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यार के लिए सात जिंदगी

The story of young girl 1

सन् 1990

कहानी तब शुरू होती है जब एक लड़की, जो छोटी उम्र में ही गर्भवती हो जाती है । वह गर्भवती तब हो जाती है जब वह 16 साल की थी और 12वीं कक्षा की परीक्षा देने ही वाली थी। वह गर्भवती इसलिए हो गई थी क्योंकि वह स्कूल में एक लड़के से प्यार करती थी और एक दिन स्कूल की छुट्टी के बाद उनके बीच संबंध स्थापित हो गया था ।

जब लड़की को पता चलता है कि वह गर्भवती हो चुकी है । वह बहुत परेशान हो जाती है और अब क्या करूं यह सोंचने लगती है ।उस दिन जब उसे यह पता चला था कि वह गर्भवती हो चुकी है , वह पूरी रात सो नहीं पाती और अपने कमरे में परेशान होकर इधर-उधर टहलती रहती हैं। वह सोचती है, कि अब वह क्या करेगी , समाज क्या कहेगा, वह अपने परिवार वालों को कैसे मुंह दिखाएगी , अपने पिताजी का सामना कैसे करेगी ।

अगली सुबह जब वह स्कूल जाती है तो वह उस लड़के से मिलने की कोशिश करती है लेकिन यह संभव नहीं हो पाता क्योंकि लड़के की कक्षा शुरू ही होने वाली थी। लड़की शाम तक इंतजार करती है लेकिन शाम को वह अपने दोस्तों के साथ व्यस्त रहता है इस कारण वह उससे बात ही नहीं कर पाती ।

लड़की शाम को लड़के को मिलने के बहाने बुलाती है और उसे बताती है कि वह गर्भवती हो चुकी है । लड़का बात सुनकर आश्चर्यचकित हो जाता हैं और इसका सारा दोष लड़की पर ही लगा देता है ।वह कहता है कि तुमने ही मुझे उस दिन उकसाया था अगर तुमने मुझे नहीं उकसाया होता तो यह नहीं होता। यह कहकर वह लड़की पर चिल्लाता है और उससे रिश्ता खत्म करने की बात कहता हैं वह यह कहकर चला जाता है और जाते हुए उसे बच्चा गिराने का सुझाव देता है।लड़की रोनें लगती हैं लेकिन लड़की का मन यह करने की गवाही नहीं देता ।

वह घर आती है और बहुत सोचती है ।वह यह निर्णय लेती है कि यदि वह 3 से 4 महीने तक यह बात छुपा ले तो किसी को पता नहीं चलेगा ।उसे यह भी पता था कि 3 से 4 महीने बाद ही उसका पेट दिखना शुरू होगा । वह यहीं करती है और 12वी की परीक्षा देती हैं । जब परीक्षा खत्म हो जाती है तो वह अपने माता पिता से पूछती है । वह कहती कि, मैं आगे कोचिंग के लिए बडे़ शहर जाना चाहती हूं। वे थोड़ा सोचते हैं फिर मान जाते हैं । उन्हे अपनी बेटी पर पूरा भरोसा था क्योंकि वह हमेशा पढ़ाई में टॉप करती थी।

लड़की अब 3 महीने की गर्भवती हो चुकी थी। बात करने के अगले ही दिन वह कोचिंग के लिए आवेदन भर देती है और कुछ दिनों में उसके चयन का पत्र भी आ जाता है। अब शहर में कमरा ढूंढने की बारी आती है उसके पिता उसे पूछते हैं कि वे उसके साथ कमरा ढूंढने शहर चले लेकिन वह मना कर देती है और कहती है कि वह शहर में अपनी सहेली मीरा के साथ रहेगी । वह बताती है कि वह पहले से ही वहां रहती हैं। यह सुनकर उसके माता-पिता चिंता मुक्त हो जाते हैं और सोचते हैं कि यदि वह अपनी सहेली के साथ रहेगी तो अच्छा ही है।

प्रीता अपने माता-पिता से झूठ बोलती है कि वह अपनी सहेली के साथ रहेगी वह यह इसलिए करती है क्योंकि अगर उसके माता पिता को उसके पता का पता रहेगा तो वे कभी भी वहां आ जाएंगे ।

थोड़ी देर बाद वह अपने पुराने बॉयफ्रेंड रोहित को फोन करती है और शहर में ऐसा कमरा खोजने के लिए कहती है जहां उसे कोई परेशान ना करें। उसके रूम मालिक को भी उससे लेना - देना ना हो वह बस अपने किराए से मतलब रखें । उसका पुराना बॉयफ्रेंड वैसा ही कहता हैं और उसके लिए वैसा ही कमरा ढूंढ देता है ।

आप सोच रहे होंगे कि उसका पुराना बॉयफ्रेंड उसकी इतनी मदद क्यो कर रहा है वह इसलिए कि उन दोनों के बीच में ब्रेकअप इसलिए हुआ था क्योंकि लड़का प्यार के चक्करों में नहीं रहना चाहता था वह अपनी पढ़ाई और कैरियर पर ध्यान देना चाहता था ।

2 दिन बाद वह अकेले शहर पहुंँचती है ।वहां पहुँचते ही वह रोहित से रेलवे स्टेशन पर मिलती है। वह उसे लेने आया था ।उसे देखते ही वह उससे पूछ्ता है कि उसने इतनी जल्दी तुमने ऐसा कमरा खोजने के लिए क्यों कहा तो वह उसे उसके गर्भवती होने की पूरी बात बताती हैं ।वह उसे किसी और को बताने से मना करती है और उससे वचन लेती है ।

वे उसके किराए के मकान में पहुंचते है रोहित उसे वहां छोड़ता है ।थोड़ी देर बाद रोहित वापस अपने मकान जाने के लिए निकलता है। वह उससे कहता है अगर मदद की जरूरत हो तो उसे बताएं फिर वह चला जाता है।

प्रीता 2 महीने अपने घर से लाए पैसों के साथ अपना गुजारा करती है ।वह पढ़ने के लिए कोचिंग सेंटर जाती थी । अब उसका पेट थोड़ा दिखने लगा था इस कारण से लोग उसे अलग नजरिए से देखने लगे और सभी उसके बारे में तरह-तरह की बातें करने लगे लेकिन वह इन सब बातों पर ध्यान नहीं देती थी ।

अब उसके पैसे खत्म होने लगे थे । वह अपने पिताजी को फोन करती है और उनसे पैसे के बारे में बात करती है। उसके पिताजी उसे बताते हैं कि वे उससे मिलना चाहते हैं क्योंकि 2 महीने बीत चुके थे और वे उससे 2 महीने से नही मिले थे । वे कहते हैं कि मैं पैसा देने के बहाने तुमसे मिल आऊंगा। लड़की उनकी सेहत का हवाला देकर उन्हे पोस्ट के द्वारा पैसे भेजने के लिए कहती है वे मान जाते हैं और उसे पैसा पोस्ट के द्वारा भेज देते हैं ।

प्रीता का पांचवा महीना चल रहा था । उसका पेट भी अब थोड़ा दिखने लगा था और लोगों को भी पता चल गया था कि वह गर्भवती है जिस कारण लोग उसका मजाक उड़ाने लगे ।वे कहते कि छोटी उम्र में ही वह कैसे गर्भवती हो गई जरुर इसका किसी के साथ चक्कर रहा होगा और कई तरह- तरह की बातें करते जिस कारण से अब वह कमरे में ही रहने लगी और वही पढ़ने लगी । वह समान दुकानदार से घर पर ही मंगवा लेती, सब्जियां और जरूरी सामान वह अपने पुराने बॉयफ्रेंड रोहित से मंगवाती।

ऐसी ही 2 महीने और बीत जाते हैं ।अब वह 7 महीने की गर्भवती हो चुकी थी । अब उसके पैसे फिर खत्म होने लगे थे वह अपने पिता को फिर फोन करती है और कहती है कि पैसा फिर पोस्ट द्वारा भेज दें । वे उससे फिर मिलना चाहते थे लेकिन वह झूठ कहती है कि वह अभी बहुत व्यस्त है उसे मिलने का समय नहीं मिलेगा क्योंकि वह दिनभर भर कोचिंग सेंटर में रहती है । वे उसके बात को मान जाते हैं और पैसा फिर भेज देते हैं ।वह हमेशा पैसा भेजने के लिए उसके पुराने बॉयफ्रेंड का पता देती थी और रोहित पैसा लाकर उसे दे देता था ।

फिर वह और 2 महीने उन पैसो से गुजारा कर लेती हैं अब वह 9 महीने की गर्भवती हो चुकी थी जल्द ही उसका बच्चा जन्म लेने वाला था ।

The story of young girl 2

जैसे मैंने बताया कि अब वह 9 महीने की गर्भवती थी। उसका बच्चा भी जन्म लेने वाला था। अब रोहित उसे ज्यादा देखने आने लगा और देखते ही देखते वह दिन भी आ गया जब उसके बच्चे का जन्म होने वाला था। वे पहले से ही पास के सरकारी अस्पताल में चले जाते हैं और वहां बच्चे का जन्म होता है। बच्चा बहुत ही सुंदर , गोरा और स्वस्थ पैदा होता है वे 2 दिन अस्पताल में रहते हैं और 2 दिन के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है ।

छुट्टी के बाद फिर प्रीता अपने कमरे में आती है और वहां रहने लगती है ।तीन ही दिन उसने अपने बच्चे के साथ बीताये थे कि उसके पापा रात को फोन करते है और वे कहते हैं कि इस बार वे पैसा देने खुद उसकी मम्मी के साथ आएंगे और वे कहते हैं कि वे कल ही आ रहे हैं ।

वे कहते हैं कि इस बार कोई बहाना नहीं चलेगा यदि अगर तुम्हारी कक्षा होगी तो तुम्हें छुट्टी लेनी पड़ेगी। प्रीता घबरा जाती है और ठीक है कह कर फोन रख देती है। वह सोचने लगती है कि उसके माता पिता को उस पर शक होने लगा है इसलिए वे उसे कल ही मिलने आना चाहते हैं।

अब जो हुआ सो हुआ यह सोच कर अब वह इस बच्चे का क्या करें यह सोचने लगती है। उसे कुछ सूझ नहीं रहा था। उसके मन में अलग-अलग ख्याल आते हैं जैसे कि उसे अनाथालय में दे दे या उसे कहीं छोड़ दे इत्यादि।

सोचते सोचते रात हो जाती है और ऐसे ही सुबह भी हो जाती है। जल्द ही उसके माता पिता उससे मिलने आने वाले थे और थोड़ी देर बाद रोहित का फोन आता है वह कहता है कि तुम्हारे पिता उसके घर के दरवाजे के बाहर खड़े हैं और  दरवाजा खटखटा रहे हैं। रोहित फोन काटता है और दरवाजा खोलने जाता है।

दरवाजा खुलते ही वे प्रीता के बारे में पूछते हैं रोहित झूठ बोलते हुए उन्हें बताता है कि प्रीता पहले यहां रहती थी लेकिन अभी ही कुछ दिन पहले उसने यह घर छोड़ा है क्योंकि अब वे केवल लड़के छात्र को ही घर किराये पर देते हैं। रोहित बताता है कि वह दूसरी जगह रहने गई है वे उससे उसके नए पते के बारे में पूछते हैं ।रोहित बताता है कि उसने उसके जाने के समय उससे नए पते के बारे में पुछा था और वह उन्हें पता बताता है ।फिर वे नये पते की ओर आगे बढ़ते हैं।

जैसे ही वे जाने लगते हैं रोहित प्रीता को फिर फोन करता है और उसे बताता है कि उसके माता पिता उसके पते पर जा रहे हैं।

प्रीता और घबरा जाती है और सोचने लगती है कि बच्चे को कहां छुपाए फिर वह बच्चे को लेकर घर के बाहर  जाती है उसके घर के किनारे ही रेल की पटरीया लगी हुई थी । वह पटरी के किनारे खड़ी होकर बहुत सोचती है और आखरी निर्णय लेती है कि वह उसे पटरी के किनारे छोड़ देगी। वह उससे कहती हैं कि मैंने तुम्हें गर्भ के अंदर नहीं मारा, तुम्हारी रक्षा की, तुम्हारा ध्यान रखा लेकिन अब नहीं रख पाऊगी मेरी मजबूरियां हैं भगवान तुम्हारा ध्यान रखें यह कहते हुए वह बच्चे को वहीं छोड़कर अपने कमरे में आ जाती है और अपने आपको व्यवस्थित करती है कुछ समय बाद उसके पिता और माता उसके कमरे में आ जाते हैं।

प्रीता के माता पिता उसके कमरे के पास आ चुके थे जैसे ही वह दरवाजा खोलती है वह दरवाजे पर अपने माता-पिता को पाती है प्रीता उनको देखकर मुस्कुराती हैं और उन्हें अंदर बुलाती है और उन्हें बैठने को कहती है । वो उनके लिए पानी लाती है उसके बाद उसकी मां उसे अपने किनारे बैठने को कहती हैं और उससे पुंछती हैं कि तुम इतने दिनों तक घर क्यों नहीं आई और ना ही हमें आने दे रही थी।

तो वो थोड़ा मुस्कुराती है और कहती है कि मैं आप लोगो को परेशान नहीं करना चाहती थी। मुझे पता है कि पापा को सांस लेने में थोड़ी तकलीफ होती है इसलिए मैं उनको परेशान नहीं करना चाहती थी अगर वे आते तो उनको ट्रेन में चढ़ने के लिए दौड़ना पड़ता। आप तो जानते ही हैं कि आजकल ट्रेन में कितनी भीड़ होती है और मैं इसलिए नहीं जा पाई क्योंकि यहां मेरी पढ़ाई जोरों से चल रही थी।

प्रीता की मां कहती है कि बेटा 6 महीने बीत चुके थे हमें तुम्हारी बड़ी याद आती थी और तुम्हारी बड़ी चिंता होती थी इसलिए हम इस बार तुमसे मिलने खुद ही आ गए । प्रीता फिर मुस्कुराती है और कहती हैं कि मुझे क्या होगा मैं तो चंगी भली आपके सामने खड़ी हुंँ प्रीता की मां उसे कहती है कि तू थोड़ी मोटी हो गई है ना ?

प्रीता फिर मुस्कुराते हुए जवाब देती हैं और कहती है कि मां यहां ज्यादा काम नहीं होता ना और यहां बैठकर पढ़ते - पढ़ते तो ऐसा हो ही जाता है । ऐसे ही उनके बीच में और कई सारी बातें होती हैं।

थोड़ी देर बाद प्रीता के पिता उसे बताते हैं कि 1 घंटे में वे यहां से निकल जाएंगे क्योंकि उनकी ट्रेन 2 घंटे बाद ही है प्रीता हां कहती है । 1 घंटा बात करते हुए बीतता है और वे उसे पैसे देकर रेलवे स्टेशन की तरफ निकल पड़ते हैं । जैसे ही वे निकलते हैं प्रीता दौड़ कर रेलवे पटरी के किनारे जाती है जहां उसने अपने बच्चे को छोड़ा था वह देखती है कि वहां उसका बच्चा नहीं था उसे दुख होता है कि उसने अपने बच्चे को खो दिया वह भगवान से प्रार्थना करती है कि उसका बच्चा सही सलामत रहे और वह भगवान से कहती है कि हे भगवान मुझे क्षमा करना मैंने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई। वह अपने बच्चे से भी क्षमा मांगती है और वहीं बैठ कर थोड़ा रोती है । कुछ समय बाद वह अपने कमरे में आ जाती है और अपने बच्चे को भूलने की कोशिश करती है लेकिन उसे उसके बच्चे की बहुत याद आती थी वह उसे याद करके रोती ।

समय बीतने के साथ वह अपने बच्चे को भुलाकर अपनी पढ़ाई पर पुरा ध्यान देती है कुछ महीनों बाद उसकी मेडिकल की परीक्षा भी होती है और उसमें उसका चयन भी हो जाता है जिस कारण लोगों को उसके अतीत के बारे में पता ही नहीं चलता ।

लेकिन यह कहानी यहीं खत्म नहीं होती यह कहानी और आगे बढ़ेगी और कमल की एक जिंदगी का हिस्सा बनेगी क्योंकि अतीत कभी नहीं छुपता वह किसी न किसी रूप में सामने आ ही जाता है अभी के लिए प्रीता की कहानी यहीं खत्म होती है ।

# यह कहानी हमें यह सिखाती है कि मजबूरी में हमें ना चाहते हुए भी कुछ ऐसे कदम उठाने पड़ते हैं जो किसी की जिंदगी को नर्क में धकेल सकते है ।

हमने यह भी देखा कि प्रीता का बॉयफ्रेंड कैसी अपनी जिम्मेदारियों से पीछा छुड़ाकर भाग जाता है और सारा दोष प्रीता पर ही लगा देता है जबकि इस गलती के लिए दोनों बराबर जिम्मेदार थे। अगर हमने कभी कुछ गलती की हो तो हममे उस गलती की जिम्मेदारी लेने की हिम्मत भी होनी चाहिए।

कई बार हमारा समाज ही हमारे दुखों का कारण बन जाता है जिस तरह इस कहानी में बताया गया है कि प्रीता अपने बच्चे को रखना चाहती थी लेकिन समाज और परिवार के डर से वह अपने बच्चे को छोड़ देती है।

next -------The Struggle of Boy .

Struggle of little boy1

यह कहानी उसी रेल की पटरी के किनारे से शुरू होती है इस कहानी के अंदर कमल का मुख्य किरदार है कमल वही बच्चा है जिसे प्रीता ने रेल की पटरी के किनारे छोड़ दिया था।

कहानी शुरू होती है इस कहानी में एक बूढ़ी औरत रहती है जिसका नाम कमला है वह 70 साल की थी उसके पति का देहांत पहले ही हो चुका था वह झुग्गी झोपड़ी में एक टूटे हुए मकान में रहती थी जिसकी आधी छत भी ढह चुकी थी जिसे उसने घास फूस और तृपाल से ढका हुआ था बारिश के मौसम में वहां से पानी टपकता था । वह ट्रेन में मूंगफली बेच कर अपना गुजारा करती थी मूंगफली बेच कर उसे बहुत थोड़ी कमाई होती लेकिन वह जितना कमाती थी वह उसके लिए पर्याप्त था ।

एक दिन वह जब ट्रेन में मूंगफली बेच रही थी (तब रेलगाड़ी बहुत धीरे थी ) तो उसने एक बच्चे की रोने की आवाज सुनी उसने देखा कि एक बच्चा रेलवे पटरी के किनारे पड़ा हुआ रो रहा था जब उसने यह देखा तो उसने रेलगाड़ी की चैन तुरंत खींच दी जिसके कारण रेलगाड़ी रुक गई वह फौरन नीचे उतरती है और बच्चे के पास जाती है थोड़ी देर बाद ट्रेन आगे बढ़ जाती है।

वह वहां खड़ी होकर बच्चे को प्यार से थोड़ी देर देखती रहती है फिर वह इधर-उधर देखती है कि यह बच्चा किसका है लेकिन उसे कोई नजर नहीं आता वह उसे अपनी गोद में उठाती है और चुप कराती है । थोड़ी देर बाद वह आसपास गुजरते लोगों से उस बच्चे के बारे में पूछती हैं लेकिन किसी को कुछ पता नहीं था । अब वह सोचने लगती है कि इस बच्चे का क्या करें वह उसे अनाथालय में देने का निर्णय करती है लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाती क्योंकि उसे अनाथ होने का दुख पता था उसे यह इसलिए पता था क्योंकि वह भी खुद एक अनाथ ही थी उसने अपने माता-पिता को बचपन में ही खोया था और वह अपने चाचा चाची के साथ रहती थी जो उसे बहुत परेशान करते थे।

तब वह इस बच्चे को अपने पास रखने का निर्णय लेती है और उसे लेकर अपने टूटे हुए मकान में आ जाती है । बच्चा बार-बार रोए जा रहा था वह चुप ही नहीं हो रहा था कमला समझ जाती है कि उसे बहुत भूख लगी होगी । तो कमला तुरंत से दौड़कर दूध लेने दुकान में जाती है जब वह दुकान गई थी तो उसने बच्चे को मकान में ही छोड़ दिया था । बच्चे की रोने की आवाज सुनकर उसी बीच चंपा वहां आ जाती है चंपा कमला की सहेली थी वह कमला के मकान के बगल वाली मकान में ही रहती थी चंपा कमला के आने तक उसे शांत कराने की कोशिश करती है ।

जब कमला दूध लेकर दुकान से वापस आती है तो वह चंपा को घर में देखती है जो बच्चे का ध्यान रख रही थी कमला चंपा को बच्चे का ध्यान रखने के लिए धन्यवाद करती है। चंपा को बच्चे को शांत कराती देखकर वह तुरंत दूध को कटोरी में डालने चली जाती है और उसे कटोरी में डालकर चम्मच के साथ दुध लेकर आती है वह बच्चे को अपनी गोदी में लेती है और उसे चम्मच से दूध पिलाने की कोशिश करती है बच्चा अभी बहुत छोटा था वह चम्मच में दूध नहीं पी पा रहा था लेकिन वह जैसे तैसे करके उसे थोड़ा दूध पिलाती है बच्चा शांत होता है और सोने लगता है ।

जैसे ही बच्चा सो जाता है चंपा कमला से धीरे से पूछती है कि तुम इस बच्चे को कहां से लायी , कमला उसे बच्चे के बारे में विस्तार में बताती है । चंपा कमला को पूछती है कि अब तुम इस बच्चे का क्या नाम रखोगी कमला थोड़ा सोचती है फिर कहती है कमला का कमल । तभी चंपा के लिए उसके मकान से आवाज आती है चंपा उठती है और अपने मकान चली जाती है । उस दिन कमला काम पर नहीं जाती वह अपने बच्चे का पूरा ध्यान रखती है । उसी तरह वह दिन बीत जाता है।

अगले दिन फिर काम पर जाने की बारी आती है लेकिन वह सोचती है कि अब वह कमल का क्या करें फिर वह चंपा के मकान की तरफ जाती है। अभी चंपा काम पर नहीं जाती थी क्योंकि उसका काम बंद था वह कमल को लेकर चंपा के मकान पहुंच जाती है और वहां चंपा से पूछती हैं कि तुम कमल को अपने साथ रख लोगी । चंपा हां कहती है और उसे खाट पर सुलाने को कहती है । वह उसे खाट में सुलाती है और घर जाकर अपने साथ दूध और दूध की बोतल ला देती है जो उसने कल ही खरीदी थी। कमला कमल को एक नजर मुड़कर देखती है और उसे चंपा के घर में छोड़कर चली जाती है । वह अपने घर से मूंगफली की थैली उठती है और उसे बेचने ट्रेन में चली जाती है लेकिन उसका पुरा ध्यान कमल की तरह ही होता है वह पूरा दिन काम नहीं करती बल्कि दोपहर तक वापस लौट आती है । 1 सप्ताह ,पहले दिन की तरह ही बीत जाता है।

लेकिन अब चंपा का काम भी अगले दिन से शुरू होने वाला था । तो अगले दिन से कमला, कमल को भी अपने साथ लेकर मूंगफली बेचने ट्रेन में जाती है । वह उसे अपनी छाती से लगाकर एक कपड़े से उसे बांध देती है और अपना काम करती है वह अब हमेशा ऐसे ही करने लगी जिस दिन चंपा की छुट्टी होती वह उसे वहां छोड़ देती थी।

एक दिन रात को कमला बैठकर महीने का हिसाब कर रही थी तो उसने पाया जबसे कमल उसकी जिंदगी में आया है तबसे उसे ज्यादा कमाई होने लगी है वह उसके लिए शुभ साबित हुआ है ।

एक दिन कमला अपने साथ टिकट लाना भूल जाती है और उस दिन उसे टिकट चेक करने के दौरान पकड़ लिया जाता है और उसे अपनी पूरी कमाई टिकट चेक करने वाले को देनी पड़ती है । जिस कारण उस दिन उसके पास कुछ पैसे भी नहीं होते । वह घर आती है और चंपा से कुछ पैसे उधारी लेती है और कमल के लिए दूध लाती है । वह उस दिन भूखी ही सो जाती हैं।

इसी तरह 3 साल बीत जाते हैं कभी उसके पास खाना होता तो कभी नहीं लेकिन कमला कुछ ना कुछ करके अपने कमल के लिए खाना जुगाड़ ही लेती थी क्योंकि वह अपने बच्चे से बहुत प्यार करती थी और उसे भूखा नहीं देख सकती थी कमला अपने बच्चे से इतना प्यार करती थी कि वह उसके लिए कुछ भी कर सकती थी ।

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