सप्त क्रांतिविचार यात्रा
संकलन डा. सुनीलम
मैंने डॉ. राम मनोहर लोहिया को कभी देखा नहीं सुना भी है तो कैसेट के माध्यम से। फिर भी छात्र जीवन में लोहियावादी नेताओं द्वारा दी गई पुस्तिकाओं, बुर्जग समाजवादियों के संस्मरणों तथा प्रो. विनोद प्रसाद सिंह के द्वारा दिए गए प्रशिक्षण के माध्यम से मैंने डॉ. लोहिया जी को जानने की कोशिश की है।
मुझे छात्रजीवन में लोहिया का यह कथन कि जो तारे तोड़ने का लक्ष्य नहीं रखते उनका चांद पर पहुंचना भी मुश्किल है बहुत अच्छा लगा। लोहिया जी की मौलिक स्थापनाओं, फक्कखड़ ने मुझे प्रभावित किया। श्री जॉर्ज फर्नांंडिज, श्री मधुलिमये, श्री लाडली मोहन निगम, श्री मधु दंडवते, श्री सुरेन्द्र मोहन जी, श्री पुरूषोत्तम कौशिक के माध्यम से समाजवादी आंदोलन के कार्यकर्ता के तौर पर बहुत कुछ सीखने को मिला।
मुझे मामा बालेश्वर दयाल जी के जन्मशताब्दी वर्ष के कार्यक्रमों के अनुभव से लगा कि आम जन तथा समाजवादी कार्यकर्त्ता, समाजवादी आंदोलन के प्रणेताओं विशेष कर लोहिया जी के बारे में जानने को उत्सुक हैं तथा समाजवादी विचार को आगे बढ़ाने के लिए सहयोग भी करने को तैयार हैं।
23 मार्च, 2009 से डॉ. लोहिया का जन्मशताब्दी वर्ष शुरू हो रहा है। मैंने इस वर्ष में अधिकतर समय वैचारिक कार्य के लिए देने का निर्णय लिया है। तथा देश भर में बनी हुई समारोह समितियों तथा विशेष तौर पर म.प्र. की जन्मशताब्दी समारोह समिति के सदस्यों के साथ मिलकर अधिकतम कार्यक्रमों के माध्यम से लोहिया जी के विचारों का अधिकतम प्रचार करने का मन बनाया है। मध्यप्रदेश के 50 जिलों के कार्यक्रमों में शामिल होने की इच्छा है।
मध्यप्रदेश की समारोह समिति ने सभी जिलों में 23 मार्च को सप्तक्रांति सत्याग्रह तथा 26 जून को सप्तक्रांति सम्मेलन, 9 अगस्त् से 12 अगस्त् के बीच लोहिया स्मृति यात्रा करने तथा शिल्पपक्ष पत्रिका रीवा से रामेश्वर सोनी द्वारा प्रकाशित करने का संकल्प लिया है। मेरा प्रयास होगा कि कम से कम डॉ. लोहिया की 10 हजार किताबें हमारे साथी प्रकाशित करें और मैं उन्हें पाठकों तक पहुंचाऊ।
22 मार्च 2009 को लखनऊ में साथी उत्कर्ष से मुलकात हुई। जब उन्हें मैंने अपने कुछ लेख पढने को दिए उन्होंने लेखों का संकलन छापने का प्रस्ताव रखा। इस तरह दूसरी किताब तैयार होकर आपके हाथ में हैं।
भाई रामेश्वर सोनी डॉ. लोहिया का 'हिन्द किसान पंचायत' के प्रथम अधिवेशन में रीवा में दिया गया भाषण 'किसान का बिकास' पुस्तिका के रूप में छाप चुके हैं।
मध्यप्रदेश की डॉ. लोहिया जन्मशताब्दी समारोह समिति ने तय किया है कि जो भी साथी डॉ. लोहिया की दस रुपये तक की किताब अपनी ओर से प्रकाशित करेंगे उसकी 500 प्रतियां समिति खरीद कर बेचेगी।
मुझे विश्वास है कि हम लोहिया विचार की पुस्तकें प्रकाशित कर समिति के प्रयास से कम से कम दस हजार पुस्तकें बेचने में कामयाब होंगे।
मुझे विश्वास है कि आपका सहयोग हमें इस प्रयास में जरूर मिलेगा। आप से अनुरोध है कि आप या तो किताब के प्रकाशन के लिये आगे आयें या प्रकाशन के लिये आर्थिक संसाधन जुटाने अथवा पुस्तकों की बिक्री में हमें सहयोग प्रदान करें।
डॉ. सुनीलम
पूर्व विधायक, सदस्य डॉ. लोहिया जन्म शताब्दी (म.प्र.)
शहीद किसान कुटीर, स्टेशन रोड, मूलतापी (बैतुल, म.प्र.)
09425109770, 07147-220742
प्राक्कथन: श्री विनोद प्रसाद सिंह्
23 मार्च, 1910 को डॉ. लोहिया का जन्म हुआ। यदि वे जीवित होते तो अपने 100वें साल में प्रवेश करते। अगले वर्ष अर्थात् 2010 के 23 मार्च को सौ साल पूरा कर लेते। इसलिए इस साल डॉ. लोहिया की जन्मशती मनाने की शुरूआत औपचारिक रूप से हो रही है।
इसका कोई केन्द्रीय स्वरूप शायद ही बने, फिर भी लोग अपने-अपने ढंग से जो भी कर रहे हैं उसका औचित्य साबित करने के लिए डॉ. लोहिया के विचारों का विश्लेषण करेंगे अर्थ लगायेगे।
यह भी अपने में महत्वपूर्ण है, ऐसा नहीं है कि यह पहली बार होगा और केवल डॉ. लोहिया के विचारों के साथ होगा। प्रत्येक इतिहास पुरुष के साथ ऐसा होता है। बाबा तुलसीदास बहुत पहले कह गए थे। जाकि रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी जिन तैसी।
मुझे लगने लगा है कि जो व्यक्ति जितना बड़ा होता है उसके बारे में भ्रांतियां भी उतनी होती हैं। इसके अपवाद बहुत कम है।
डॉ. सुनीलम के कुछ लेखों का संकलन के रूप में प्रकाशित होने की सूचना मुझे मिली है।
लोहिया द्वारा प्रतिपादित सप्तक्रांति की प्रासंगिकता वाला संकलन लेख ध्यान से पढ़ा है।
लोहिया समाजवादी थे लेकिन लीग से हटकर वे किसी भी अर्थ में नियतिवादी नहीं थे। उन्होंने जिस इतिहास दृष्टि का प्रतिपादन किया उसमें कहीं भी ऐसा नहीं रहा कि इसके बाद ऐसा ही होगा। हाँ, उन्होंने बेहतर मानव समाज की कल्पना जरूर की और उसकी किरण उन्हें कहां दिखी यह सबसे महत्वपूर्ण है।
उन्होंने 20वीं सदी को सर्वाधिक निर्दयी माना नाइंसाफी वाला माना लेकिन उनमें आशा की किरण यह दिखायी दी कि जहां-जहां नाइंसाफी है वहां-वहां उसका प्रतिकार है, प्रतिरोध है इसमंे उम्मीद बंधती है कि अगर अन्याय होगा तो प्रतिकार भी होगा और अन्याय तथा प्रतिकार की टकराहट से अन्याय का अंत भी हो सकता है। हमें साप्तक्रांतियों पर जोर देने से ज्यादा अन्याय के नए नए रुपों को पहचानने की जरूरत है। और फिर उसके प्रतिरोध की भी। डॉ. सुनीलम किसानों के बीच संघर्ष कर सरकारों की किसान विरोधी नीतियों का प्रतिरोध कर भी रहे हैं।
डॉ. लोहिया की चिंतनधारा में अंतिम कुछ नहीं है। नई घटनाएं, नई सूचनाएं, नए संदर्भ हमें नए निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए बाध्य करते रहेंगे।
डॉ. सुनीलम ने इस ओर इंगित किया है यह शुभ लक्षण है।
अतः मेरी हार्दिक शुभकामनाएं उनके साथ हैं।
प्रो. विनोद प्रसाद सिंह
परिवर्तन, 62, कोटिल्य नगर
वीएमपीरोड, पटना-800014
0612-2296851, 09431241726
डॉ लोहिया द्वारा प्रतिपादित सप्त क्रांति के उद्देष्य
· अमीर-गरीब के बीच 1ः10 से अधिक असमानता खत्म हो।
· अंतराष्ट्रीय गैर बराबरी खत्म हो।
· नर-नारी के बीच भेद समाप्त हो।
· रंग-भेद समाप्त हो।
· हर स्तर पर शस्त्रो के निर्माण और उपयोग पर रोक लगें।
· सडी गली जाति व्यवस्था समूल नष्ट हो ।
· व्यक्तिगत जीवन के कुछ क्षेत्रों में संगठन अथवा राज्य का दखल बंद हों।
· उच्चतम न्यायालय व उच्च न्यायालयो में अंग्रेजी की अनिवार्यता समाप्त हो। हिन्दी भाषी क्षेत्रों में हिन्दी एवं अन्य क्षेत्रों में क्षेत्रीय भाषा का प्रयोंग उच्च न्यायालय में शुरू किया जाये।
· हायर सेंकेेंडरी स्तर तक की शिक्षा निःशुल्क, अनिवार्य एवं समान शिक्षा देने का कानून बनाया जाये। स्कूल, कॉलेजो, विश्वद्यालयों, कोचिंग क्लासें, नर्सिग होमों की दिनो दिन अंधाधुध फीस वृद्धि पर रोक लगााकर फीस की सीमा निर्धारित की जाये।
· किसानों की प्रतिमाह आय केन्द्र सरकार के कर्मचारियों की तरह न्यूनतम 10 हजार रूपये प्रति परिवार प्रति माह सुनिष्चित की जाये, खेतिहर मजदूरों को कुषल श्रमिक का दर्जा देकर मजदूरो का भूगतान किया जाये।
· दहेज के खिलाफ बनाये गये कानूनो पर शक्ति से अमल हो, दहेज लेने और देने वालों का सामाजिक बहिष्कार हो।
· जाति सूचक उपनाम लगाना बंद हों।
· परिवार, स्कूल, थानों में हिंसा करने वालों पर मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारी की जायं, शांतिपूर्ण आंदोलन पर गोली चालन पर कानूनी रोक लगाई जाये।
· भ्रष्टाचार संबंधी मुकदमो को तीन माह के भीतर निपटाने के लिए विषेष न्यायालय गठित किए जाए, भ्रष्टाचार साबित होने पर अपराधी की संपूर्ण चल-अचल संपत्ति राजसात करने का कानून बनाया जाए।
· पीने का पानी, शिक्षा और स्वास्थ, परिवहन के बाजारीकरण पर रोक लगाई जायें।
· संविधान में निहित समता मूलक समाज की स्थापना के उद्देष्य से गैर बराबरी खत्म करने के लिये आय खर्च की सीमा कानूनी तौर पर निष्चित की जाये।
· सीमा से अधिक संपत्ति जब्त की जाये, विदेशों में जमा काला धन देश् में लाने के लिये संसद मे प्रस्ताव पारित कराकर, जब्त राषि से पीने के पानी की व्यवस्था की जाये।
· एस.ई.जेड. कानून का खात्मा हो, कृषि योग्य भूमि के अधिग्रहण पर कानूनी रोक लगाई जाये।
· सबको रोजगार का मुलभूत अधिकार मिले।
· जाति, धर्म और लिंग के नाम पर हिंसा करनेवालों को आजीवन कारावास हो।
· जो सरकारी जमीन पर खेंती करके अपना जीवन निर्वहन कर रहे है, उन्हे उस जमीन की मालकियत मिलनी चहिए। गॉव व शहरों में सरकारी जमीन पर रहने वालों को भी जमीन का मालिकाना हम मिले।
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