बादशाह के सफर की कहानी
महान बादशाह एक दिन अपने सम्राटी और उनके वजीरों के साथ एक बड़े सफर पर निकले। उनका निशाना था एक प्राचीन और रहस्यमय स्थान पहुँचना जिसे कोई भी नहीं जानता था। सफर के दौरान राजमहल के बाहर से गुजरते हुए बादशाह ने एक भूखे और जीवन यापक ब्राह्मण को देखा। उस ब्राह्मण ने बादशाह से भिक्षा माँगी। बादशाह ने उसे ठीक जवाब दिया और उसकी भिक्षा का समर्थन किया।
ब्राह्मण ने धन्यवाद कहकर बादशाह के साथ चलने लगा। सफर के दौरान उसने बादशाह को बहुत सारी कथाएं सुनाईं जिनमें उसने बादशाह के ध्यान को आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि वो उस अद्भुत स्थान की राहदानी जानता है जिसकी बात आजतक किसी ने नहीं की है। बादशाह आश्वस्त हुए और उन्होंने अपने सम्राटी और वजीरों से उस ब्राह्मण की अनुसंधान करने के लिए कहा।
उन्होंने लम्बी यात्रा कैवल और ब्रह्मवत्स के जंगल के रास्ते में आगे बढ़ा। मगर उन्हें अपने खुदावंद की यात्रा में कई अविष्कार करने पड़े। एक बार एक रहस्यमय गुफा में जाते समय उन्होंने एक पुरानी किताब पाई जिसमें ब्राह्मण के पिताजी की शिक्षा और उसके अनुभवों की कहानियां लिखी थीं।
बादशाह ने किताब का दर्पण खोजा और उसने एक गहरी सोच और सामग्री की सांझें भी पढ़ीं। उसके बाद उन्होंने उसके लेखक से मिलने का निशाना रखा।
बादशाह सहगामी भ्रमणियों के साथ ब्राह्मण की खोज में तेजी से आगे बढ़ गए। वे एक खोजी गुरुकुल में तक पहुँच गए जहाँ उसके पिताजी के पुत्र हमेशा से रहता था। बादशाह उससे मिलने देने के लिए तैयार हुए।
गुरुकुल में बादशाह को स्वागत किया गया और वे उसके निवास स्थान में ले जाए गए। उसने बादशाह को अपनी किताब की कहानियां सुनाई और उसे पिताजी की शिक्षा को समझाया।
बादशाह ने उससे आगे की यात्रा की मांग की और उसे सहयोग करने के लिए ऊर्जित किया। उन्होंने उसके मार्गदर्शन किया और जंगल के रस्ते में कई चुनौतियों का सामना किया। इस दौरान वे एक रखोड़े और उसकी मां भयानक सर्पिणी से भी मुकाबला करने के लिए मजबूर हो गए।
ब्राह्मण ने अपने विद्यार्थी कौशिक को सर्प तंत्र का उपयोग करने के लिए कहा और उसने उसे अपनी सामर्थ्य और साहस की जीत प्राप्त की। उन्होंने सर्पिणी को दबाया और उसे मार डाला।
बादशाह ने उसके विद्यार्थी की प्रशंसा की और उसके साथ अगले कुछ दिनों के लिए शिक्षा प्राप्त करने का निशाना रखा। उसने उसके बुद्धि और योग्यता की सराहना की और कहा कि वह एक दिन अद्वितीय शिक्षक बनेगा।
इस प्रकार, ब्राह्मण और उसके विद्यार्थी ने बादशाह को अपनी विशेष धारणा में लिए और उन्होंने अज्ञात के रहस्य स्थान तक पहुँचने में सफलता हासिल की। उन्होंने एक अनूठी और रहस्यमय स्थान पाया जिसे अनेक व्यक्तियों ने ढूंढने की कोशिश की थी, मगर सफलता नहीं मिली थी।
बादशाह की इस यात्रा ने एक पवित्र और प्रेरणादायक कहानी की शुरुआत की। इसके जरिए उसने ज्ञान, ध्यान, और साहस की महत्वपूर्णता को समझा और उसने अनजाने के रहस्य को सुलझाया। ब्राह्मण और उसके विद्यार्थी ने बादशाह को एक महत्वपूर्ण सबक दिया जिसका महत्व उन्होंने कभी सोचा ही नहीं था।
मंत्री जी कौन सी जगह हैं। जी सीमा पुर बादशाह सब सुन रहा था। आगे मेरी बकरियों का रास्ता रोक हुआ है। बादशाह सब सुन रहा था। फुलवा आदमी बोला क्या आगे फुलवा फिर बोली कौन है? बादशाह आदमी से बोला पता नहीं बाबा सा को मिली थी। सारे सुन रहे थे। कितनी सुंदर से मा सा आदमी बोला क्या आदमी की मां सा बोली फुलवा मुस्कुरा रही थी। मा सा सब देख रही थी। मोहन को प्यार करने लगी से यो लड़की मां सा सब सुन रही थी। चलिए हुकुम मोहन बादशाह से बोला आपका दोस्त हैं। हुकुम से लड़की मोहन बोला फुलवा चुप हो गई चलो दीदी दूसरी लड़की बोली बाबा सा सब सुन रहे थे। ले जा अपनी बकरी हम्म लड़की बोली अरुंधति मुंह बंद सारे झुक गए रानी सा से तू गया फुलवा कुछ नहीं बोली अरुणा राजा सा बोले मेरी फुलवा से ये राजा सा कुछ नहीं बोले बादशाह सब सुन रहा था। जुड़वां की थी के तूने मा सा कुछ नहीं बोली बादशाह सब सुन रहा था। डैड की बेस्ट फ्रेंड क्या बेटा राजा सा बोले दूसरी दुनिया से तू मुंह बंद कर मंत्री जी सब सुन रहे थे। पिता जी राजा सा मुस्कुरा रहे थे। अरुणा सब सुन रही थी। चले सखी हम्म अरुणा बोली बादशाह सब सुन रहा था। जी जा जी राजा सा मुस्कुरा रहे थे। माफी तो मंगू जीजा जी गुस्सा हो गए तू चल फुलवा चुप हो गई बादशाह सब सुन रहा था। आप सफर पे हो क्या बादशाह सब सुन रहा था। तू यह भी तो वर्ल्ड हैंडसम लड़की मंत्री जी बोले राजा सा सब सुन रहे थे। अच्छा आपको अति हैं। मुंह बंद कर मंत्री जी बोले अरुणा सब सुन रही थी। मुझे क्या बादशाह सब सुन रहा था। फुलवा वह से चलने लगी जहां सब थे। मोहन हुकुम को ही देख रहा था। फुलवा क्या हैं अच्छा जी लड़का बोला क्या लड़की हैं क्या तू लड़का से न यार क्या बोलता है। लड़का सब सुन रहा था। हिंदी बोल आदमी सब सुन रहा था। तू लड़का से तो लाइन दे रहा हम्म लड़का बोला किसने बनाया तुझे हैं कोई जान सच हा मोहन के हुकुम लड़का मुस्कुरा रहा था। क्या हुआ ahh बढ़िया हैं ये क्या हैं लड़की अरुणा मुस्कुरा रही थी। हुकुम बान के क्यों आई हैं में यह की रानी हूँ। वीरज अच्छा जी हम्म फुलवा मुस्कुरा रहा था। राज बाबा सा नहीं मानेंगे में माना लू गा विक्रम आ गया। कब मानो गए आदमी सब सुन रहा था। क्यों पैदा हुई हूं मे राज घराने में राज मुंह बंद कर तेरी बहन हुकुम के साथ हम्म अच्छा जी भईया के लड़की मुस्करा रही थीं। ये तो सही बोली भाई अच्छा राज बोला क्या जान हमारे बाबा सा मुझे तू तो से ये न से लड़की सब सुन रही थी। क्यों न पता तू मुंह बंद कर दोनों सब सुन रहा थे। पागल राजा से अगर बाबा सा न किए पूरे सीमा पुर को खत्म कर दे ग अरुणा सच से जान लड़की सब सुन रही थी। तू अरुंधति की दासी हैं पर तेरे पिता जी राज घराने के से दोनों सब सुन रहे थे। ये हो से हम दोनों जाने बाबा सा भी भईया बेटा सच नहीं बदले गा अरुंधति सब सुन रही थी।
म्यूट चल लड़का खड़ा हो गया। म्यूट क्या ये के बोला २ लड़का हास रहा था। ये हमारे सब कुछ से सारे सुन रहे थे। मंत्री जी म्यूट कुछ नहीं बोला नाम से मेरा लड़की सब सुन रही थी। वासे इनके पीछे जल्लाद हैं मंत्री फुलवा बोली अरुंधति सब सुन रही थीं। क्या राजकुमारी कही की तू इनको नहीं जानती म्यूट बेटा मे न मिली गा सारे लड़के को ही देख रहे थे। आदमी सब देख रहा था। भाई म्यूट को गुस्सा आ रहा फुलवा कुछ नहीं बोली २ फुलवा को ले के चले गए आदमी ने बाबा सा को सब बता दिया सागर का से राजा सब सुन रहा था। बाबा सा कुछ नहीं बोले और मात अपना तू लड़की औरत कुछ नहीं बोली अपने बेटे से भी गई ये कोई कुछ नहीं बोला मां सा रोने लगी बाबा सा कुछ नहीं बोले दोनों सब सुन रहे थे। सागर शादी कब करनी से जी मंत्री जी सागर से बोले आज ही हुकुम को जाना से भोर मे दादा सा सब सुन रहे थे। मेरी मां सा कहा से बेबी गर्ल बोली अरुणा सब देख रहा था। देख कौन है। लड़का अरुणा से बोला जान लड़की महल से निकल गई दादा सा सब देख रहे थे। सागर की बेटी थी। सागर कुछ नहीं बोला मां सा सब सुन रही थी। कितने साल का से बाबा सा कुछ नहीं बोले जी मैने कुछ पूछा दादी सा बोली बाबा सा सब सुन रहे थे। आप क्या पागल हो मुंह बंद कर लड़का सब सुन रहा था। पता भी से अपने किसका रिश्ता ठुकरा से दादा सा सब सुन रहे थे। मंत्री जी हुकुम टोह अरुंधति मेरे बाबा सा बढ़िया हुकुम का हाथ थम लड़का सब देख रहा था। उनकी हूँ। लड़की की क्या सारे हास रहे थे। के बोला ये दादा सा बोले बाबा सा तू मुंह बंद कर सागर मुस्करा रहा था। टोह जी पोती हैं मेरी बहन की दादा सा सब सुन रहे थे। ये बाद मे हुकुम का पता से तुझे दादा सा सब सुन रहे थे। अच्छा लड़का बोला वासे गलत बोला ये मा सा से उनकी सारे लोग हास रहे थे। के बोला अब तो होगी दाती क्या दादा सा मे इनकी हूँ। गठिया ही से टोह भाई अरुंधति सब सुन ररही थी। अब मेरा श्राप सुन सारे सुन रहे थे। तू किसी भी जनम मे मुझे नहीं पाएगी मार भी जाए टोह भी नहीं मे किसी की नहीं हुई समझा बूढ़े बाबा सा सब सुन रहे थे। मेरे दादू को पापा सा बनी थी। खुद के किया भाई सारे हास रहे थे। दादी मैने क्या किया इस लिए तेरे पति को नहीं दिया दादी सा सब सुन रही थीं। भूल से भी सूर्य भान के आगे मुंह मात खोलना तुम्हारी ७ पुष्टि को मर डाले गा दीदी के बारे मे बोले तो मंत्री ठीक हैं मंत्री जी सब सुन रहे थे। तेरा बेटा बाबा सा हुकुम के मंत्री जी से बोले गायब कर हम्म दादा सा सब सुन रहे थे। इंसान हैं के टोह जी दादी बोली दादू सब सुन रहे थे। सारे गायब हो गए के हुआ भानु ने मार डाला इनको औरत रोने लगी दादा सा सब सुन रहे थे। देख भी कैसे भाई की जान को ये बाबा सा सब सुन रहे थे। अरुंधति सब सुन रही थी। मुबारक हो हुकुम मुस्करा रहे थे। खयाल रहे भाई की जान को याद भी ना करे याद से हुकुम बोले दादा सा सब सुन रहे थे। मंत्री क्या मे भानु का आदमी हूँ।मेरा मुना भी सारे हास रहे थे। निकले सीमा पुर खत्म आज हुकुम बोले के बोला ये बुद्ध भाई की जान को देख दादी रोने लगी बाबा सा मुस्कुरा रहे थे। तू भी कौन मेरे बड़े भाई है। आदमी हास रहा था। मा सा मुस्कुरा रही थी। अरुणा सब सुन रहा था। मुंह बंद कर तो बहन माने अच्छा से मुझे कुछ नहीं मंत्री जी हैरान ही रहा गए तेरे भाई का सगा से के बोला जो सुन हुकुम बोले मां सा मुस्कुरा रही थी।
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