नमस्ते दोस्तो आशा करते हैं कि आप को कहानी बहुत पसंद आएगी तो चलिए शुरू करते है 💌
एक घर जिसे घर कहना गलत होगा क्योंकि वह घर किसी पेलेश की तरह है उस घर में एसो आराम की सभी चीजें मौजूद हैं उसी घर में एक औरत जिसकी उम्र 45 साल होगी वह घर के मंदिर में पूजा कर रही हैं पूजा करने के बाद वह औरत हॉल में जाती है जहां एक 60 साल की बूढ़ी औरत और ओर एक 64 साल का बूढ़ा आदमी बैठे थे वह औरत दोनों आरती ओर प्रसाद देती है आरती देने के बाद वह औरत किचिन में चली जाती है जहां एक औरत चाय बना रही है वह औरत बोलती है। औरत _ चारु मां और बाबूजी को चाय दे आओ। चारु_ जी दीदी।
उसी घर के एक कमरे में एक लड़का जिसकी उम्र 25 साल होगी बो बॉशरूम में शावर के नीचे खड़ा है उसके कानों में किसी एक साल के बच्चे की खिलखिला हंसने की आवाज आ रही है बो आवाज इतनी मीठी है जैसे कोई कानो में शहद घोल रहा हो बो लड़का 20 मिनिट तक बो आवाज सुनता है फिर बॉशरूम से बाहर आकर अपने कपड़े पहन कर तैयार होता है तभी उसका फोन बजता है बो फोन उठाता है दूसरी तरफ से आवाज आती है सर बो मान नहीं रहा है लड़का बोलता हैं। लड़का_ अर्जुन सिंघानिया को ना सुनने की आदत नहीं उसके मु पर दो गुना पैसा ज्यादा मारो बो आपने आप मान जाएगा। दूसरी तरफ _ जी सर। ( तो जान लेते है कौन है अर्जुन सिंघानिया शहर का सबसे बड़ा बिज़नेस मेन इससे गुंडे और पालिश दोनों ही डरते हैं यह इंसान किसी को भी पल भर में गायब कर सकता है। अर्जुन के परिवार में दादा सोमनाथ सिंघानिया , दादी कात्यानी सिंघानिया , मां मेघना सिंघानिया,पापा वीर सिंघानिया ( इनके पापा नहीं जो आगे कहानी में पता चलेगा ) चाचा जय , चाची चारु ,भाई कबीर ओर बहन मानसी , प्रतीक ( ये चाचा चाची का लड़का है।
अर्जुन नीचे आता ओर दादा दादी के पैर छूता हैं और डाइनिंग टेबल पर बैठ जाता है तभी मेघना जी बोलती है। मेघना जी _ मां हम सोच रही हैं कि राजावत मेंशन जाकर उन लोगों के बात करे। ये सुनकर अर्जुन के हाथ खाना खाते हुए रुक जाते हैं और अर्जुन मेघना जी की तरफ देखकर बोलता है। अर्जुन _ मां आप कही नहीं जाएगी और उस घर में तो बिल्कुल नहीं। मेघना जी _ अर्जुन तुम भूल रहे हो उस घर में हमारी बहु ओर तुम्हारी पत्नी है। अर्जुन _ और में ये भी जनता हु बो लोग ये रिश्ता नहीं मानते तो फिर वहां जाने का तो सवाल ही नहीं उठता। इतना बोलकर अर्जुन आपने ऑफिस निकल जाता हैं फिर दादा जी बोलते हैं। दादा जी_ मेघना बहु हमे लगता है अर्जुन सही बोल रहा है बो लोग इस रिश्ते को नहीं मानते है और रिश्ते दोनों तरफ से निभाए जाते हैं। मेघना जी _ लेकिन बाबा जी। दादा जी _ लेकिन बेकिन कुछ नहीं बेटा। मेघना जी मन में सोचती है। मेघना जी _ हम जानते है बेटा की तुम्हारे मन में भी नैना है और हम जानते हैं हमे क्या करना है।
तो क्या होगा आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए हमारी कहानी बेपनाह इश्क thank you 💌💌
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