मैं सधारण परिवार का एक प्रतिकूल लड़का हु, जो आपने चित्रण मे समाज को उच्च मुलवान बताना चाहता हु, वो उच्च मुलवान तब तक है, ज़ब तक वो भीख माँग के ये कहे, गिरे हुए को उठा लो "स्वामी "
स्त्री वर्ग को बेखुबी से दिखा रहा हु, जो मेरे उपन्यास मे कुलीन और बहुदार उच्च श्रेणी की होंगी। वास्तविक मे मेरा अनुभव भी सच्ची मे मैंने देखा है, आपनी माँ को समाज पे शाशन करते हुए। पर वो सधारण है।
🌹🌹लिखने वाला
🙏नीरज शर्मा, शहकोटी।
🙏ये उपन्यास मेरी माँ को ही
समर्पित है 🙏
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जिंदगी किरायेदार है। टिप्पणियाँ