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भटकती आत्माएं

भटकती आत्माओं से मुलाकात

सर्दी के मौसम की बरसात की रात सुनसान बियाबान कच्ची सड़क और सड़क के दोनों तरफ बाबुल के पेड़ों का जंगल और जंगल से गीदड़ों के झुंडों की रोने कि दर्दनाक आवाज़ें जैसे किसी उनसे ताकतवर जानवर ने उन सब पर एक साथ हमला कर दिया हो, अमावस्या की अंधेरी रात में अचानक 75% से मोबाईल की बैटरी 0% कच्ची सड़क पर  डॉक्टर महेश की गाड़ी के अलावा दूसरा कोई वाहन नहीं और साथ में गाड़ी में बैठी हुई चुड़ैल ऐसे माहौल में मजबूत से मजबूत दिल के मनुष्य का भी हार्ट फेल हो जाता।

डॉ महेश ऐसे डरावने माहौल में फंसा इसलिए क्योंकि डॉक्टर महेश ने जल्दी घर पहुंचने के लिए हाईवे पर लगे बस ट्रक में एक्सीडेंट के जाम के बाद हाईवे रोड़ के किनारे जा रही कच्ची सड़क से शॉर्टकट ले लिया था, यह जानते हुए कि वह कच्ची सड़क भूतिया सड़क है।

और आधे कच्चे रास्ते पर पहुंचने से पहले ही उसकी गाड़ी के सामने कड़ाके की ठंड से कांपता हुआ सात आठ साल का आधा नंगा यानी कि सिर्फ काले रंग का निकर पहने हुआ और ऊपर शरीर पर कमीज स्वेटर आदि कुछ भी नहीं पहने हुए बच्चा आ गया था।

उस अकेले बच्चे को इस मुसीबत संकट में फंसा देखकर डॉक्टर महेश ने इंसानियत के नाते उस बच्चे की मदद करने के लिए तुरंत अपनी गाड़ी रोक दी थी, लेकिन जब डॉक्टर महेश उस आधे नंगे बच्चे की मदद

 करने के लिए अपनी गाड़ी से उतरा था, तो वह बच्चा वहां से गायब हो चुका था और जब डॉक्टर महेश ने अपने मोबाईल की टॉर्च जलाकर कच्ची सड़क के दोनों तरफ वाले बाबुल के जंगलों में उस बच्चे को ढूंढने कि कोशिश कि थी, तो गिद्ध के आकार के आम उल्लू पंछी से बहुत अधिक बड़े  विशाल हष्ट पुष्ट उल्लू ने उस पर हमला कर दिया था और उस उल्लू ने डॉ महेश को लहूलुहान कर दिया था, यहां तक की उसकी की काले रंग की लेदर की जैकेट के भी चिथड़े उड़ा दिए थे।

और जब डॉक्टर महेश हमलावर उल्लू के लगातार होने वाले हमलो से बचने के लिए अपनी गाड़ी की तरफ भागा था, अपनी जान बचाने के लिए गाड़ी का दरवाजा खोल कर उसमें छुपाने के लिए तो उल्लू ना जाने कैसे उसकी गाड़ी के अंदर घुसकर ड्राईवर सीट पर बैठ गया था।

गाड़ी में उल्लू को घुसा देखकर डॉक्टर महेश वहां से उल्टा भागते हुए सोच रहा था कि काली माता की सच्ची भगत मेरी मां सच कहती थी कि इस कच्ची सड़क पर कभी भी रात के 12:00 के बाद अकेले नहीं गुजराना, क्योंकि इस कच्ची सड़क पर रात को पिशाचिनी बच्चा भूत चुड़ैल भटकती है और अब तक इस कच्ची सड़क पर जितने भी लोगों की जान गई है, इन तीनों पिशाचिनी चुड़ैल बच्चे भूत ने ली है। पुलिस जनता सोचती है की खूंखार आदमखोर शेरनी ने उन सब की जान ली थी, सब लोग यह जानकर भी अनजान बनते हैं कि आदमखोर शेरनी को 50 साल पहले आसपास के गांव के लोगों ने देखा था तो वह 50 वर्ष बीतने के बाद भी अब तक जिंदा कैसे हो सकती हैं। 

पिशाचिनी भूत प्रेतों पर विश्वास न करने वाले डॉक्टर महेश को मां की बात तब सच लगने लगी थी, जब उस उल्लू ने उसकी गाड़ी से उड़ कर जमीन पर दौड़ते हुए काले रंग का निकर पहने हुए उसी बच्चे का रूप धारण कर लिया था, जो डॉक्टर महेश कि गाड़ी के सामने आ गया था। यह डरावना दहशत से भरा दृश्य देखकर डॉक्टर महेश का दिल तेज तेज धड़कने लगा था, उसके हाथ पांव ढीले पड़ गए थे और उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि शरीर के साथ उसकी आवाज भी बर्फ की सिली जैसे जम गई है।

तभी उसे अमावस्या और घने कोहरे के अंधेरे को चीरते हुए लाल रंग की साड़ी पहने अद्भुत अप्सरा हूर की परी जैसी खूबसूरत लड़की हाथ में छोटा-सा बच्चों के खिलौने जैसा त्रिशूल लिए अपनी ओर आती हुई दिखाई दी थी, वह खुबसूरत लड़की दूर से ही चिल्ला चिल्ला कर कह रही थी कि “बाबूजी जल्दी यहां से भागो बाबूजी जल्दी यहां से भागो आपके पास कुछ भी सोचने का समय नहीं है।” 

उस लड़की की चेतावनी सुनकर डॉक्टर महेश ने जल्दी से अपनी गाड़ी स्टार्ट कर दी थी और आवाज देकर उस अकेली लड़की को अपनी गाड़ी में बिठा लिया था, डॉक्टर महेश के साथ गाड़ी में बैठने के बाद उस लड़की ने कहा था “अगर मैं समय पर ना पहुंचती तो वह बच्चे का भूत आपकी जान लिए बिना आपका पीछा नहीं छोड़ता।”

वह उल्लू बच्चा भूत ही था, अपना यह विश्वास मजबूत करने के लिए डॉक्टर महेश ने पूछा था? “तुम इतने यकीन से कैसे कह सकती हो कि वह उल्लू पक्षी नहीं बल्कि बच्चा भूत था।”

“क्योंकि मैं इस जंगल में रहती हूं और मैं कर्ण पिशाचिनी की सेविका देविका पिशाचिनी हूं।” अगर वह पिशचिनी हद से ज्यादा खूबसूरत ना होती और सड़े गले दांत बाहर निकले चेहरे वाली होती तो उसके मुंह से 

पिशाचिनी शब्द सुनकर डॉक्टर महेश का हार्ड फेल ही हो जाता, लेकिन इतनी खूबसूरत लड़की को देखकर कोई भी कुंवारा उससे किसी भी शर्त पर शादी करने के लिए तैयार हो जाता, इधर तो डॉक्टर महेश के ऊपर उसकी विधवा मां ने पहले ही शादी करने का बहुत ज्यादा दबाव डाल रखा था, इसलिए डॉक्टर महेश काली गोरी लंगड़ी लूली कैसी भी लड़की से शादी करने के लिए तैयार हो गया था और इस वजह से डॉक्टर महेश ने सोचा था, अगर यह सच में पिशाचिनी भी है तो मैं तब भी इससे शादी कर लूंगा, इस शर्त पर कि मैं जब तक जिंदा रहूं यह ऐसी ही अद्भुत सुंदरी बनी रहे।

डॉक्टर महेश यह सब सोच ही रहा था तो पिशाचिनी ने कहा था “डॉक्टर महेश जल्दी गाड़ी रोको आगे रानी चुड़ैल अपने भूत भाई सोनू के साथ कच्ची सड़क के बीचों-बीच खड़े होकर तुम्हारा वहां आने का इंतजार कर रही है, आज वह तुम्हे अपने साथ लेकर ही जाएगी।”

तो डॉक्टर महेश ने उससे पूछा था? “अपनी बकवास बंद कर और सिर्फ यह बता कि तुझे मेरा नाम कैसे मालूम है।”  

“मुझे तो यह भी मालूम है, अगर मैं इसी समय तुम्हें अकेला छोड़ दूं, तो तेरे पिछले जन्म की प्रेमिका रानी चुड़ैल तेरी जान लेकर तुझे अपने साथ ले जाएगी, अगर मेरी बात पर यकीन नहीं है, तो यह ले खुद अपनी मौत का तमाशा देख।” यह कहकर पिशाचिनी ड्राईवर की साथ वाली सीट से अदृश्य (गायब) हो गई थी।

दीवानी क्रोधित बेचैन आत्माएं

पिशाचिनी के अदृश्य (गायब) होने के बाद डॉक्टर महेश सोच मे पड़ गया था कि इंसान तो झूठ बोल सकते हैं, लेकिन पिशाचिनी भूत प्रेत चुड़ैल कभी झूठ नहीं बोल सकते हैं, तो इसलिए डॉक्टर महेश उसी समय सोचने लगा था कि मैं कैसे अपने पीछले जन्म का पता लगाऊं कि मैं और रानी चुड़ैल पिछले जन्म में प्रेमी-प्रेमिका थे।

और पिशाचिनी के अदृश्य (गायब) होते ही उसकी की गाड़ी के बोनट पर रानी चुड़ैल उसका भूत भाई सोनू ना जाने कहां से आकर बैठ गए थे, डॉक्टर महेश ने चुड़ैल रानी भूत बच्चे को देखकर गाड़ी से नियंत्रण खो दिया था, इस वजह से उसकी गाड़ी बाबुल के पेड़ से टकरा गई थी और वह बेहोश हो गया था बेहोशी में डॉक्टर महेश ने अपने पिछले जन्म को देखा था कि पिछले जन्म में उसका नाम जुगनू था, वह और रानी इस जन्म की रानी चुड़ैल उसकी प्रेमिका थी।

रानी के माता-पिता नहीं चाहते थे कि हमारी बेटी रानी कि शादी  तांत्रिक जादूगरनी विधवा मां के बेटे जूगनू से हो, खास करके रानी के पिता, इसलिए उसके पिता ने जुगनू और उसकी तांत्रिक मां को जिंदा जला के मारने के लिए उनके घर की बाहर से कुंडली लगाकर आग लगा दी थी कि दोनों मां बटे सोते-सोते सुबह तक जलकर राख हो जाएंगे और मैं अपनी बेटी रानी की शादी मोटी रकम लेकर अधेड़ आयु के गांव के विदुर प्रधान से करवा दूंगा, दो वर्ष पहले गांव के प्रधान की बीवी की कैंसर की बीमारी से मौत हो गई थी, वह रानी की खूबसूरती पर फिदा होकर किसी भी कीमत पर उससे शादी करने के लिए बेताब था।

और रानी का पिता इस बात से अनजान था कि जुगनू के घर में उसकी बेटी रानी और सात साल का बेटा सोनू भी है, जुगनू की मां तो उस समय जंगलों में कर्ण पिशाचिनी सिद्धि करने गई हुई है। 

तब कर्ण पिशाचिनी सिद्धि के बाद जुगनू इस जन्म के डॉक्टर महेश की मां के कान के पास आवाज आई थी कि तेरे बेटे और होने वाली बहू बहू के सात साल के भाई को खुद तेरी होने वाली बहू के पिता ने जिंदा जलाकर राख कर दिया है, क्योंकि कर्ण पिशाचिनी सिद्धि के बाद अलौकिक आवाज कान के पास आकर भूतकाल वर्तमान भविष्य साधक को बता देती है, तब यह सुनकर जुगनू की मां रोती पीटतीं बिलखती घबरा कर अपने घर की तरफ दौड़ी थी और अपने बेटे की अध जली लाश को देखकर उसने रानी के माता-पिता से और गांव के प्रधान से बदला लेने की वजह से कर्ण पिशाचिनी सिद्धि और अपनी जादूगरी तांत्रिक शक्ति से रानी उसके छोटे भाई की आत्मा को मुक्ति नहीं मिलने दी थी और उन्हें हुकुम दिया था कि इसी समय मेरे बेटे जुगनू और तुम दोनो कि मौत के लिए जिम्मेदार लोगों से अपनी मौत का खुद बदला लो इसलिए अपने माता-पिता के साथ गांव के प्रधान को दर्दनाक मौत दो।

लेकिन अपनी और जुगनू की मौत का बदला लेने के बाद यानी कि सबकी हत्या करने के बाद रानी उसके छोटे भाई सोनू की आत्मा को मुक्ति नहीं मिली थी, क्योंकि रानी की जुगनू से शादी करने की इच्छा अधूरी रह गई थी, इसलिए अपनी बहन के साथ मुक्ति मिलने की सोनू की भी अधूरी इच्छा रह गई थी, क्योंकि रानी अपने छोटे भाई सोनू को उसके जन्म से मां जैसे प्यार देती थी, इस वजह से सोनू बहन रानी से कुछ मिनटों कि भी जुदाई बर्दाश्त नहीं कर पाता था, इसलिए वह किसी भी हालत में बहन रानी के बिना दुसरी दुनिया में नहीं जाना चहता था, इसलिए उसको भी बहन के साथ मुक्ति नहीं मिल पाई थी, इस कारण से रानी जुगनू डॉक्टर महेश से मिलन की आस लिए अब तक भटक रही थी।

और जब डॉक्टर महेश को अपने पिछले जन्म को सपने में देखकर होश आया था, तो लहंगा चुन्नी पहने पूरा शरीर जला हुआ बाल जलने की वजह से खोपड़ी में चिपके हुए आंखों की जगह दो गहरे काले काले गड्ढे और दोनों हाथ जलकर घटनास्थल पर ही टूट कर गिरे हुए, तो इतनी भयानक डरावनी रानी चुड़ैल को ड्राईवर की बगल वाली सीट पर बैठी हुई देखकर, डॉक्टर महेश दुबारा बेहोश हो गया था और जब उसे दोबारा होश आया था, तो उसके साथ रानी चुड़ैल अपने जीवित वाले खूबसूरत रूप में बैठी हुई थी और तब उसने प्यार से कहा था “जुगनू जल्दी गाड़ी स्टार्ट करो आगे शिव पार्वती के मंदिर पर मेरे भाई सोनू ने तुम्हारी मेरी शादी की पूरी तैयारी कर ली है, वह हम दोनों का एक साथ आने का इंतजार कर रहा है।

तब डॉक्टर महेश ने सोचा था, अगर यह सामान्य स्त्री होती तो मैं इससे मुकाबला करने की सोचता भी चुड़ैल से तो बिना लड़े ही हार मान लेना सही होगा, और अब तो काली मां ही मेरी इस चुड़ैल से रक्षा कर सकती है।

तो इस तरह रानी चुड़ैल डॉक्टर महेश की गाड़ी में घुस गई थी, लेकिन बार-बार डॉक्टर महेश के अपनी मां को याद करने की वजह से अचानक रानी चुड़ैल हवा में उड़ती हुई गाड़ी का शीशा तोड़कर गाड़ी से बाहर जाकर गिरती है और एक आदमखोर शेरनी की आत्मा उसे गर्दन से पकड़ कर बाबुल के जंगलों में खींचती हुई ले जाती है, रानी चुड़ैल के जाते ही ड्राईवर के साथ वाली सीट पर अद्भुत सुंदरी का रूप धारण किए पिशाचिनी बैठ जाती है।

पिशाचिनी डॉक्टर महेश के कुछ समझने से पहले ही कहती है “आदमखोर शेरनी की आत्मा मेरे वश में है, इसलिए आदमखोर शेरनी ने मेरे हुकुम से तुम्हारी रक्षा के लिए रानी चुड़ैल पर हमला किया था, तुम्हारी मदद मैंने दो कारणों से कि है पहला मुझे पिशाचिनी योनि से मुक्ति के लिए सही समय आने पर तुम्हारी मदद कि जरूरत पड़ेगी दुसरा पिछले जन्म में जो तुम्हारी मां थी, वही माता काली कि भगत इस जन्म में भी तुम्हारी मां है, मैं उसकी पीछले जन्म कि सिद्ध की हुई पिशाचिनी हूं, मैंने ही तुम्हारी मां के हुकुम से रानी उसके छोटे भाई की आत्मा को मुक्ति नहीं मिलने दी थी और तुम्हारे वंश की गुलाम होने के कारण आज तुम्हारी रक्षा की रानी चुड़ैल की अधूरी इच्छा तुमसे विवाह करने की पूरी ना होने कि वजह से रानी चुड़ैल उसके भूत भाई सोनू को मुक्ति नहीं मिल पाई है और उन दोनों को मुक्ति न मिलने में मेरा भी हाथ था, इसलिए मुझे तुम्हारे वंश की 

सेवा से मुक्ति नहीं मिल पा रही है, लेकिन शायद तुम्हारी मां कि मौत के बाद मुझे तुम्हारे वंश से मुक्ति मिल जाए।” और फिर लाल आंखें करके कहती हैं “तेरी मां कि मौत जल्दी ही आने वाली है, क्योंकि उसने मेरा कहना मानना मेरी सेवा करना छोड़ दिया है।” यह कहकर पिशाचिनी डॉक्टर महेश की गाड़ी से अदृश्य (गायब) हो जाती है।

अपनी वजह से दो बेगुनाह बेकसूर आत्माओं को मुक्ति न मिलने का बोझ लेकर डॉ महेश अपने घर पहुंच जाता है और घर पहुंच कर मां को चुड़ैल भूत पिशाचिनी कि सारी बात बताकर अपनी मां से बहुत नाराज 

होकर बोलता है “मुझे शक है, आप अपने पीछले जन्म कि तरह इस जन्म में भी साधारण इंसानों की तरह पूजा नहीं कर रही हो, बल्कि तांत्रिकों जैसे माता काली कि पूजा कर रही हो।” 

“बेटा सच्चाई यह है कि मैं पीछले जन्म से पीछा कर रही पिशाचिनी से अपने वंश को बचाने के लिए तांत्रिक उपाय पूजा करती हूं।” मां बताती है 

आत्महत्या की सोच

“लेकिन आपको पता होना चाहिए काला जादू और पिशाचिनी सिद्धि करने वाले तांत्रिक या साधारण इंसान जब ज़रा सी भी गलती कर देते हैं, तो परलोक में भी चैन से नहीं रह पाते हैं।” डॉक्टर महेश बोला 

“सच्चाई यह है कि वह पिशाचिनी मेरा नहीं तेरा पीछा पीछले जन्म से कर रही न जाने वह तुझसे क्या चाहती है और मैं एक मां हूं कोई भी मां अपने बेटे के संकट का आभास होने पर उसे अकेला कैसे छोड़ सकती है।” यह कहकर डॉक्टर महेश कि मां अपना गला ऐसे पकड़ कर जमीन पर गिर जाती है, जैसे कोई अदृश्य शक्ति उसका गला दबा रही हो।

डॉ महेश इससे पहले कुछ कर पाता उसकी मां के मुंह नाक कान से खून आने के बाद उसकी मां कि मौत हो जाती है।

डॉ महेश कि मां की मौत के एक महीने बाद तक डॉक्टर महेश का बचपन का दोस्त राम सिंह डॉ महेश को अकेला नहीं छोड़ता है और अपनी छोटी साली से उसकी शादी करवाने कि कोशिश करता है, किंतु हमेशा कि तरह इस बार भी डॉक्टर महेश को लड़की पसंद नहीं आती है यानी कि राम सिंह कि साली पसंद नहीं आती है, लेकिन जब राम सिंह अपनी पत्नी के साथ अपने घर जाने कि तैयारी करने लगता है, तो डॉक्टर महेश को बहुत अकेलापन महसूस होता है, क्योंकि अब उसकी मां भी उसके साथ नहीं थी, इसलिए डॉ महेश अपने दोस्त राम सिंह को अपने घर के आसपास ही मकान खरीदने कि कहता है और कुछ रुपए देकर दोस्त कि नया मकान खरीदने में मदद भी करता है।

और उस नए घर में जब राम सिंह कि पत्नी छत पर रखी पानी कि टंकी के पास से जब भी नए उगे पीपल के पौधे को जड़ से उखड़ती थी तो उसे सपने में एक चुड़ैल जैसी भायनक स्त्री दिखाई देती थी जो उसे पीपल के पौधे को उखाड़ ने से माना करती थी और कुछ दिनों बाद वह पीपल का पौधा दुबारा उग आता था।

और जब इस भूतिया घटना का राम सिंह ने डॉ महेश के सामने एक तांत्रिक से पता लगवाया तब तांत्रिक ने बताया था कि “इस घटना का डॉ महेश के जीवन से गहरा सम्बंध है।” 

तब डॉक्टर महेश ने अंधविश्वास कह कर बड़ी मुश्किल से अपने दोस्त को वह मकान बेचने से रोका था और उसकी पत्नी को कुछ भी बताने से रोका था और उस दिन के बाद डॉ महेश अपने दोस्त के सामने उस पीपल के पौधे को खुद उखाड़ कर आता था, दोस्त कि पत्नी से नजरें बचाकर इसलिए वह चुड़ैल जैसी भायनक स्त्री अब उसे सपने में दिखाई देने लगी थी और वह स्त्री हर बार सपने में कहती थी “कब मिलने आओगे मुझसे।” 

 

और जब 30 साल कि आयु से 40 वर्ष की आयु तक डॉक्टर महेश को शांति सुकून नहीं मिलता तो वह एक बार फिर रात के 2:00 बजे उसी कच्ची सड़क से रानी चुड़ैल और उसके भाई को मुक्ति दिलाने के लिए अपनी जान की परवाह किए बिना गुजरता है, क्योंकि इस बेचैनी कि वज़ह से उसके हाथों से एक नौ साल कि बच्ची का दिल का आपरेशन करते वक्त मौत हो गई थी, उस समय उसे ऐसा महसूस हुआ था कि किसी ने उसके कान के पास आकर कहा हो कि “जब तक तू मुझसे मिलेगा नहीं तेरे हाथों से यूं ही बेकसूर लोगों कि जान जाती रहेगी।” और डॉक्टर महेश पर जब लापरवाही से ईलाज का मुकदमा चला तब उसका डॉक्टरी से दिल हटाने के बाद उसकी जीने की भी तमन्ना खत्म हो गई थी, इसलिए वह अपने को एक नौ वर्ष की बच्ची का हत्यारा मानकर पश्चात या कहें मरने से पहले कोई पुण्य कर्म करना चाहता था।

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