“राज बेटा तुम दस दिनों से जिसकी पेंटिंग बना रहे थे, वह मेरी बेटी रत्ना नहीं थी बल्कि रत्ना की बहन माया थी।” रत्ना माया की विधवा मां बताती है
“मैं आपकी बात समझा नहीं।” चित्रकार राज पूछता है?
“रत्ना और माया मेरी जुड़वा बेटियां है, माया दस दिन पहले ही पड़ोस के रंजीत नाम के लड़के के साथ घर पर बिना बताए मुंबई हीरोइन बनने भाग गई है, लेकिन पेंटिंग देखकर और आपकी बातों से मुझे पक्का यकीन हो गया है की आवारा नीछ रंजीत ने उसे धोखा दे दिया है वह मुंबई पहुंची ही नहीं है, इधर-उधर दिल्ली में ही भटक रही है।” यह बात राज को बताते बताते रत्ना माया की विधवा मां की आंखों से आंसू टपकने लगते हैं।
अपनी मां को रोता हुआ देखकर रत्ना राज की बगल वाली कुर्सी से उठकर मां के पास पलंग पर बैठकर अपनी मां को कंधे से पड़कर रोने से चुप करते हुए राज से कहती है “पेंटर बाबू आप अभी ही यहां से चलो जाओ, हम पहले ही माया की वजह से बहुत दुखी परेशान है, आपने माया की पेंटिंग मां को दिखाकर हमें और दुखी कर दिया है।” रत्ना की इस बात से चित्रकार राज को अपना बहुत अपमान महसूस होता है, इसलिए वह रत्ना की मां को प्रणाम करके चुपचाप उनके घर से बाहर निकल आता है।
लेकिन सर्दी का मौसम ऊपर से जाड़े की रात में मूसलधार बारिश और कार की जगह बाईक राज घर जाए तो कैसे जाए रत्ना माया का घर भी दिल्ली के बॉर्डर के देहाती इलाके के टिकरी गांव में और राज का घर दिल्ली के बीचो-बीच।
इतनी मुश्किलो के वाबजूद भी राज को रत्ना माया के घर एक मिनट भी ठहरना गवारा नहीं हो रहा था।
इसलिए वह तुरंत उनके घर से निकाल कर सामने बंद पड़ी काली पन्नी (पॉलिथीन) की छत वाली छोटी सी टूटी-फूटी चाय की दुकान के नीचे बरसात से बचने के लिए जाकर खड़ा हो जाता है।
तभी अमावस्या कि रात के गुप अंधेरे में उसे अपनी और कोई आता हुआ दिखाई देता है जैसे ही बिजली के खंभे की रोशनी में उसे वह शख्स साफ दिखाई देता है तो वह रत्ना थी रत्ना उसी की ओर छाता लिए आ रही थी।
रत्ना राज चित्रकार के पास आकर कहती है “ मां कह रही है बारिश बंद होने तक आप हमारे घर में रुक जाए, फरवरी की बारिश में ओले पड़ने का भी डर रहता है और आप बाईक पर अपने घर कैसे पहुंचेंगे।” रत्ना के शब्दों में मिठास तो नहीं थी, लेकिन राज मजबूर था बारिश ठंड ऊपर से अनजान ईलाका चोर लफंगों का डर ऊपर से रात के अंधेरे में सांप कीड़े मकोड़ों का भी डर इसलिए राज रत्ना के साथ छाते में छुपकर उनके घर पहुंच जाता है और उनके घर बारिश रुकने तक रुक जाता है।
राज समझ नहीं पा रहा था कि आधे घंटे पहले इनके घर में कितनी उदासी निराश छाई हुई थी और अब घर में ऐसा लग रहा है जैसे कि किसी के जन्मदिन की पार्टी हो घर में गुब्बारे रंग बिरंगे बिजली के बल्बों की लड़ी जल रही है, तभी रत्ना की मां रसोई घर से आवाज देकर पुछती है? “, रत्ना राज बेटा को अपने साथ ले आई है ना।”
“हां मां आप ठीक कह रही थी कि इतनी बारिश में कहां जाते।” रत्ना कहती है
“चल ठीक है, बेटी उनके पास कोयले की जलती हुई अंगीठी रखकर, जल्दी मेरे पास रसोई घर में आ।” और कुछ देर में ही दोनों मां बेटी रसोई घर से गरमा गरम चाय समोसे राज के सामने लगी टेबल पर रख देती है और राज से चाय के साथ समोसे खाने के लिए कह कर खुद भी खाने लगती है।
राज अपने मन की शंका मिटाने के लिए पूछता है? “कुछ देर पहले तो घर में इतना सन्नाटा था, अब इतनी रौनक दिखाई दे रही है, किसी का जन्मदिन है क्या।”
“हां बेटा आज रत्ना माया का जन्मदिन है, तुम रत्ना के साथ बैठकर बातें करो मैं माया की पसंद का गाजर का हलवा पकाने रसोई घर में जा रही हूं।” फिर कुछ पल चुप हो कर मुस्कुरा कर मां कहती है “रत्ना तो अपनी पसंद के छोले भटूरे खुद ही पकाती है, मेरे हाथ से पके हुए इसे पसंद नहीं आते हैं, हां माया के हाथ के पके हुए छोले भटूरे खूब स्वाद से खाती है।” अपनी मां के मुंह से यह बात सुनकर रत्ना चेहरे पर ऐसे भाव लाती है जैसे कि उसकी मां झूठ बोल रही हो।
मां के रसोई घर में जाने के बाद रत्ना राज से पूछती है? “माया ने अपने घर का पता आपको लिख कर दिया था या उसने बोला था आपने पता लिखा था।”
“माया ने खुद अपने हाथों से मुझे पता लिख कर दिया था।” राज बताता है
“आप झूठ बोल रहे हो, क्योंकि माया अनपढ़ है और मैं दसवीं पास हूं।” रत्ना कहती है
“हो सकता है माया अनपढ़ हो लेकिन मैं सच कह रहा हूं माया ने खुद अपने हाथों से अपने घर का पता मुझे लिख कर दिया था।” राज अधूरे यकीन से बताता है “शायद जब मैं दुकान पर जाती हूं, तब माया ने हिंदी पढ़ना लिखना सीख लिया हो।” रत्ना कहती है
“क्या सामान बेचने की आपकी दुकान है।” राज पूछता है?
“हमारी श्मशान घाट के पास अंतिम संस्कार का सामान बेचने की दुकान है।” रत्ना बताती है
“स्त्री होकर आपको श्मशान घाट के पास ऐसा सामान बेचने में खौफ महसूस नहीं होता है।” राज कहता है
“क्या करूं मजबूरी है, अगर हम दोनों का भाई होता तो पिता की मौत के बाद दुकान की सारी जिम्मेदारी वही उठता।” रत्ना कहती है
रत्ना का यह जवाब सुनकर राज शांत हो जाता है फिर रत्ना राज से पूछती है? “आपके परिवार में कौन-कौन है।”
मैं अपने माता-पिता की इकलौती संतान हूं, एक प्लेन दुर्घटना में दो वर्ष पहले उनका देहांत हो गया है।” राज बताता है
तभी राज के पीछे से मधुर आवाज आती है “तो मुझसे शादी कर लो कब तक अकेलापन बर्दाश्त करोगे।” राज तुरंत पीछे मुड़कर देखता है तो रत्ना माया की मां हाथ में गाजर का हलवा लिए खड़ी हुई थी। रत्ना माया कि मां के मुंह से यह अजीबोगरीब बात सुनकर राज पूछता है? “कुछ कहा आपने हां मैं यह कह रही हूं, बेटा कोई अच्छी लड़की देखकर शादी कर लो कब तक अकेलापन बर्दाश्त करोगे मैं जानती हूं, अकेलापन कितना दुखदाई होता है, मुझ अनाथ को रत्ना के पिता शादी करके सहारा नहीं देते तो न जाने मेरा क्या होता है, वह हमेशा कहते थे कि माया मुझे तुमसे मौत के अलावा दुनिया की कोई भी शक्ति मुझे आपसे जुदा नहीं कर सकती है।” मां बताती है राज चौक कर पूछता है? “क्या आपका नाम भी माया है।” रत्ना की मां कुछ की बताएं बिना गाजर का हलवा राज के सामने टेबल पर रखकर रसोई घर में चली जाती है।
यही सवाल राज रत्ना से पूछता है? तो रत्न बताती है “जब से माया घर छोड़कर गई है, तब से मां के दिलों दिमाग में माया ही माया छाई हुई है, दिन रात मां माया को याद करती रहती है, शायद इसलिए मां के मुंह से अपना नाम माया निकल गया होगा।” रत्ना बताती है
“वैसे आपकी मां का क्या नाम है।” राज पूछता है?
“मां का नाम तो मुझे पता नहीं।” रत्ना कहती है
“आपको अपनी मां का नाम नहीं पता यह अनोखी बात मैंने अपने जीवन में पहली बार किसी इंसान से सुनी है, अच्छा अपने पिता का तो आपको नाम पता होगा ना।” राज बोलता है
“हां पिता जी का तो नाम मुझे मालूम है, उनका नाम रंजीत था।”
रंजीत नाम सुनकर राज की उलझन और बढ़ जाती है, इसलिए वह फिर दोबारा पूछता है? “अभी आपकी मां ने बताया था कि आपकी बहन माया रंजीत नाम के लड़के के साथ मुंबई हीरोइन बनने घर से भाग गई है।”
“हां मां ने सच कहा था कि माया पड़ोस के रंजीत नाम के लड़के के साथ घर से भाग गई है और रंजीत नाम दुनिया में किसी और का भी हो सकता है।” रत्ना इतने आत्म विश्वास के साथ जवाब देती है कि राज की बोलती बंद हो जाती है।
उसी समय राज सोच में पड़ जाता है कि मैंने जिस माया लड़की की पेंटिंग बनाई थी वह खुद भी अनोखी अजीबोगरीब बात कर रही थी और उसका परिवार भी उसी की तरह अनोखी बातें कर रहा है, सबसे डरावना तो मुझे इनका घर लग रहा है, सौ दो सौ साल पुराना खंडहर जैसा, माया मुझे मिली भी थी तो वह भी बहुत अनोखे ढंग से मिली थी, हाईवे के किनारे बीरान अंधेरे में बारिश के पानी की बूंदों से बचती हुई कड़ाके कि ठंड में कंपती हुई, अगर उस जगह मेरी गाड़ी पंचर नहीं होती तो वह शराबी ट्रक वाला ना जाने उसे कहां से कहां पहुंचा देता और शायद माया रत्ना को नहीं पता उनके पास अपार हुस्न की माया है, इसलिए तो दोनों बहने लापरवाह होकर बिना देखे समझे घर से बाहर निकल जाती है, रत्ना मर्दों का सामान बेचने वाली अंतिम संस्कार के सामान की दुकान संभालती है और माया अच्छे बुरे लोगों की पहचान किए बिना हीरोइन बनने के ख्वाब देख रही है।
फिर राज अपने से ही नाराज होकर सोचता है काश में माया की तस्वीर बनाते हुए उसे अपने दिल का हाल सुना देता कि मैं उस खूबसूरत गुड़िया जैसी लड़की का दीवाना हो गया हूं, लेकिन कैसे सुनाता वह अपनी तस्वीर बनवाने के विषय के अलावा मुझसे दूसरी बात करने के लिए तैयार ही नहीं थी, अपना नाम तक तो उसने मुझे बताया नहीं था, सिर्फ मुझसे कहा था कि मेरी सहेली की शादी है, इसलिए जब तक उसकी शादी नहीं हो जाती मैं उसके घर रहूंगी और तब तक ही मैं आपके घर अपनी तस्वीर बनवाने के लिए आ सकती हूं और पहली मुलाकात में मेरे घर के अंदर सोने की जगह मेरी गाड़ी में ही खाना खाकर सोई थी मुझसे डर कर नहीं बल्कि मेरे मोती कुत्ते से डर कर और तस्वीर पूरी होने के बाद उसने मुझे श्मशान घाट में बुलाया था, ऐसी जगह में कैसे अपने प्यार का इजहार माया के सामने कर सकता था, उस रात भी वह अपनी तस्वीर देखकर बिना तस्वीर लिए अपने घर का पता देकर चुपचाप चली गई थी और मुझे यह भी याद नहीं आ रहा है कि माया ने पता बोला था और मैंने लिखा था या माया ने खुद पता लिखकर मुझे दिया था, लेकिन एक बात तो मुझे इस रात समझ आ गई है कि माया ने मुझे शमशान घाट क्यों बुलाया था, क्योंकि श्मशान घाट से ही उसके परिवार का पालन पोषण होता है तो इसलिए श्मशान घाट तो उनकी रोजी रोटी का जरिया है, उन्हें शमशान घाट से क्या डर।
यह सब सोचते सोचते तभी राज को याद आता है कि माया ने श्मशान घाट के बाहर जो सीमेंट पत्थर की पानी पीने की टंकी लगी हुई है उस टंकी के ऊपर एक सफेद पेपर चिट्ठी जैसा पॉलिथीन में लपेटकर पत्थर से दबा कर रखा था, कहीं वह उसका मेरे लिए प्रेम पत्र तो नहीं था या उसने वह पता लिखकर रखा था, जिस पते पर वह इस समय रह रही है।
यह विचार मन में आने के तुरंत बाद राज अपने घर अपने नौकर को फोन करके बोलता है “अभी इसी समय हमारे घर के पास वाले श्मशान घाट में जाओ और शमशान घाट के बाहर जो पानी की टंकी लगी हुई है, उसके ऊपर पत्थर से दबा हुआ पॉलिथीन में जो कुछ भी सामान रखा हुआ है, उसे लेकर घर आओ और उस समान की फोटो मुझे व्हाट्सएप पर भेजो ऑटो से जाना ऑटो से आना पैसे की जरूरत हो तो तकिए के नीचे से चाबी लेकर अलमारी से निकाल लेना।” “ठीक है, साहब मैं अभी जाता हूं।” नौकर कहता है
जब राज अपने नौकर से फोन पर बात कर रहा था तब रत्ना उसकी मां खड़े होकर भूखी आदमखोर शेरनी की तरह उसकी तरफ देख रही थी, इसलिए उनसे नज़रें मिलते ही राज को अजीब सी घबराहट होने लगती है जैसे वह साधारण स्त्रियों के सामने नहीं बल्कि दो भयानक डरावने चेहरे वाली चुड़ैलों के सामने बैठा हुआ है, जो अपने मन में उसकी हत्या का विचार लाकर उसकी तरफ घूर रही है।
उनकी डरावनी नजरों से बचने के लिए बहाने से वहां से खड़ा होकर खिड़की खोलकर देखाता है कि बारिश बंद हुई है या नहीं लेकिन मकान कि पीछे की खिड़की खोलकर देखकर राज का डर घबराहट और बढ़ जाती है, क्योंकि वह जिस हवेली जैसे टूटे-फूटे मकान में रत्ना और उसकी मां के साथ था, वह मकान गांव से दूर खेत में बना हुआ था उसके पास से गांव की जोहड़ (तालाब) गुजर रही थी और दूर दिल्ली पंजाब हाईवे दिखाई दे रहा था, यह गांव दिल्ली के सिंधु बॉर्डर के पास का टीकरी गांव था।
राज रत्ना माया की मां से बिना पूछे बिना उनको किसी सवाल का जवाब दिए दरवाजा खोलकर देखाता है तो सच में उनका घर गांव से दूर था घर के आगे से पक्का रोड जा रहा था, रोड की दूसरी तरफ छोटी सी चाय की दुकान थी, रोड पर बिजली की लाइट के दो खम्बे लगे हुए थे, जिनकी रोशनी भी ज्यादा दूर तक नहीं फैल रही थी, लेकिन बारिश पूरी तरह रुक गई थी।
राज जैसे ही दरवाजा बंद करके रत्ना माया कि विधवा मां से यह कहने आता है कि बारिश पूरी तरह बंद हो गई है मैं अपने घर जा रहा हूं, तो अचानक बिजली चली जाती है और राज के मोबाइल की घंटी तेज तेज सन्नाटे में गूंजने लगती है।
राज जल्दी से अपना फोन उठाता है, तो दूसरी तरफ से पुलिस इंस्पेक्टर मिलन कहता है “आप राज पेंटर बात कर रहे हैं।”
“जी मैं राज पेंटर बोल रहा हूं, मेरे नौकर के नंबर से आप कौन बात कर रहे हैं, राज पूछता है?
“मैं आपके इलाके का पुलिस इंस्पेक्टर मिलन बात कर रहा हूं, श्मशान घाट के पास आपके नौकर की किसी ने हत्या कर दी है, उसकी लाश को देखकर ऐसा लग रहा है, जैसे किसी खूंखार जंगली जानवर ने उसकी हत्या की हो।” इतना फोन पर सुनते ही राज के मोबाइल का नेटवर्क अचानक गायब हो जाता है और राज को गुप अंधेरे में ऐसा महसूस होता है कि रत्ना उसकी मां के अलावा मकान में कोई तीसरा भी है, तीसरे का पता लगाने की जगह राज को अपने घर जल्दी पहुंचने का काम ज्यादा जरूरी लगता है, क्योंकि श्मशान घाट के पास उसके वफादार नौकर की किसी ने हत्या कर दी थी।
राज रत्ना माया की मां से घर जाने की कहकर जैसे ही अपनी बाइक स्टार्ट करता है तो उसकी बाइक के एक नहीं दोनों टायर पंचर थे, प्राइवेट टैक्सी बुलाने के लिए मोबाइल में नेटवर्क देखता है तो उसके मोबाइल का नेटवर्क गायब था, इसलिए राज को दोबारा रत्ना के घर में जाना पड़ता है कि अगर आपके पास मोबाइल है तो क्या उसमें नेटवर्क आ रहा है अगर आ रहा है तो आप मुझे अपना मोबाइल फोन करने के लिए दे दे मैं प्राइवेट टैक्सी बुलाऊंगा।
रात जैसे ही रत्ना के फोन से टैक्सी बुलाने के लिए फोन नंबर लगता है तो रत्ना का फोन आ जाता है राज रत्ना को यह कहकर फोन देता है आपका फोन आ रहा है, फोन उठा लो।
यह आपका फोन है “रत्ना कहती है।” “ “आपके मोबाइल पर मेरा फोन यह कैसे हो सकता है।” राज कहता है
“एक बार फोन उठाओ मैं सच कह रही हूं, आपका ही फोन है।” रत्ना कहती है
राज रत्ना के कहने से फोन उठाता है तो उस तरफ से माया राज से नाराज होकर कहती है “जो चीज मैंने श्मशान घाट की पानी की टंकी के ऊपर आपके लिए रखी थी, उसको लेने के लिए अपने अपने नौकर को भेजा, आपके नौकर की इतनी गुस्ताखी कि मेरे सामान को हाथ लगाए इस गुस्ताखी के लिए मैंने उसकी जान ले ली है।”
“कौन बोल रही हो तुम।” राज पूछता है? “मैं माया बोल रही हूं।” माया बताती है
और उसी समय फोन खुद व खुद स्विच ऑफ हो जाता है, माया का फोन सुन कर राज अपनी सुध-बुध खो देता है तभी तुरंत रत्ना राज का हाथ पकड़ कर घर से बाहर लाकर कहती है “अगर अपनी जान बचाना चाहते हो तो तुरंत यहां से भाग जाओ, मेरी सौतेली विधवा मां ही माया है, वह मेरी सौतेली मां है और बीस वर्ष पहले वह मर चुकी है बीस वर्षों से आपको खोज रही है, क्योंकि आप अपने पिछले जन्म में उसके प्रेमी थे, मेरे पिता रंजीत ने आपकी हत्या करवा कर दीं थीं और माया से शादीशुदा होने के बावजूद दूसरी शादी कर ली थी। माया मां को जब यह बात पता चली तो उसने तड़प तड़प कर आपकी याद में अपनी जान दे दी थी वह वषो से इंतजार कर रही है कि कब आप उससे मिलोगे और वह आपकी जान लेकर आपको हमेशा के लिए अपने साथ ले जाऐगी उस समय मैं एक वर्ष की थीं, जब माया ने आत्महत्या की थी
“आपकी बात में सच्चाई तो नजर आ रही है, लेकिन फिर भी मुझे एक बात का सच-सच जवाब देना कि अगर आपकी सौतेली मां माया बीस वर्ष पहले मर चुकी है तो उसने आपको अब तक कैसे जीवित छोड़ रखा है और तुम्हें अपनी मृत सौतेली मां की आत्मा के साथ रहने में भय नहीं लगता है।” राज पूछता है?
“मरने से पहले और मरने के बाद भी मुझे अपनी बेटी जैसे वह प्यार करती है और माया कोई साधारण चुड़ैल नहीं है, वह जब जीवित थी तो काली मां की बहुत बड़ी भगतनी थी काली मां की कृपा से लोगों की जटिल से जटिल समस्या चुटकियों में हल कर दिया करती थी आज भी वह मरने के बाद इतनी शक्तिशाली है कि मेरे शरीर में प्रवेश करके दिन-रात कहीं भी घूम फिर सकती है, और मेरे शरीर में प्रवेश करके मेरे पिता की अंतिम संस्कार की दुकान पर वह खुद बैठकर अंतिम संस्कार का सामान बेचा करती है, अगर वह मेरे शरीर का अंत कर देगी तो वह अपनी समास्याएं कैसे हल करेगी, माया ने मेरे शरीर में प्रवेश करके ही आपको ढूंढा है और मेरी तस्वीर आपसे बनवाई, लेकिन अब मैं जल्दी से जल्दी माया की असंतुष्ट आत्मा से छुटकारा पाकर साधारण युवती की तरह अपना घर परिवार बसाना चाहती हूं और मेरी सौतेली मां माया को आपको अपने साथ ले जाकर ही शांति मिलेगी इससे पहले नहीं और मैं कभी नहीं चाहूंगी कि भरी जवानी में आपकी मौत हो जाए, बस मुझे इतना ही कहना था आपसे।”
“जब आप मेरे जीवन की रक्षा के लिए एक शक्तिशाली चुड़ैल के साथ रहने के लिए तैयार है तो मैं आपको इस मुसीबत से बाहर निकले बिना कैसे यहां से भाग सकता हूं और रत्ना जी आपकी तस्वीर बनाते हुए मुझे आपसे प्रेम हो गया था, मुझे इस बात कि खुशी है मैंने जिस लड़की से प्रेम किया है, वह अपनी शारीरिक सुंदरता के साथ-साथ अपनी आत्मा से भी खूबसूरत है, अगर मुझे आपका साथ मिल जाए तो मैं दुनिया की सारी समस्याएं हल कर सकता हूं और मुझे दुनिया की सारी खुशियां भी मिल जाएगी जल्दी बोलो मेरा साथ दोगी क्योंकि हम दोनों के पास माया चुड़ैल से बचने का समय कम है।” राज पूछता है? “मुझे अपनी किस्मत पर यकीन नहीं हो रहा है कि मेरी किस्मत में आप जैसा लड़का है, मैं जीवन भर आपकी दासी बनने के लिए तैयार हूं।” रत्ना मुस्कुरा कर बोली
और तभी माया हवा में उड़ती हुई राज रत्ना के पास आती है, राज माया को अपनी तरफ आता हुआ देखकर रत्ना का हाथ पकड़ कर रत्ना को अपने साथ लेकर रत्ना के घर के अंदर घुस जाता है।
माया चुड़ैल के घर से बाहर जाते ही रत्ना के घर में बिजली आ जाती है। राज घर का दरवाजा बंद करके अपने गले का केदारनाथ से खरीदा हुआ महादेव पार्वती का लॉकेट दरवाजे की कुंडी में फंसा कर चुड़ैल माया को घर में घुसने से रोक देता है।
माया चुड़ैल दरवाजे को जोर-जोर से पीट कर चीख चीख कर कहती है “रत्ना मैंने तुझे अपनी बेटी की तरह पाल पोसकर बड़ा किया है और तुझे बेटी जैसा सच्चा प्यार दिया है, तू अपनी मां समान औरत को इतना बड़ा धोखा देगी, उसके वर्षो के अरमानों पर पानी फेरेगी।”
तभी दरवाजे के पीछे से माया चुड़ैल के साथ राक्षस जैसे किसी पुरुष की बहुत भारी भयानक आवाज आती है “रत्ना दरवाजे की कुंडी से महादेव का लॉकेट हटा दे वरना मैं अगर मकान की दीवार को गिरकर अंदर आया तो राज के साथ-साथ तेरा भी कलेजा फेफड़ा गुर्दे निकाल कर खा जाऊंगा।”
उस डरावनी आवाज को सुनकर राज रत्ना से पूछता है? “यह माया चुड़ैल के साथ भूत कौन है।”
“यह भूत नहीं जींद है, यह माया पर तब से फिदा है, जब माया 18 वर्ष की सुंदर युवती थी, माया जान बूझकर इसको रिझाने के लिए कस्तूरी इत्र लगाकर गांव के उस सूखे कुएं पर जाती थी, जहां इस जिंद का निवास स्थान था।” रत्ना बताती है
यह बात बता कर रत्ना रोने लगती है इसलिए राज कहता है? “आप क्यों रो रही हो, जान तो मेरी जाने वाली है।”
“ऐसे शब्द अपने मुख से मत निकालो मैं आपकी जगह अपनी जान दे दूंगी। रत्ना कहती है
“हम दोनों को मैं कुछ भी नहीं होने दूंगा बस आप अंगीठी से कुछ लकड़ी के बिना जले कोयल निकाल कर लाओ।” राज कहता है
रत्ना से लकड़ी के कोयले लेकर राज तुरंत मकान की सारी दीवारों पर हिंदू मुस्लिम सिख इसाई सभी धर्मो के ईश्वर और धार्मिक स्थानों की तस्वीरें दीवारों पर बनाना शुरू कर देता है, उसके ऐसा करने से बाहर से चुड़ैल माया और जिंद कि आवाज़ें धीरे-धीरे आना काम हो जाती है और चुड़ैल माया जिंद कि आवाज़ें पूरी तरह बंद होने के बाद राज रत्ना से कहता है “घर में कोई लकड़ी की टेबल या लकड़ी की कुर्सी है।”
“लकड़ी की टेबल कुर्सी तो नहीं है, लेकिन आपको करना क्या है।” रत्ना पुछती है?
“मुझे सूखी लकड़ियों को इकट्ठा करके घर में एक जगह आग जलनी है, ताकि बिजली जाने के बाद भी घर में अंधेरा ना हो और सबसे जरूरी बात शायद आपको भी पता होगी कि अग्नि से शैतानी शक्तियों दूर भागती है।” राज बताता है “ठीक है मैं सब समझ गई घर में बहुत से सुखे बांस पड़े हुए हैं और पत्थर लकड़ी के बिना जले कोयल गोबर के कड़े भी है मैं उन सब को इकट्ठा करके लाती हूं।”
रत्ना के यह बात कहते ही बिजली गुल हो जाती है और मकान की गटर की छत से एक बड़ी सिली टूट कर दोनों के पास आकर गिरती है और देखते ही देखते मकान की छत में बहुत बड़ा छेद हो जाता है।
उस छेद से माया चुड़ैल जींद एक साथ झांकते हैं और माया चुड़ैल वहां से कहती है “तू मेरे पिछले जन्म के मित्र राज को मुझसे कितना भी बचाने की कोशिश कर लेकिन मैं राज को अपने साथ लेकर जाए बिना मानने वाली नहीं हूं।”
जीवन में पहली बार इतनी भयानक चुड़ैल और जींद को सदरुप एक साथ देखने के बाद राज बेहोश हो जाता है, किंतु रत्ना को तो बचपन से रात दिन माया चुड़ैल जींद के साथ रहती थी इसलिए वह बिना भयभीत हुए राज के कहने मुताबिक सुखे बांस और लकड़ी पत्थर के कोयलों को इकट्ठा करके तेज आंच जला देती है और राज को अपने पास जलती आग के पास लिटाकर होश में लाने के लिए प्रयत्न करना शुरू कर देती है और घर में आग जलते ही माया चुड़ैल जींद छत के छेद से गायब हो जाते हैं।
दो घंटे बाद होश में आने के बाद राज अपने हाथ के अंगूठे से लहू बहता देख रत्ना को गले लगा कर कहता है “मेरे अंगूठे का लहू आपके माथे पर लग गया है।”
और फिर रत्न की तरफ मुस्कुरा कर कहता है “बेहोश होने से पहले मेरे मन में अपने पिछले जन्म को सपने में देखने की बहुत प्रबल इच्छा हो रही थी, इसलिए मैंने अपने सपने में अपना पिछला जन्म देख लिया है।”
“ऐसा कैसे हो सकता है कि कोई अपना पिछला जन्म अपने सपने में देख ले।” रत्ना आचार्य चकित होकर कहती है
“ऐसा हो सकता है, मैंने एक अखबार में पढ़ा था कि अगर मनुष्य सोने से पहले यह प्रबल इच्छा करके सोए कि उसे अपना पिछला जन्म सपने में देखना है, तो पहले दिन नहीं तो दो-चार दिन दो-चार सप्ताह में वह अपनी इच्छा शक्ति या प्रबल इच्छा से अपना पिछला जन्म ही नहीं पिछले कई जन्म देख सकता है, आप की तरह पहले भी मुझे इस अनोखी बात पर विश्वास नहीं होता था, लेकिन जब मैंने कई अखबारों मैगजीनों और गूगल सर्च करके सर्वे किया तो तब जाकर मुझे यकीन हुआ था कि यह बात सच है आप चाहो तो आप भी अपना पिछला जन्म इसी तरीके से देख सकती हो।” राज बताता है
“आप पढ़े लिखे हो समझदार हो जब कह रहे हो तो सच ही कह रहे होंगे, तो फिर आप मुझे बताओ आपने अपने पिछले जन्म में क्या-क्या देखा।” रत्ना बोलती है
“मैंने अपने पिछले जन्म में देखा उस पर आपको यकीन नहीं होगा क्योंकि पिछले जन्म में माया मेरी प्रेमिका नहीं बल्कि मेरी सबसे बड़ी दुश्मन थी और मैं दुर्गा मां सरस्वती मां गणेश भगवान आदि की मूर्ति बनाने वाला मूर्तिकार था, माया चुड़ैल मुझसे अपनी मूर्ति बनवा कर दुनिया की शक्तिशाली स्त्री बनना चाहती थी, उसकी यहां तक सोच थी कि वह अमर हो जाए कभी मारे ही ना वह माता काली की बहुत बड़ी पुजारन होने के साथ-साथ जादूगरनी भी थी और वह मेरे हाथों की बनी मूर्ति से ही दुनिया की सबसे शक्तिशाली जादूगरनी बन सकती थी, क्योंकि मेरे हाथ की बनी मूर्तियां जीवित इंसानों जैसी होती थी, मैं अपने पिता के साथ वर्ष में एक बार अपने जानवरों को चराते चराते आपके गांव टीकरी तक पहुंच जाता था, मैं अपने पिता जी जैसे मधुर वाणी में गीत गाना चाहता था, लेकिन मेरी आवाज सुरीली ना होने की वजह से जो भी मेरे गीत सुनता था, वह मेरी बेसुरी आवाज सुनकर हंस-हंसकर लोटपोट हो जाता था फिर एक बार बसंत पंचमी के त्यौहार पर मेरे पिता ने मुझसे कहा अगर तू अच्छा गायक बनना चाहता है तो आज बसंत पंचमी का त्यौहार है, मन लगाकर मां सरस्वती से प्रार्थना करके तू बेहतरीन गायक बन सकता है और उस दिन के बाद से मैंने बीस वर्ष की आयु तक मां सरस्वती की दिन रात पूजा की हर पल मेरी जवान पर मां सरस्वती का नाम रहता था और एक रात बीस वर्ष की आयु में मां सरस्वती ने मुझे सपने में दर्शन देकर कहा तुझे मैं गायक नहीं मूर्तिकार बनाना चाहती हूं, तू जो भी मूर्ति बनाएगा वह मिट्टी गारे की मूर्ति नहीं होगी बल्कि वह जीवित स्त्री पुरुष जैसी मूर्ति होगी, अगर ब्रह्मा जी की इच्छा होगी तो वह उसमें प्राण भी डाल सकते हैं, इसलिए उस दिन से मैंने इंसानों की नहीं बल्कि देवी देवताओं की मूर्ति बनाना शुरू कर दिया था और जब मैं अपने माता-पिता की मृत्यु के बाद आपके गांव में अपने जानवरों भेड़ बकरियों गाय आदि को चराने आया, तो माया चुड़ैल ने मुझे माता दुर्गा और अन्य देवी देवताओं की मूर्ति बनाने के लिए अपने पति की दुकान के पास यानी कि आपके पिता रंजीत की अंतिम संस्कार के समान कि दुकान के पास बड़ी सी दुकान खुलवाकर रोजगार दे दिया था, भेड़ बकरियों गाय के व्यापार से मूर्ति बनाने के व्यापार में मुझे ज्यादा लाभ होने लगा था, इसलिए मैं आपके गांव में रहकर अपनी पसंद का काम मूर्ति बनाने का करने लगा था और जब तक मुझे एहसास हुआ की माया एक खतरनाक जादूगरनी है और मुझसे अपनी जीवित मूर्ति बनवाकर दुनिया की शक्तिशाली स्त्री बनना चाहती है, तब तक मैं माया की कैद में पूरी तरह कैद हो चुका था और अब भी शायद माया चुड़ैल अपनी तस्वीर बनवा कर कुछ खतरनाक करने कि सोच रही है और माया चुड़ैल आपके पिता रंजीत से मिलने से पहले सिर्फ काली माता की भक्तिनी थी जादूगरनी नहीं थी, लेकिन आपके पिता से विवाह करने के बाद माया काली माता की पूजारन के साथ-साथ जादूगरनी भी बन गई थी।
“और सबसे बड़ी बात जो मुझे सपने में धुंधली धुंधली सी याद है की माया चुड़ैल ने मुझसे चाकू की नौक पर अपनी मूर्ति बनवाईं थी लेकिन मैंने माया चुड़ैल की मूर्ति की जगह किसी दूसरी खूबसूरत लड़की की मूर्ति बना दी थी और वह मूर्ति भी मैंने अधूरी बनाई थी, उस मूर्ति के सीधे हाथ की कनी उंगली (छोटी उंगली) नहीं बनाई थी ताकि अधूरी मूर्ति होने की वजह से माया चुड़ैल उस खूबसूरत लड़की की मूर्ति का दुरुपयोग ना कर पाए माया चुड़ैल ने खुशी में मूर्ति को ठीक से देखे बिना चाकूओं से गोंदकर मेरी हत्या कर दी थी लेकिन मरने से पहले मैंने एक बात सुना थी, जब अधूरी खूबसूरत लड़की की मूर्ति को देखकर माया चुड़ैल बेचैन हो गई थी तो वह दोबारा अपनी उम्मीद बढ़ाने के लिए कह रही थी कि मेरी प्यारी शांति मां बनने वाली है, उसकी संतान की आत्मा को मैं इस खूबसूरत लड़की की मूर्ति में प्रवेश करवाऊंगी चाहे वह लड़का हो या लड़की और मेरे पिछले जन्म के सपने से एक बात तो साफ हो गई है कि आपके पिता ने मेरी पिछले जन्म में हत्या नहीं की थी, लेकिन दो बातें समझ में नहीं आ रही है मुझे कि माया चुड़ैल ने मेरी याद में तड़प तड़प कर अपनी जान क्यों दी थी और वह किस शांति महिला की बात कर रही थी कि वह मां बनने वाली है और वह उसकी संतान की आत्मा को मेरी नवनिर्मित मूर्ति के अंदर प्रवेश करवाएगी।
“अपने पिछले जन्म का सपना रत्ना को बताते बताते अचानक चित्रकार राज की नजर रत्ना के दाएं हाथ की जन्म से कटी हुई कनी उंगली (छोटी उंगली) पर जाती है इसलिए वह अपने शक को यकीन में बदलने के लिए दुबारा रत्ना से उसकी मां का नाम पूछता है?”
रत्ना पहले की तरह वही जवाब देती है, पिता जी का नाम तो रंजीत था लेकिन अपनी मां का नाम मुझे पता नहीं है, क्योंकि मेरे जन्म के तुरंत बाद मेरी मां की मृत्यु हो गई थी और जन्म के एक वर्ष बाद माया फिर छ महीने बाद पिता जी की और माया मां ने मरने के बाद आज तक किसी भी मनुष्य से मुझे बात नहीं करने दी है, और ना ही एक क्षण मिलने ही दिया था सिर्फ आपके अलावा फिर मुझे कैसे पता चलता अपनी मां का नाम।”
“फिर आपको अपने पिता का नाम कैसे मालूम है।” राज पूछता है?
“वह तो माया मां अपनी और आपकी प्रेम कहानी और मेरे पिता ने आपकी हत्या क्यों की रात दिन सुनती रहती थी।” रत्ना बताती है
रत्ना की बातों में सच्चाई है यह तो राज को समझ आ रहा था, लेकिन उसके सामने समस्या थी कि अपनी शंका को कैसे मिटाए की रत्ना ही वह मूर्ति है जिसे उसने पिछले जन्म में बनाया था और रत्ना की मां का नाम शांति था, जिसकी नवजात बेटी की हत्या करके माया चुड़ैल ने उसकी बेटी की आत्मा को उसकी बनाईं अधूरी मूर्ति कनी उंगली (छोटी उंगली) कटी हुई मूर्ति में प्रवेश करवाया दिया था।
बादलों की तेज गड़ाहट के साथ बाहर ओलो के साथ तेज बारिश होने की आवाज आने लगती है, रत्ना तेज बारिश की आवाज सुनकर राज के सीने से चिपट जाती है और घर की छत के छेद से बारिश का पानी आता देख राज से कहती है “जल्दी से बारिश के पानी को घर में आने से रोको मुझे पानी से बहुत ज्यादा नफरत है, मुझे डर है कि मेरे शरीर पर पानी पढ़ते ही में गल जाऊंगी।”
रत्ना की यह बात सुनकर राज बारिश के पानी की कुछ बूंदें रत्ना के चेहरे पर फेंक कर रत्ना के चेहरे को बारिश के पानी से गिला करके डरी सहमी रत्ना के चेहरे की ऐसे मालिश करता है जैसे स्त्री पुरुष क्रीम लगाकर अपने चेहरे कि हल्के-हल्के मालिश करते हैं, उसके ऐसा करते ही रत्ना के चेहरे का रंग उड़ने लगता है, राज अपने हाथ पर मिट्टी जैसा कुछ देखकर तुरंत अपना हाथ रुमाल से पोंछ लेता है और समझदार बुद्धिमान पढ़ा लिखा राज समझ जाता है कि रत्ना मूर्ति है इस रत्ना नाम की मूर्ति में रंजीत और उसकी पत्नी शांति की बेटी की आत्मा है और अब मैं चुड़ैल जिंद शक्तिशाली मूर्ति के बीच फंस चुका हूं, रत्ना नाम की कोई भी खूबसूरत लड़की इस दुनिया में है ही नहीं, बस मुझे किसी तरह सूर्योदय तक इनसे अपनी जान बचानी है।
जिस समय राज इस सोच विचार में डूबा हुआ था, तभी पुलिस इंस्पेक्टर मिलन का फोन राज के पास आता है पुलिस इंस्पेक्टर मिलन राज से पूछता है? “ कब तक थाने पहुंचोगे।”
“मैं सुबह होने तक थाने नहीं पहुंच पाऊंगा मैं दिल्ली के सिंधु बॉर्डर के पास वाले गांव टीकरी में आधी तूफान बारिश में फंस गया हूं और मेरी बाईक खराब हो गई है।” राज बताता है
“आपका थाने पहुंचना बहुत जरूरी है, आपके नौकर की लाश के पास पॉलिथीन में लिपटे दो सफेद पेपर मिले हैं, उन सफेद पेपरो को को देखकर मुझे शक हो रहा है कि कातिल आपकी हत्या करना चाहता था, लेकिन उसने गलती से आपके नौकर की हत्या कर दी है और मुझे शक है यह काले जादू का भी कोई चक्कर हो सकता है, क्योंकि मैं चार-पांच बार उन दोनों पेपरो की फोटो खींचकर आपके व्हाट्सएप पर भेजने की कोशिश कर चुका हूं, लेकिन मैं सेंड (भेज) नहीं कर पा रहा हूं और आपके देर करने से मुजरिम हमारी पहुंच से दूर जा सकता है।” पुलिस इंस्पेक्टर मिलन कहता है
उसी समय राज को शैतानी आत्माओं से बचने की तरकीब सूज जाती है वह पुलिस इंस्पेक्टर मिलन से कहता है “आप पुलिस कंट्रोल रूम में फोन करके किसी तरह मुझे बारिश की इस अंधेरी रात में इस वीराने घर से निकलकर हाईवे से प्राइवेट टैक्सी पड़वा दे।”
“ओके आप इस समय कहां है, उस जगह का पता ठिकाना व्हाट्सएप पर सेंड कर दे।” पुलिस इंस्पेक्टर मिलन कहता है
राज को अपनी जान बचने की उम्मीद की किरण दिखाई देने लगती है और वह तुरंत पुलिस इंस्पेक्टर मिलन के व्हाट्सएप पर रत्ना के घर का पता सेंड कर देता है।
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