यदि परमेश्वर में तेरा विश्वास सच्चा है, तो तू अक्सर उसकी देखरेख को प्राप्त करेगा

नीनवे के लोगों के प्रति परमेश्वर के द्वारा अपने इरादों को बदलने में कोई संकोच या अस्पष्टता शामिल नहीं है। इसके बजाए, यह शुद्ध-क्रोध से शुद्ध-सहनशीलता में हुआ एक रूपान्तरण था। यह परमेश्वर के सार का एक सच्चा प्रकाशन है। परमेश्वर अपने कार्यों में कभी अस्थिर या संकोची नहीं होता है; उसके कार्यों के पीछे के सिद्धान्त और उद्देश्य स्पष्ट, पारदर्शी, शुद्ध और दोषरहित होते हैं, जिसमें कोई धोखा या षड्यंत्र बिल्कुल भी नहीं होता है। दूसरे शब्दों में, परमेश्वर के सार में कोई अंधकार या बुराई शामिल नहीं होती है। परमेश्वर नीनवे के नागरिकों से इसलिए क्रोधित हो गया था क्योंकि उनकी दुष्टता के कार्य उसकी नज़रों में आ गए थे; उस वक्त उसका क्रोध उसके सार से निकला था। फ़िर भी, जब परमेश्वर का क्रोध जाता रहा और उसने नीनवे के लोगों पर एक बार फ़िर से सहनशीलता दिखाई, तो वह सब कुछ जो उसने प्रकट किया था वह भी उसका स्वयं का सार था। यह सम्पूर्ण परिवर्तन परमेश्वर के प्रति मनुष्य के रवैये में हुए बदलाव के कारण है। इस सम्पूर्ण अवधि के दौरान, उल्लंघन न किया जा सकने वाला परमेश्वर का स्वभाव नहीं बदला; परमेश्वर का सहनशील सार नहीं बदला; परमेश्वर का प्रेमी और करुणामय सार नहीं बदला। जब लोग दुष्टता के काम करते हैं और परमेश्वर को ठेस पहुंचाते हैं, तो वह अपना क्रोध उन पर लाता है। जब लोग सचमुच में पश्चाताप करते हैं, तो परमेश्वर का हृदय बदलेगा, और उसका क्रोध थम जाएगा। जब लोग हठी होकर निरन्तर परमेश्वर का विरोध करते हैं, तो उसका क्रोध निरन्तर जारी रहेगा; उसका क्रोध थोड़ा-थोड़ा करके उन पर तब तक दबाव बनाता जाएगा जब तक वे नष्ट नहीं हो जाते हैं। यह परमेश्वर के स्वभाव का सार है। परमेश्वर चाहे क्रोध प्रकट कर रहा हो या दया एवं करुणा, यह मनुष्य के हृदय की गहराइयों में परमेश्वर के प्रति उसका आचरण, व्यवहार और रवैया ही है जो यह तय करता है कि परमेश्वर के स्वभाव के प्रकाशन के माध्यम से क्या व्यक्त होगा। यदि परमेश्वर किसी व्यक्ति को निरन्तर अपने क्रोध के अधीन रखता है, तो निःसन्देह इस व्यक्ति का हृदय परमेश्वर का विरोध करेगा। क्योंकि उसने कभी भी परमेश्वर के सम्मुख सचमुच में पश्चाताप नहीं किया है, अपना सिर नहीं झुकाया या परमेश्वर में सच्चा विश्वास धारण नहीं किया है, और उसने कभी भी परमेश्वर की दया और सहनशीलता को हासिल नहीं किया है। यदि कोई व्यक्ति अक्सर परमेश्वर की देखरेख को प्राप्त करता है, और अक्सर उसकी करुणा और सहनशीलता को हासिल करता है, तो निःसन्देह इस व्यक्ति के पास अपने हृदय में परमेश्वर के लिए सच्चा विश्वास है, और उसका हृदय परमेश्वर के विरुद्ध नहीं है। वह प्रायः परमेश्वर के सम्मुख पश्चाताप करता है; इसलिए, भले ही परमेश्वर का अनुशासन अक्सर इस व्यक्ति के ऊपर आए, फ़िर भी उसका क्रोध नहीं आएगा।

यह संक्षिप्त उल्लेख, लोगों को परमेश्वर के हृदय को देखने, उसके सार की यथार्थता को देखने, और यह देखने देता है कि परमेश्वर का क्रोध और उसके हृदय के बदलाव बेवज़ह नहीं हैं। इस अति स्पष्ट अन्तर के बावजूद जिसे परमेश्वर ने तब प्रदर्शित किया था जब वह क्रोधित था और जब उसने अपना हृदय बदल लिया था, जिससे लोगों को यह लगता है कि परमेश्वर के सार के इन दोनों पहलुओं—उसका क्रोध और उसकी सहनशीलता—के बीच बहुत दूरी है और एक बड़ा अन्तर है। नीनवे के लोगों के पश्चाताप के प्रति परमेश्वर का रवैया एक बार फ़िर से लोगों को परमेश्वर के सच्चे स्वभाव के अन्य पहलू को देखने देता है। परमेश्वर के हृदय के बदलाव ने सचमुच में एक बार फ़िर से मनुष्य को परमेश्वर की दया और करुणा की सच्चाई को देखने और परमेश्वर के सार के सच्चे प्रकाशन को देखने दिया है। मनुष्य को बस यह जानने की आवश्यकता है कि परमेश्वर की दया और करुणा पौराणिक कथाएं नहीं हैं, और न ही उन्हें मन से गढ़ा गया है। यह इसलिए है क्योंकि उस घड़ी परमेश्वर की भावनाएं सच्ची थीं; परमेश्वर के हृदय का बदलाव सच्चा था; परमेश्वर ने वास्तव में एक बार फ़िर से मनुष्य के ऊपर अपनी दया और करुणा को अर्पित किया था।

नीनवे के लोगों के हृदयों में सच्चे पश्चाताप से उन्होंने परमेश्वर की दया को प्राप्त किया और उसने उनके अंत को बदल दिया

क्या परमेश्वर के हृदय के बदलाव और उसके क्रोध के बीच कोई परस्पर विरोध था? नहीं, बिल्कुल भी नहीं! यह इसलिए है क्योंकि उस विशेष समय पर परमेश्वर की सहनशीलता का अपना कारण था। इसका कारण क्या हो सकता है? इसका कारण वह है जिसे बाइबल में दिया गया है: "प्रत्येक व्यक्ति अपने-अपने कुमार्ग से फ़िर गया," और "अपने हाथों के उपद्रवी कार्यों को तज दिया।"

यह "कुमार्ग" कुछ मुटठीभर बुरे कार्यों की ओर संकेत नहीं करता है, परन्तु लोगों के व्यवहार के पीछे पाए जाने वाले बुरे स्रोत की ओर संकेत करता है। "अपने कुमार्ग से फ़िर जाना" इसका अर्थ है कि संबंधित लोग कभी भी इन कार्यों को दोबारा नहीं करेंगे। दूसरे शब्दों में, वे पुन: इस बुरे तरीके से व्यवहार नहीं करेंगे; वह तरीका, स्रोत, उद्देश्य, इरादा और उनके कार्यों का सिद्धान्त सब बदल चुका है; वे अपने हृदय में आनन्द और प्रसन्नता को लाने के लिए पुनः उन तरीकों और सिद्धान्तों का उपयोग कभी नहीं करेंगे। "हाथों के उपद्रव को त्याग देना" में "त्याग देना" का अर्थ है त्याग देना या छोड़ देना, बीते कल से पूर्ण रूप से नाता तोड़ देना और उस ओर कभी न फिरना। जब नीनवे के लोगों ने अपने हाथों का उपद्रव त्याग दिया, तो इसने उनके सच्चे पश्चाताप को प्रमाणित और साथ ही साथ प्रदर्शित भी किया। परमेश्वर लोगों के बाहरी रूप और साथ ही साथ उनके हृदय का भी अवलोकन करता है। जब परमेश्वर ने नीनवे के लोगों के हृदयों में निश्चित सच्चे पश्चाताप को देखा, साथ ही यह भी देखा कि वे अपने कुमार्ग से फ़िर गए हैं और उन्होंने अपने हाथों के उपद्रव को त्याग दिया है, तो उसने अपना मन बदल लिया। कहने का तात्पर्य है कि इन लोगों के चालचलन, व्यवहार और कार्य करने के विभिन्न तरीकों ने, साथ ही साथ उनके हृदय के सच्चे अंगीकार और पापों के पश्चाताप ने, परमेश्वर को प्रेरित किया कि वह अपने मन को बदल दे, अपने इरादों को बदल दे, अपने निर्णय को वापस ले ले, और उन्हें दण्ड न दे या नष्ट न करे। इस प्रकार, नीनवे के लोगों ने एक अलग अंत को प्राप्त किया। उन्होंने अपने जीवन को छुड़ाया साथ ही परमेश्वर की दया और करुणा को जीत लिया, इस बिन्दु पर परमेश्वर ने भी अपने क्रोध को वापस ले लिया।

— "वचन देह में प्रकट होता है" से उद्धृत

एपिसोड्स
1 अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य के बारे में बाइबिल की भविष्यवाणियाँ
2 मसीह न्याय का कार्य सत्य के साथ करता है
3 परमेश्वर ने आपदा से हमारे परिवार की रक्षा की
4 एक ईमानदार व्यक्ति होना वास्तव में बड़ी बात है!
5 परमेश्वर राज्य के युग में न्याय और ताड़ना के अपने कार्य को कैसे पूरा करता है?
6 अंत के दिनों में परमेश्वर का न्याय आपदा से पहले विजेताओं को बनाता है
7 अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य को अस्वीकार करने का परिणाम और नतीजा
8 परमेश्वर नीनवे के नागरिकों के हृदय की गहराइयों में सच्चा पश्चाताप देखता है
9 यहोवा परमेश्वर की चेतावनी नीनवे के लोगों तक पहुंचती है
10 यदि परमेश्वर में तेरा विश्वास सच्चा है, तो तू अक्सर उसकी देखरेख को प्राप्त करेगा
11 सदोम की भ्रष्टताः मनुष्यों को क्रोधित करने वाली, परमेश्वर के कोप को भड़काने वाली
12 सच्चा स्वर्गारोहण क्या है?
13 बाइबल की भविष्यवाणियां पूरी हो चुकी हैं: यीशु के आगमन का स्वागत कैसे करें
14 भारी क्लेश से पहले हमें कैसे स्वर्गारोहित किया जाएगा
15 प्रभु यीशु की वापसी से संबंधित बाइबल की 5 भविष्यवाणियाँ पूरी की जा चुकी हैं
16 परमेश्वर संसार को जलप्रलय से नाश करने का इरादा करता है
17 जब प्रभु द्वार पर दस्तक देने आएंगे तो हम उनका स्वागत कैसे करेंगे?
18 सच्चा स्वर्गारोहण क्या है?
19 एक ईसाई के रूप में, नियमित रूप से सभाओं में भाग लेने अवहेलना नहीं की जा सकती!
20 क्या यीशु मसीह के आगमन पर हमारे रूप फ़ौरन बदल जायेंगे और हम
21 पाप पर विजय कैसे पाएँ: अंतत: मैंने शुद्धता का पथ पा लिया और मुक्त हो गयी
22 बुद्धिमान कुँवारियाँ असल में क्या हैं?
23 परमेश्वर किन लोगों को बचाता है? वह किन लोगों को हटा देता है?
24 3 वैसी प्रार्थना कैसे करें जो परमेश्वर सुनें
25 सत्‍य क्या है? बाइबल का ज्ञान और सिद्धांत क्या है?
26 I. परमेश्वर के देहधारण से सम्बंधित सत्य
27 प्रभु पूर्व में प्रकट हुआ है
28 जब प्रभु द्वार पर दस्तक देने आएंगे तो हम उनका स्वागत कैसे करेंगे?
29 यीशु के द्वितीय आगमन की भविष्यवाणियाँ कैसे पूरी हो रही हैं?
30 प्रभु यीशु के आगमन की तैयारी हमें कैसे करनी चाहिए?
31 परमेश्वर ईसाइयों को क्यों कष्ट सहने देते हैं?
32 यदि परमेश्वर में तेरा विश्वास सच्चा है, तो तू अक्सर उसकी देखरेख को प्राप्त करेगा
33 परमेश्वर नीनवे के नागरिकों के हृदय की गहराइयों में सच्चा पश्चाताप देखता है
34 यहोवा परमेश्वर की चेतावनी नीनवे के लोगों तक पहुंचती है
35 बुद्धिमान कुँवारियों में क्या समझदारी है जो प्रभु का स्वागत करती हैं?
36 मूर्ख कुँवारियाँ असल में क्या हैं?
37 सृष्टिकर्ता का धर्मी स्वभाव सच्चा और स्पष्ट है
38 मानवजाति के प्रति सृष्टिकर्ता की सच्ची भावनाएं
39 कोहरा छंट जाता है और मैं स्वर्ग के राज्य का मार्ग पा लेता हूँ
40 आदम के लिए परमेश्वर की आज्ञा
41 I. परमेश्वर के देहधारण से सम्बंधित सत्य
42 देहधारण का सत्य
43 प्रभु यीशु ने कहा था कि वे वापस आएँगे, और उनकी वापसी की रीति क्या होगी?
44 प्रभु के आगमन का मार्ग
45 परमेश्वर की आवाज को जानना
46 स्वर्ग के राज्य का सुसमाचार
47 दुर्भाग्य बेहद पास था! मैंने प्रभु को करीब-करीब अनदेखा कर दिया था (भाग 1)
48 दुर्भाग्य बेहद पास था! मैंने प्रभु को करीब-करीब अनदेखा कर दिया था (भाग 2)
49 अनुग्रह के युग में परमेश्वर ने यहूदिया में क्यों कार्य किया?
50 स्वभाव का परिवर्तन क्या है?
51 परमेश्वर की आवाज को जानना
52 परमेश्वर के नामों के रहस्य को समझकर, मैं मेमने के पदचिह्नों पर चल पाती हूँ
53 मानव जाति के प्रबंधन से सम्बंधित परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के उद्देश्य
54 यह कैसे समझें कि मसीह सत्य, मार्ग और जीवन है?
55 खोया फिर पाया
56 Hindi Christian Movie अंश 1 : "बाइबल के बारे में रहस्य का खुलासा"
57 शांत हुआ तलाक का तूफ़ान
58 स्वर्ग के राज्य का सुसमाचार
59 परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बीच का पारस्परिक संबंध
60 एक अलग तरह का प्रेम
61 परमेश्वर के क्रोध को भड़काने के कारण सदोम को तबाह कर दिया गया
62 प्रभु पूर्व में प्रकट हुआ है
63 अय्यूब के बारे में लोगों की अनेक ग़लतफहमियाँ
64 परमेश्वर के दैनिक वचन | "प्रस्तावना" | अंश 24
65 सुसमाचार-सम्बन्धित प्रश्नोत्तर
66 शीर्षक-रहित भाग 85
67 परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक के उद्देश्य और महत्व
68 क्या तुम ईसाई प्रार्थना के 4 प्रमुख तत्वों को जानते हो?
69 मैं असली और नकली मसीह में भेद कर सकती हूँ
70 अब मैं असली मसीह को झूठे मसीहों से अलग पहचान सकती हूँ
71 मुझे अब परमेश्वर का नया नाम मालूम है
72 एक ईसाई के रूप में, नियमित रूप से सभाओं में भाग लेने अवहेलना नहीं की जा सकती!
73 मैं असली और नकली मसीह में भेद कर सकती हूँ
74 सुसमाचार-सम्बन्धित प्रश्नोत्तर
75 एक झूठा मसीह क्या होता है? एक मसीह-विरोधी को कैसे पहचाना जा सकता है?
76 प्रभु यीशु के आगमन की तैयारी हमें कैसे करनी चाहिए?
एपिसोड्स

76 एपिसोड्स को अपडेट किया गया

1
अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य के बारे में बाइबिल की भविष्यवाणियाँ
2
मसीह न्याय का कार्य सत्य के साथ करता है
3
परमेश्वर ने आपदा से हमारे परिवार की रक्षा की
4
एक ईमानदार व्यक्ति होना वास्तव में बड़ी बात है!
5
परमेश्वर राज्य के युग में न्याय और ताड़ना के अपने कार्य को कैसे पूरा करता है?
6
अंत के दिनों में परमेश्वर का न्याय आपदा से पहले विजेताओं को बनाता है
7
अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य को अस्वीकार करने का परिणाम और नतीजा
8
परमेश्वर नीनवे के नागरिकों के हृदय की गहराइयों में सच्चा पश्चाताप देखता है
9
यहोवा परमेश्वर की चेतावनी नीनवे के लोगों तक पहुंचती है
10
यदि परमेश्वर में तेरा विश्वास सच्चा है, तो तू अक्सर उसकी देखरेख को प्राप्त करेगा
11
सदोम की भ्रष्टताः मनुष्यों को क्रोधित करने वाली, परमेश्वर के कोप को भड़काने वाली
12
सच्चा स्वर्गारोहण क्या है?
13
बाइबल की भविष्यवाणियां पूरी हो चुकी हैं: यीशु के आगमन का स्वागत कैसे करें
14
भारी क्लेश से पहले हमें कैसे स्वर्गारोहित किया जाएगा
15
प्रभु यीशु की वापसी से संबंधित बाइबल की 5 भविष्यवाणियाँ पूरी की जा चुकी हैं
16
परमेश्वर संसार को जलप्रलय से नाश करने का इरादा करता है
17
जब प्रभु द्वार पर दस्तक देने आएंगे तो हम उनका स्वागत कैसे करेंगे?
18
सच्चा स्वर्गारोहण क्या है?
19
एक ईसाई के रूप में, नियमित रूप से सभाओं में भाग लेने अवहेलना नहीं की जा सकती!
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क्या यीशु मसीह के आगमन पर हमारे रूप फ़ौरन बदल जायेंगे और हम
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पाप पर विजय कैसे पाएँ: अंतत: मैंने शुद्धता का पथ पा लिया और मुक्त हो गयी
22
बुद्धिमान कुँवारियाँ असल में क्या हैं?
23
परमेश्वर किन लोगों को बचाता है? वह किन लोगों को हटा देता है?
24
3 वैसी प्रार्थना कैसे करें जो परमेश्वर सुनें
25
सत्‍य क्या है? बाइबल का ज्ञान और सिद्धांत क्या है?
26
I. परमेश्वर के देहधारण से सम्बंधित सत्य
27
प्रभु पूर्व में प्रकट हुआ है
28
जब प्रभु द्वार पर दस्तक देने आएंगे तो हम उनका स्वागत कैसे करेंगे?
29
यीशु के द्वितीय आगमन की भविष्यवाणियाँ कैसे पूरी हो रही हैं?
30
प्रभु यीशु के आगमन की तैयारी हमें कैसे करनी चाहिए?
31
परमेश्वर ईसाइयों को क्यों कष्ट सहने देते हैं?
32
यदि परमेश्वर में तेरा विश्वास सच्चा है, तो तू अक्सर उसकी देखरेख को प्राप्त करेगा
33
परमेश्वर नीनवे के नागरिकों के हृदय की गहराइयों में सच्चा पश्चाताप देखता है
34
यहोवा परमेश्वर की चेतावनी नीनवे के लोगों तक पहुंचती है
35
बुद्धिमान कुँवारियों में क्या समझदारी है जो प्रभु का स्वागत करती हैं?
36
मूर्ख कुँवारियाँ असल में क्या हैं?
37
सृष्टिकर्ता का धर्मी स्वभाव सच्चा और स्पष्ट है
38
मानवजाति के प्रति सृष्टिकर्ता की सच्ची भावनाएं
39
कोहरा छंट जाता है और मैं स्वर्ग के राज्य का मार्ग पा लेता हूँ
40
आदम के लिए परमेश्वर की आज्ञा
41
I. परमेश्वर के देहधारण से सम्बंधित सत्य
42
देहधारण का सत्य
43
प्रभु यीशु ने कहा था कि वे वापस आएँगे, और उनकी वापसी की रीति क्या होगी?
44
प्रभु के आगमन का मार्ग
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परमेश्वर की आवाज को जानना
46
स्वर्ग के राज्य का सुसमाचार
47
दुर्भाग्य बेहद पास था! मैंने प्रभु को करीब-करीब अनदेखा कर दिया था (भाग 1)
48
दुर्भाग्य बेहद पास था! मैंने प्रभु को करीब-करीब अनदेखा कर दिया था (भाग 2)
49
अनुग्रह के युग में परमेश्वर ने यहूदिया में क्यों कार्य किया?
50
स्वभाव का परिवर्तन क्या है?
51
परमेश्वर की आवाज को जानना
52
परमेश्वर के नामों के रहस्य को समझकर, मैं मेमने के पदचिह्नों पर चल पाती हूँ
53
मानव जाति के प्रबंधन से सम्बंधित परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के उद्देश्य
54
यह कैसे समझें कि मसीह सत्य, मार्ग और जीवन है?
55
खोया फिर पाया
56
Hindi Christian Movie अंश 1 : "बाइबल के बारे में रहस्य का खुलासा"
57
शांत हुआ तलाक का तूफ़ान
58
स्वर्ग के राज्य का सुसमाचार
59
परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बीच का पारस्परिक संबंध
60
एक अलग तरह का प्रेम
61
परमेश्वर के क्रोध को भड़काने के कारण सदोम को तबाह कर दिया गया
62
प्रभु पूर्व में प्रकट हुआ है
63
अय्यूब के बारे में लोगों की अनेक ग़लतफहमियाँ
64
परमेश्वर के दैनिक वचन | "प्रस्तावना" | अंश 24
65
सुसमाचार-सम्बन्धित प्रश्नोत्तर
66
शीर्षक-रहित भाग 85
67
परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक के उद्देश्य और महत्व
68
क्या तुम ईसाई प्रार्थना के 4 प्रमुख तत्वों को जानते हो?
69
मैं असली और नकली मसीह में भेद कर सकती हूँ
70
अब मैं असली मसीह को झूठे मसीहों से अलग पहचान सकती हूँ
71
मुझे अब परमेश्वर का नया नाम मालूम है
72
एक ईसाई के रूप में, नियमित रूप से सभाओं में भाग लेने अवहेलना नहीं की जा सकती!
73
मैं असली और नकली मसीह में भेद कर सकती हूँ
74
सुसमाचार-सम्बन्धित प्रश्नोत्तर
75
एक झूठा मसीह क्या होता है? एक मसीह-विरोधी को कैसे पहचाना जा सकता है?
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