे के पीछे से माया चुड़ैल के साथ राक्षस जैसे किसी पुरुष की बहुत भारी भयानक आवाज आती है “रत्ना दरवाजे की कुंडी से महादेव का लॉकेट हटा दे वरना मैं अगर मकान की दीवार को गिरकर अंदर आया तो राज के साथ-साथ तेरा भी कलेजा फेफड़ा गुर्दे निकाल कर खा जाऊंगा।”
उस डरावनी आवाज को सुनकर राज रत्ना से पूछता है? “यह माया चुड़ैल के साथ भूत कौन है।”
“यह भूत नहीं जींद है, यह माया पर तब से फिदा है, जब माया 18 वर्ष की सुंदर युवती थी, माया जान बूझकर इसको रिझाने के लिए कस्तूरी इत्र लगाकर गांव के उस सूखे कुएं पर जाती थी, जहां इस जिंद का निवास स्थान था।” रत्ना बताती है
यह बात बता कर रत्ना रोने लगती है इसलिए राज कहता है? “आप क्यों रो रही हो, जान तो मेरी जाने वाली है।”
“ऐसे शब्द अपने मुख से मत निकालो मैं आपकी जगह अपनी जान दे दूंगी। रत्ना कहती है
“हम दोनों को मैं कुछ भी नहीं होने दूंगा बस आप अंगीठी से कुछ लकड़ी के बिना जले कोयल निकाल कर लाओ।” राज कहता है
रत्ना से लकड़ी के कोयले लेकर राज तुरंत मकान की सारी दीवारों पर हिंदू मुस्लिम सिख इसाई सभी धर्मो के ईश्वर और धार्मिक स्थानों की तस्वीरें दीवारों पर बनाना शुरू कर देता है, उसके ऐसा करने से बाहर से चुड़ैल माया और जिंद कि आवाज़ें धीरे-धीरे आना काम हो जाती है और चुड़ैल माया जिंद कि आवाज़ें पूरी तरह बंद होने के बाद राज रत्ना से कहता है “घर में कोई लकड़ी की टेबल या लकड़ी की कुर्सी है।”
“लकड़ी की टेबल कुर्सी तो नहीं है, लेकिन आपको करना क्या है।” रत्ना पुछती है?
“मुझे सूखी लकड़ियों को इकट्ठा करके घर में एक जगह आग जलनी है, ताकि बिजली जाने के बाद भी घर में अंधेरा ना हो और सबसे जरूरी बात शायद आपको भी पता होगी कि अग्नि से शैतानी शक्तियों दूर भागती है।” राज बताता है “ठीक है मैं सब समझ गई घर में बहुत से सुखे बांस पड़े हुए हैं और पत्थर लकड़ी के बिना जले कोयल गोबर के कड़े भी है मैं उन सब को इकट्ठा करके लाती हूं।”
रत्ना के यह बात कहते ही बिजली गुल हो जाती है और मकान की गटर की छत से एक बड़ी सिली टूट कर दोनों के पास आकर गिरती है और देखते ही देखते मकान की छत में बहुत बड़ा छेद हो जाता है।
उस छेद से माया चुड़ैल जींद एक साथ झांकते हैं और माया चुड़ैल वहां से कहती है “तू मेरे पिछले जन्म के मित्र राज को मुझसे कितना भी बचाने की कोशिश कर लेकिन मैं राज को अपने साथ लेकर जाए बिना मानने वाली नहीं हूं।”
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