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"पूर्व जन्म का दुश्मन प्रेमी"

दुश्मन की दीवानी

“डेढ़ सौ साल के मिलने के बाद मैं कैसे अपनी प्रेमिका को किसी और कि पत्नी बनने दूंगा ।” युग बोला 

“इस दुनिया में कौन मानेगा कि हम डेढ़ सौ वर्ष पूराने प्रेमी प्रेमिका है और एक दूसरे से मिलन के लिए डेढ़ सौ वर्षों से बैचेन है और अगर मैंने प्रताप से शादी से इन्कार किया तो वह मेरे दोनो भाईयों का कारखाना बर्बाद कर देगा, वह मेरे सौतेले भाई जरूर है, लेकिन उन्होंने कभी भी मुझे महसूस नहीं होने दिया कि मैं उनकी सौतेली बहन हूं, हमेशा मुझे सच्चा प्यार दिया है, इसलिए आप इसी समय हमारे गांव से चले जाओ, क्योंकि एक सप्ताह बाद मेरी शादी है और मैं नहीं चाहती कि मेरी प्रताप कि शादी में कोई भी समास्या आए।” वैशाली बोली

वैशाली कि यह बात सुनकर दूर से कोयला की मधुर आवाज आती भी युग को कौवे का शोर सुनाई देती है 

और इस से पहले युग वैशाली से कुछ बोल पाता बाहर शोर शराबा होने लगता है कि गांव का सुंदर नाम का व्यक्ति अपने पूराने मकान को तुड़वा कर नया मकान बनवाने के लिए नींव खुदवा रहा तभी खुदाई में एक नर कंकाल निकला है। 

और कुछ पल बाद ही वैशाली का बड़ा भाई अपने घर के आंगन में लगी तुलसी के पास खड़ा होकर युग को आवाज लगा कर बोलता है 

“सिविल इंजीनियर साहब जल्दी कमरे से बाहर आओ गांव के सुंदर नाम के व्यक्ति के मकान कि नींव कि खुदाई में नर कंकाल निकला है, जरा देखकर तो बताओ कि वह कितने बरसों पूराना है। 

और उस नर कंकाल को कुछ मिनटों तक ध्यान से देखने के बाद युग चक्कर खा कर जमीन पर गिर कर बेहोश हो जाता है, क्योंकि वह नर कंकाल उसी का था और उसे युग ने वैशाली के पूर्व जन्म के प्रेमी पन्ना की हीरे कि अंगूठी से पहचाना था। वह हीरे कि अंगूठी नर कंकाल के हाथ कि उंगली में अभी भी थी। 

और जब युग को होश आता है तो वह नीम के पेड़ के नीचे सर्दियों के मौसम कि धूप में चारपाई पर लेटा हुआ था, गांव के वैध के साथ वैशाली खड़ी हुई थी वैशाली के दोनों भाई गांव के लोगों को हंसने से रोक रहे थे, गांव के औरत बच्चे बुढ़े जवान इसलिए हंस रहे थे क्योंकि वह सोच रहे थे कि शहरी कमजोर दिल वाला सिविल इंजीनियर नर‌ कंकाल को भूत प्रेत समझ कर बेहोश हो गया है। 

युग के होश में आते ही गांव का बुजुर्ग वैध बोलता है “इंजिनियर साहब के आसपास ज्यादा भीड़ मत लगाओ, उन्हें यही नीम के पेड़ के नीचे धूप में अकेले आराम करने दो।” 

और फिर वैशाली के दोनों भाई गांव वालों के साथ मिलकर नर कंकाल को पुलिस के हवाले करने कि तैयारी शुरू कर देते हैं, वैशाली अपनी छोटी चेचेरी बहन देवी के साथ अपनी गाय और उसकी बछिया को युग के पास ही खुटे से बंधा कर नीम के पेड़ के नीचे बने टूटे फ़ूटे ईट मिट्टी के चबूतरे पर बैठ जाती है और अपनी चचेरी बहन से नजरें छुपा कर नर कंकाल के हाथ कि हीरे कि अंगूठी युग को दिखा कर बोलती “वह नर कंकाल आपका ही है ना और यह वही अंगुठी है ना जिसे मुझे पहनने कि ज़िद की वजह से आपकी जान चली गई थी।” 

“वैशाली कितना खूबसूरत मेरी मौत का दिन था, क्योंकि मैंने तुम्हारे लिए अपनी जान दी थी और इसलिए मुझे मरने के बाद भी अदभुत शाकुन शांति मिली थी।” युग बोला 

“आप डेढ़ सौ वर्ष पहले अपने पूर्व जन्म में जैसे थे, वैसे ही अपने पुनर्जन्म में भी हो आपके लिए आपकी मौत का दिन शांति सुकुन से भरा हो सकता है, लेकिन मेरे लिए तो वह दिन आज भी उतना ही मनहूस है।” वैशाली बोली “

अगर उस दिन हम दोनों कि शादी हो जाती तो वह दिन मनहूस नहीं बल्कि शुभ होता। “युग बोला 

“हमारी शादी यहां करवाता कौन शायद आप भूल गए यहां पहले मेरा गांव नहीं था, बल्कि घना बियाबान जंगल था और हमारे पीछे वह अंग्रेजी सरकार के कैदियों को फंसी देने वाला देवा जल्लाद अपने आदमियों के साथ पड़ा हुआ था। दुश्मन देवा जल्लाद कि सोच कर मैं तो यही कहूंगी कि ऊपर वाला दुश्मन को भी ऐसा दुश्मन ना दे।” वैशाली बोली

देव जल्लाद की बात तो बाद में करेंगे पहले मुझे यह बताओ तुमने इतने लोगों की नजरे से बचकर मेरे नर कंगाल के हाथों की उंगलियों से यह हीरे की अंगूठी उतारी कैसे।” युग पूछता है 

“तुम्हारे बेहोश होने के बाद सबका ध्यान नर कंकाल से हटकर तुम्हारी तरफ चला गया था, इसी बीच मौका देखकर मैंने यह है थोड़ी सी टूटी हुई हीरे की अंगूठी कंकाल की उंगलियों से उतार ली थी।” वैशाली बोली 

“लेकिन मैं यह बात क्यों नहीं समझ पा रही हूं कि तुम्हारे कंकाल को देखकर नफरत क्यों हो रही है कहीं ऐसा तो नहीं यह उस कमीने ज़लील देवा जल्लाद का कंकाल हो।” वैशाली अपनी बात की खुद ही जवाब देते हुए बोलती है 

नर कंकाल को देखकर युग को तो पहले ही ऐहसास हो रहा था कि यह नर कंकाल वैशाली के प्रेमी पन्ना का नहीं बल्कि देवा जल्लाद का है और मैं ही अपने पूर्व जन्म में देवा जल्लाद था, इसलिए वह देवा जल्लाद को वैशाली कि नजरों में ऊंचा उठाने के लिए बोलता है 

 

“इस जन्म में भी उतनी ही बुद्धिमान हो लेकिन फिर यह बात तुम्हारी समझ में क्यों नहीं आती की देवा जल्लाद तुम्हारी खूबसूरती का दिवाना था, तुम्हारे लिए उसका प्रेम सच्चा था, दुश्मन तो वह पन्ना का था, आपका तो वह जीवन भर दासा बनने के लिए तैयार था।” यह बात कह कर युग को और ज्यादा महसूस होता है कि वह वैशाली के पूर्व जन्म का प्रेमी पन्ना नहीं उस का और पन्ना का दुश्मन देवा जल्लाद है, इसलिए वह अपने पूर्व जन्म को पूरा और ठीक से याद करने के लिए चारपाई पर लेटे-लेटे आंखें बंद कर लेता है। 

तब उसे याद आता है कि वैशाली का प्रेमी पन्ना घायल होने के बवाजूद भी जब वैशाली को देवा जल्लाद से बचा रहा था, यानी कि मुझ से तब मेरे कहने से मेरे आदमियों ने पन्ना को गहरी खाई में फेंक दिया था और यह हीरे की अंगूठी पन्ना ने वैशाली के हाथों की उंगलियों में अपने हाथों से पहनाईं थी और गहरी खाई में गिरने के बाद उसे कैसे याद की देवा जल्लाद से अपने को बचाते हुए वैशाली ने हीरे की अंगूठी थोड़ी तोड़कर निगलने के बाद  अपनी जान दी थी और उसके बाद मैंने यानी की देवा जल्लाद ने भी वैशाली की मौत से दुखी होकर पीपल के पेड़ पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। 

और यह सब सोचते सोचते जब युग यह नही समझ पाता कि उसे पन्ना की मौत का दुख होने की जगह देवा जल्लाद की मौत का इतना दुख क्यों हो रहा है तो वह थोड़ा और गहराई दिल से अपने पूर्व जन्म को याद करने कि कोशिश करने लगता है, तब उसे याद आता है कि वैशाली की मौत के बाद देवा जल्लाद ने अपने किराए के गुंडों को पैसे देकर वहां से रवाना कर दिया था, उसके बाद अकेले देवा जल्लाद ने वैशाली की मौत से दुखी होकर पीपल के पेड़ पर रस्सी से फांसी का फंदा बनाकर कि थी और आत्महत्या करने से पहले देवा जल्लाद ने वैशाली का अंतिम संस्कार भी किया था। 

पीपल के पेड़ से थोड़ा दूर ही वैशाली का शव पड़ा हुआ था, उस जन्म मैं भी वैशाली का नाम वैशाली ही था फिर वह सोचता है अगर यह सब सत्य है तो यहीं कहीं आसपास मिट्टी में वैशाली की भी अस्थियां दबी होगी और पन्ना की अस्थियां शायद आज भी गहरी खाई में मिल जाए गहरी खाई में गिरने के बाद पन्ना का क्या हुआ यह मुझे ठीक से याद क्यों नहीं आ रहा है और जब मैं वैशाली के प्रेमी पन्ना के विषय में सोचने की कोशिश कर रहा हूं, तो मेरी आंखों के सामने बार-बार मेरे बचपन के दोस्त डॉक्टर रत्न का चेहरा क्यों आ रहा है, अगर पन्ना की अस्थियां मुझे गहरी खाई में मिल जाए तो शायद मुझे याद आ जाए कि अपने पूर्व जन्म में मैं देवा जल्लाद था या पन्ना लेकिन शायद ऐसा होगा नहीं क्योंकि देवा के कंगाल को देखकर मुझे महसूस हो गया है कि यह मेरा ही कंगाल था और मैं ही देवा जल्लाद हूं।

फिर वह सोचता है लेकिन यह बात समझ में नहीं आ रही की हीरे की अंगूठी तो पन्ना ने अपने हाथों से वैशाली को पहनाई थी या खुद ही हीरे की अंगूठी गहरी खाई में गिरने तक पहन रखी थी और यह भी याद नहीं आ रहा है कि देवा ने यानी मैंने कब पन्ना या वैशाली के हाथों से हीरे की अंगूठी उतार कर अपने हाथ में पहनी थी। अगर देवा जल्लाद ने हीरे की अंगूठी नहीं पहनी थी तो यह युग का नर कंकाल था लेकिन गहरी खाई से युग का नर कंकाल यहां कैसे पहुंच सकता है। 

इस सोच में डूबे हुए युग को जाड़े के मौसम की शीत लहर भी महसूस नहीं हो रही थी क्योंकि बहुत समय पहले ही नीम के पेड़ के नीचे सर्दी कि नाममात्र कि धूप के बाद छाया आ गई थी।

उसे तब पता चलता है कि वह धूप में नहीं छाया में लेटा हुआ है जब एक बच्चा युग के पास आकर बोलता है “आपको वैशाली दीदी घर पर दोपहर का खाना खाने के लिए बुला रही है।”

युग बच्चे से बोलता है “वैशाली दीदी को बोल दो कि मुझे भूख नहीं है।” युग को भूख लगती भी कहां से क्योंकि उसके शांत जीवन में कुछ ही समय पहले सुनामी (भयानक तूफान) आ गई थी।

और युग के जीवन की शांति तब पूरी तरह भंग हो जाती है जब वैशाली थाली में खाना परोस कर युग के पास ही पहुंच जाती है और युग के पास आते ही कहती है कि “डेढ़ सौ साल बाद मेरे हाथों से बना सरसों का साग देसी घी से चिपरी बाजरे की रोटी नहीं खाओगे जिसे खाकर तुम कहते थे, मुझे जीवन में बस एक बार वैशाली मिल जाए और सरसों का साग बाजरे की रोटी तो मैं दुनिया कि सारी धन दौलात ठुकरा दूंगा।”

पन्ना ऐसा कहता था यह तो युग को बिल्कुल भी याद नहीं था, लेकिन उसे यह जरूर याद था कि देवा को शाकाहारी खाना बिल्कुल भी पसंद नहीं था उसे मांस मछली खाना पसंद था जैसे इस जन्म में उसे खुद पसंद था‌।

और पन्ना को शुद्ध शाकाहारी खाना यह सब युग को इसलिए पता था, क्योंकि देवा और पन्ना बचपन के दोस्त थे, उन दोनों की दोस्ती दुश्मनी में वैशाली के कारण ही तब्दील हो गई थी।

नर कंकाल के मिलने का स्थान पीपल का पेड़ देवा के नर कंकाल को देखकर उसकी आत्मा का झज्जोर (हिल) जाना खाने पीने का देवा जैसा स्वाद और सबसे बड़ी बात पन्ना की जगह देवा की मौत से दुखी होना इन सब बातों को नाप तोल कर युग को पक्का यकीन हो गया था कि वह वैशाली का पिछले जन्म का प्रेमी पन्ना नहीं बल्कि जिससे वह दुनिया में सबसे ज्यादा नफरत करती थी उसका दीवाना देवा जल्लाद है।

वह तो पहले ही अपनी डेढ़ सौ वर्ष पुरानी प्रेमिका को किसी भी हालत में गवाना नहीं चाहता था और जब उसे पक्का यकीन हो जाता है कि वह पन्ना नहीं बल्कि वैशाली पन्ना का दुश्मन देवा है जो वैशाली के शरीर को छूने के लिए पूर्व जन्म में तड़प तड़प कर इस दुनिया से विदा हुआ था इस वजह से युग उर्फ देवा अपने मन में ठान लेता है चाहे मुझे देवा जल्लाद जैसे पिछले जन्म की तरह इस जन्म में भी वैशाली को पाने के लिए खून की नदियां बहानी पड़े तो मैं बहाऊंगा।

नकली प्रेमी

अपने हाथों से खाने की थाली लेने की जगह युग को किसी गहरी सोच में डूबा हुआ देखकर वैशाली युग को कंधे से पड़कर हिला कर मुस्कुराकर बोलती है “सिविल इंजीनियर साहब मैं तो आपके सामने खड़ी हूं, फिर आप किसकी यादों में खो हुए हो।”

युग हड़बड़ा कर बोलता है “आज रात को तुम्हें मेरे साथ भाग कर मुझसे शादी करनी होगी, अगर तुमने ना कहा तो मैं तुम्हारे पूरे गांव को श्मशान घाट बना दूंगा।” 

“देवा जल्लाद की तरह भयानक बातें मत करो शाम को मुझे नदी के किनारे अकेले मिलना।” यह कहकर वैशाली खाने की प्लेट युग की चारपाई पर रखकर वहां से अपने घर जाने लगती है।

तो युग डर जाता है कि अगर वैशाली को जरा सा भी शक हो गया कि मैं पूर्व जन्म में उसके प्रेमी पन्ना का दुश्मन देवा जल्लाद था, तो दुनिया की बड़ी से बड़ी ताकत भी उसे मेरे साथ शादी करने के लिए झुका नहीं सकती है। 

इसलिए युग अपनी बात बदलते हुए बोलता है “अगर इस समय मेरा बचपन का सबसे प्यारा दोस्त डॉक्टर रत्न होता तो यह खाना देखकर खुशी से पागल हो जाता क्योंकि उसे शुद्ध शाकाहारी खाना बहुत पसंद है, वह भी गांव का ताजी सरसों का साग घर के बाजरे की रोटी शुद्ध गाय का देसी घी।”

“तुम हमेशा अपने दोस्त डॉक्टर रत्न के किस्से सुनते रहते हो कभी उनसे मिलवातें क्यों नहीं हो।” युग की चारपाई के पास खड़े होकर वैशाली बोली

युग चेहरे पर मुस्कुराहट लाकर बोलता है “इसलिए नहीं मिलवाता क्योंकि मुझे डर है, कहीं तुम उससे मिलकर पूर्व जन्म के प्रेमी पन्ना और अपने होने वाले पति प्रताप को लात मार कर उससे शादी न कर लो।” 

वैशाली युग को बेशर्म लड़का बोलकर पूछती है? “तुम्हारे दोस्त को शुद्ध शाकाहारी भोजन पसंद है और तुम्हें इस जन्म में कैसा भोजन पसंद है। 

“मुझे सिर्फ मांसाहारी भोजन पसंद है।” युग बोला 

“नर कंकाल को देखने के बाद तुम देवा जल्लद की तरह भयानक बातें कर रहे हो और तुम्हारा खाने-पीने का स्वाद भी मुझे देवा जल्लाद की तरह लगने लगा है।” वैशाली हंस कर बोल कर वहां से घर चली जाती है 

युग अपने मन में बोलता है या यह कहें सोचता है “जब मैं देवा जल्लाद हूं, तो देवा जल्लाद की तरह ही तो भयानक बातें करूंगा और खाऊंगा पियूंगा।”

शाम होने पर जब युग वैशाली के गांव की नदी के किनारे वैशाली से मिलने पहुंचता है, तो वैशाली उससे पहले ही पारिजात (रात रानी) के वृक्ष के नीचे अंग्रेजो के जमाने के बने पहाड़ी पत्थरों के टूटे-फूटे चबूतरे पर हाथ में नीलकमल लिए बैठी हुई थी। लाल रंग का सूर्य धीरे-धीरे अस्त हो रहा था, इसलिए रोशनी और धूप बहुत हल्की हो गई थी वैशाली पहाड़ी पत्थर के बने चबूतरे पर जाती हल्की धूप देखकर बैठ गई थी, पुरवाई हवा की वजह से वैशाली के घने रेशमी बाल उड़ उड़ कर उसके चेहरे के ऊपर आ रहे थे।

तब युग वैशाली के पास आकर बोलता है “अपने पुराने दुश्मन देवा को माफ कर देना, तुम्हारी खूबसूरती पर तो स्वयं कामदेव भी मोहित हो जाएगा, वह तो फिर भी तुम्हारा मंगेतर और साधारण सा इंसान था।” 

“भूलो मत तुम्हारे प्यार में दीवानी बनकर मैंने उसे छोड़ा था।” इसके बाद वैशाली मस्ती के मूड में बोलती है “वरना उसमें कमी क्या थी। बेचारा मेरी वजह से ही देवा से देवा जल्लाद बना गया था।” 

युग वैशाली की हंसी मजाक की बात को गंभीरता से लेकर देवा जल्लाद का दिल टूटने का किस्सा वैशाली को सुनाना शुरू कर देता है, क्योंकि वह स्वयं ही पूर्व जन्म में देवा जल्लाद था कि “एक रात तुम पन्ना और देवा गांव के पास वाले कस्बे से निवास (मेला) देखकर अपने गांव आते वक्त बैलगाड़ी का पहिया निकलने की वजह से उस जगह फस गए थे, जहां अंग्रेजी सरकार रेल की पटरी बिछाने का कार्य भारतीय मजदूर से करवा रही थी, सालों तक रेल की पटरी बिछाने का कार्य चलने की वजह से मजदूरों ने वही अपनी छोटी सी बस्ती बसा ली थी, उस वीराने जंगल में रेल मजदूरों की वजह से हम तीनों मित्रों को रात काटने का सहारा अपाहिज चाय की दुकान चलाने वाले दुकानदार के टूटे-फूटे लेकिन बड़े मजबूत लकड़ी फटे से बने मकान में मिल गया था, वह एक पैर से अपाहिज दुकान वाला अपने 12 बाहरा बरस के भांजे के साथ रात दिन चाय की दुकान चलता था, क्योंकि वहां रात दिन मजदूर रेल की पटरी का कार्य करते थे, इसलिए वह दुकानदार चाय की दुकान में ही सो जाता था और उसका मकान खाली पड़ा रहता था। इस वजह से मामूली किराया लेकर उसने हम तीनों को अपने मकान में रात बिताने की इजाजत दे दी थी। 

“वह रात देवा के लिए बहुत दुखदाई थी। देवा और पन्ना यानी कि मैं बड़े कमरे में एक साथ सो रहे थे और तुम साथ वाले छोटे कमरे में अकेली सो रही थी। तब तुम्हारा मंगेतर देवा पन्ना को गहरी नींद में सोता हुआ समझकर तुम्हारे कमरे में जाकर तुमसे प्यार मोहब्बत की कुछ मीठी-मीठी बातें करने की कोशिश करने लगा था और जब देवा ने तुम्हें बाहों में लेकर चूमने की कोशिश की तो तुम देवा से बचते बचते उस कमरे में आ गई थी, जहां  पन्ना सो रहा था। 

युग फिर कुछ देर चुप होकर अपने मन में सोचता है जब जब पन्ना का नाम आता है, तो वैशाली का चेहरा खिल उठता है लेकिन मेरे दिल में है ज्वाला मुखी जैसा विस्फोट हो जाता है।

इसके बाद वह बताता पन्ना ने जब तुम्हें देवा की बाहों में देखा तो चादर से चेहरा ढक कर गहरी नींद में सोने का नाटक करने लगा था, किंतु देवा और तुम्हें पता चल गया था की पन्ना  हम दोनों को आपत्तिजनक स्थिति (प्रेम मुद्रा) में देखकर सोने का नाटक कर रहा है।

“इस वजह से देवा सबके लिए चाय लाने के बहाने से कमरे से निकाल कर चाय की दुकान पर चला गया था और कड़ाके की ठंड में जब चाय वाले ने कहा था कि “अपने दोस्तों को भी गरम चाय पीने के लिए यहीं बुला लो, क्योंकि सूखी लकड़ियों की तेज आग के पास बैठकर गरम-गरम चाय पीने से सर्दी दूर भाग जाएगी।

और जब देवा के कहने से चाय वाले का भांजा पन्ना और तुम्हें चाय पीने के लिए बुलाने गया तो उस मासूम बच्चे ने देवा को आकर बताया था कि वैशाली दीदी और पन्ना भैया एक ही रजाई में घुसकर गहरी नींद में सो रहे हैं।

“इससे पहले देवा कुछ समझ पाता तुम सामने से देवा को अकेले आते हुए दिखाई दे गई थी और देवा के कुछ पूछने से पहले ही तूम अपने होठों की बिगड़ी हुई लाली (लिपस्टिक) अपने दुपट्टे से पहुंचते हुए बोली थी।

“पन्ना के सामने मेरे साथ छेड़खानी करके तुमने पन्ना का बहुत दिल दुखाया है, इसलिए दुखी पन्ना ने तुम्हारे साथ बैठकर चाय पीने से साफ इन्कार कर दिया है। 

“तब देवा ने कहा था अपनी होने वाली पत्नी से प्रेम करना कोई पाप या जुर्म तो नहीं और मेरे मित्र पन्ना को तब बुरा लगना चाहिए, जब मैं उसकी होने वाली पत्नी के साथ बदतमीजी करूं।

“देवा और अपने भांजे कि बातों से अपाहिज चाय वाला समझ गया था कि देवा का मित्र पन्ना और उसकी मंगेतर दोनों आपस में मिले हुए हैं यह दोनों सच्चे सीधे-साधे सच्चे दिल के इंसान देवा को धोखा दे रहे हैं, इसलिए उसने तुरंत अपने भांजे को बोलकर पन्ना को बाहर बुला कर अपमानित करना शुरू कर दिया था और कहा था, इसी समय आधी रात को मेरा मकान छोड़कर कहीं भी जा। 

“उस एक पैर से अपाहिज चायवाले कि कड़वी सच्चाई देवा पन्ना वैशाली को भी अच्छी तरह समझ आ रही थी। 

और देवा पन्ना कि दुश्मनी कि शुरुआत तब हुई थी तब पन्ना ने अपने को अपमानित महसूस करके एक पैर से विकलांग चायवाले को बूरी तरह पीटना शुरू कर दिया था और चाय वाले को बचाते बचाते देवा ने पन्ना के गाल पर जोरदार थप्पड़ मार दिया था।

“तुम अपनी और देवा की गलती मानने की जगह पन्ना का हाथ पकड़कर वहां से आधी रात को ही गांव के रास्ते पर चल दी थी।

तब देवा के कहने से रेल मजदूरों ने तुम दोनों को वीरान खतरनाक खूंखार जंगली मांसाहारी जानवरों से भरे रास्ते पर अकेले जाने से रोका था।” 

“बस अब तुम चुप हो जाओ मैं कल शाम को तुम्हारे साथ भाग कर शादी करने के लिए तैयार हूं, इसलिए उस जुल्मी हम दोनों के कातिल देवा का नाम जुबान पर मत लाओ, मैं 150 वर्ष पहले भी पन्ना की थी और डेढ़ सौ बरस बाद भी पन्ना की होने वाली हूं, यानी कि तुम्हारी युग पूर्व जन्म में तुम पन्ना थे, देवा नहीं इसलिए उस मनहूस देवा का नाम भी अपनी जुबान पर मत लाओ, कही ऐसा ना हो देवा जल्लाद को ज्यादा याद करने से वह हमारे गांव ही पहुंच जाऐ, क्योंकि दिल से याद करने से इंसान भूत प्रेत और भगवान सब मिल जाते हैं।” वैशाली बोली

युग अपने मन में सोचता है “भोली वैशाली देवा जल्लाद तो डेढ़ सौ बरस का सफर तय करके तुम्हें अपनी पत्नी बनाने के लिए तुम्हारे पास पहुंच चुका है और तुम्हारा पन्ना आशिक बनकर तुमसे शादी करेगा और तुम्हारे साथ सुहागरात मनाएगा।” 

सच्चे प्रेमी कि पहचान

“मैं पूर्व जन्म में देवा जल्लाद था, यह महसूस होने के बाद वैशाली को पाने की युग की इच्छा पहले से ज्यादा प्रबल (मजबूत) हो गई थी, वह यह भी समझ नहीं पा रहा था कि सिविल इंजीनियर बनने और सिविल इंजीनियर की नौकरी हासिल करने के लिए उसने दिन-रात नहीं देखे थे, सिर्फ लगन मेहनत ईमानदारी से अपने लक्ष्य को पाने के लिए कड़ा परिश्रम के साथ संघर्ष किया था और वैशाली को घर से भागकर शादी करने से उसे वैशाली के गांव का पुल का कार्य अधूरा ही छोड़ना पड़ेगा जिससे सिविल इंजीनियर की नौकरी तो उसके हाथ से जाएगी ही और साथ में उसकी सिविल इंजीनियर की डिग्री पर भी गैर जिम्मेदारी भगोड़े सिविल इंजीनियर का दाग लग जाएगा, क्योंकि वहां की प्रकृति स्थिति देखकर बड़े से बड़े इंजीनियर को उस जगह पुल निर्माण का कार्य करना बहुत ही कठिन लग रहा था, इस वजह से वैशाली के गांव की नदी के ऊपर पूरे देश की जनता राज नेताओं और मीडिया की पेनी नजर थी। और सबसे अहम बात इस पूल का निर्माण करते ही युग का नामी मशहूर सिविल इंजीनियर बनने का सपना भी साकार हो जाता, लेकिन युग वैशाली के प्रेम में इतना अंधा हो गया था कि अब उसे सोते जागते खाते पीते सिर्फ वैशाली की ही खूबसूरत सूरत दिखाई देती थी। 

इसलिए वह अपने दिल से मजबूर होकर सुबह-सुबह सूर्योदय होने से पहले ही वैशाली के घर उसे यह याद दिलाने पहुंच जाता है कि आज रात को तुम्हें मेरे साथ घर से भाग कर शादी करनी है।

सुबह-सुबह दिन निकलने से पहले घर की चौखट पर युग को देखकर वैशाली के हाथों से गर्म दूध का पतीला छूट जाता है। गर्म दूध के पतीले के गिरने की आवाज से वैशाली की छोटी भाभी रसोई घर में चाय नाश्ता पकाना छोड़कर रसोई घर से जल्दी से बाहर आकर देखती है, तो यह देखकर की युग वैशाली को अपनी मजबूत बाहों में जकड़ कर कुछ पूछने की कोशिश कर रहा है, तो वह तेज चिल्लाकर युग से वैशाली को तुरंत छोड़ने के लिए कहती है।

वैशाली अपनी भाभी को चुप होने का इशारा करती है, लेकिन जब युग वैशाली की छोटी भाभी के सर में ईट मरने के लिए उठा लेता है, तो वैशाली युग को अपने घर के आंगन से धक्के मारते हुए आंगन के दरवाजे की चौखट तक ले जाती है। 

घर में शोर शराबे की वजह से वैशाली के दोनों बड़े भाई बड़ी भाभी नींद से जाग जाते है और पड़ोस की कुछ महिला पुरुष भी सुबह-सुबह शोर शराबा सुनकर वैशाली के घर के पास इकट्ठा हो जाते हैं।

तब युग अपने पूर्व जन्म के देवा जल्लाद के रूप में आकर वैशाली के पीछे खून की नदियां बहने के लिए बेलचा (नुकीली लोहे की सरिया) उठा लेता है।

वैशाली को पता था कि डेढ़ सौ वर्ष पुराना प्रेमी उसे अपना बनाने के लिए किसी की जान भी ले सकता है। इस वजह से वह सबसे चिल्ला चिल्ला कर बोलती है “मैं सारी बात बाद में बताऊंगी, पहले युग  इंजीनियर पर काबू पाओ।”

फिर वैशाली के दोनों भाई और आस पड़ोस के कुछ मर्द युग को कस कर पकड़ कर उसके हाथ से नुकीली सरिया यानि की बेलचा छीन कर ट्रैक्टर के पास पड़े फाफड़े तसले खुरपी दराती आदि की तरफ फेंक देते हैं जहां से युग ने नुकीला सरिया बेलचा उठाया था। 

इस घटना के समय इंसानी शोर शराबे से ज्यादा चौक में लगे नीम के पेड़ के ऊपर बैठकर मोर मोरनी और उनके बच्चे कर रहे थे।

इस वजह से वैशाली के घर के सामने हो रहे शोर शराबे की आवाज ज्यादा दूर तक नहीं जा रही थी, वरना इतने शोर के बाद पूरा गांव वैशाली के घर के पास इकट्ठा हो जाता है और युग को पीट-पीट कर अधमरा कर देता।

कुछ ही पलों में सूर्योदय हो जाता है और अब तक बुद्धिमान चतुर युग भी समझ चुका था कि मेरी इस बेवकूफी से वैशाली मेरे हाथ से फिसल सकती है, इसलिए जब उसके पास किसी की बात का जवाब नहीं होता है, तो वह बेहोश होने का नाटक करके जमीन पर धड़ाम से गिर जाता है।

और जब वैशाली की छोटी भाभी वैशाली से पहले युग की हरकतों के बारे में सबको बताने लगती हैं, तो वैशाली अपने दोनों भाइयों से कहती है “मैं अकेले में दोनों भाभियों को युग सिविल इंजीनियर की सारी बाता बताना चाहती हूं।” वैशाली के दोनों समझदार भाई समझ जाते हैं कि मामला बहुत गंभीर है, इसलिए वह वैशाली को उनसे पहले अपनी पत्तियों को सारी बात बताने की इजाजत दे देते हैं। 

युग डेढ़ सौ बरस पुराना वैशाली का प्रेमी पन्ना है, यह बात सुनकर वैशाली की छोटी भाभी अपनी जेठानी से बोलती है “वैशाली की यह बात सच भी हो सकती है, क्योंकि सुबह-सुबह मैंने युग की नजरों में वैशाली के लिए पागल दीवाने प्रेमी जैसा प्रेम देखा था, इसलिए हम दोनों को वैशाली की पूरी बात सुनकर उसकी मदद करनी चाहिए।”

“तुम्हारी बात विचार करने लायक है, क्योंकि अगर वैशाली की बातों में सच्चाई है, तो युग किसी भी हालत में वैशाली की शादी प्रताप से नहीं होने देगा, इसलिए अभी हम दोनों सबसे बाहर जाकर बोल देती है कि नर कंकाल को देखकर शहरी सिविल इंजीनियर युग की मानसिक स्थिति बहुत ज्यादा खराब हो गई है, इस वजह से वह गांव के प्रधान यानी कि वैशाली के बड़े भैया से पुल निर्माण का कार्य अधूरा छोड़कर अपने घर जाने की इजाजत मांगने आया था, और जब सूर्योदय होने से पहले वैशाली ने उसे बड़े भैया से मिलने की इजाजत नहीं दी तो उसकी मानसिक स्थिति पहले से  ज्यादा खराब हो गई थी और जब यह प्रश्न आएगा कि यह बात वैशाली ने सबके सामने क्यों नहीं बताई तो कह देंगे कि वैशाली को यह डर था की कही परेशान युग को बड़े भैया से मिलने की इजाजत न देने पर बड़े भैया उसे सबके सामने बुरी तरह न डांटे।” बड़ी भाभी बोली 

सारा मामला शांत होने के बाद वैशाली की दोनों भाभियां युग और वैशाली को दोपहर के समय उस जगह लेकर जाती हैं जहां वैशाली पन्ना की डेढ़ सौ वर्ष पहले मौत हुई थी। 

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