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जिस्म का खेल

part 1

औरत एक ऐसी पहेली है! जिसे आज तक ऊपर वाला भी समझ नहीं पाया है! तो इंसान क्या चीज है! कभी-कभी तो लगता है कि औरत भी कहा समझ पाई है खुद को!

सुबह आंख खुली तो सर जोर से भन्ना रहा था! मधु अभी बिस्तर पर ही पड़ी हुई थी और अपने आप को निहार रही थी !!

हथेली की उंगलियों को हवा में लहराते हुए ऊपर की तरफ जोड़ते हुए एक जोर की अंगड़ाई ली! अंगड़ाई लेते लेते चोली के खुले हुए हुको की तरफ ध्यान गया!

शायद रात में जज्बातों का तूफान इतना ज्यादा था कि मधु ऐसे ही सो गई! चोली से निकलते हुए सूरज की किरणों से उज्जवल उरोजो पर ध्यान गया! तो एक पल के लिए खुद पर ही प्यार आ गया और मधु मंद मंद मुस्कुराने लगी!

सब कुछ भूल कर ना जाने क्यों अपने हथेलियों से अपने उरोजो को प्यार से सहलाने लगी! मखमली उरोजो पर वह औस् की बूंद की तरह उभरे हुए 2 मनके जैसे मानो किसी के होंठों का स्पर्श पाने के लिए बुरी तरह से तड़प रहे हो !

यह सोचने मात्र से ही मनको का आकार धीरे-धीरे बढ़ने लगा जैसे ही उसका अंगूठा उस पर रगड़ने लगा! दोनों मनके सीप के मोती के जैसे हो गए!

एक पल के लिए खुद पर ही मान हो गया! फिर अचानक से मधु को अपने जिंदगी की हकीकत का ध्यान आया! मन में एक अजीब सी कोफक्त सी हुई! और अपने मुलायम उरोजो को अपने चोली में डालते हुए हुक लगाने लगी!

साड़ी तक नहीं होती थी रात उसकी, घुटनों तक ऊपर चढ़े  हुए पेटिकोट को मधु सही करने लगती है! और उसकी नजर अपने मखमली पैरों पर पड़ती है एक पल के लिए उसको खुद पर ही मान सा हो गया!

एड़ी  तक लटकी पायल की जंजीरों को मधु गौर से देख रही थी और उसकी नजर अपने खूबसूरत पैरों पर पड़ी! एक पल के लिए उसे खुद से ही प्यार हो गया! पायल जो छोटी सी घंटी थी उसे अपने अंगूठे और उंगलियों के बीच में पकड़कर अपनी एड़ी  पर मार कर होले होले से बजाने लगी ! और उसे देख कर मुस्कुराए जा रही थी! अब उसने अपने दोनों पायलों को धीरे-धीरे अपनी पिंडलियों की तरफ खींचना शुरू किया! पायल और उसके नाखूनों का घर्षण धीरे-धीरे पिंडलियों तक वह कर रही थी!

उसे यह करने में असीम आनंद की प्राप्ति हो रही थी जिसकी वह लगभग कल्पना भी नहीं कर सकती थी! आज उसे खुद को छूकर भी अलग ही मजा आ रहा था! उसने अपनी पायलों को लगभग अपनी पिंडलियों तक खींच लिया और वहां पहले लगभग फस सी गई! उसे इस दर्द में भी मजा आ रहा था!

कितनी खूबसूरत पाव है उसके एक पल के लिए उसने सोचा कि काश वह मर्द होती तो खुद की जवानी का रस जी भर कर पिती ! अचानक उसने अपनी सोच पर जोर-जोर से हंसना शुरू किया!

मधु अपने आप से बड़ा बढ़ाने लगी कि मैं भी क्या सोचने लगती हूं! एकदम से बुद्धू!

पतली धचकनी कमर पर बेतरतीब से लपटी साप की तरह लपटी साड़ी को ठीक किया, लम्बे घने बालों को अलसाये हाथों से लपेटकर गर्दन पर बिखरा सा जुड़ा बनाकर उठी तो सामने टगे शीशे पर नज़र पड़ी तो फिर से अपने आप को मंत्रमुग्ध होकर देखने लगी ! ऐसा नही था वो कमाल की सुन्दरी थी पर कम भी नही थी 

गदराया बदन, उभरे हुए बड़े-बड़े उरोज, और उसकी काया को सजाते भरे हुए नितंब किसी की भी जान लेने के लिए काफी थे ! जो भी मधु को देखता उसका दीवाना सा हो जाता! मधु को भी अपने आप पर खूब नाज था! उसको देख कर आज भी नहीं लगता था की वह शादीशुदा है!अपनी सुंदरता का बखान वह अपने आप से शीशे में देख कर कर ही रही थी कि इतने में बाहर से आवाज आई " मधु अभी तक उठे नहीं हो क्या  ? "

उमेश मधु का पति था और वह बढ़ बढ़ाता हुआ किचन के तरफ बढ़ गया उसने एक पल के लिए भी मधु की तरफ नहीं देखा !  मधु का चेहरा एकदम से उतर गया कि सुबह सुबह उमेश का मूड कुछ गरम सा नजर आ रहा है! वह छुपे हुए कदमों से धीरे-धीरे रसोई घर की तरफ दाखिल हुई उसने देखा कि उमेश चाय बना रहे है! मधु ने पीछे से जाकर उमेश को अपनी बाहों में ले लिया और अपना चेहरा उमेश की पीठ पर रख दिया!

उमेश एकदम से पीछे की तरफ पलटा! क्या तुम्हें भी सुबह-सुबह यह सब कुछ मस्ती सोच रही है कल रात ही को हमने किया था ना?

यह कहते हुए वहां से निकलकर ड्राइंग हॉल में आ गया?मधु को यह सब कुछ बहुत बुरा लगा. उमेश कभी भी उसकी भावनाओं को समझ नहीं पाता! क्या सिर्फ रात में मिलने से ही मन की सारी भावनाओं का समापन हो जाता है या यह कहो कि वह तृप्त हो जाती है तो कहना गलत नहीं होगा !

मधु अपने आप में बिल्कुल अकेलापन सा महसूस करती है लेकिन जो है वह है! वह चाहती है कि उसका पति उसके साथ समय बिताए! और जिस प्रकार का तृप्ति उसका शरीर चाहता है उसका पति उसका साथ दें पता नहीं वह दिन कब आएगा यह सोचते सोचते उसने चाय के कप में चाय डालनी शुरू की लेकिन कप चाय से कब भर गया पता ही नहीं चला

उसमें जल्दी से दूसरे कप में चाय डाली और ड्राइंग हॉल में बैठे हुए उमेश को को चाय देने चली गई!

उमेश को चाय पकड़ा कर वह उसके साथ सोफे पर ही बैठ गई! मधु ने फिर से अपने मन में  उमड़ने  वाले भावनाओं को जाहिर करने की कोशिश की! उसने अपने हाथ की उंगलियां उमेश के कान के थोड़ा सा नीचे गर्दन के ऊपर हल्का हल्का ऊपर नीचे कर रही थी!

वह लगातार उमेश की आंखों में देखना चाह रही थी लेकिन उमेश है कि वह है या तो टीवी की ओर देख रहा है या फिर चाय पी रहा है !

उमेश ने उसको लगभग डांटते हुए बोला   " मधु यह क्या है सुबह-सुबह "

और उमेश वहां से उठकर बाथरूम में चला गया और कह कर गया ऑफिस थोड़ा सा जल्दी जाना है और" हां एक बात बताना भूल गया "और उमेश एकदम से यह कहते हुए पलटा

अब उसने पहली बार आज इस दिन मैं मधु की तरफ देखा था उमेश - आज दिन में एक पेइंग गेस्ट आएंगे उनका नाम वीर है वजह से ही आएंगे तो उनको ऊपर वाला कमरा दिखा देना वह वही रहेंगे बताया था ना कल रात को

बस इतना कह कर उमेश बाथरूम के अंदर घुस गया

मधु बेचारी मासूम सी अपनी किस्मत पर मायूस सी हो गई! वह अपने पति से बात करना चाहती है ढेर सारा प्यार करना चाहती है अपने आपको अपने पति पर लुटाना चाहती है लेकिन कुछ भी हो नहीं पा रहा है पति है कि उसके पास टाइम ही नहीं है पति है कि उसकी भावनाओं को समझ ही नहीं पा रहा है क्यों है मेरी आंखों में देख नहीं पा रहा है क्या मैं उसको समझा नहीं पा रही हूं कहीं ऐसा तो नहीं है की इनको मैं पसंद नहीं हूं नहीं यार  इन सभी सवालों के जवाब उसके दिमाग में चल रहे थे ! वह सब कुछ सोच रही थी उसको पता ही नहीं चला कि कब उमेश तैयार होकर ऑफिस चले गए!

दरवाजे पर जोर से घंटी बजी

part 2

दरवाजे की घंटी जोर-जोर से बज रही थी ! उमेश भी ऑफिस के लिए निकल चुका था ! मधु अपनी दुनिया में खोई हुई थी !

दरवाजे की घंटी की आवाज सुनकर मधु की तंद्रा अचानक से टूटी और वह दरवाजे के तरफ बढ़ने लगी ! अब तो घंटी बजाने वाले ने और भी हद कर दी दरवाजे को ही पीटने लगा !

मधु ने गुस्से में दरवाजा खोला और उसकी आंखें खुली की खुली रह गई ! जैसे ही उसने दरवाजा अंदर की तरफ खोला एक शख्स बिल्कुल अंदर आने को हुआ !

मधु ने इतना सुंदर व्यक्तित्व का धनी पुरुष कभी नहीं देखा था ! चेहरे पर बड़ा सा काला चश्मा गालों पर हल्के हल्के दाढ़ी और एक ऐसी परफ्यूम जो आज तक उसने कभी महसूस नहीं की थी और थोड़े से लंबे बाल और उसके हल्की सी छोटी सी चोटी, और एक ब्लेजर जिसके सारे बटन खुले हुए थे और उसकी नंगी छाती की कसावट मधु को दीवाना बना रही थी !उसका चेहरा मधु के चेहरे के लगभग बिल्कुल पास था ऐसा लग रहा था जैसे वह उसको किस करने वाला हो ! मधु को ऐसा एहसास हो रहा था जैसे उसके सूखे पड़े लबों पर वह अभी नमी भर देगा और प्यार की सीतलहर बिखेर देगा !

मधु की तो सीटीपीटी गुम हो गई ! सेहमी हुई सी दरवाजे के दोनों पलों को पकड़कर खड़ी थी ! उसने एक रोबदार आवाज में कहा " मेरा नाम वीर है "

मधु ने झटके से कहा "तो मैं क्या करूं "वीर पहले से बहुत ज्यादा करीब था उसने थोड़ा सा और अंदर आना चाहा लेकिन मधु अपने जगह से हिली हि नहीं !वीर ने झटके से अपना एक हाथ मधु की कमर पर रखा उसके भरे हुए कूल्हे के ऊपर के और अपने हाथ को अचानक से दबा दिया वीर का चेहरा मधु के गालों के के बिल्कुल पास था! मधु लगभग कांपने लगी थी !

वह कुछ समझ पाती उससे पहले ही वीर ने उसके कान में फुसफुस आया ! " अरे नादान औरत मेरी उमेश से बात हुई है और मैं यहां रहने वाला हूं ' और वीर ने उसका एक हाथ दरवाजे से हटाकर साइड में कर दिया !

मधु को अचानक से समझ में आया और उसने कहा सॉरी

मधु ने सॉरी कहा और कुछ बोलने वाली थी ! की वीर अंदर आने के लिए एक कदम और बढ़ा दिया ! मधु एकदम से अचंभित सी हो गई की यह क्या हो रहा है ! मधु ने अपना एक हाथ कमर पर रखा हुआ था और दूसरे हाथ से गेट को पकड़ा हुआ था !

मधु को एक पल के लिए लगा जैसे वीर उसे अभी गले ही लगा लेगा वह तुरंत ही एक कदम पीछे की तरफ हट गई !

मधु मन ही मन काफी बढ़ बढ़ाई कि यह कौन सा तरीका है किसी से पहली बार मिलने का हद होती है हद

वीर - अरे यह बताओ कि मेरा कमरा कौन सा है

मधु अपनी ही सोच में डूबी हुई थी उसने वीर की बात पर ध्यान ही नहीं दिया !

वीर दोबारा से अपना एक कदम मधु की तरफ बढ़ाते हुए बोला ओए सुन सकती क्या बहरी हो ? किस ख्याल में डूबे हुए हो ?

मधु एकदम से चौक कर पड़ी ! इतने सारे सवाल वह भी एक साथ ! मधु ने अपने हाथ से कान पर आई हुई जुल्फों को कान के पीछे लगाने की कोशिश सि की ! और अपनी आंखों को बड़ा करते हुए वीर की नजरों तक पहुंचने की कोशिश सी की ! बीर की हाइट लगभग 6 फुट 2 इंच की होगी इसलिए मधु की गर्दन थोड़ा सा पीछे की तरफ तन गई ! और दूसरे हाथ से इशारा करने लगी ही थी की कमरा ऊपर फर्स्ट फ्लोर पर है !

पर इतना सुनने से पहले ही वीर बोल पड़ा कोई सुनने बोलने की बीमारी है क्या ? हमेशा सोच में बैठे रहते हो?

मधु को एकदम से इतना जोर का गुस्सा आया की उसका चेहरा ही तमतमा गया और उसने एकदम से वीर को देखते हुए बोलना शुरू किया !

मैं यही सोच रही थी ! कि तुम्हारे घर वालों ने तुम्हें खुला कैसे छोड़ दिया पागल खाने से आज ही आए हो ! पहली बार किसी से मिलते हैं तो कैसे बात करते हैं वह तो शायद तुमने कभी सीखा ही नहीं है कमरा ऊपर चलो मैं दिखा देती हूं !

वीर एकदम से झुंझला सा गया और उसने बोला चलो दिखा दो कमरा छोड़ो यह सब बातें !

लेकिन मधु उसकी आंखों का रिएक्शन देखना चाहती थी जब वह मधु से बोल रहा था क्योंकि उसने एक बहुत बड़ा काला चश्मा अपने चेहरे पर लगा हुआ था !

मधु आगे आगे चलने लगी और वीर उसके पीछे पीछे चलने लगा ! मधु ने अचानक अपनी कदमताल रोकते हुए पीछे की तरफ पलटी और अपना एक हाथ सीड़ियों के ग्रिल पर रख दी और अपना दूसरा हाथ अपने कमर पर रख लिया !

मधु- (इसको अभी मजा चखाती हूं )जिस दरवाजे को तुम इतनी जोर जोर से पीट रहे थे ना उसको बंद करके आओ !

वीर ने अचानक से अपने दोनों हाथ से अपने सर के बालों को जकड़ लिया और अपनी गर्दन झुका ली !

मधु- तुम्हारे सर में क्या कोई अलादीन का चिराग लगा हुआ है की उसको रगड़ो गे तो वह जिंद निकल कर आएगा और तुम्हारे लिए दरवाजा बंद कर जाएगा हद है बंदा कितना आलसी है !मधु बोलते ही जा रही थी ! अचानक वीर ने अपना एक हाथ झुनझुनआते हुए इशारा किया कि मैं बंद करके आता हूं !

वीर ने दरवाजा बंद कर दिया और चलते हुए सीढ़ियों पर आ गया जहां पर मधु खड़ी हुई थी उस से एक कदम आगे!

वीर बिल्कुल मधु के पीछे खड़ा हुआ था आगे चलने के इंतजार में लेकिन मधु थी कि अपनी ही बकबक में लगी हुई थी ! वीर एकदम से झूल झूलाने सा लगा और अपना एक हाथ अपने बालों में घुमाने लगा मधु थी की टस से मस नहीं हो रही थी ! मधु को भी उसको सताने में मजा आ रहा था !

आखिरकार वीर को बोलना पड़ा अरे ओ मैडम आगे चलने का क्या लोगे ?

मधु ने इतराते हुए अपने नितंबों को हिलाते हुए कहां " मेरा घर मैं तो धीरे-धीरे चलूंगी "

वीर का पारा एकदम से आकाश में चढ़ गया ! और उसने गुस्से में आकर मधु के भरे हुए नितंबों के ऊपर एक जोरदार चपथ लगाई और अपनी उंगलियों और अंगूठे से जोर से दबा दिया !

मधु को इस बात का बिल्कुल भी अंदेशा नहीं था कि ऐसा भी कुछ हो सकता है ! अचानक हुए इस हमले से वह लगभग एकदम से शक पका सी गई !

मधु कि सांसे ऊपर की ऊपर और नीचे की नीचे उसकी सारी अकड़ 1 मिनट में निकल गई और वह कुछ भी बोल पाने की स्थिति में भी नहीं थी वह एकदम से साइड में हट गई !

वीर उसके साइड से होता हुआ निकला और आगे की तरफ बढ़ गया मधु उसी सीडी पर खड़ी हुई थी ! वीर के जूतों की आवाज अब तक मधु के कानों में साफ-साफ सुनाई दे रही थी और वीर आगे जाकर कमरे में घुस गया और उसने दरवाजे को इतनी जोर से मारा उसका गुस्सा साफ साफ नजर आ रहा था !

मधु को फिर से गुस्सा आने लगा और तमतमआती हुई नीचे आकर सोफे पर बैठ गई ! और उसने अपना एक पैर फोल्ड करके सोफे पर टीका लिया ! और अपनी कोहनी को घुटने पर टिका लिया और अपने हाथ के सहारे अपने गुस्से में भरे हुए चेहरे को संभालने की कोशिश करने लगे और बार-बार एक ही बात सोचें जा रही थी के वीर को कैसे मजा चखाया जाए ! कितना बदतमीज लड़का है समझता क्या है अपने आपको बात करने की तमीज भी नहीं है आने दो इनको आज रात को ही वीर को घर से ना निकलवा दिया ना मेरा नाम भी मधु नहीं ऐसे ही खुद से बढ़ बढ़ाए जा रही थी !

15:20 मिनट बीत जाने के बाद अचानक ही मधु को ख्याल आया की कल रात में सोने से पहले जब वह नहाने के लिए बाथरूम में जा रही थी तो नीचे पतिदेव थे तो मजबूरी में ऊपर वाले कमरे में नहाने के लिए गई थी और उसकी ब्रा और पैंटी जो की बड़ी स्टाइलिश थी अभी भी ऊपर वाले कमरे के बाथरूम में हैंगर पर लटकी हुई थी !

और मधु अचानक से बढ़ बढ़ाते हुए ऊपर की तरफ भागी कि पता नहीं यह पागल लड़का मेरे बारे में क्या सोचेगा ! और मधु इतनी तेज दौड़ रही थी की एक साथ दो दो सीडीओ को को पार कर रही थी !

ऊपर के कमरे में बाथरूम के अंदर ही अटैच है ! कमरे के बाहर का दरवाजा लगभग खुला हुआ था तो मधु बिना नोक किए हुए कमरे के अंदर प्रवेश कर गई

उसकी निगाहें वीर को ढूंढ रही थी वीर कमरे में नजर नहीं आ रहा था फिर उसकी नजर अचानक से बेड के ऊपर पड़ी वहां पर वीर ने जो टीशर्ट और जींस पहनी हुई थी वहां उलटी पलटी पड़ी हुई थी !

और बड़बड़ आती हुई बाथरूम की तरफ बढ़ गई के नवाब साहब अभी तो आए है और अभी इनको नहाना है !

अंदर का नजारा देखकर तो मधु के होश ही उड़ गए !बिल्कुल नंगा नहा रहा था ! उसकी चौड़ी छाती पर ढेर सारा साबुन का झाग और उसका तना हुआ लिंग एक पल के लिए मधु की नजरें वही रुक सी गई ! फव्वारे से सीधा पानी उसकी कमर पर गिर रहा था और महाशय अपने लिंग को झाग लगा लगा कर खेल रहे थे !

और एकदम से चिल्लाई छी !!

और एकदम से उल्टा दौड़ना शुरू कियामधु _ अपनी आंखों को ऊपर करते हुए बोली " इतने बड़े हो गए हो इतनी भी समझ नहीं है कि कम से कम अंडर वियर तो पहन कर नहाना चाहिए ! और बाथरूम के दरवाजे में जो कुंडी लगी है ना वह लगाने के लिए है पर तुम तो गवार हो तुम्हें शायद या पता नहीं होगा ?

वीर_ ए पागल औरत तू क्या दिमाग से पैदल है इतना भी नहीं पता कि किसी के कमरे में आते हैं तो दरवाजे को नोक करते हैं ! और वीर ने अचानक तावल लपेटा और मधु की तरफ दौड़ पड़ा वीर की छाती पर अभी भी झाग लगे हुए थे पानी उसके रोम-रोम से टपक रहा था !

मधु एकदम से जल्दबाजी में भागी थी अपने ही पैरों में उलझ कर गिर पड़ी और उसके दोनों उभार फर्स से टकरा गए दोनों हाथों की चूड़ियां टूट गई और उसके चीख निकल गई !

part3

मधु की चीख पुकार सुनकर वीर बाथरूम से बाहर की ओर दौड़ पड़ा और मन ही मन झुंझलाहट के मारे बड़बड़ आने लगा अब कौन सी आफत आ गई ! वीर अपनी नगन अवस्था में ही बाहर की तरफ दौड़ पड़ा !

वीर ने देखा कि मधु उल्टी पड़ी हुई है और चीख-पुकार रही है ! वीर ने पहली बार मधु को कुछ प्यार भरी नजरों से देखा ! अचानक से गिरी मधु की साड़ी उसके पिंडलियों तक खिसक चुकी थी !

वीर को एहसास हुआ कि वह बिल्कुल नग्न अवस्था मै ही बाहर आ गया ! एकदम से वापस बाथरूम की तरह दौड़ कर गया और बाथरूम के दरवाजे के पीछे टंगे हुए तोलिए को अपनी कमर पर लपेटने के बाद बाहर मधु को उठाने के लिए आ गया !

तोलिए के दोनों किनारे वीर की टांगों के बीच में आ रहे थे और इसी दौड़ भाग के बीच में वीर का लिंग दोनों किनारों को चीरता हुआ बाहर की तरफ सलामी देने लगा ! वीर को इस बात की भनक तक नहीं थी !

वीर ने थोड़ा सा कड़क आवाज में मधु को कहा " अब मिल गई शांति थोड़ा सा भी सब्र नहीं होता ना तुमसे क्या लेना था तुम्हें यहां से ! दरवाजे को नौक करके भी आ सकते थे "

मधु के मुंह से एक शब्द नहीं निकल रहा था उसकी आंखों के सामने अब भी वीर कि नगन अवस्था बार-बार घूम रही थी !उसके घुटने में एकदम से गिरने की वजह से जोर की गुम चोट लगी थी. उसके दोनों हाथ मार्बल के फर्श से टकराए थे और उसकी चूड़ियां टूट गई थी और और 1 चुड़ी उसके हाथ में गड़ गई थी जिसके कारण उसको बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था ! लेकिन शर्म के मारे अब उसकी चीख-पुकार लगभग बंद हो चुकी थी !

अब वीर ने अपने पैर थोड़े से खोलें और उसके दोनों नितंबों के बाहर की तरफ अपना एक-एक पैर रख लिया और झुकते हुए अपने दोनों हाथ उसके पेट के नीचे सरका दिए !

वीर के कड़क हाथों का स्पर्श उसके मुलायम पेट पर पाते ही उसके पूरे शरीर में एक अलग सी सनसनी फैल गई ! और इसी सनसनी के कारण उसके दोनों नितंब एकदम से हिले और उसके पेट पर जहां पर वीर की उंगलियां थी वहां हल्की हल्की आनंद भरी वासना की लहरें उमड़ने लगी ! जैसे उस जगह पर अंदर से गुदगुदी हो रही हो ! उसका पेट का एक एक रोम वीर के हाथों का स्पर्श पाते ही खड़े हो गए जैसे रेगिस्तान में पहली बार सदियों के बाद कोई शीतलहर चल रही हो वैसे भी वीर के हाथ थोड़े से ठंडे थे क्योंकि वह तो अभी नहा ही रहा था उसके गीले हाथों का स्पर्श मधु को एक अलग ही आनंद की तरफ धकेल रहा था !

वीर ने दोनों तरफ से अपनी उंगलियों से मधु के पेट की खाल को अपनी मजबूत हथेलियों में पकड़ते हुए मधु को ऊपर उठाने की कोशिश करने लगा और और इसी कसमस आहट के बीच मधु की सांसे थोड़ी सी बढ़ने लगी !

मधु ने एक जालीदार ब्लाउज पहना हुआ था और जालियों के बीच से उसकी मुलायम कमर पर जालियों का निशान अपनी छाप छोड़ रहा था ! वीर के चेहरे से पानी की बूंदे अचानक से उन जालियों पर पड़ने लगी ! क्योंकि वीर का पूरा शरीर गिला ही था उसकी छाती और चेहरे से धीरे-धीरे पानी की बूंदे मधु मधु की कमर और ब्लाउज की जालियों पर गिर रही थी !

पानी की बूंदे मधु कि कमर पर आग में घी डालने का काम कर रही थी ! एक नंगे पुरुष जो अभी नहा कर आया हो उसके शरीर से उड़ती हुई खुशबू से सराबोर बूंदें लगातार मधु के ऊपर गिर रही थी !

मधु अपने आप को काबू करने की नाकामयाब सी कोशिश कर रही थी ! लेकिन उसकी सांसे उसका साथ नहीं दे रही थीमधु नहीं चाह रही थी की वीर को उसकी इश् अवस्था के बारे में पता भी चले की उसके अंतर्मन में क्या चल रहा है !

वीर ने एक झटके के साथ मधु को अपनी तरफ ऊपर की तरफ खींचा और उसका एक हाथ फिसल कर मधु के उरोज की तरफ आ गया और मधु ने अपना सांस अंदर खींच कर एक् सिसकी सि ली !

और वीर का चेहरा ब्लाउज के ऊपर बनी हुई पतली पतली जालियों के पास पहुंच गया और उसकी गरम सांसे जालियों को चीरते हुए उसकी कमर पर घर्षण करने लगी ! उसके नितंबों के पास वीर का लिंग जोकि तौलिए से से बाहर निकल रहा था उसके साड़ी पर टच हुआ इसका एहसास भी मधु को हो गया कि यह कठोर नुमा चीज क्या हैऔर माहौल और ज्यादा मादकता भरा हो गया !

मधु के पूरे शरीर में जैसे खुशी की किलकारियां सिं गूंजने लगी ! वीर ने मधु को अपने हाथों के सहारे से उठाकर बेड पर बैठा लिया और खुद उसके सामने खड़ा हो गया और पूछने लगा कहां पर जो दर्द हो रहा है !

लेकिन मधु ने अपनी नज़रें शर्म के मारे नीचे फर्श पर गाड़ रखी थी ! थोड़ा सा नॉर्मल होकर मधु ऊपर की तरफ देखना शुरु करती है और अचानक से अपना चेहरा फिर से नीचे कर लेती है

अचानक से मधु का ध्यान वीर के दोनों टांगों के बीच तोलिया पर गया और उसमें से बाहर की तरफ उभरे हुए लिंग पर गया और उसके पूरे बदन में जैसे आग सी लग गई हो !

वीर ने फिर से पूछा मधु मुझे बताओगे कि कहां पर चोट लगी है लेकिन मधु थी कि कुछ भी बोल पाने की हालत में नहीं थी ! इस बार वीर ने अपने अंगूठे और उंगलियों से मधु के झगड़े को पकड़ा और अंगूठे की मदद से उसके होंठ को थोड़ा सा खोलने की कोशिश करने लगा उसका यह अंदाज भी आग में घी डालने का काम कर रहा था !

वीर अपना गिला चेहरा बिल्कुल उसके होठों के पास ले आया और अपने होठों से एक जोर की फूंक उसके होठों पर मारी ! मधु को एक पल के लिए लगा जैसे वीर उसे अभी चूम लेगा उसने अपनी आंखें बंद कर ली और अपने हॉट खोल लिए और इंतजार करने लगी वीर के होंठों का स्पर्श का !

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