अब सर्वशक्तिमान परमेश्वर अभी भी यीशु के सभी विश्वासियों की वापसी की प्रतीक्षा कर रहा है, और धैर्यपूर्वक उन सभी की प्रतीक्षा कर रहा है जो ईमानदारी से परमेश्वर के वापस आने में विश्वास करते हैं। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "यदि लोग अनुग्रह के युग में बने रहेंगे, तो वे कभी भी अपने भ्रष्ट स्वभाव से मुक्त नहीं होंगे, और परमेश्वर के अंर्तनिहित स्वभाव को जानने की बात को तो जाने ही दें। यदि लोग सदैव अनुग्रह की प्रचुरता में रहते हैं, परंतु वे जीवन के उस मार्ग के बिना हैं, जो उन्हें परमेश्वर को जानने और उसे संतुष्ट करने देता है, तब वे उसे वास्तव में कभी भी प्राप्त नहीं करेंगे, यद्यपि वे उस पर विश्वास करते हैं। यह विश्वास का कैसा दयनीय स्वरूप है। जब तुम इस पुस्तक को पढ़ना समाप्त कर लोगे, जब तुम राज्य के युग में देहधारी परमेश्वर के कार्य के प्रत्येक कदम का अनुभव प्राप्त कर लोगे, तब तुम अनुभव करोगे कि अनेक वर्षों की तुम्हारी आशाएँ अंततः साकार हो गयी हैं। तुम अनुभव करोगे कि केवल अब तुमने परमेश्वर को वास्तव में आमने-सामने देखा है, केवल अब ही तुमने परमेश्वर के चेहरे को निहारा है, परमेश्वर व्यक्तिगत कथन को सुना है, परमेश्वर के कार्य की बुद्धि की सराहना की है, और वास्तव में महसूस किया है कि परमेश्वर कितना वास्तविक और सर्वशक्तिमान है। तुम महसूस करोगे कि तुमने ऐसी बहुत सी चीजों को पाया है जिन्हें अतीत में लोगों ने कभी देखा या धारण नहीं किया था। इस समय, तुम संतुष्ट रूप में जान लोगे कि परमेश्वर पर विश्वास करना क्या है, और परमेश्वर के हृदय के अनुसरण में होना क्या है। निस्संदेह, यदि तुम अतीत के विचारों से जुड़े रहते हो और परमेश्वर के दूसरे देहधारण को अस्वीकार या इनकार करते हो, तब तुम खाली-हाथ रहोगे और कुछ नहीं पाओगे, और अंततः परमेश्वर का विरोध करने के दोषी होगे। वे जो सत्य का पालन करते हैं और परमेश्वर के कार्य के प्रति समर्पण करते हैं, वे दूसरे देहधारी परमेश्वर – सर्वशक्तिमान—के नाम के अधीन आएँगे। वे परमेश्वर से व्यक्तिगत मार्गदर्शन पाने में सक्षम होंगे, वे अधिक उच्चतर सत्य को प्राप्त करेंगे और वास्तविक मानव जीवन ग्रहण करेंगे। वे उस दर्शन को देखेंगे जिसे अतीत के लोगों ने कभी नहीं देखा है: तब मैं ने उसे, जो मुझ से बोल रहा था, देखने के लिये अपना मुँह फेरा; और पीछे घूमकर मैं ने सोने की सात दीवटें देखीं, और उन दीवटों के बीच में मनुष्य के पुत्र सदृश एक पुरुष को देखा, जो पाँवों तक का वस्त्र पहिने, और छाती पर सोने का पटुका बाँधे हुए था। उसके सिर और बाल श्वेत ऊन वरन् पाले के समान उज्ज्वल थे, और उसकी आँखें आग की ज्वाला के समान थीं। उसके पाँव उत्तम पीतल के समान थे जो मानो भट्ठी में तपाया गया हो, और उसका शब्द बहुत जल के शब्द के समान था। वह अपने दाहिने हाथ में सात तारे लिये हुए था, और उसके मुख से तेज दोधारी तलवार निकलती थी। उसका मुँह ऐसा प्रज्वलित था, जैसा सूर्य कड़ी धूप के समय चमकता है। (प्रकाशित वाक्य 1:12-16)। यह दर्शन परमेश्वर के सम्पूर्ण स्वभाव की अभिव्यक्ति है, और उसके सम्पूर्ण स्वभाव की यह अभिव्यक्ति परमेश्वर के कार्य की अभिव्यक्ति भी है, जब इस समय वह देहधारी हुआ। ताड़ना और न्याय की बौछारों में, मनुष्य का पुत्र वचनों को बोलने के द्वारा अपने अंर्तनिहित स्वभाव को अभिव्यक्त करता है, और उन सबको जो उसकी ताड़ना और न्याय को स्वीकार करते हैं, मनुष्य के पुत्र के वास्तविक चेहरे को निहारने की अनुमति देता है, ऐसा चेहरा जो यूहन्ना द्वारा देखे गए मनुष्य के पुत्र के चेहरे का ईमानदार चित्रण है (निस्संदेह, यह सब उनके लिये अदृश्य होगा जो राज्य के युग में परमेश्वर के कार्यों को स्वीकार नहीं करते हैं)। मनुष्य के वचनों का उपयोग करके परमेश्वर के वास्तविक चेहरे को पूर्णरूप से व्यक्त नहीं किया जा सकता है, और इसलिये मनुष्य को अपना वास्तविक चेहरा दिखाने के लिए परमेश्वर अपने अंर्तनिहित स्वभाव की अभिव्यक्ति का उपयोग करता है। अर्थात्, उन सब ने जिन्होंने मनुष्य के पुत्र के अंर्तनिहित स्वभाव का अनुभव किया है, मनुष्य के पुत्र का वास्तविक चेहरा देखा है, क्योंकि परमेश्वर अति महान है और मनुष्यों के वचनों का उपयोग करके उसे व्यक्त नहीं किया जा सकता है। एक बार जब मनुष्य राज्य के युग में परमेश्वर के कार्य के प्रत्येक चरण का अनुभव कर लेगा, तब वह यूहन्ना के वचनों का वास्तविक अर्थ जान लेगा, जो उसने दीवटों के बीच मनुष्य के पुत्र के बारे में कहे थे: "उसके सिर और बाल श्वेत ऊन वरन् पाले के समान उज्ज्वल थे, और उसकी आँखें आग की ज्वाला के समान थीं। उसके पाँव उत्तम पीतल के समान थे जो मानो भट्ठी में तपाया गया हो, और उसका शब्द बहुत जल के शब्द के समान था। वह अपने दाहिने हाथ में सात तारे लिये हुए था, और उसके मुख से तेज दोधारी तलवार निकलती थी। उसका मुँह ऐसा प्रज्वलित था, जैसा सूर्य कड़ी धूप के समय चमकता है।" उस समय, तुम बिना किसी संदेह के जान जाओगे कि यह साधारण शरीर जिसने बहुत से वचन कहे हैं ही वास्तव में दूसरा देहधारी परमेश्वर है। और तुम्हें वास्तव में महसूस होगा कि तुम कितने धन्य हो, और तुम स्वयं को सबसे अधिक भाग्यशाली महसूस करोगे। क्या तुम इस आशीष को प्राप्त करने के अनिच्छुक होगे?"
"केवल वही जो परमेश्वर के कार्य का अनुभव करता है वास्तव में परमेश्वर में विश्वास करता है" से
आज मुख्य भूमि चीन में अधिकांश धार्मिक लोग जो प्रभु यीशु में विश्वास करते हैं, अंत के दिनों में परमेश्वर का पूर्ण उद्धार प्राप्त करते हुए, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास लौट आए हैं। जैसा कि स्पष्ट है, बुद्धिमान कुँवारियाँ और मूर्ख कुँवारियाँ धार्मिक समुदाय के भीतर प्रकट की जा चुकी हैं। वे सभी जो बुद्धिमान कुँवारियाँ हैं उन्होंने अंत के दिनों में प्रभु यीशु—सर्वशक्तिमान परमेश्वर—के दूसरे आगमन को स्वीकार कर लिया है। वे अनमोल हैं जिन्हें परमेश्वर के घर के लिए वापस "चुरा" लिया गया है, जहाँ उन्होंने आपदा से पहले परमेश्वर द्वारा सिद्ध बनाए जाने के लिए परमेश्वर का उद्धार और उसकी सिद्धता प्राप्त कर ली है। यह कितना बड़ा अच्छा सौभाग्य है! जो लोग परमेश्वर के प्रच्छन्न आगमन के कार्य को स्वीकार करते हैं वे बुद्धिमान कुँवारियों में से हैं, क्योंकि ये लोग सच्चाई की खोज करके और इस बात की पुष्टि करके कि परमेश्वर की आवाज़ सुनने के माध्यम से यही सही तरीका है, सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करते हैं। यह "बुद्धिमान" का अंतर्निहित अर्थ है। उन बुद्धिमान कुँवारियों को उनके इस बारे में जाने बिना, एक व्यापक शोरगुल पैदा करते हुए, उन्हें अचानक "चुरा" लिया गया था, जब कि वास्तविकता में उन्हें परमेश्वर तक पहुँचा दिया गया था। यह सच है। बाइबिल भविष्यवाणी करती है कि अंत के दिनों में परमेश्वर "एक चोर के रूप" फिर से आएगा। यह प्रभु का अज्ञात दूसरा आगमन है। धार्मिक समुदाय के लिए प्रभु उस चीज़ को "चुराने" के लिए आता है जो बहुमूल्य है, केवल उन लोगों को "चुराने" के लिए आता है जो "बहुमूल्य धातुएँ और मणि पत्थर" हैं। इससे पता चलता है कि "चुराए" जाने वाले सभी लोग अच्छी गुणवत्ता वाले हैं, सत्य को समझने और सत्य को स्वीकार करने में समर्थ हैं। ये वे लोग हैं जो परमेश्वर की आवाज को पहचानते हैं और इसलिए परमेश्वर की सिद्धता प्राप्त करने के लिए परमेश्वर तक पहुँचाए जाते हैं। इसलिए यह पूरी तरह से सच है कि "चुराया" जाना वास्तव में परमेश्वर से मिलने के लिए पहुँचाया जाना है! जब परमेश्वर खुले तौर पर प्रकट होता है तो ये रहस्य प्रकट हो जाएँगे। प्रभु यीशु ने कहा था: "परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा परन्तु जो कुछ सुनेगा वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा।" (यूहन्ना 16:13) यह अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य का और भी अधिक उल्लेख करता है। मुझे आशा है कि सभी धार्मिक लोग जो ईमानदारी से परमेश्वर में विश्वास करेंगे वे बुद्धिमान कुँवारी होंगे और सही तरीके से अध्ययन करेंगे, सच्चे मार्ग को स्वीकार करेंगे, और व्यावहारिक परमेश्वर, अंत के दिनों के मसीह, के सामने लौट आएँगे। यदि आप परमेश्वर को स्वीकार करने से पहले उसके खुलेआम प्रकट होने तक प्रतीक्षा करते हैं, तो आपको पछतावा होगा कि आपने बहुत देर कर दी है। ठीक जैसा कि प्रभु यीशु ने थोमा से कहा था, "यीशु ने उससे कहा, "तू ने मुझे देखा है, क्या इसलिये विश्वास किया है? धन्य वे हैं जिन्होंने बिना देखे विश्वास किया।" (यूहन्ना 20:29)
... यीशु उन सभी भविष्यवाणियों को पूरा करने और प्राप्त करने जिनके बारे में उसने अनुग्रह के युग के दौरान बात की थी, लोगों को बचाने और उन्हें शैतान के प्रभाव से मुक्त होने में सहायता करने, और लोगों को वास्तव में परमेश्वर की ओर मुड़ने में समर्थ बनाने के लिए न्याय और ताड़ना का उपयोग करने के लिए लौट रहा है। वह पापपूर्ण प्रकृति की समस्या को हल करने के लिए लौट रहा है जिसने अनुग्रह के युग में लोगों को भ्रमित किया और लोगों से बार-बार पाप करवाये और स्वीकार करवाये, अपने आप को रोकने में असमर्थ या मुक्त कराने में असमर्थ बनाया। वह लोगों को परमेश्वर के साथ संगतता प्राप्त करवाने, लोगों के स्वभावों को बदलने, लोगों को वास्तव में परमेश्वर का ज्ञान करवाने और परमेश्वर का आज्ञापालन करवाने के लिए लौट रहा है। यह प्रत्येक व्यक्ति को उसके प्रकार के अनुसार वर्गीकृत करना है और अंधकार और दुष्टता के युग को समाप्त करना है। केवल इसी तरह से परमेश्वर संतों को अपने राज्य में ला सकता है। केवल यही परमेश्वर का उद्धार का अपना कार्य करने का असली अर्थ है। यदि परमेश्वर का कार्य अंत में इस तरह के परिणाम प्राप्त नहीं कर सकता है, तो परमेश्वर की भविष्यवाणी वास्तव में पूरी नहीं होगी और प्राप्त नहीं की जाएगी, और मानवजाति को बचाने की परमेश्वर की प्रबंधन योजना पूरी होने में समर्थ नहीं हो पाएगी। इस प्रकार, मानवजाति को बचाने की परमेश्वर की प्रबंधन योजना के पूरा होने से पहले इसके कार्य के केवल दो ही चरण नहीं हो सकते हैं। इसमें परमेश्वर का अंत के दिनों में लोगों का न्याय और ताड़ना करने, प्रत्येक को उसके स्वयं के प्रकार के अनुसार वर्गीकृत करने का कार्य अवश्य होना चाहिए। केवल इसी तरह से मानवजाति को बचाने की परमेश्वर की प्रबंधन योजना पूरी की जा सकती है, और परमेश्वर शैतान के साथ अपने युद्ध में पूर्ण विजय प्राप्त कर सकता है और वास्तव में महिमा को प्राप्त कर सकता है।
धर्मोपदेशों—जीवन के लिए आपूर्ति—के संग्रह में "अंत के दिनों में न्याय और ताड़ना के परमेश्वर के कार्य को कैसे जानें" से
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