सदोम की भ्रष्टताः मनुष्यों को क्रोधित करने वाली, परमेश्वर के कोप को भड़काने वाली

सर्वप्रथम, आओ हम पवित्र शास्त्र के अनेक अंशों को देखें जो "परमेश्वर के द्वारा सदोम के विनाश" की व्याख्या करते हैं।

उत्पत्ति 19:1-11 साँझ को वे दो दूत सदोम के पास आए; और लूत सदोम के फाटक के पास बैठा था। उन को देखकर वह उनसे भेंट करने के लिये उठा, और मुँह के बल झुककर दण्डवत् कर कहा, "हे मेरे प्रभुओ, अपने दास के घर में पधारिए, और रात भर विश्राम कीजिए, और अपने पाँव धोइये, फिर भोर को उठकर अपने मार्ग पर जाइए।" उन्होंने कहा, "नहीं, हम चौक ही में रात बिताएँगे।" पर उसने उनसे बहुत विनती करके उन्हें मनाया; इसलिये वे उसके साथ चलकर उसके घर में आए; और उसने उनके लिये भोजन तैयार किया, और बिना खमीर की रोटियाँ बनाकर उनको खिलाईं। उनके सो जाने से पहले, सदोम नगर के पुरुषों ने, जवानों से लेकर बूढ़ों तक, वरन् चारों ओर के सब लोगों ने आकर उस घर को घेर लिया; और लूत को पुकारकर कहने लगे, "जो पुरुष आज रात को तेरे पास आए हैं वे कहाँ हैं? उनको हमारे पास बाहर ले आ कि हम उनसे भोग करें।" तब लूत उनके पास द्वार के बाहर गया, और किवाड़ को अपने पीछे बन्द करके कहा, "हे मेरे भाइयो, ऐसी बुराई न करो। सुनो, मेरी दो बेटियाँ हैं जिन्होंने अब तक पुरुष का मुँह नहीं देखा; इच्छा हो तो मैं उन्हें तुम्हारे पास बाहर ले आऊँ, और तुम को जैसा अच्छा लगे वैसा व्यवहार उनसे करो; पर इन पुरुषों से कुछ न करो; क्योंकि ये मेरी छत तले आए हैं।" उन्होंने कहा, "हट जा!" फिर वे कहने लगे, "तू एक परदेशी होकर यहाँ रहने के लिये आया, पर अब न्यायी भी बन बैठा है; इसलिये अब हम उनसे भी अधिक तेरे साथ बुराई करेंगे।" और वे उस पुरुष लूत को बहुत दबाने लगे, और किवाड़ तोड़ने के लिये निकट आए। तब उन अतिथियों ने हाथ बढ़ाकर लूत को अपने पास घर में खींच लिया, और किवाड़ को बन्द कर दिया। और उन्होंने क्या छोटे, क्या बड़े, सब पुरुषों को जो घर के द्वार पर थे, अन्धा कर दिया, अत: वे द्वार को टटोलते टटोलते थक गए।

उत्पत्ति 19:24-25 तब यहोवा ने अपनी ओर से सदोम और अमोरा पर आकाश से गन्धक और आग बरसाई; और उन नगरों को और उस सम्पूर्ण तराई को, और नगरों के सब निवासियों को, भूमि की सारी उपज समेत नष्‍ट कर दिया।

इन अंशों से, यह देखना कठिन नहीं है कि सदोम का अधर्म और भ्रष्टता पहले से ही उस मात्रा तक पहुँच चुकी थी जो परमेश्वर और मनुष्‍यों दोनों के लिए घृणास्पद था, और इसलिए परमेश्वर की दृष्टि में नगर नाश किए जाने के लायक था। परन्तु नगर के नाश किए जाने से पहले उसके भीतर क्या हुआ था? लोग इन घटनाओं से क्या सीख सकते हैं? इन घटनाओं के प्रति परमेश्वर की मनोवृत्ति उसके स्वभाव के विषय में हमें क्या दिखाती है? पूरी कहानी समझने के लिए, आओ हम जो कुछ पवित्र शास्त्र में लिखा गया था उसे सावधानीपूर्वक पढ़ें ...

सदोम की भ्रष्टताः मनुष्यों को क्रोधित करने वाली, परमेश्वर के कोप को भड़काने वाली

उस रात, लूत ने परमेश्वर के दो दूतों का स्वागत किया और उनके लिए एक भोज तैयार किया। रात्रि भोजन के पश्चात्, उनके लेटने से पहले, नगर के चारों ओर से लोगों की भीड़ ने लूत के घर को घेर लिया और लूत को बाहर बुलाने लगे। पवित्र शास्त्र में उनका ये कथन दर्ज है, "जो पुरुष आज रात को तेरे पास आए हैं वे कहाँ हैं? उनको हमारे पास बाहर ले आ कि हम उनसे भोग करें।" इन शब्दों को किसने कहा था? इन्हें किन से कहा गया था? ये सदोम के लोगों के शब्द थे, जो लूत के घर के बाहर चिल्लाते थे और ये लूत के लिए थे। इन शब्दों को सुनकर कैसा महसूस होता है? क्या तुम क्रोधित हो? क्या इन शब्दों से तुम्हें घिन आती है? क्या तुम क्रोध के मारे आगबबूला हो रहे हो? क्या ये शब्द शैतान की तीखी दुर्गन्ध नहीं है? उनके जरिए, क्या तुम इस नगर की बुराई और अन्धकार का एहसास कर सकते हो? क्या तुम उनके शब्दों के जरिए इन लोगों के व्यवहार की क्रूरता और बर्बरता का एहसास कर सकते हो? क्या तुम उनके आचरण के जरिए उनकी भ्रष्टता की गहराई का एहसास कर सकते हो? उन्होंने जो कहा उसके जरिए यह समझना कठिन नहीं है कि उनकी अधर्मी प्रकृति और हिंसक स्वभाव एक ऐसे स्तर तक पहुँच गया था जो उनके खुद के नियन्त्रण से परे था। लूत को छोड़कर, नगर का हर एक व्यक्ति शैतान जैसा ही था; अन्य व्यक्तियों की झलक पाते ही ये लोग उन्हें नुकसान पहुंचाना और निगल जाना चाहते थे...। ये चीज़ें एक व्यक्ति को नगर के भयंकर और डरावनी प्रकृति के साथ ही इसके चारों ओर उपस्थित मौत के वातावरण का भी एहसास कराती हैं; वे एक व्यक्ति को नगर की अधर्मता एवं ख़ूनी प्रकृति का भी एहसास कराती हैं।

जब उसने स्वयं को अमानवीय ठगों के गिरोह के आमने-सामने पाया, जो प्राणों को निगल जाने की लालसा से भरे हुए थे, तो लूत ने कैसा प्रत्युत्तर दिया था? पवित्र शास्त्र के अनुसार: "हे मेरे भाइयो, ऐसी बुराई न करो। सुनो, मेरी दो बेटियाँ हैं जिन्होंने अब तक पुरुष का मुँह नहीं देखा; इच्छा हो तो मैं उन्हें तुम्हारे पास बाहर ले आऊँ, और तुम को जैसा अच्छा लगे वैसा व्यवहार उनसे करो; पर इन पुरुषों से कुछ न करो; क्योंकि ये मेरी छत तले आए हैं।" लूत के शब्दों का अभिप्राय निम्नलिखित था: वह दूतों को बचाने के लिए अपनी दो बेटियों को त्यागने के लिए तैयार हो गया था। उचित तो यह था कि, इन लोगों को लूत की शर्तों से सहमत हो जाना चाहिए था और दोनों दूतों को अकेला छोड़ देना चाहिए था; आख़िरकार, वे दूत उनके लिए पूरी तरह से अजनबी थे, ऐसे लोग जिनका उनके साथ कोई लेना देना नहीं था; इन दोनों दूतों ने उनके हितों को कभी भी नुकसान नहीं पहुंचाया था। फिर भी, अपनी बुरी प्रकृति से प्रेरित होकर, उन्होंने उस मुद्दे को यहीं खत्‍म नहीं किया। उसके बजाए, उन्होंने अपने प्रयासों को और अधिक तेज ही किया। यहां उनकी बातचीत का एक भाग नि:सन्देह इन लोगों के असली पापपूर्ण प्रकृति की और अधिक अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकता है; साथ ही यह परमेश्वर के इस नगर को नष्ट करने के कारण को जानने और बूझने भी देता है।

अत: उन्होंने आगे क्या कहा? जैसा बाइबल में पढ़ते है: "'हट जा!' फिर वे कहने लगे, 'तू एक परदेशी होकर यहाँ रहने के लिये आया, पर अब न्यायी भी बन बैठा है; इसलिये अब हम उनसे भी अधिक तेरे साथ बुराई करेंगे।' और वे उस पुरुष लूत को बहुत दबाने लगे, और किवाड़ तोड़ने के लिये निकट आए।" वे किवाड़ को क्यों तोड़ना चाहते थे? वजह यह है कि वे उन दोनों दूतों को नुकसान पहुँचाने के लिए बहुत उत्सुक थे। वे दोनों दूत सदोम में क्या कर रहे थे? वहां आने का उनका उद्देश्य था लूत एवं उसके परिवार को बचाना; फिर भी, नगर के लोगों ने ग़लत रीति से सोचा कि वे आधिकारिक पदों पर हक़ जमाने के लिए आए थे। उनके उद्देश्य को पूछे बिना, यह मात्र अनुमान ही था जिससे नगरवासियों ने असभ्यता से उन दोनों दूतों को नुकसान पहुंचाना चाहा; वे ऐसे दो जनों को चोट पहुंचाना चाहते थे जिनका उनके साथ किसी भी प्रकार का कोई लेना-देना नहीं था। यह स्पष्ट है कि नगर के लोगों ने पूरी तरह से अपनी मानवता और तर्कशक्ति को गंवा दिया था। उनके पागलपन और असभ्यता का स्तर पहले से ही मनुष्यों को नुकसान पहुँचाने वाले और निगल जानेवाले शैतान के दुष्ट स्वभाव से अलग नहीं था।

जब उन्होंने लूत से इन लोगों को मांगा, तब लूत ने क्या किया? पाठ से हमें ज्ञात होता है कि लूत ने उन्हें नहीं सौंपा। क्या लूत परमेश्वर के इन दोनों दूतों को जानता था? बिल्कुल भी नहीं! परन्तु वह इन दोनों लोगों को बचाने में समर्थ क्यों था? क्या उसे मालूम था कि वे क्या करने आए थे? यद्यपि वह उनके आने के कारण से अनजान था, फिर भी वह जानता था कि वे परमेश्वर के सेवक हैं, और इस प्रकार उसने उनका स्वागत किया। उसने परमेश्वर के इन दासों को स्वामी कहकर बुलाया जो यह दिखाता है कि सदोम के अन्‍य लोगों से अलग, लूत आम तौर पर परमेश्वर का एक अनुयायी था। इसलिए, जब परमेश्वर के दूत उसके पास आए, तो इन दोनों सेवकों का स्वागत करने के लिए उसने अपने स्वयं के जीवन को जोखिम में डाल दिया था, उससे बढ़कर, इन दोनों सेवकों की सुरक्षा के लिए उसने बदले में अपनी बेटियां भी दे दी। यह लूत का धर्मी कार्य है; साथ ही यह लूत के स्वभाव और उसके सार का एक ठोस प्रकटीकरण है, और साथ ही परमेश्वर के लूत को बचाने के लिए अपने सेवकों को भेजने का कारण भी था। जोखिम का सामना करते समय, लूत ने किसी भी चीज़ की परवाह किए बगैर इन दोनों सेवकों की सुरक्षा की; यहाँ तक कि उसने सेवकों की सुरक्षा के बदले में अपनी दोनों बेटियों का सौदा करने का भी प्रयास किया। लूत के अतिरिक्त, क्या नगर के भीतर कोई ऐसा था जो कुछ इस तरह का काम कर सकता था? जैसे कि तथ्य साबित करते हैं—नहीं! इसलिए, कहने की आवश्यकता नहीं है कि, लूत को छोड़कर सदोम के भीतर हर कोई विनाश का लक्ष्य था साथ-ही-साथ एक ऐसे लक्ष्य के समान था जो विनाश के योग्य था।

— "वचन देह में प्रकट होता है" से उद्धृत

एपिसोड्स
1 अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य के बारे में बाइबिल की भविष्यवाणियाँ
2 मसीह न्याय का कार्य सत्य के साथ करता है
3 परमेश्वर ने आपदा से हमारे परिवार की रक्षा की
4 एक ईमानदार व्यक्ति होना वास्तव में बड़ी बात है!
5 परमेश्वर राज्य के युग में न्याय और ताड़ना के अपने कार्य को कैसे पूरा करता है?
6 अंत के दिनों में परमेश्वर का न्याय आपदा से पहले विजेताओं को बनाता है
7 अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य को अस्वीकार करने का परिणाम और नतीजा
8 परमेश्वर नीनवे के नागरिकों के हृदय की गहराइयों में सच्चा पश्चाताप देखता है
9 यहोवा परमेश्वर की चेतावनी नीनवे के लोगों तक पहुंचती है
10 यदि परमेश्वर में तेरा विश्वास सच्चा है, तो तू अक्सर उसकी देखरेख को प्राप्त करेगा
11 सदोम की भ्रष्टताः मनुष्यों को क्रोधित करने वाली, परमेश्वर के कोप को भड़काने वाली
12 सच्चा स्वर्गारोहण क्या है?
13 बाइबल की भविष्यवाणियां पूरी हो चुकी हैं: यीशु के आगमन का स्वागत कैसे करें
14 भारी क्लेश से पहले हमें कैसे स्वर्गारोहित किया जाएगा
15 प्रभु यीशु की वापसी से संबंधित बाइबल की 5 भविष्यवाणियाँ पूरी की जा चुकी हैं
16 परमेश्वर संसार को जलप्रलय से नाश करने का इरादा करता है
17 जब प्रभु द्वार पर दस्तक देने आएंगे तो हम उनका स्वागत कैसे करेंगे?
18 सच्चा स्वर्गारोहण क्या है?
19 एक ईसाई के रूप में, नियमित रूप से सभाओं में भाग लेने अवहेलना नहीं की जा सकती!
20 क्या यीशु मसीह के आगमन पर हमारे रूप फ़ौरन बदल जायेंगे और हम
21 पाप पर विजय कैसे पाएँ: अंतत: मैंने शुद्धता का पथ पा लिया और मुक्त हो गयी
22 बुद्धिमान कुँवारियाँ असल में क्या हैं?
23 परमेश्वर किन लोगों को बचाता है? वह किन लोगों को हटा देता है?
24 3 वैसी प्रार्थना कैसे करें जो परमेश्वर सुनें
25 सत्‍य क्या है? बाइबल का ज्ञान और सिद्धांत क्या है?
26 I. परमेश्वर के देहधारण से सम्बंधित सत्य
27 प्रभु पूर्व में प्रकट हुआ है
28 जब प्रभु द्वार पर दस्तक देने आएंगे तो हम उनका स्वागत कैसे करेंगे?
29 यीशु के द्वितीय आगमन की भविष्यवाणियाँ कैसे पूरी हो रही हैं?
30 प्रभु यीशु के आगमन की तैयारी हमें कैसे करनी चाहिए?
31 परमेश्वर ईसाइयों को क्यों कष्ट सहने देते हैं?
32 यदि परमेश्वर में तेरा विश्वास सच्चा है, तो तू अक्सर उसकी देखरेख को प्राप्त करेगा
33 परमेश्वर नीनवे के नागरिकों के हृदय की गहराइयों में सच्चा पश्चाताप देखता है
34 यहोवा परमेश्वर की चेतावनी नीनवे के लोगों तक पहुंचती है
35 बुद्धिमान कुँवारियों में क्या समझदारी है जो प्रभु का स्वागत करती हैं?
36 मूर्ख कुँवारियाँ असल में क्या हैं?
37 सृष्टिकर्ता का धर्मी स्वभाव सच्चा और स्पष्ट है
38 मानवजाति के प्रति सृष्टिकर्ता की सच्ची भावनाएं
39 कोहरा छंट जाता है और मैं स्वर्ग के राज्य का मार्ग पा लेता हूँ
40 आदम के लिए परमेश्वर की आज्ञा
41 I. परमेश्वर के देहधारण से सम्बंधित सत्य
42 देहधारण का सत्य
43 प्रभु यीशु ने कहा था कि वे वापस आएँगे, और उनकी वापसी की रीति क्या होगी?
44 प्रभु के आगमन का मार्ग
45 परमेश्वर की आवाज को जानना
46 स्वर्ग के राज्य का सुसमाचार
47 दुर्भाग्य बेहद पास था! मैंने प्रभु को करीब-करीब अनदेखा कर दिया था (भाग 1)
48 दुर्भाग्य बेहद पास था! मैंने प्रभु को करीब-करीब अनदेखा कर दिया था (भाग 2)
49 अनुग्रह के युग में परमेश्वर ने यहूदिया में क्यों कार्य किया?
50 स्वभाव का परिवर्तन क्या है?
51 परमेश्वर की आवाज को जानना
52 परमेश्वर के नामों के रहस्य को समझकर, मैं मेमने के पदचिह्नों पर चल पाती हूँ
53 मानव जाति के प्रबंधन से सम्बंधित परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के उद्देश्य
54 यह कैसे समझें कि मसीह सत्य, मार्ग और जीवन है?
55 खोया फिर पाया
56 Hindi Christian Movie अंश 1 : "बाइबल के बारे में रहस्य का खुलासा"
57 शांत हुआ तलाक का तूफ़ान
58 स्वर्ग के राज्य का सुसमाचार
59 परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बीच का पारस्परिक संबंध
60 एक अलग तरह का प्रेम
61 परमेश्वर के क्रोध को भड़काने के कारण सदोम को तबाह कर दिया गया
62 प्रभु पूर्व में प्रकट हुआ है
63 अय्यूब के बारे में लोगों की अनेक ग़लतफहमियाँ
64 परमेश्वर के दैनिक वचन | "प्रस्तावना" | अंश 24
65 सुसमाचार-सम्बन्धित प्रश्नोत्तर
66 शीर्षक-रहित भाग 85
67 परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक के उद्देश्य और महत्व
68 क्या तुम ईसाई प्रार्थना के 4 प्रमुख तत्वों को जानते हो?
69 मैं असली और नकली मसीह में भेद कर सकती हूँ
70 अब मैं असली मसीह को झूठे मसीहों से अलग पहचान सकती हूँ
71 मुझे अब परमेश्वर का नया नाम मालूम है
72 एक ईसाई के रूप में, नियमित रूप से सभाओं में भाग लेने अवहेलना नहीं की जा सकती!
73 मैं असली और नकली मसीह में भेद कर सकती हूँ
74 सुसमाचार-सम्बन्धित प्रश्नोत्तर
75 एक झूठा मसीह क्या होता है? एक मसीह-विरोधी को कैसे पहचाना जा सकता है?
76 प्रभु यीशु के आगमन की तैयारी हमें कैसे करनी चाहिए?
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76 एपिसोड्स को अपडेट किया गया

1
अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य के बारे में बाइबिल की भविष्यवाणियाँ
2
मसीह न्याय का कार्य सत्य के साथ करता है
3
परमेश्वर ने आपदा से हमारे परिवार की रक्षा की
4
एक ईमानदार व्यक्ति होना वास्तव में बड़ी बात है!
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परमेश्वर राज्य के युग में न्याय और ताड़ना के अपने कार्य को कैसे पूरा करता है?
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अंत के दिनों में परमेश्वर का न्याय आपदा से पहले विजेताओं को बनाता है
7
अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य को अस्वीकार करने का परिणाम और नतीजा
8
परमेश्वर नीनवे के नागरिकों के हृदय की गहराइयों में सच्चा पश्चाताप देखता है
9
यहोवा परमेश्वर की चेतावनी नीनवे के लोगों तक पहुंचती है
10
यदि परमेश्वर में तेरा विश्वास सच्चा है, तो तू अक्सर उसकी देखरेख को प्राप्त करेगा
11
सदोम की भ्रष्टताः मनुष्यों को क्रोधित करने वाली, परमेश्वर के कोप को भड़काने वाली
12
सच्चा स्वर्गारोहण क्या है?
13
बाइबल की भविष्यवाणियां पूरी हो चुकी हैं: यीशु के आगमन का स्वागत कैसे करें
14
भारी क्लेश से पहले हमें कैसे स्वर्गारोहित किया जाएगा
15
प्रभु यीशु की वापसी से संबंधित बाइबल की 5 भविष्यवाणियाँ पूरी की जा चुकी हैं
16
परमेश्वर संसार को जलप्रलय से नाश करने का इरादा करता है
17
जब प्रभु द्वार पर दस्तक देने आएंगे तो हम उनका स्वागत कैसे करेंगे?
18
सच्चा स्वर्गारोहण क्या है?
19
एक ईसाई के रूप में, नियमित रूप से सभाओं में भाग लेने अवहेलना नहीं की जा सकती!
20
क्या यीशु मसीह के आगमन पर हमारे रूप फ़ौरन बदल जायेंगे और हम
21
पाप पर विजय कैसे पाएँ: अंतत: मैंने शुद्धता का पथ पा लिया और मुक्त हो गयी
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बुद्धिमान कुँवारियाँ असल में क्या हैं?
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परमेश्वर किन लोगों को बचाता है? वह किन लोगों को हटा देता है?
24
3 वैसी प्रार्थना कैसे करें जो परमेश्वर सुनें
25
सत्‍य क्या है? बाइबल का ज्ञान और सिद्धांत क्या है?
26
I. परमेश्वर के देहधारण से सम्बंधित सत्य
27
प्रभु पूर्व में प्रकट हुआ है
28
जब प्रभु द्वार पर दस्तक देने आएंगे तो हम उनका स्वागत कैसे करेंगे?
29
यीशु के द्वितीय आगमन की भविष्यवाणियाँ कैसे पूरी हो रही हैं?
30
प्रभु यीशु के आगमन की तैयारी हमें कैसे करनी चाहिए?
31
परमेश्वर ईसाइयों को क्यों कष्ट सहने देते हैं?
32
यदि परमेश्वर में तेरा विश्वास सच्चा है, तो तू अक्सर उसकी देखरेख को प्राप्त करेगा
33
परमेश्वर नीनवे के नागरिकों के हृदय की गहराइयों में सच्चा पश्चाताप देखता है
34
यहोवा परमेश्वर की चेतावनी नीनवे के लोगों तक पहुंचती है
35
बुद्धिमान कुँवारियों में क्या समझदारी है जो प्रभु का स्वागत करती हैं?
36
मूर्ख कुँवारियाँ असल में क्या हैं?
37
सृष्टिकर्ता का धर्मी स्वभाव सच्चा और स्पष्ट है
38
मानवजाति के प्रति सृष्टिकर्ता की सच्ची भावनाएं
39
कोहरा छंट जाता है और मैं स्वर्ग के राज्य का मार्ग पा लेता हूँ
40
आदम के लिए परमेश्वर की आज्ञा
41
I. परमेश्वर के देहधारण से सम्बंधित सत्य
42
देहधारण का सत्य
43
प्रभु यीशु ने कहा था कि वे वापस आएँगे, और उनकी वापसी की रीति क्या होगी?
44
प्रभु के आगमन का मार्ग
45
परमेश्वर की आवाज को जानना
46
स्वर्ग के राज्य का सुसमाचार
47
दुर्भाग्य बेहद पास था! मैंने प्रभु को करीब-करीब अनदेखा कर दिया था (भाग 1)
48
दुर्भाग्य बेहद पास था! मैंने प्रभु को करीब-करीब अनदेखा कर दिया था (भाग 2)
49
अनुग्रह के युग में परमेश्वर ने यहूदिया में क्यों कार्य किया?
50
स्वभाव का परिवर्तन क्या है?
51
परमेश्वर की आवाज को जानना
52
परमेश्वर के नामों के रहस्य को समझकर, मैं मेमने के पदचिह्नों पर चल पाती हूँ
53
मानव जाति के प्रबंधन से सम्बंधित परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के उद्देश्य
54
यह कैसे समझें कि मसीह सत्य, मार्ग और जीवन है?
55
खोया फिर पाया
56
Hindi Christian Movie अंश 1 : "बाइबल के बारे में रहस्य का खुलासा"
57
शांत हुआ तलाक का तूफ़ान
58
स्वर्ग के राज्य का सुसमाचार
59
परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बीच का पारस्परिक संबंध
60
एक अलग तरह का प्रेम
61
परमेश्वर के क्रोध को भड़काने के कारण सदोम को तबाह कर दिया गया
62
प्रभु पूर्व में प्रकट हुआ है
63
अय्यूब के बारे में लोगों की अनेक ग़लतफहमियाँ
64
परमेश्वर के दैनिक वचन | "प्रस्तावना" | अंश 24
65
सुसमाचार-सम्बन्धित प्रश्नोत्तर
66
शीर्षक-रहित भाग 85
67
परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक के उद्देश्य और महत्व
68
क्या तुम ईसाई प्रार्थना के 4 प्रमुख तत्वों को जानते हो?
69
मैं असली और नकली मसीह में भेद कर सकती हूँ
70
अब मैं असली मसीह को झूठे मसीहों से अलग पहचान सकती हूँ
71
मुझे अब परमेश्वर का नया नाम मालूम है
72
एक ईसाई के रूप में, नियमित रूप से सभाओं में भाग लेने अवहेलना नहीं की जा सकती!
73
मैं असली और नकली मसीह में भेद कर सकती हूँ
74
सुसमाचार-सम्बन्धित प्रश्नोत्तर
75
एक झूठा मसीह क्या होता है? एक मसीह-विरोधी को कैसे पहचाना जा सकता है?
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