RETURN WITH AI SYSTEM

RETURN WITH AI SYSTEM

मुंबई यूनिवर्सिटी

मुंबई यूनिवर्सिटी

मुंबई यूनिवर्सिटी के हॉस्टल के एक कमरे में एक लड़का बहोत ख़ुशी ख़ुशी अपना सामन पैक कर रहा था और भाई खुश होए भी क्यों न आखिर वो इतने सालो बाद वो अपने घर जा रहा था हा भाई आज वो सालो बाद घर जा रहा था इस लड़के का नाम है वीर सहगल है तो सहगल परिवार का वरिश लेकिन वीर को सहगल परिवार से काफी सालो पहले उसे बेदखल कर दिया गया था क्यों ये आपको कहानी में आगे पता चलेगा |

एक्चुली हुआ ये की आज वीर के दादाजी जानी भानुप्रताप सहगल का काल आया था वीर के पास और वो वीर को वापस बुला रहे थे जिस वजह से वीर बहोत खुस हो गया था और इसी वजह से वो ख़ुशी ख़ुशी अपना सामान पैक कर रहा था वीर को ये नहीं पता था की उसके दादा जी उसे क्यों बुला रहे है क्यों की उसके दादा जी उसे ऐसा कुछ बताया ही नहीं था सिर्फ इतना ही कहा था की वो घर आ जाये थोड़ी ही देर में वीर अपना सामन पैक कर तैयार् हो गया अपने घर जाने के लिए तभी उसके कमरे एक लड़का जो उसी के हम उम्र का दिख रहा था वो अंदर आ कर उससे कहता है जा रहा है जिस पर वीर घूम कर देखता है तो उसे अपने सामने उसका बेस्टफ्रेंड खड़ा था जिसे देख कर वीर उससे कहता है तू सेंटी क्यों हो रहा है मै तुझे नहीं भूलने वाला तब वो लड़का उससे कहता है मै तुझे भूलने भी नहीं दूंगा समझा अब जा वरना लेट हो जायेगा जिस पर वीर उससे कहता है ख्याल रखना अपना अभय |

फिर वीर अपने हॉस्टल के कमरे से अपना सामना ले कर बाहर निकलने को होता है की तभी वो गेट पर रुक जाता है और पीछे मुड कर अभय से कहता है यार अभय मै क्या सोच रहा हूँ की मै तुझे भी अपने साथ ले चलू क्या सोचता है जिस पर अभय उससे कहता है नहीं वीर मुझे कुछ दिन यहाँ काम है इसलिए मै नहीं जा पाउँगा लेकिन मै प्रोमिश करता हूँ की मै कुछ दिनों में तुमसे मिलने आऊंगा सहगल मेंशन | तब वीर कहता है तो फिर ठीक है अब मै चलता हूँ वरना मै लेट हो जाऊँगा इतना कह कर वीर वहा से निकल जाता है उसके जाते ही अभय किसी सोच में डूब जाता है और अपने मन में कहता है उम्मीद करता हूँ वीर तुम सही सलामत रहो पता नही क्यों मुझे कुछ सही नहीं लग रहा था तुम्हारे दादी जी का यु अचानक बुलाना इतना कह कर वो भी उस रूम से बाहर निकल जाता है |

वही वीर यूनिवर्सिटी से बाहर आकर एक कैब बुलाता है और कैब में बैठने से पहले एक बार फिर से अपनी यूनिवर्सिटी को देखता है फिर वो कैब में बैठ जाता है और ड्राईवर से कहता है अंकल सहगल मेंशन ले चलिए वो ड्राईवर पहले तो वीर को उपर से नीचे देखता है फिर वो अपनी कैब आगे बढ़ा देता है वही वीर के मन में उधेड़ बन चल रही थी पता नहीं क्यों उसे थोड़ी सी घबराहट हो रही थी उसका सिक्स्सेंस कह रहा था शायद कुछ गलत होने वाला है लेकिन वीर उसे नजर अंदाज कर देता है करीब एक घंटे बाद उसकी कैब एक बड़े से मेंशन के सामने रूकती है और फिर ड्राईवर से कहता है मै इस मेंशन के अंदर नहीं जा सकता हूँ जिस पर वीर कुछ नहीं कहता है और वो चुप चाप कैब से उतर जाता है और फिर वो ड्राईवर को पैसे दे कर मेंशन को देखने लगता है थोड़ी देर बाद वो मेंशन के अंदर जाने के लिए अपने कदम आगे बड़ा देते है वो अपना सामन ले कर मेंशन के गेट पर पहुच जाता है तब उसे एक गार्ड उससे पूछता है किससे मिलना है भाई वही वीर उस गार्ड को देख कर कहता कैसे है रामू काका वही जब वो गार्ड वीर की बात सुनता है तो उसे एक पल के यकीन नहीं होता है इस लिए उससे वीर से पूछा तुमने अभी अभी क्या कहा ये कहते वक्त उस गार्ड की यानि रामू काका की जुबान थोड़ी लडखडा रही थी |

रामू काका के सवाल पर वीर फिर से वही सवाल करता है मैंने पूछा कैसे है रामू काका जिस पर रामू काका उससे कहता है वीर बाबा आप वीर बाबा है न जिस पर वीर अपना सर में हिला देता है तब रामू काका तुरंत मेंशन का बड़ा सा गेट खोल देते है और वीर को अंदर आने को कहते है अंदर आते है वीर उनसे कहता है काका आपने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया जिस पर काका कहते है हम बडिया है बाबा बड़े साहब आपका अंदर इन्तजार कर रहे है जिस पर वीर सोच में पड़ जाता है और उसे एक तरफ ख़ुशी भी हो रही थी उसके दादा जी उसका इन्तजार कर रहे है तब वीर अपना सर हिलाते हुए मेंशन को देखते हुए वो अंदर चला गया |

क्यों की वो इतने सालो बाद वीर मेंशन में आया था उसने पूरा बचपन यही बिताया था तब मेंशन इतना बड़ा नहीं बना था तब यहाँ पर सिर्फ एक छोटा सा घर था लेकिंन अब मेंशन को देख कर उसे ऐसा लग रहा था जैसे वो कोई स्वर्ग में आ गया है चारो तरफ हरियाली और अनेक तरह के फूल लगे हुए थे |

येही सब देखते हुए वीर मेंशन के अंदर चला गया और अंदर जा उसने देखा की उसके दादी जी उसका हॉल में इन्तजार कर रहे थे वही जब उसके दादी जी की नजर वीर पर पड़ी तो एक पल के लिए वो ठहर से गये लेकिन फिर उन्हें कुछ याद आया और वो वीर को देख कर उससे कहते है आओ वीर मै तुम्हारा ही इन्तजार कर रहा था |

दादा जी वीर का इतना इन्तजार क्यों कर रहे थे ? जानने के लिए बने रहिये |

आज के लिए बस इतना ही आगे जानने के लिए बने रहिये हमारे साथ |

आप लोगो को ये नावेल पड़ने में कैसी लग रही है हमे कमेंट में जरुर बताइयेगा तब तक के गुड बाय |

Episodes

Download

Like this story? Download the app to keep your reading history.
Download

Bonus

New users downloading the APP can read 10 episodes for free

Receive
NovelToon
Step Into A Different WORLD!
Download MangaToon APP on App Store and Google Play